उचित कारणों को समझकर कम किया जा सकता है, उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था के खतरे को

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
11-04-2025 09:25 AM
उचित कारणों को समझकर कम किया जा सकता है, उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था  के खतरे को

हाल के अध्ययनों के अनुसार, भारत में लगभग 50% गर्भधारण को उच्च जोखिम वाला (High-Risk Pregnancy) माना जाता है, जिसका अर्थ है कि गर्भावस्था के दौरान अधिकांश महिलाएं गर्भावस्था की जटिलताओं का अनुभव करती हैं; लगभग 33% गर्भवती महिलाओं में एक ही उच्च-जोखिम कारक होता है और 16% में कई उच्च-जोखिम कारक होते हैं। भारत में, सामान्य गर्भावस्था स्वास्थ्य जटिलताओं में प्रसवोत्तर गंभीर रक्तस्राव, संक्रमण, गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप, प्रसव के दौरान जटिलताएँ, असुरक्षित गर्भपात, एनीमिया, गर्भकालीन मधुमेह और बाधित प्रसव शामिल हैं, जिनके कारण गर्भावस्था की यह स्थिति उच्च जोखिम वाली होती है, जहां माँ या बच्चे को स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव होने की अधिक संभावना होती है। तो आइए, आज भारत में गर्भवती महिलाओं को होने वाली कुछ गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं को समझने प्रयास करते हैं और उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था और उसके लक्षणों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही, हम उन कारकों पर कुछ प्रकाश डालेंगे, जो गर्भावस्था को उच्च जोखिम वाला बनाते हैं। अंत में, उच्च जोखिम गर्भावस्था की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए कुछ उपायों के बारे में भी जानेंगे।

भारत में गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के सामने आने वाली गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएं:

रक्तस्राव (Bleeding): गर्भावस्था के दौरान, शरीर में बड़े या छोटे बदलावों, जैसे प्रत्यारोपण से, गर्भाशय ग्रीवा से या किसी संक्रमण के कारण रक्तस्राव हो सकता है।

फ़ैलोपियन ट्यूब में अस्थानिक गर्भावस्था | चित्र स्रोत : Wikimedia 

अस्थानिक गर्भावस्था (Ectopic Pregnancy): आम तौर पर, आगे की वृद्धि और विकास के लिए निषेचित अंडा गर्भाशय में प्रत्यारोपित होता है। कभी-कभी, यह प्रत्यारोपण फ़ैलोपियन नलिका में हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, फ़ैलोपियन नलिका (Fallopian tube) के फटने से रक्तस्राव हो सकता है। अस्थानिक गर्भावस्था कोई सामान्य स्थिति नहीं है इसलिए इसे नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

विलंबित गर्भपात | चित्र स्रोत : Wikimedia 

गर्भपात (Miscarriage): गर्भाशय के अंदर ही भ्रूण की मृत्यु होने पर गर्भपात हो जाता है। यह आमतौर पर गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में होता है।

सीमांत (Marginal) और छिपा हुआ (Concealed) प्लेसेंटल अब्रप्शन | चित्र स्रोत : Wikimedia 

प्लेसेंटल अब्रप्शन (Placental Abruption): इस स्थिति में, गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाता है। यह डिलीवरी के दौरान भी हो सकता है। प्लेसेंटा एक ऐसा अंग है जो अंदर बढ़ते भ्रूण को रक्त (ऑक्सीजन और पोषक तत्व) प्रदान करता है। प्लेसेंटा का अलग होना एक गंभीर जटिलता है।

चित्र स्रोत : Wikimedia 

प्लेसेंटा प्रीविया (Placenta Previa): यह एक ऐसी स्थिति है जहां नाल पूरी तरह या आंशिक रूप से बच्चे के गर्भाशय ग्रीवा तक जाने के रास्ते को अवरुद्ध कर देती है। ऐसा तब होता है जब प्लेसेंटा नीचे होता है। यह समस्या आम तौर पर नियत तारीख नजदीक आने के साथ विकसित होती है। इस मामले में आपको सिज़ेरियन डिलीवरी (Cesarean delivery) की आवश्यकता हो सकती है।

गंभीर संक्रमण (Major Infections): गर्भावस्था के दौरान, कुछ गंभीर संक्रमण जैसे यौन संचारित संक्रमण (क्लैमाइडिया (Chlamydia) या गोनोरिया (Gonorrhoea)), टी बी (TB), एच आई वी (HIV) या हेपेटाइटिस (Hepatitis), माँ और बच्चे के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान इन संक्रमणों और टीकाकरणों की जांच और उपचार महत्वपूर्ण है।

योनि में जलन (Vaginal Irritation): गर्भावस्था के दौरान, एक महिला प्रत्येक भारी शारीरिक परिवर्तनों से गुज़रती है। ये परिवर्तन, बड़ी मात्रा में योनि स्राव के माध्यम से देखे जा सकते हैं जो योनि में जलन पैदा कर सकते हैं।

उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की स्थिति:

गर्भवती महिला की आयु, गंभीर बीमारी और कुछ पहले से मौजूद स्वास्थ्य स्थितियों के कारण कई बार गर्भावस्था उच्च जोखिम वाली हो जाती है। भ्रूण में कुछ संरचनात्मक या आनुवंशिक असामान्यताएं होने पर, गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं का खतरा अधिक हो सकता है। गर्भधारण और जटिलताओं का पिछला इतिहास, प्रसव पूर्व परीक्षण के परिणाम और गर्भावस्था के दौरान कुछ लक्षण, जैसे रक्तस्राव, भी गर्भावस्था को उच्च जोखिम वाला बना सकते हैं।

उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था के लक्षण:

