मेरठ के युवाओं में कुत्तों के प्रति बढ़ता लगाव, आपके लिए हो सकता है, एक फ़ायदे का सौदा !

स्तनधारी
21-04-2025 09:24 AM
मेरठ के युवाओं में कुत्तों के प्रति बढ़ता लगाव, आपके लिए हो सकता है, एक फ़ायदे का सौदा !

मेरठ के लोगों ख़ासतौर पर युवाओं में पालतू जानवरों के प्रति लगाव बढ़ता हुआ नज़र आ रहा है! इसकी वजह से इन जानवरों की चिकित्सा और देखभाल का बाज़ार भी तेज़ी से बढ़ रहा है। वर्तमान में इसकी कीमत लगभग 3.5  अरब डॉलर (Dollar) है और साल 2028 तक इसके 7-7.5  अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। इस विकास के पीछे का प्रमुख कारण पालतू जानवरों के स्वामित्व में वृद्धि, बढ़ती डिस्पोज़ेबल आय और पालतू जानवरों को परिवार का हिस्सा मानने का बढ़ता चलन है। अगर मेरठ की गलियों में किसी से पालतू जानवरों की बात करें, तो सबसे पहले कुत्तों का ही ज़िक्र होता है। आख़िर क्यों न हो! वफ़ादारी, निस्वार्थ प्रेम, अटूट साथ और हमें ख़ुश रखने की उनकी अनोखी क्षमता ने उन्हें सबसे पसंदीदा पालतू जानवर बना दिया है। यह लगाव सिर्फ़ भावनात्मक ही नहीं, बल्कि एक बड़े उद्योग को भी जन्म दे चुका है, जो कि है—कुत्तों के प्रजनन का व्यवसाय। इसलिए आज के इस लेख में हम, भारत में कुत्तों के प्रजनन व्यवसाय के दायरे को विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे। हम जानेंगे कि इस क्षेत्र से जुड़े नियमों और विनियमों की क्या स्थिति है और प्रजनन लाइसेंस प्राप्त करने की प्रक्रिया कैसी होती है। इसके साथ ही, इस व्यवसाय के आर्थिक पहलुओं पर भी चर्चा होगी—इसमें होने वाली संभावित कमाई और उद्योग की संभावनाओं को क़रीब से देखेंगे। अंत में, हम भारत में सबसे लोकप्रिय कुत्तों की नस्लों—लैब्राडोर, पग, जर्मन शेफ़र्ड, पैरियाह आदि पर भी नज़र डालेंगे।

चित्र स्रोत : प्रारंग चित्र संग्रह 

आज की युवा पीढ़ी, ख़ासकर मिलेनियल्स (Millennials) और जेन  ज़ी (Generation Z), पालतू जानवरों को पालने में अधिक रुचि दिखा रही है। पहले के मुक़ाबले, आज लोग सिर्फ़ पालतू जानवरों को केवल पाल ही नहीं रहे हैं, बल्कि उनकी देखभाल और आराम पर भी बड़ी रक़म ख़र्च कर रहे हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि जहां बेबी बूमर पीढ़ी के 32% लोग पालतू जानवर रखते थे, वहीं युवा परिवारों में यह संख्या बढ़कर 62% हो गई है। इसका सीधा अर्थ यह है कि, नए ज़माने के लोग जानवरों से अधिक जुड़ाव महसूस कर रहे हैं और उनकी ज़रूरतों पर पहले से ज़्यादा ध्यान दे रहे हैं। भारत में पालतू जानवरों से जुड़ा बाज़ार तेज़ी से आगे बढ़ रहा है। इस उद्योग में कई तरह की सेवाएं और उत्पाद शामिल हैं, जिनमें पौष्टिक और औषधीय भोजन, पशु चिकित्सा सेवाएं, ग्रूमिंग (Grooming), केनेल (Kennel) सुविधाएं और अन्य देखभाल सेवाएं शामिल हैं। ख़ासतौर पर, पालतू जानवरों के भोजन का बाज़ार हर साल 13.9% की दर से बढ़ रहा है। शहरी इलाकों और उच्च वर्गीय परिवारों में लोग अब अपने पालतू जानवरों की सेहत और आराम पर ज़्यादा ध्यान देने लगे हैं। वैश्विक स्तर पर भारत का पालतू उद्योग सबसे तेज़ी से आगे बढ़ने वाले उद्योगों में शामिल है। जहां दुनिया भर में यह बाज़ार 5.2% की वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ रहा है, वहीं भारत में इसकी अनुमानित वृद्धि दर 17.0% (2018-2024) तक पहुंचने का अनुमान है। ये आंकड़े बताते हैं कि आने वाले वर्षों में इस क्षेत्र में ज़बरदस्त संभावनाएं हैं। इस प्रकार, भारत में पालतू जानवरों से जुड़ा व्यवसाय, सिर्फ़ एक शौक़ नहीं रह गया है, बल्कि एक बड़ा और तेज़ी से उभरता हुआ उद्योग बन चुका है। भारत में कुत्तों के प्रजनन को नियंत्रित करने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम बनाए गए हैं, ताक़ि उनकी सेहत और भलाई सुनिश्चित की जा सके। ये नियम, मादा और नर कुत्तों, साथ ही प्रजनकों (Breeders) पर लागू होते हैं।
 

