आज, जब डिटर्जेंट की बात आती है, तो हमारे शहर रामपुर में एरियल, सर्फ़ एक्सेल और टाइड ब्रांड, लोगों की पहली पसंद हैं। लेकिन, एक समय ऐसा था, जब ‘निरमा’ भारत की सबसे लोकप्रिय डिटर्जेंट कंपनी थी। निरमा गर्ल, 80 और 90 के दशक के टीवी विज्ञापनों की सबसे आकर्षक छवियों में से एक है। निरमा एक फ़ास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (Fast-Moving Consumer Goods(FMCG)) कंपनी है, जो एक समय, काफ़ी सफल ब्रांड थी। तब, ये, हिंदुस्तान लीवर लिमिटेड (अब, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड) के ‘सर्फ़’ डिटर्जेंट की एक मजबूत प्रतिद्वंद्वी थी। तो चलिए, आज हम, निरमा की, एक निगम के तौर पर कहानी जानेंगे। हम निरमा की उत्पत्ति, इसकी प्रसिद्धि और सर्फ़ के साथ इसकी प्रतिस्पर्धा के बारे में भी समझेंगे। इसके अलावा, हम मूल्य निर्धारण के आधार पर हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के प्रत्यक्ष प्रतिद्वंद्वी ‘वील (Wheel)’ के साथ, इसकी प्रतिद्वंद्विता और निरमा के पतन के कारणों के बारे में बात करेंगे।
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निरमा के संस्थापक – कसानभाई पटेल का जन्म, 1945 में, गुजरात के एक किसान परिवार में हुआ था। उन्होंने आगे रसायन विज्ञान में बीएससी(BSc) की पढ़ाई पूरी की, और लैब टेक्नीशियन के रूप में काम किया। 1969 उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण वर्ष था, क्योंकि, उन्होंने फ़ॉस्फ़ेट (Phosphate) मुक्त कृत्रिम डिटर्जेंट पाउडर का प्रयोग, निर्माण और पैकेजिंग शुरू किया था। तब वे अपनी साइकिल पर घर-घर जाकर इसे बेचते थे। बाद में, 1970 के दशक में हिंदुस्तान यूनिलीवर द्वारा, बाज़ार में सर्फ़ लाया गया। परंतु, यह केवल अमीर लोगों के लिए ही लक्षित था। तब, यह सर्फ़ पाउडर, 13 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचा जा रहा था। इसलिए, कसानभाई ने अपना डिटर्जेंट, 3.50 रुपये प्रति किलोग्राम पर बेचना शुरू किया। निरमा के इस अनूठे मूल्य बिंदु ने मध्यम और निम्न-आय वर्ग का ध्यान आकर्षित किया। इससे हमें पता चलता है कि, यदि आप बाज़ार में प्रवेश करना चाहते हैं, तो मूल्य निर्धारण, इसके लिए एक प्रवेश द्वार हो सकता है।
साथ ही, निरमा के सशक्त और जीवंत विज्ञापन भी, इस ब्रांड को सर्फ़ से अलग करने में सफल रहे। तब तक, डिटर्जेंट को एक विलासी उत्पाद माना जाता था, और अधिकांश घरों में इसके बजाय, कपड़े धोने के साबुन का उपयोग किया जाता था। लेकिन जैसे-जैसे वनस्पति तेल की कीमतें बढ़ीं, डिटर्जेंट लोकप्रिय विकल्प बन गए।
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इस प्रकार, 90 के दशक में, इस ब्रांड की भारी लोकप्रियता के कारण, भारत में इसकी 15% बाज़ार हिस्सेदारी संभव हो सकी। जबकि, सर्फ़ 65% बाजार हिस्सेदारी और लक्षित वर्ग के साथ, डिटर्जेंट का निर्विवाद नाम बना रहा था । हालांकि, 1985 में निरमा ने सर्फ़ को भी पीछे छोड़ दिया। इसके पश्चात, निरमा ने नहाने के साबुन, सोडा ऐश(Soda ash) और अन्य सफ़ाई उत्पादों को पेश करके, अपना विस्तार किया।
