प्रतिक्षण हमारे आस-पास लाखों की संख्या में जीवाणु और विषाणु पनपते रहते हैं। इनमें से कुछ हमारे शरीर को अधिक नुकसान नहीं पहुंचाते परंतु कुछ हमारे शरीर के लिए बहुत हानिकारक होते हैं। कई विषाणु प्रत्यक्ष रूप से हमें नुकसान पहुँचाते हैं परंतु अन्य जीव-जंतुओं और पशु-पक्षियों के माध्यम से हम तक पहुचंते हैं। कई दशकों से चले आ रहे और वर्तमान समय में भी सक्रीय विषाणुओं या वायरसों में से एक है बर्ड फ्लू (Bird Flu) या एवियन इन्फ्लूएंजा (Avian Influenza)। यह रोग पक्षियों द्वारा फैलने वाले रोगों में से एक है। इन्फ्लूएंजा वायरस के मुख्यत: तीन प्रकार ए (A), बी (B) और सी (C) हैं। इन्फ्लूएंजा ए (Influenza A) एक संक्रामक रोग है जो मुख्यत: जलीय, जंगली और पोल्ट्री (Poultry) जीवों जैसे मुर्गियों में पाया जाता है। बर्ड फ्लू अन्य प्रकार के फ्लू जैसे स्वाइन फ्लू (Swine Flu), डॉग फ्लू (Dog Flu), हॉर्स फ्लू (Horse Flu) और मानव फ्लू (Human Flu) के समान ही एक विषाणु जनित रोग है। इस बिमारी के फलस्वरूप मुर्गियों में कम अण्डा उत्पादन क्षमता और यहाँ तक की मृत्यु जैसे लक्षण भी हाल ही में देखे गए हैं। मुर्गियों के अलावा इस बिमारी के लक्षण सुअरों, घोड़ों, कुत्तों और बिल्लियों जैसे स्तनधारी जीवों में भी देखे जा सकता है। संक्रमित जीवित या मृत जीवों और पक्षियों के निकट संपर्क में रहने से बर्ड फ्लू या एच 5 एन 1 (H5N1) मनुष्यों में भी पनप सकता है। संक्रमित पक्षियों के मांस और अंडे का सेवन करने से इस रोग के होने के लक्षण पैदा होने की अभी तक कोई जानकारी प्राप्त नहीं हुई है।
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वर्ष 1997 में हांगकांग (Hong Kong) के बाज़ार में पक्षियों में बर्ड फ्लू के वायरस के एच 5 एन 1 स्ट्रेन (H5N1 Strain) की जानकारी मिली थी। तत्पश्चात इससे 18 लोग संक्रमित हुए जिनमें से 6 की मृत्यु हो गई। इसके बाद रूस (Russia) में सर्वप्रथम बर्ड फ्लू या एच 5 एन 8 (H5N8) के पक्षियों से मनुष्यों में संक्रमण का मामला सामने आया। अधिकारियों से ज्ञात तथ्यों से पता चला कि साल के दिसंबर माह में देश के दक्षिण में एक पोल्ट्री प्लांट (Poultry Plant) में काम करने वाले सात कर्मचारियों में इस फ्लू के लक्षण पाए गए। एच 5 एन 1 (H5N1) को 1996 में सबसे पहले चीन (China) के ग्वांगडोंग प्रांत (Guangdong Province) में एक खेत के बत्तखों में पाया गया और उसके बाद यह उत्तरी अमेरिका (North America) में पाया गया। वर्ष 2013 से 2017 के बीच एच 7 एन 9 (H7N9) के 916 मानव मामलों की रिपोर्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को भेजी गई जिनकी पुष्टि लैब (Lab) में की गई थी। चीन के राष्ट्रीय स्वास्थ्य और परिवार नियोजन आयोग ने एच 7 एन 9 के 106 मामलों की जानकारी 9 जनवरी 2017 को प्रस्तुत की जिनमें 35 मौतें, 2 मानव-से-मानव संचरण के संभावित मामले शामिल थे। यह मामले देश के कई हिस्सों जैसे जिआंगसु (Jiangsu) में 52, झेजियांग (Zhejiang) में 21, अनहुई (Anhui) में 14, ग्वांगडोंग (Guangdong) में 14, हुनान (Hunan) में 1, शंघाई (Shanghai) में (2) और फुजियान (Fujian) में 2 मामले दर्ज किए गए थे। बाद में इस वायरस के एच 5 एन 2 (H5N2) और एच 9 एन 2 (H9N2) जैसे कई अन्य प्रकार भी जंतुओं से मनुष्यों में फैलने की ख़बरें मिली और यह वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य पर एक बहुत बड़ा संकट बन गया। बर्ड फ्लू रोग पक्षियों की आँतों को प्रभावित करता है और मनुष्यों में यह सीधे श्वसन क्रिया में बाधा डालता है। जिससे अन्य श्वास संबंधी गंभीर रोग जैसे निमोनिया (Pneumonia) या एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम (एआरडीएस) (Acute Respiratory Distress Syndrome (ARDS)) से संक्रमित होने का अधिक भय रहता है।
