क्यों किया जाता है देवी माँ की मूर्ति को जल में विसर्जित ?

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
06-10-2019 10:15 AM
क्यों किया जाता है देवी माँ की मूर्ति को जल में विसर्जित ?

नवरात्रि के दसवें दिन दशहरा मनाया जाता है। इस दिन एक तरफ रावण का दहन किया जाता है वहीं दूसरी ओर मां दुर्गा भी वापस अपने लोक लौट जाती हैं। माता के जाने के बाद उनकी प्रतिमा को मूर्ति का भी नदी-तालाब में विसर्जन कर दिया जाता है क्योंकि शास्त्रों में ऐसा विधान बताया गया है। शास्त्रों के अनुसार देवी-देवताओं की प्रतिमा को पूजन के बाद जल में समर्पित कर देना चाहिए। आइये जानते हैं शास्त्रों में ऐसा क्यों लिखा गया है।

शास्त्रों में कहा गया है कि देवी-देवताओं की मूर्ति को पूजन के बाद जल में समर्पित कर देना चाहिए। दरअसल जल के देवता वरुण हैं जो भगवान विष्णु के ही स्वरूप माने गए हैं। इसलिए जल को हर रूप में पवित्र माना गया है। यही कारण है कि कोई भी शुभ काम करने से पहले पवित्र होने के लिए जल का प्रयोग किया जाता है।

शास्त्रों के अनुसार सृष्टि के प्रारंभ में भी सिर्फ जल ही था और सृष्टि के अंत के समय भी सिर्फ जल ही शेष बचेगा। यानी जल ही अंतिम सत्य है। यहाँ तक कि भगवान राम ने भी धरती से विदा लेने के लिए जल समाधि का मार्ग चुना था। मूर्तियों को जल में विसर्जन के साथ जीवन के इस मूल मंत्र को भी जनमानस को समझाया जाता है कि जीवन अनमोल है, इसे व्यर्थ न गवाएं। मोह-माया और लालसा का त्यागकर उस परम सत्ता का स्मरण करते हुए जीवन निर्वाह करें और जीवन मृत्यु की निरंतरता को समझें।

नवरात्रि में 9 दिनों तक देवी दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की उपासना होती है। दुर्गा पूजा मनाए जाने के पीछे कई कारण है। ऐसी मान्यता है कि माता दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस का वध कर सभी देवी-देवताओं को उसके भय से मुक्ति दिलाया था। इसके अलावा ऐसी मान्यता है माता इन्हीं दिनों अपने मायके पृथ्वी लोक आती हैं जिसकी खुशी में दुर्गा उत्सव मनाया जाता है।

नवरात्रि के पहले दिन महालया अमवास्या पर पितरों का तर्पण करने के बाद माता दुर्गा का कैलाश पर्वत से पृथ्वी लोक पर आगमन होता है। नौ दिनों तक हर रोज देवी के अलग-अलग स्वरूपों में से एक रूप की पूजा की जाती है। नवरात्रि के षष्ठी तिथि के दिन पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित की जाती है। मां दुर्गा की प्रतिमा के अलावा पंडाल में देवी सरस्वती , लक्ष्मी, भगवान गणेश, कार्तिकेय और राक्षस महिषासुर की मूर्तियों को रखा जाता है।

सप्तमी तिथि पर मां को भोग लगाया जाता है जिसमें उनका मनपसंद भोग जैसे खिचड़ी, पापड़, सब्जियां, बैंगन भाजा और रसगुल्ला जैसी चीजें शामिल होती हैं। अष्टमी पर भी मां को भोग लगाया जाता है और नवमी की तिथि माता की इस पृथ्वीलोक पर आखिर दिन होता है। दशमी तिथि पर यानी दशहरे वाले दिन सिंदूर की होली खेल कर माता को विसर्जित कर विदाई दी जाती है।

सन्दर्भ:-
1.
https://sachchikhabar.com/story-behind-murti-visarjan/
2. https://bit.ly/2AQqwVf
3. https://www.youtube.com/watch?v=ufNzsHBN9sw

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.