समयसीमा 245
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 943
मानव व उसके आविष्कार 740
भूगोल 219
जीव - जन्तु 273
Post Viewership from Post Date to 17- Apr-2022 | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
1479 | 101 | 1580 |
ज़ायद (Zaid) की फसल के मौसम के शुरुआत के साथ ही किसान भी अपनी
भूमि को कई प्रकार की फसलों के लिए तैयार करने लगते हैं‚ जो रबी (Rabi) और
खरीफ (Kharif) फसल के मौसम के बीच उनके लिए आय का एक निरंतर स्रोत
बन जाता है। कुछ वर्षों से सरकार ने ज़ायद के मौसम पर काफी ध्यान दिया है
और ज़ायद की फसल के उत्पादन में सुधार के लिए कई प्रयत्न भी किए हैं।
हालांकि खरीफ की खेती का क्षेत्रफल लगभग 107 मिलियन हेक्टेयर है‚ लेकिन
ज़ायद की खेती इस क्षेत्रफल के केवल 2 प्रतिशत भाग में ही की जाती है। ज़ायद
के मौसम में उगाई जाने वाली मुख्य फसलों में खरबूजा‚ तरबूज‚ कद्दू‚ खीरा‚
करेला‚ गन्ना‚ सूरजमुखी‚ मूंगफली तथा कुछ अन्य दालें भी शामिल हैं। ज़ायद
फसलें कम अवधि की फसलें हैं‚ जिनकी खेती मार्च-अप्रैल से मई-जून तक की
जाती है। ज़ायद फसलों की खेती उत्तर प्रदेश‚ पंजाब‚ हरियाणा‚ गुजरात और
तमिलनाडु तथा आमतौर पर देश के अन्य सिंचित क्षेत्रों में की जाती है। ज़ायद की
फ़सलें मूल रूप से गर्मियों के मौसम की फ़सलें हैं जो उन क्षेत्रों में अच्छी तरह से
उत्पादित होती हैं जो क्षेत्र मानसून पर निर्भर नहीं होते हैं और इसी कारण से वे
अच्छी तरह से सिंचित भूमि में उगाए जाते हैं। ज़ायद की फ़सलें मुख्य रूप से
कम अवधि की फसलें हैं‚ लेकिन गन्ने की कटाई एक साल की खेती के बाद की
जाती है।
ज़ायद की फसलों को मुख्य वृद्धि अवस्था के दौरान और फूल आने के दौरान
अधिक दिनों तक शुष्क और गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। मार्च से जून के
महीने गर्म‚ शुष्क और लंबे दिनों वाले होते हैं‚ इसलिए ये ज़ायद की फसलों के
लिए सबसे अच्छे महीने होते हैं। मुख्य ज़ायद फसलों में मौसमी फल और
सब्जियां शामिल हैं जो मार्च और अप्रैल के दौरान बोई जाती हैं और जून और
जुलाई के दौरान काटी जाती हैं।
इस फसल मौसम में खरीफ के दौरान दाल के
उत्पादन में कमी को कम करने की क्षमता है। कुछ दालों को फरवरी और जून के
बीच के मौसम में उगाया जा सकता है। इस मौसम में मूंग और उड़द जैसी दालें
आसानी से बोई जा सकती हैं।
पिछले साल कर्नाटक और मध्य प्रदेश में भारी बारिश के कारण फसल के नुकसान
की खबरें आई थीं। यदि किसान परती भूमि का उपयोग ज़ायद की फसल उगाने
के लिए करते हैं‚ तो वे अपनी फसलों को मानसून के नुकसान से बचा सकते हैं।
कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार‚ इस साल अब तक ज़ायद की फसलों के लिए
बोया गया कुल क्षेत्रफल 16.49 प्रतिशत बढ़कर 67.87 लाख हेक्टेयर हो गया है
और धान काफी अधिक मात्रा में बोया गया है।
ज़ायद को ग्रीष्मकाल फसल भी
कहा जाता है। किसानों को अतिरिक्त आय अर्जित करने में मदद करने के लिए
सरकार ज़ायद फसलों को काफी बढ़ावा दे रही है। मंत्रालय के आंकड़ों से पता
चलता है कि दलहनों की बुवाई 5.72 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 8.68 लाख हेक्टेयर
हो गई है‚ मोटे अनाज की बुवाई 8.54 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 10.86 लाख
हेक्टेयर हो गई है‚ जबकि तिलहन की बुवाई 7.96 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 9.53
लाख हेक्टेयर हो गई है। कृषि फसलें तीन मौसमों: रबी‚ खरीफ और जायद के
मौसम में उगाई जाती हैं।
संदर्भ:-
https://bit.ly/36s7Jmc
https://bit.ly/34N9oCv
चित्र सन्दर्भ
1. खेतों में पहरेदारी करते किसानों को दर्शाता एक चित्रण (Piqsels)
2. सूरजमुखी के खेत को दर्शाता एक चित्रण (Unsplash)
3. हरी पत्तियों पर हरा गोल फल को दर्शाता एक चित्रण (Unsplash)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.