चित्र स्रोत : pexels

मादा कुत्तों के लिए नियम निम्नवत दिए गए हैं:

✓ सिर्फ़ स्वस्थ और परिपक्व मादा कुत्तों का ही प्रजनन कराया जा सकता है। उसकी उम्र कम से कम 18 महीने होनी चाहिए।

✓ प्रजनन से कम से कम 10 दिन पहले, लाइसेंस प्राप्त पशु चिकित्सक (Veterinary Doctor) से उनकी स्वास्थ्य जांच कराना अनिवार्य है।

✓ किसी भी मादा कुत्ते को लगातार दो प्रजनन मौसम में गर्भधारण के लिए मजबूर नहीं किया जाएगा। साल में सिर्फ़ एक बार ही प्रजनन कराया जा सकता है।

✓ किसी भी मादा कुत्ते से उसके जीवनकाल में 5 बार से अधिक प्रजनन नहीं कराया जा सकता।

नर कुत्तों के लिए नियम निम्नवत दिए गए हैं:

✓ नर कुत्तों को प्रजनन के लिए स्वस्थ और परिपक्व होना चाहिए।

✓ उनकी उम्र कम से कम 18 महीने होनी चाहिए, तभी वे प्रजनन के योग्य माने जाएंगे।

✓ प्रजनन से कम से कम 10 दिन पहले, उनका स्वास्थ्य प्रमाणपत्र एक लाइसेंस प्राप्त पशु चिकित्सक से प्राप्त करना आवश्यक है।

कुत्तों के प्रजनकों (ब्रीडर्स) के लिए लाइसेंस के नियम निम्नवत दिए गए हैं:

✓ ब्रीडर की उम्र कम से कम 18 वर्ष होनी चाहिए।

✓ लाइसेंस जारी करने से पहले, एक मान्यता प्राप्त पशु चिकित्सक और अन्य विशेषज्ञों की टीम द्वारा साइट निरीक्षण किया जाएगा।

✓ निरीक्षण के बाद, पशु चिकित्सक को एक रिपोर्ट तैयार कर स्थानीय प्रशासन को सौंपनी होगी। इस रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन यह तय करेगा कि लाइसेंस दिया जाए या नहीं।

✓ ब्रीडर को आवेदन पत्र में सभी आवश्यक जानकारी देनी होगी। इसमें एक वैध डाक पता, परिसर या प्रतिष्ठान का पता शामिल होना चाहिए।

✓ आवेदन पत्र में उन सभी स्थानों का विवरण भी देना आवश्यक होगा, जहां से ब्रीडर अपने कार्य संचालन करता है या जहां जानवरों को रखा जाता है।

कुत्तों के प्रजनन से जुड़े इन नियमों का पालन करना बहुत ज़रूरी है। ये नियम न सिर्फ़ कुत्तों के स्वास्थ्य की रक्षा करते हैं, बल्कि अवैध और अनैतिक प्रजनन पर भी रोक लगाते हैं। इसलिए, जो भी व्यक्ति कुत्तों का प्रजनन कराना चाहता है, उसे इन नियमों का पालन अनिवार्य रूप से करना होगा।

चित्र स्रोत : pexels

अगर आप मेरठ में  कुत्ता प्रजनन (Dog Breeding)   शुरू करना चाहते हैं, तो इससे पहले आपको नीचे दिए गए अर्थशास्त्र को समझना ज़रूरी है। मान लीजिए, हम 15 जर्मन शेफ़र्ड कुत्तों से शुरुआत कर रहे हैं।

शुरुआती निवेश:

एक जर्मन शेफ़र्ड कुत्ते की क़ीमत: 10,000 से 50,000 रुपये तक हो सकती है।

यहां हम न्यूनतम क़ीमत 10,000 रुपये प्रति कुत्ता मान रहे हैं।

कुल 15 कुत्ते ख़रीदने की लागत:

15 × 10,000 = 1,50,000 रुपये

इन 15 कुत्तों में से 13 मादा और 2 नर होंगे।

ख़र्च का अनुमान:

भोजन की लागत

प्रति कुत्ता भोजन ख़र्च: 2,200 रुपये प्रति माह

15 कुत्तों के लिए कुल मासिक ख़र्च:

2,200 × 15 = 33,000 रुपये

18 महीनों की कुल भोजन लागत:

33,000 × 18 = 5,94,000 रुपये

मज़दूरी और अन्य ख़र्चे

18 महीनों की मज़दूरी लागत: 1,00,000 रुपये

शेड (रहने की जगह) बनाने की लागत: 1,00,000 रुपये

अन्य ख़र्च (विविध ख़र्चे): 5,000 रुपये

कुल लागत की गणना

  
खर्च का विवरणलागत (रुपये)
15 कुत्तों की कीमत1,50,000
भोजन (18 महीने)5,94,000
मजदूरी1,00,000
शेड निर्माण1,00,000
अन्य खर्च5,000
कुल लागत8,32,000