अगले 10 वर्षों में, निरमा अपने क्षेत्र में, सबसे बड़ा खिलाड़ी बन गया। लेकिन, इससे संतुष्ट न होकर, कसानभाई ने, बाज़ार में एक सौंदर्य साबुन विमोचित करके, हिंदुस्तान यूनिलीवर से पूर्ण स्पर्धा शुरू कर दी। यह सावधानीपूर्वक व सोच-समझकर उठाया गया कदम था, और इससे निरमा को भरपूर लाभ मिला।
इसी समय, निरमा ने बड़े प्रभाव से चतुर व लक्षित विज्ञापन का उपयोग किया। इसका पहला विज्ञापन-गीत, 1982 में, इसकी एजेंसी पूर्णिमा एडवरटाइजिंग द्वारा बनाया गया था, और इसमें कसानभाई की प्यारी बेटी को दूध की तरह सफ़ेद फ़्रॉक में दिखाया गया था, जो अपने सरल संदेश के लिए यादगार था। तब से, घूमते हुए दर्शाई गई, वह छोटी लड़की – निरुपमा, निरमा की शुभंकर बन गई।
परंतु, हिंदुस्तान यूनिलीवर ने फिर से अपनी जगह बनाने के लिए, अपने स्वयं के उत्पादों और मूल्य निर्धारण को फिर से तैयार करने के लिए, निरमा से मिले प्रोत्साहन का उपयोग किया। इससे निरमा को जो बाज़ार लाभ हासिल हुआ था, उसका बड़ा हिस्सा वापस हिंदुस्तान यूनिलीवर ने हासिल कर लिया।
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1987 में, हिंदुस्तान यूनिलीवर ने ‘ वील (Wheel)’ नामक एक डिटर्जेंट बार पेश किया था। लेकिन, खराब बिक्री के कारण इसे बंद करना पड़ा। हालांकि, कानूनी बाधाओं के कारण, उन्हें फिर से ‘ वील’ नाम ही चुनना पड़ा।
यूनिलीवर ने निरमा के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए, कंपनी के बाहर एक संघ बनाया। सर्फ़ में एक समूह था, जिसे निरमा के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए मूल्य निर्धारण कम करने का काम सौंपा गया था। यह देखते हुए कि, वील, हिंदुस्तान लीवर का पहला कम कीमत वाला उत्पाद था, इस व्यवसाय ने एक नए प्रकार के प्रबंधन को लागू करने का विकल्प चुना। उदाहरण के लिए, वील की योजना, चंडीगढ़ से बाहर चलाई गई, जबकि, हिंदुस्तान लीवर का बाकी हिस्सा मुंबई में स्थित था। उन्होंने, तब वील को अपने आप में एक सफल उद्यम के रूप में देखा।
दरअसल, वील की सफलता का श्रेय, इस कंपनी द्वारा देश के किसी भी हिस्से में स्थित ग्राहकों तक पहुंचने के लिए, हिंदुस्तान यूनिलीवर के वितरण जाल के उपयोग को दिया जा सकता है। वील के लिए, यूनिलीवर द्वारा एक आकर्षक उपभोक्ता अंतर्दृष्टि की पहचान की गई, और लिंटास(Lintas) द्वारा, इसके लिए एक शानदार विज्ञापन बनाया गया। इससे, ब्रांड को अंततः प्रगति करने में मदद मिली।
संदर्भ
https://tinyurl.com/yc3azcbj
https://tinyurl.com/z6skvxrn
https://tinyurl.com/2p53ypn5
https://tinyurl.com/yhrr9r3r
चित्र संदर्भ
1. मशहूर डिटर्जेंट पावडर निरमा के खोजकर्ता, करसनभाई पटेल को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
2. करसनभाई पटेल को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
3. निरमा के टेलीविजन विज्ञापन को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
4. वील-डिटर्जेंट के विज्ञापन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)