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क्रूज़ उद्योग (Cruise Industry), हर साल दुनिया भर में 1.2 मिलियन लोगों को रोज़गार देता है और 150 बिलियन डॉलर की कमाई करता है। लेकिन भारत में क्रूज़ पर्यटन अभी बहुत छोटा है। हमारे देश में यह बाज़ार सिर्फ़ 100 मिलियन डॉलर का है, जो दुनिया के क्रूज़ बाज़ार का सिर्फ़ 1% है। लेकिन भारत के पास लंबा समुद्री किनारा और सैकड़ों नदियाँ हैं, जिससे यह पर्यटन आगे बहुत बढ़ सकता है।
आज हम भारत में क्रूज़ पर्यटन (Cruise Tourism) की स्थिति के बारे में जानेंगे। फिर हम समझेंगे कि इससे हमारे देश की अर्थव्यवस्था को क्या फ़ायदा हो सकता है। इसके बाद, हम यह भी देखेंगे कि क्रूज़ पर्यटन, हमारे महासागरों को किस तरह नुक़सान पहुँचा सकता है। आगे, हम यह जानेंगे कि भारत में क्रूज़ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जा रहे हैं। इसी में, हम क्रूज़ भारत मिशन के बारे में भी बात करेंगे और जानेंगे कि यह मिशन क्यों ज़रूरी है और इसके क्या उद्देश्य हैं।
भारत में क्रूज़ पर्यटन की वर्तमान स्थिति
भारत में क्रूज़ पर्यटन, एक उभरता हुआ उद्योग है, जिसमें आगे बढ़ने की अपार संभावनाएँ हैं। लेकिन, यह अभी अपने शुरुआती दौर में है और अन्य देशों की तुलना में इसे काफ़ी विकास की ज़रूरत है। वर्तमान में, मुंबई, कोच्चि और चेन्नई भारत के मुख्य बंदरगाह हैं, जहाँ अंतरराष्ट्रीय क्रूज़ जहाज़ रुकते हैं।
इसके अलावा, घरेलू क्रूज़ पर्यटन भी अब लोकप्रिय हो रहा है, खासकर भारत के पश्चिमी तट पर। इससे लोगों को देश के समुद्री पर्यटन का आनंद लेने का एक नया तरीका मिल रहा है। हालाँकि, भारत के पास एक विशाल समुद्री तट और 100 से अधिक नौगम्य नदियाँ (जहाँ नाव और जहाज़ चल सकते हैं) होने के बावजूद, अभी क्रूज़ पर्यटन का बाज़ार, केवल 100 मिलियन डॉलर का है, जो कि वैश्विक बाज़ार का सिर्फ़ 1% है।
भारत में क्रूज़ पर्यटन से संबंधित आर्थिक संभावनाएं
क्रूज़ उद्योग, पूरी दुनिया में बहुत बड़ा है और हर साल 150 बिलियन डॉलर की कमाई करता है। यह उद्योग 1.2 मिलियन लोगों को नौकरी भी देता है। भारत सरकार, इस उद्योग को बढ़ाने के लिए बहुत मेहनत कर रही है। क्रूज़ पर्यटन न सिर्फ़ आर्थिक रूप से मदद करता है, बल्कि यह स्थानीय लोगों को फ़ायदा पहुंचाता है, परंपराओं को बचाता है, और नई-नई चीज़ों के बारे में हमें सिखाता है।
भारत की जी 20 (G20) अध्यक्षता के दौरान, गोवा में चौथी पर्यटन बैठक 4th Tourism Working Group Meeting में क्रूज़ पर्यटन पर चर्चा की गई। इस चर्चा का उद्देश्य भारत को क्रूज़ पर्यटन का केंद्र बनाना था। भारत के पास 7,500 किलोमीटर लंबा समुद्र तट और 400 नदियों का नेटवर्क है। इससे भारत को क्रूज़ पर्यटन के लिए बहुत अच्छा मौका मिलता है।
भारत में क्रूज़ पर्यटन को और बढ़ाने के लिए “क्रूज़ पर्यटन के लिए राष्ट्रीय रणनीति” (National Strategy for Cruise Tourism) बनाई गई है। इसका उद्देश्य, भारत को गहरे समुद्र क्रूज़, तटीय क्रूज़, नदी क्रूज़ और याट क्रूज़ के लिए सबसे अच्छा देश बनाना है। इस योजना में कई बातें शामिल हैं, जैसे व्यापार में आसानी, क्रूज़ टर्मिनल के पास पर्यटन का विकास, वित्तीय मदद, और कौशल विकास।
भारत सरकार, इस उद्योग को और बेहतर बनाने के लिए बहुत सारे कदम उठा रही है। इसका उद्देश्य यह है कि, अगले 20 सालों में भारत में क्रूज़ जहाज़ों की संख्या बहुत बढ़ जाए। भारत में बहुत सारी प्राकृतिक संसाधन और अच्छे बुनियादी ढाँचे हैं, जो इस पर्यटन को सफ़ल बनाने में मदद करेंगे। साथ ही, भारत को एक ज़िम्मेदार और टिकाऊ पर्यटन स्थल बनाना भी इस योजना का हिस्सा है।