आइए अब लाभ की गणना करते हैं:

एक मादा कुत्ता 5 से 9 को जन्म दे सकती है।

औसतन, हम 6 पिल्ले प्रति मादा मान रहे हैं।

कुल पिल्लों की संख्या:

13 × 6 = 78 पिल्ले

एक पिल्ले की औसत बिक्री कीमत: 14,000 रुपये
कुल बिक्री और शुद्ध लाभ

विवरणगणनाराशि (रुपये)
कुल पिल्लों की बिक्री78 × 14,00010,92,000
कुल लागत-8,32,000
शुद्ध लाभ10,92,000 - 8,32,0002,60,000

भारत में कई तरह की कुत्तों की नस्लें पाई जाती हैं, लेकिन कुछ नस्लें ख़ासतौर पर लोगों के बीच अधिक लोकप्रिय हैं। कुत्तों की इन नस्लों को अपने मिलनसार स्वभाव, बुद्धिमानी और माहौल में आसानी से ढलने की क्षमता के कारण पसंद किया जाता है।
आइए भारत में सबसे ज़्यादा पाले जाने वाले कुत्तों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

चित्र स्रोत : Wikimedia

1. लैब्राडॉर (Labrador): लैब्राडॉरकुत्ते बेहद मिलनसार और दोस्ताना स्वभाव के होते हैं, जिससे इन्हें परिवारों के लिए एक बेहतरीन विकल्प माना जाता है। ये बहुत बुद्धिमान होते हैं और इन्हें आसानी से प्रशिक्षित किया जा सकता है। ख़ास बात यह है कि इन्हें विशेष देखभाल या महंगे रखरखाव की आवश्यकता नहीं होती। यही कारण है कि यह नस्ल पहली बार कुत्ता पालने वालों के लिए भी उपयुक्त मानी जाती है।

चित्र स्रोत : Wikimedia

2. पग (Pug): पग, छोटे आकार के होते हैं और उनकी गोल-मटोल काया उन्हें और भी आकर्षक बना देती है। यह दुनिया की सबसे पुरानी कुत्तों की नस्लों में से एक है। पग अपने शांत और दोस्ताना स्वभाव के कारण अपार्टमेंट में रहने वालों के लिए एक बेहतरीन विकल्प है। साथ ही, इन्हें ज़्यादा देखभाल की ज़रूरत नहीं होती, जिससे पहली बार कुत्ता पालने वालों के लिए यह एक अच्छा विकल्प बन जाता है।

चित्र स्रोत : pexels

3. जर्मन शेफ़र्ड (German Shepherd): जर्मन शेफ़र्ड, भारत में सबसे ज़्यादा पसंद की जाने वाली कुत्तों की नस्लों  में से एक है। ये कुत्ते बेहद बुद्धिमान, साहसी और सतर्क होते हैं, जिससे वे बेहतरीन सुरक्षा कुत्ते साबित होते हैं। यही कारण है कि इन्हें सुरक्षा उद्देश्यों के लिए पाला जाता है। इसके अलावा, इनका उपयोग, पुलिस और सेना में भी बड़े पैमाने पर किया जाता है।

चित्र स्रोत : Wikimedia

4.  परायह (Pariah): अगर आप एक मज़बूत और वफ़ादार कुत्ता पालना चाहते हैं, तो भारतीय   परायह नस्ल एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है। यह नस्ल, भारत में आसानी से उपलब्ध होती है और किसी भी वातावरण में आसानी से ढल जाती है।   परायह कुत्ते, बेहद स्नेहमयी होते हैं और अपने मालिकों के प्रति गहरी वफ़ादारी दिखाते हैं। ये अपने प्राकृतिक प्रतिरक्षा तंत्र के कारण बीमारियों से भी कम प्रभावित होते हैं, जिससे उनकी देखभाल करना आसान हो जाता है।

चित्र स्रोत : Wikimedia

5. भारतीय स्पिट्ज़ (Indian Spitz): भारतीय स्पिट्ज़, दो प्रकार के होते हैं – छोटे और बड़े स्पिट्ज़। छोटे स्पिट्ज़ का वज़न, 5 से 7 किलोग्राम होता है, जबकि बड़े स्पिट्ज़ का वज़न 12 से 50 किलोग्राम तक हो सकता है। छोटे स्पिट्ज़ की ऊंचाई, 22 से 25 सेंटीमीटर होती है, जबकि बड़े स्पिट्ज़ की ऊंचाई 35 से 40 सेंटीमीटर तक होती है। ये आमतौर पर सफ़ेद रंग के होते हैं, लेकिन कुछ भूरे, काले या मिश्रित रंगों में भी पाए जाते हैं। इनकी शक्ल, पोमेरेनियन (Pomeranian) कुत्तों से मिलती-जुलती होती है, लेकिन यह नस्ल अधिक समझदार और अनुकूलनीय मानी जाती है।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/23ypf9hm

https://tinyurl.com/27qznvjx

https://tinyurl.com/28wq5qfc

https://tinyurl.com/2d9mrdcs

https://tinyurl.com/28wq5qfc

मुख्य चित्र स्रोत : pexels 

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