ए. एच. स्टूडियो, मिक्सिंग प्वाइंट, पंजाबी स्टूडियो और मन्नत स्टूडियो, हमारे रामपुर शहर के कुछ लोकप्रिय फ़ोटोग्राफ़ी स्टूडियो हैं। हमारे शहर के फ़ोटोग्राफ़ी प्रेमियों ने, रघु राय के बारे में सुना ही होगा, जिन्हें ‘भारतीय फ़ोटोग्राफ़ी के जनक’ के रूप में भी जाना जाता है। रघु राय, भारत में फ़ोटो पत्रकारिता के शुरुआती अग्रदूतों में से एक थे। उन्हें 1971 में, पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो किसी भी फ़ोटोग्राफ़र को दिया गया, भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। वे हेनरी कार्टियर-ब्रेसन(Henri Cartier-Bresson) के शिष्य थे, जिन्होंने, 1977 में, ‘मैग्नम फ़ोटोज’ में शामिल होने के लिए, युवा राय को नामांकित किया था। उन्होंने, 1990 से 1997 तक, ‘वर्ल्ड प्रेस फ़ोटो’ के न्यायपीठ के रूप में भी काम किया। अतः, इस लेख में, हम रघु राय के बारे में चर्चा करेंगे। लेख में, उनके पेशे के बारे में, विस्तार से बताया गया है। हम फ़ोटोग्राफ़ी की दुनिया में, उनके योगदान के बारे में भी बात करेंगे। उसके बाद, हम उन तकनीकों के बारे में समझने की कोशिश करेंगे, जिनका इस्तेमाल, उन्होंने अपने पूरे पेशेवर जीवन में प्रभावशाली तस्वीरें खींचने के लिए किया था। आगे, हम रघु राय द्वारा ली गई, कुछ सबसे प्रसिद्ध और प्रतिष्ठित तस्वीरों की खोज करेंगे।
.jpg)
रघु राय का जन्म, 1942 में, पाकिस्तान के झांग ज़िले में हुआ था। उन्होंने, एक सिविल इंजीनियर के रूप में, योग्यता प्राप्त की, और 23 साल की उम्र में ही, तस्वीरें खींचना भी शुरू किया। वे, ‘द स्टेट्समैन(The Statesman)’ अख़बार में, उनके मुख्य फ़ोटोग्राफ़र के रूप में, शामिल हुए, और उसके बाद, वे, कलकत्ता से प्रकाशित, एक साप्ताहिक समाचार पत्रिका – ‘संडे(Sunday)’ के चित्र संपादक बन गए। 1971 में, पेरिस(Paris) में, ‘गैलरी डेलपायर(Gallery Delpire)’ में, राय की प्रदर्शनी से प्रभावित होकर, हेनरी कार्टियर-ब्रेसन(Henri Cartier-Bresson) ने, राय को मैग्नम फ़ोटोज़(Magnum Photos) के लिए नामांकित किया। बाद में, राय ने, इंडिया टुडे(India Today) में, चित्र संपादक, विजुअलाइज़र(Visualizer) व फ़ोटोग्राफ़र के रूप में, कार्यभार संभाला और विशेष मुद्दों और डिज़ाइनों पर काम किया। साथ ही, उन्होंने उस दशक के सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विषयों पर अग्रणी चित्र निबंधों में योगदान दिया।
बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम, और उसके शरणार्थियों पर, उनके काम के लिए, उन्हें 1972 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। 2009 में, उन्हें फ़्रांसीसी सरकार द्वारा, ‘ऑफ़िसियर डेस आर्ट्स एट डेस लेट्रेस(Officier des Arts et des Lettres)’ से सम्मानित किया गया था। 2019 में, राय को ‘एकेडेमी डेस बोज़ -आर्ट्स पुरस्कार(Académie des beaux-arts Photography Award)’ के पहले संस्करण के विजेता के रूप में, सम्मानित किया गया था।
अपने उल्लेखनीय पेशे के दौरान, राय ने, भारत के व्यापक क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल की है। उन्होंने, 18 से अधिक पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें, ‘रघु रायस् दिल्ली’, ‘द सिख्स’, ‘कलकत्ता’, ‘खजुराहो’, ‘ताज महल’, ‘तिब्बत इन एक्साइल’, ‘इंडिया’ और ‘मदर टेरेसा’ आदि शामिल हैं। इसके अलावा, ग्रीनपीस(Greenpeace) एनजीओ के लिए, उन्होंने, 1984 की भोपाल रासायनिक गैस आपदा और पीड़ितों के जीवन पर, चल रहे इसके प्रभावों पर एक गहन वृत्तचित्र परियोजना पूरी की है। इस कार्य के परिणामस्वरूप, एक पुस्तक और तीन प्रदर्शनियां सामने आईं हैं।
.jpg)
रघु राय को 1971 में, पद्मश्री से सम्मानित किया गया था, जो किसी फ़ोटोग्राफ़र को दिया गया, भारत का सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है। 1992 में, उनकी नेशनल ज्योग्राफ़िक(National Geographic) चैनल पर आई, मुख्य कहानी – ‘ह्यूमन मैनेजमेंट ऑफ़ वाइल्डलाइफ़ इन इंडिया(Human Management of Wildlife in India)’ के कारण, उन्हें व्यापक आलोचनात्मक प्रशंसा भी मिली।