  • लगातार पेट दर्द 
  • छाती में दर्द
  • भ्रूण की हलचल कम होना या न होना 
  • अत्यधिक थकान
  • बेहोशी या चक्कर आना 
  • दिल की धड़कन तेज़ या अनियमित होना
  • मतली और उल्टी
  • साँस लेने में तकलीफ़
  • भयंकर सरदर्द
  • अंगों में सूजन, लालिमा, दर्द
  • योनि से रक्तस्राव 

उपरोक्त कोई भी लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

उच्च जोखिम गर्भावस्था के कारण:

  • पहले से मधुमेह (Pre existing diabetes): जिन महिलाओं को पहले से मधुमेह है उनके लिए गर्भावस्था की स्थिति जोखिम भरी हो सकती है। 
  • अंग प्रत्यारोपण (Organ Transplant): जिन महिलाओं का पहले अंग प्रत्यारोपण हुआ है, गर्भावस्था के दौरान उन्हें प्रीक्लेम्पसिया (Preeclampsia (उच्च रक्तचाप के कारण होने वाली एक जटिलता)), उच्च रक्तचाप और भ्रूण के विकास में बाधा का खतरा अधिक होता है।
  • दीर्घकालिक उच्च रक्तचाप (Chronic High Blood Pressure): यदि किसी महिला को गंभीर, दीर्घकालिक उच्च रक्तचाप है, तो गर्भावस्था के दौरान हृदय की गति रुक जाना, मस्तिष्क में रक्तस्राव और किडनी खराब होने का खतरा अधिक होता है। एक अन्य जोखिम प्रीक्लेम्पसिया के कारण भ्रूण का विकास धीमा हो सकता है, जो समय से पहले जन्म या गर्भावस्था के नुकसान का कारण बन सकता है।
  • रक्त के थक्के (Blood Clots): रक्त के थक्के विकसित होने की प्रवृत्ति, गर्भावस्था में जोखिम बढ़ा सकती है। 
  • रूमेटोलॉजिकल रोग (Rheumatalogic diseases)  : ल्यूपस (Lupus) जैसी स्थितियां, माँ में प्रीक्लेम्पसिया के खतरे को बढ़ा सकती हैं। इसके अतिरिक्त, यदि गर्भावस्था में ल्यूपस को नियंत्रित नहीं किया जाता है, तो गर्भावस्था के कारण ल्यूपस की तीव्रता बढ़ सकती है।

इसके अलावा, हृदय रोग (जन्मजात या अधिग्रहित), विभिन्न संक्रामक रोग जैसे एच आई वी, वायरल हेपेटाइटिस ,  पाइलोनेफ़्राइटिस (Pyelonephritis (एक संभावित गंभीर किडनी संक्रमण, कैंसर, मनोरोग)) आदि भी गर्भावस्था को उच्च जोखिम वाली स्थिति बन सकते हैं।

गर्भावस्था का एक लेबलयुक्त चिकित्सा चित्रण | चित्र स्रोत : Wikimedia 

गर्भावस्था के दौरान उच्च जोखिम की स्थिति की रोकथाम के लिए उपाय:

  • गर्भावस्था से पहले स्वस्थ वज़न बनाए रखें: गर्भावस्था के दौरान, अधिक वज़न या मोटापा होने से उच्च रक्तचाप, प्रीक्लेम्पसिया, गर्भकालीन मधुमेह और मृत प्रसव जैसी कई जटिलताओं के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।   कम वज़न होने पर गर्भपात या भ्रूण का उचित विकास न होने का खतरा भी बढ़ जाता है। इसलिए, गर्भावस्था से पहले स्वस्थ वज़न होने से जटिलताओं का खतरा कम हो जाता है।
  • अनियंत्रित पूर्व-मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियों का उपचार: अनियंत्रित पूर्व-मौजूदा स्वास्थ्य स्थितियां गर्भावस्था को उच्च जोखिम में डाल सकती हैं। इसलिए गर्भावस्था से पहले दवा और जीवनशैली में बदलाव के साथ, स्वास्थ्य स्थितियों का प्रबंधन करने से, गर्भावस्था के दौरान, शरीर को सर्वोत्तम तरीके से काम करने में मदद मिलती है।
  • प्रसव-पूर्व पूरक लें: गर्भावस्था के दौरान, बढ़ते बच्चे के विकास के लिए माँ के शरीर को कुछ पोषक तत्वों की अधिक आवश्यकता होती है। प्रसवपूर्व विटामिन या पूरक (Prenatal supplements) लेने से फ़ोलिक एसिड, आयरन, प्रोटीन और कैल्शियम की पूर्ति होती है जो सामान्य आहार से नहीं मिल पाता है।
  • मादक पदार्थों से बचें: गर्भावस्था के दौरान शराब पीना, धूम्रपान करना या तंबाकू उत्पादों का उपयोग करना और नशीली दवाएं लेना बच्चे के स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। गर्भावस्था के दौरान, शराब पीने से भ्रूण में अल्कोहल स्पेक्ट्रम विकार (Fetal Alcohol Spectrum Disorder) का खतरा बढ़ जाता है, जो गंभीर जन्म दोषों का कारण बनता है। सिगरेट पीने से जन्म के समय शिशुओं का वज़न कम हो सकता है। अवैध दवाओं का  दुरुपयोग, जन्म दोष का कारण बन सकता है, और यह भी संभव है कि बच्चे, गर्भावस्था के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली दवा के आदी हों जाएं।

 

संदर्भ:
 
https://tinyurl.com/3rjr5z9v

https://tinyurl.com/hmss2tmw

https://tinyurl.com/3dzjmwsf

https://tinyurl.com/48fxbe6d

मुख्य चित्र स्रोत : Pexels

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