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हाल के अध्ययनों के अनुसार, भारत में लगभग 50% गर्भधारण को उच्च जोखिम वाला (High-Risk Pregnancy) माना जाता है, जिसका अर्थ है कि गर्भावस्था के दौरान अधिकांश महिलाएं गर्भावस्था की जटिलताओं का अनुभव करती हैं; लगभग 33% गर्भवती महिलाओं में एक ही उच्च-जोखिम कारक होता है और 16% में कई उच्च-जोखिम कारक होते हैं। भारत में, सामान्य गर्भावस्था स्वास्थ्य जटिलताओं में प्रसवोत्तर गंभीर रक्तस्राव, संक्रमण, गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप, प्रसव के दौरान जटिलताएँ, असुरक्षित गर्भपात, एनीमिया, गर्भकालीन मधुमेह और बाधित प्रसव शामिल हैं, जिनके कारण गर्भावस्था की यह स्थिति उच्च जोखिम वाली होती है, जहां माँ या बच्चे को स्वास्थ्य समस्याओं का अनुभव होने की अधिक संभावना होती है। तो आइए, आज भारत में गर्भवती महिलाओं को होने वाली कुछ गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं को समझने प्रयास करते हैं और उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था और उसके लक्षणों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही, हम उन कारकों पर कुछ प्रकाश डालेंगे, जो गर्भावस्था को उच्च जोखिम वाला बनाते हैं। अंत में, उच्च जोखिम गर्भावस्था की रोकथाम सुनिश्चित करने के लिए कुछ उपायों के बारे में भी जानेंगे।
भारत में गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के सामने आने वाली गंभीर स्वास्थ्य जटिलताएं:
रक्तस्राव (Bleeding): गर्भावस्था के दौरान, शरीर में बड़े या छोटे बदलावों, जैसे प्रत्यारोपण से, गर्भाशय ग्रीवा से या किसी संक्रमण के कारण रक्तस्राव हो सकता है।
अस्थानिक गर्भावस्था (Ectopic Pregnancy): आम तौर पर, आगे की वृद्धि और विकास के लिए निषेचित अंडा गर्भाशय में प्रत्यारोपित होता है। कभी-कभी, यह प्रत्यारोपण फ़ैलोपियन नलिका में हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप, फ़ैलोपियन नलिका (Fallopian tube) के फटने से रक्तस्राव हो सकता है। अस्थानिक गर्भावस्था कोई सामान्य स्थिति नहीं है इसलिए इसे नज़रअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।
गर्भपात (Miscarriage): गर्भाशय के अंदर ही भ्रूण की मृत्यु होने पर गर्भपात हो जाता है। यह आमतौर पर गर्भावस्था के पहले तीन महीनों में होता है।
प्लेसेंटल अब्रप्शन (Placental Abruption): इस स्थिति में, गर्भावस्था के दौरान प्लेसेंटा गर्भाशय की दीवार से अलग हो जाता है। यह डिलीवरी के दौरान भी हो सकता है। प्लेसेंटा एक ऐसा अंग है जो अंदर बढ़ते भ्रूण को रक्त (ऑक्सीजन और पोषक तत्व) प्रदान करता है। प्लेसेंटा का अलग होना एक गंभीर जटिलता है।
प्लेसेंटा प्रीविया (Placenta Previa): यह एक ऐसी स्थिति है जहां नाल पूरी तरह या आंशिक रूप से बच्चे के गर्भाशय ग्रीवा तक जाने के रास्ते को अवरुद्ध कर देती है। ऐसा तब होता है जब प्लेसेंटा नीचे होता है। यह समस्या आम तौर पर नियत तारीख नजदीक आने के साथ विकसित होती है। इस मामले में आपको सिज़ेरियन डिलीवरी (Cesarean delivery) की आवश्यकता हो सकती है।
गंभीर संक्रमण (Major Infections): गर्भावस्था के दौरान, कुछ गंभीर संक्रमण जैसे यौन संचारित संक्रमण (क्लैमाइडिया (Chlamydia) या गोनोरिया (Gonorrhoea)), टी बी (TB), एच आई वी (HIV) या हेपेटाइटिस (Hepatitis), माँ और बच्चे के लिए खतरनाक हो सकते हैं। इसलिए, गर्भावस्था के दौरान इन संक्रमणों और टीकाकरणों की जांच और उपचार महत्वपूर्ण है।
योनि में जलन (Vaginal Irritation): गर्भावस्था के दौरान, एक महिला प्रत्येक भारी शारीरिक परिवर्तनों से गुज़रती है। ये परिवर्तन, बड़ी मात्रा में योनि स्राव के माध्यम से देखे जा सकते हैं जो योनि में जलन पैदा कर सकते हैं।
उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था की स्थिति:
गर्भवती महिला की आयु, गंभीर बीमारी और कुछ पहले से मौजूद स्वास्थ्य स्थितियों के कारण कई बार गर्भावस्था उच्च जोखिम वाली हो जाती है। भ्रूण में कुछ संरचनात्मक या आनुवंशिक असामान्यताएं होने पर, गर्भावस्था के दौरान जटिलताओं का खतरा अधिक हो सकता है। गर्भधारण और जटिलताओं का पिछला इतिहास, प्रसव पूर्व परीक्षण के परिणाम और गर्भावस्था के दौरान कुछ लक्षण, जैसे रक्तस्राव, भी गर्भावस्था को उच्च जोखिम वाला बना सकते हैं।
उच्च जोखिम वाली गर्भावस्था के लक्षण:
उपरोक्त कोई भी लक्षण होने पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
उच्च जोखिम गर्भावस्था के कारण:
इसके अलावा, हृदय रोग (जन्मजात या अधिग्रहित), विभिन्न संक्रामक रोग जैसे एच आई वी, वायरल हेपेटाइटिस , पाइलोनेफ़्राइटिस (Pyelonephritis (एक संभावित गंभीर किडनी संक्रमण, कैंसर, मनोरोग)) आदि भी गर्भावस्था को उच्च जोखिम वाली स्थिति बन सकते हैं।
गर्भावस्था के दौरान उच्च जोखिम की स्थिति की रोकथाम के लिए उपाय:
संदर्भ:
https://tinyurl.com/3rjr5z9v
मुख्य चित्र स्रोत : Pexels
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