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वर्तमान में सम्पूर्ण विश्व कोरोनावायरस या कोविड-19 (COVID-19) से फैली महामारी का सामना कर रहा है। इससे संक्रमित हुए लोगों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। इसके संक्रमण से बचने के लिए जहाँ एक ओर अनावश्यक घर से बाहर न निकलने और एक-दूसरे से पर्याप्त दूरी बनाने की सलह दी जा रही है वहीं दूसरी ओर इस रोग के प्रति लोगों में डर और दहशत की भावना पैदा हो गई है। इसलिए लोग बाहर जाना और बाहर का खाना जिनमें मुख्यत: अंडा, मांस इत्यादि शमिल हैं के सेवन से परहेज़ कर रहे हैं। हालाँकि कोरोनावायरस श्वास से फैलने वाला रोग है और भोजन से फैलने के कोई भी प्रमाण अभी तक नहीं मिले हैं। फिर भी इस प्रकार के रोगों से बचने के लिए अंडा, मांस आदि को अच्छी तरह से धोकर और पकाकर ही खाना चहिए। बर्ड फ्लू के संदर्भ में भी मछली, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने उचित रूप से पके हुए मुर्गी, मांस और उबले हुए अंडों को मनुष्यों के लिए सुरक्षित माना है।
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भारत में अभी तक मनुष्यों में बर्ड फ्लू से संक्रमण का कोई मामला सामने नहीं आया है। सबसे पहले महाराष्ट्र और गुजरात में बर्ड फ्लू के मामले सामने आए थे उसके बाद पशुपालन विभाग ने वर्ष 2006 से 2015 तक देश के 15 राज्यों के पोल्ट्री जानवरों में इस वायरस के 25 मामले दर्ज किए। विशेषज्ञों के अनुसार इस फ्लू से बचने के लिए पोल्ट्री में कार्यरत कर्मचारियों को विशेष प्रकार की पीपीई (PPE) का उपयोग करना चहिए और साथ ही अपनी और आस-पास के क्षेत्र में स्वच्छता का विशेष रूप से ध्यान रखना चहिए। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, एंटीवायरल (Antiviral) दवाएँ, विशेष रूप से ओसेल्टामिविर (Oseltamivir), मनुष्यों में इस रोग के संक्रमण से बचाव का एक बेहतर विकल्प है। इसके अलावा उचित स्वास्थ्य संबंधी सावधानी बरतने से और टीकाकरण के माध्यम से इस रोग से बचा जा सकता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/2ZR2mGV
https://bbc.in/3pQNeUr
https://bit.ly/3uuxFFo
https://bit.ly/2NthhVf
https://bit.ly/3dJHaKV
https://bit.ly/3swlsOZ
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में एवियन इन्फ्लूएंजा प्रभावित पक्षी दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
दूसरी तस्वीर में एवियन इन्फ्लूएंजा प्रभावित क्षेत्र और उस पर शोध करने वाले डॉक्टरों को दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
तीसरी तस्वीर में बर्ड फ्लू का परीक्षण दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
अंतिम तस्वीर में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस दिखाया गया है। (विकिमीडिया)