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मेरठ का प्रकाशन उद्योग पूरे भारत का सबसे पुराना और मजबूत प्रकाशन उद्योग है। इसका विकास आधुनिक मेरठ शहर के विकास से सम्बंधित है। 1806 में, अंग्रेजों ने मेरठ में कैंट की स्थापना की और लगभग इसी समय मेरठ में प्रकाशन उद्योग की भी शुरूआत हुई। 1849 के समाचार पत्रों और प्रिंट आउटलेट (Print Outlets) से संबंधित एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे देश में उस समय 23 प्रिंटिंग प्रेस (Printing Press) थे। 1850 तक दक्षिणी भागों (लखनऊ को छोड़कर) में 24 प्रिंटिंग प्रेस थे, जिनमें से दो मेरठ में थे। मेरठ के प्रकाशन उद्योग के विकास में हिंदी और उर्दू दोनों की समान रूप से भागीदारी रही। शुरुआती सालों में मेरठ में केवल उर्दू का ही चलन था।
ऐतिहासिक शहर मेरठ के प्रकाशन उद्योग के विकास में ईसाई धर्म को स्वीकार करने वाली बेगम समारू का महत्वपूर्ण योगदान था। बेगम समारू के ईसाई धर्म को स्वीकार करते ही सरधना (मेरठ) रोमन कैथोलिक मिशनरियों (Roman Catholic Missionaries) का केंद्र बन गया। यहाँ ईसाई मिशनरियों ने 1848 के आसपास एक प्रिंटिंग प्रेस खोला जिसका उद्देश्य अपने धर्म का प्रचार करना था। 1857 के गदर से पहले, देश के कई हिस्से अंग्रेजों के खिलाफ थे और इस समय पर मेरठ से प्रकाशित पुस्तकों, समाचार पत्रों, पम्पलेट (Pamphlets) आदि ने अपनी भूमिका को बखूबी निभाया। 19 वीं शताब्दी की अंतिम अवधि में आर्य समाजी और मेरठ के स्थानीय निवासी पंडित गौरीदत्त शर्मा के योगदान से मेरठ में हिंदी और देवनागरी के प्रकाशन में गति आयी। पंडित गौरीदत्त शर्मा ने देवनागरी के प्रचार के लिये 1887 और 1892 में मासिक पत्र 'देवनागरी गजट' (Devnagari Gazette) और ‘देवनागरी प्रचारक’ प्रकाशित किये। पंडित जी द्वारा लिखे गये उपन्यास ‘देवरानी-जेठानी’ का प्रकाशन पहली बार 1870 में मेरठ के जैनन प्रिंटिंग रूम में लीथो (Leitho) विधि द्वारा किया गया। 1885 में मेरठ में स्वामी प्रेस की स्थापना करने वाले तुलसीराम स्वामी का भी मेरठ प्रकाशन विकास में महत्वपूर्ण योगदान था।
लगभग सौ साल पहले शुरू हुआ मेरठ का प्रकाशन उद्योग अब मुख्य रूप से शैक्षिक पुस्तकों के प्रकाशन पर केंद्रित हो गया है। मेरठ कॉलेज के एमए अर्थशास्त्र के छात्र राजेंद्र अग्रवाल की पहल से मेरठ के प्रकाशन उद्योग की प्रकृति में बदलाव आया। इस समय कचहरी रोड पर चित्रा प्रकाशन, नागिन प्रकाशन, प्रगति प्रकाशन, जीआर बाथला एंड संस, भारत भारती प्रकाशन, आदि ने मेरठ के प्रमुख प्रकाशनों के कार्यालय बनाए हैं। पूरे देश में शायद ही कोई ऐसी दुकान होगी, जहां मेरठ से प्रकाशित किताबें न हों। मेरठ को प्रकाशनों का शहर भी कहा जा सकता है। आज मेरठ में शैक्षिक प्रकाशनों के कई बड़े नाम हैं जिनके कुछ उदाहरण निम्नलिखित हैं:
• जीआर बाथला एंड संस: यह भारत के अग्रणी शैक्षिक प्रकाशन समूहों में से एक है, तथा मुख्य रूप से भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीवविज्ञान और गणित पर ध्यान केंद्रित करते हैं। जीआर बाथला एंड संस विभिन्न स्कूल बोर्डों के कक्षा IX-XII के साथ-साथ इंजीनियरिंग (Engineering) और मेडिकल (Medical) प्रवेश परीक्षाओं के लिए विज्ञान की पाठ्यपुस्तकों के विशेषज्ञ भी हैं। इसकी स्थापना 1968 में श्री प्रकाश चंद बाथला ने की थी।
