जिस जिराफ से आज हम भली भांति परिचित हैं, वो एक समय केवल एक पौराणिक जानवर था।हमें यह स्वीकार करना होगा कि अगर हम जिराफ के बारे में नहीं जानते और कोई हमें इसकी तस्वीर दिखाता तो वाकई हमें इसके अस्तित्व पर विश्वास नहीं हो पाता।वे वाकई में अजीब से दिखने वाले जानवर हैं। प्राचीन मिस्रवासी जिराफ से अपेक्षाकृत अधिक परिचित थे, भले ही जिराफ मिस्र (Egypt) के मूल निवासी नहीं थे।(कहा जाता है कि फैरोह रामसेस द्वितीय (Pharaoh Ramses II) ने अपने निजी चिड़ियाघर में अन्य विदेशी पालतू जानवरों के साथ जिराफ को भी रखा था)।दूसरी ओर, ग्रीक (Greek) में जिराफ को एक पौराणिक जानवर, कैमलोपार्ड (Camelopard) माना जाता था। ऐसा माना जाता था कि कैमलोपार्डऊंट और तेंदुए के संभोग का परिणाम था! शायद इसलिए जिराफ का वैज्ञानिक नाम (जिराफ कैमलोपार्डालिस- Giraffa camelopardalis) रखा गया।रोम में जिराफ अधिक देखे गए, क्यों कि उनमें से कुछ को पकड़ लिया गया और सम्राट के लिए विदेशी पालतू जानवरों के रूप में और सर्कस मैक्सिमस (Circus Maximus) में एक प्रदर्शनी के रूप में रोम भेजा गया।इसके बाद, हालांकि, 1486 तक यूरोप में कोई और जिराफ ज्ञात नहीं था,फ्लोरेंस (Florence) में लोरेंजो डी मेडिसी (Lorenzo de Medici) को एक जीवित नमूना दिया गया था।1414 मेंजब चीनियों ने पहली बार जिराफ को देखा, तो उन्होंने सोचा कि यह एक किलिन (Qilin) है, जो चीनी पौराणिक कथाओं का एक प्रसिद्ध जानवर है।आज भी, कई एशियाई (Asian) देशों में जिराफ के लिए किरिन (Kirin) शब्द का उपयोग किया जाता है। जिराफ प्रागैतिहासिक काल में एशिया और यहां तक कि यूरोप में भी मौजूद थे।