भारत में क्रूज़ पर्यटन के नकारात्मक प्रभाव
1.) सीवेज का समुद्र में छोड़ना: कई छोटे द्वीपों में कचरे को ठीक से इकट्ठा करने की सुविधाएं नहीं हैं, और कई बार जहाज़ों में भी कचरा रखने की सही जगह नहीं होती। इससे कचरा समुद्र में फेंका जाता है और हवाओं और समुद्र की धाराओं के द्वारा यह कचरा दूर-दूर के तटों तक पहुँच जाता है।
2.) कोरल रीफ़्स: पोर्ट्स का विकास और जहाज़ों के लिए गहरे पानी की खुदाई से कोरल रीफ़्स (Coral reefs) को नुकसान हो सकता है। कई बार, क्रूज़ जहाज़ों में 3000 से अधिकतम यात्री सफ़र करते हैं, जिससे समुद्र में मिट्टी जमा हो जाती है और रीफ़्स को नुक़सान पहुँचता है। साथ ही, समुद्र तटों से बालू निकालने से तटीय कटाव (erosion) भी बढ़ जाता है। कैयमैन द्वीपों में क्रूज़ जहाज़ों ने रीफ़्स पर लंगर डालकर नुकसान पहुँचाया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जॉर्ज टाउन के बंदरगाह में 300 एकड़ से ज्यादा कोरल रीफ़्स को जहाज़ों के लंगर से नुक़सान हुआ है।
3.) सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव: क्रूज़ पर्यटन से छोटे द्वीपों पर अचानक भारी संख्या में पर्यटक आ जाते हैं, जो कभी-कभी, वहां रहनेवाले लोगों से भी ज़्यादा होते हैं। इससे स्थानीय समुदायों पर दबाव बढ़ सकता है। खाने, पानी, ऊर्जा और भूमि जैसी ज़रूरी चीज़ें खत्म हो सकती हैं।
4.) जहाज़ों से निकलने वाले धुएं: क्रूज़ जहाज़ों से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसें बहुत ज़्यादा होती हैं, क्योंकि ये जहाज़, इंधन से चलते हैं। हालांकि अब इन्हें पर्यावरण के लिए कम हानिकारक ईंधन से बदलने की कोशिश की जा रही है। 2027 तक लगभग 100 नए क्रूज़ जहाज़ों का निर्माण होने वाला है, जिनमें से पाँचवां हिस्सा लिक्विफ़ाइड नेचुरल गैस/एल एन जी (Liquefied Natural Gas) से चलने वाले होंगे, जो कि नए जहाज़ों की कुल क्षमता का 41% हैं।
भारत में क्रूज़ पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार की पहलें
भारत सरकार का लक्ष्य है कि क्रूज़ यात्रियों की संख्या को 0.4 मिलियन से बढ़ाकर 4 मिलियन किया जाए। क्रूज़ पर्यटन से होने वाली आमदनी भी 110 मिलियन डॉलर से बढ़कर 5.5 बिलियन डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है। इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए हैं। इनमें बंदरगाहों की सुविधाओं को बेहतर बनाना, उनके शुल्क को कम करना, क्रूज़ जहाज़ों को जल्दी गोदी में लगाना और ई-वीज़ा जैसी सुविधाएँ देना शामिल है।
भारत के सात प्रमुख बंदरगाहों पर उन्नयन किया जा रहा है। मुंबई में एक नया अंतरराष्ट्रीय क्रूज़ टर्मिनल बना है, जिसकी लागत, करीब 495 करोड़ रुपये है। इसे जुलाई 2024 में पूरा किया गया। इस टर्मिनल में 200 जहाज़ों और 1 मिलियन यात्रियों को हर साल समालने की क्षमता होगी। इसी तरह, गोवा, न्यू मंगलौर, कोच्चि, चेन्नई, विशाखापट्टनम और कोलकाता में भी इस तरह के सुधार किए जा रहे हैं।
क्रूज़ भारत मिशन का परिचय
लक्ष्य:
यह मिशन, तीन चरणों में लागू किया जाएगा, क्योंकि केंद्र का उद्देश्य समुद्री क्रूज़ कॉल्स की संख्या को 125 से बढ़ाकर 500 करना है।
क्रूज़ भारत मिशन का महत्व
संदर्भ:
मुख्य चित्र: मुंबई से गोवा जा रहा एक क्रूज़ जहाज़ | चित्र स्रोत : flickr
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