• क्रिएटिव ग्राफिक्स (Creative Graphics): इसकी स्थापना सैयद अजीम खान ने 1996 में की तथा यह मेरठ के प्रसिद्ध प्रकाशन समूहों में से एक है।
• ओरिएंट पब्लिशिंग हाउस (Orient Publishing House): श्री रमेश बाथला द्वारा 1974 में स्थापित ओरिएंट पब्लिशिंग हाउस भारतीय कानूनी प्रणाली पर पुस्तकें प्रकाशित करता है। इनकी पुस्तकों को शिक्षाविदों और विशेषज्ञों द्वारा अनुशंसित किया जाता है।
• प्रगति प्रकाशन: भारतीय लेखकों द्वारा स्नातकोत्तर छात्रों के लिए पुस्तकों को पेश करने वाला भारत का यह पहला प्रकाशक था। किताबों के साथ एनिमेशन सीडी (Animation CD), कागज़ की किताबों के साथ ई-किताबें, और साथ ही साथ कंप्यूटर (Computer) की किताबों को लाने वाला यह पहला प्रकाशन 1955 में श्री के. के मित्तल द्वारा स्थापित किया गया था।
इनके अतिरिक्त रस्तोगी प्रकाशन, अरविंद प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड (Arvind Prakashan Private Limited), वर्धमान बुक्स इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड (Vardhman Books International Private Limited), हॉलमार्क इंडिया (Hallmark India) आदि भी मेरठ के प्रमुख प्रकाशनों में से हैं।
मेरठ ने केवल शैक्षिक प्रकाशन में ही नहीं अपितु हिंदी काल्पनिक उपन्यासों में भी अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया तथा पूरे देश में हिंदी पल्प फिक्शन (Hindi Pulp Fiction) के लिये अधिकेंद्र के रूप में उभरा। रोमांस (Romance), रोमांच और रहस्य से भरपूर उपन्यासों के प्रिंट ऑर्डर (Print Order) लाखों में लिये जा रहे हैं, जो कि एक इतिहास कायम कर रहा है। इसने उत्तर भारत के पाठकों का ध्यान वापस किताबों में केंद्रित कर हिंदी प्रकाशन उद्योग को पुनर्जीवित किया।
वर्तमान में भारत-आधारित ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल्स (Online Shopping Portals) पर भी मेरठ के बुक पब्लिशिंग हाउस (Book Publishing House) की किताबों की मांग बढ़ती जा रही है। प्रकाशक अपनी पुस्तकों का इलेक्ट्रॉनिक (Electronic) या ई-किताब संस्करण उपलब्ध कराने के बारे में सोच रहे हैं जिन्हें डाउनलोड (Download) किया जा सकता है। प्रकाशकों के अनुसार पुस्तकों की ऑनलाइन बिक्री का भविष्य बहुत ही उज्ज्वल है। ऑनलाइन शॉपिंग पोर्टल्स भी मेरठ के पुस्तक प्रकाशन बाजार के साथ कार्य करने के लिए उत्साहित हैं। फ्लिपकार्ट (Flipkart) जैसे शॉपिंग पोर्टल अरिहंत, कृष्णा प्रकाशन और प्रगति प्रकाशन जैसे प्रमुख प्रकाशकों के साथ पहले से ही कार्य कर रहे हैं।
संदर्भ:
1. http://www.allaboutbookpublishing.com/1675/a-glimpse-of-the-meerut-publishing-industry/
2. http://wiki-gyan.blogspot.com/2010/06/meerut-publishing-industry.html
3. https://bit.ly/2Q2BpKw
4. https://bit.ly/2LF8WMn
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