उनके फ़ोटो निबंध – ‘टाइम’, ‘लाइफ़’, ‘जियो’, ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’, ‘द संडे टाइम्स’, ‘ न्यूज़वीक ’, ‘द इंडिपेंडेंट’ और ‘द न्यू यॉर्कर’ सहित, दुनिया की कई प्रमुख पत्रिकाओं और समाचार पत्रों में छपे हैं। उन्होंने, तीन बार, ‘वर्ल्ड प्रेस फ़ोटो’ और दो बार यूनेस्को(UNESCO) की अंतर्राष्ट्रीय फ़ोटो प्रतियोगिता के न्यायपीठ के रूप में काम किया है।
उनकी फ़ोटोग्राफ़ी तकनीक, उपकरण के आर-पार देखने के बजाय, सच्चाई से देखने में निहित है। वे प्राकृतिक प्रतिभा की अवधारणा में विश्वास न करते हुए, कौशल हासिल करने और उसे निखारने में विश्वास रखते हैं।
1.) अवलोकन: वास्तव में, किसी विषय को देखने और उसे सीखने में, धैर्य और अभ्यास की आवश्यकता है । एक फ़ोटोग्राफ़र के रूप में, अपना अवलोकन विकसित करने के लिए, आपको उस स्थान और लोगों के साथ एक होना होगा। इसलिए, राय तभी शूटिंग शुरू करते थे, जब लोग उनकी उपस्थिति से सहज होते थे । यही कारण है कि, उनकी अधिकांश तस्वीरों में, लोग कैमरे की ओर देखने के बजाय, कहीं दूर देख रहे होते हैं।
2.) समरूपता के बजाय, लोगों पर ध्यान देना: उनकी कई तस्वीरें, केंद्र से बाहर होती हैं। क्योंकि, उनके अनुसार, “भारत में भी, केंद्र में कुछ नहीं हैं।” उनके कार्यों में, कार्रवाई कोनों और परिधि में है। वास्तव में, यह फ़्रेम के बजाय, कार्रवाई पर ध्यान केंद्रित करने का परिणाम है। कोई भी व्यक्ति स्वचालित रूप से, तभी किसी कार्रवाई को देख सकता है, जब वह केंद्रित और चौकस हो।
3.) फ़ोटोग्राफ़ का दर्शन: श्री राय, मौन की सराहना करने की सलाह देते हैं। जबकि, कई फ़ोटोग्राफ़र या कलाकार, अपनी कला से गहरी भावनाएं जगाने का प्रयास करते हैं, राय एक अलग दृष्टिकोण अपनाते हैं। मौन के बौद्ध दर्शन की तरह, उनका मानना है कि, सबसे बड़ी कला वह है, जो मौन को बाधित करने के बजाय, उसे पुनर्स्थापित करती है।
4.) ब्लैक एंड व्हाइट: ब्लैक एंड व्हाइट फ़ोटोग्राफ़ी की तीव्रता, आसानी से, रंगीन फ़ोटोग्राफ़ी से अधिक हो जाती है। रघु राय ने, अपने अधिकांश पेशे में, ब्लैक एंड व्हाइट शूटिंग की है।
चलिए अब, रघु राय द्वारा खींची गई, कुछ प्रतिष्ठित तस्वीरों के बारे में जानते हैं।
1.) ‘1984’ इस शीर्षक वाली, रघु राय की छवि, एक फ़ालिक आकार की कुर्सी पर बैठी, सुंदर महिला को दर्शाती है।
2.) 1995 में मुंबई में, रघु राय द्वारा खींची गई, मेट्रो सुरंग में शांत बैठे हुए, सड़क पर रहने वाले दो बच्चों की एक तस्वीर, में, उनके चारों ओर, तेज़ी से भागते लोगों को दर्शाती है।
3.) बिस्मिल्लाह खान की तस्वीर को – “बिस्मिल्ला खान साहब, वाराणसी के अपने घर पर, 1988” – यह शीर्षक दिया गया है।
4.) दलाई लामा की छवि को, “यह वसंत का समय था। परम पूज्य ने, मुझसे उनके बगीचे को देखने के लिए, आने को कहा।” इस वाक्य से संदर्भित दिया गया है।
5.) 1985 में, रघु राय द्वारा खींची गई, ताज महल की छवि, इस स्मारक की भव्यता और इसके आसपास के लोगों के जीवन के बीच, मौजूद अंतर को दिखाती है।
6.) राय के ‘बांग्लादेश, 1971’ संग्रह से एक छवि को ध्यान में रखते हुए, उन्हें 1972 में, बांग्लादेश शरणार्थियों, युद्ध और उसके आत्मसमर्पण के दस्तावेज़ीकरण के लिए, पद्मश्री से सम्मानित किया गया था।
संदर्भ
https://tinyurl.com/25ps5yfc
https://tinyurl.com/4vvfy9ma
https://tinyurl.com/r8wxu2zn
https://tinyurl.com/mr2232u5
चित्र संदर्भ
1. पद्मश्री रघु राय जी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. एक समारोह को संबोधित करते पद्मश्री रघु राय को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. रघु राय जी की तस्वीर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. रघु राय जी की प्रदर्शनी को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)