आज हमारा मेरठ शहर, औद्योगिक और कृषि क्षेत्रों की व्यावसायिक गतिविधियों का केंद्र है। इस प्रकार, स्वाभाविक रूप से, कुछ मुख्य मेरठ निवासियों की, भारत और दुनिया के कुछ सबसे बड़े बैंकों तक पहुंच है। इस कारण, भारतीय बैंकिंग प्रणाली के इतिहास और विकास को समझना महत्वपूर्ण है। क्योंकि, इससे, विकास के विभिन्न चरणों और इस क्षेत्र में सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद मिलती है। यह अध्ययन बैंकिंग क्षेत्र को विनियमित और मज़बूत करने के लिए, सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा किए गए सुधारों एवं उपायों को समझने में भी मदद करता है। तो, आज के लेख में, हम ब्रिटिश शासन के दौरान, भारतीय बैंकिंग के इतिहास के बारे में बात करेंगे। उसके बाद, हम भारत-फ़्रांसीसी मुद्रा और पुर्तगाली भारतीय रुपये के बारे में, विस्तार से चर्चा करेंगे। अंत में, हम भारत में बने पहले फ़्रांसीसी नोट के बारे में भी बात करेंगे।
भारतीय बैंकिंग प्रणाली को दो चरणों, अर्थात – स्वतंत्रता-पूर्व चरण (1786-1947) और स्वतंत्रता के बाद का चरण (1947 से आज तक), में वर्गीकृत किया जा सकता है।
1.) भारत को स्वतंत्रता मिलने से पहले (1786-1947), पहला बैंक – “बैंक ऑफ़ हिंदुस्तान”, 1770 में, कलकत्ता में स्थापित किया गया था। दुर्भाग्य से, इस बैंक को कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, और 1832 में इसका संचालन बंद हो गया।
2.) इस दौरान, भारत में 600 से अधिक बैंक पंजीकृत हुए; लेकिन, केवल कुछ ही बैंक स्थिर हो सके। तब भारत के कुछ शुरुआती बैंक – जनरल बैंक ऑफ़ इंडिया (1786-1791), अवध कमर्शियल बैंक (1881-1958), बैंक ऑफ़ बंगाल (1809), बैंक ऑफ़ बॉम्बे (1840), और बैंक ऑफ़ मद्रास (1843) थे।
3.) ब्रिटिश शासन के तहत, ईस्ट इंडिया कंपनी ने तीन बैंक स्थापित किए थे, जिन्हें प्रेसिडेंशियल बैंक(Presidential Banks) के नाम से जाना जाता है। वे, बैंक ऑफ़ बंगाल, बैंक ऑफ़ बॉम्बे और बैंक ऑफ़ मद्रास थे।
4.) 1921 में, इन्हें “इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया(Imperial Bank of India)” नामक एक बैंक में विलीन कर दिया गया। बाद में, 1955 में, इस बैंक का राष्ट्रीयकरण किया गया, और यह ‘भारतीय स्टेट बैंक’ बन गया। यह अब, देश के सबसे बड़े सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है।
5.) स्वतंत्रता-पूर्व अवधि के दौरान स्थापित अन्य बैंकों में, इलाहाबाद बैंक (1865), पंजाब नेशनल बैंक (1894), बैंक ऑफ़ इंडिया (1906), सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया (1911), केनरा बैंक (1906) और बैंक ऑफ़ बड़ौदा (1908) शामिल थे ।
इसके अतिरिक्त, बैंके डी ला’इंडोचाइन(Banque De l'Indochine) ने, भारत में फ़्रांसीसियों के लिए, डिक्री(Decree) के तहत, कागज़ी मुद्रा जारी की थी, जिसका उल्लेख नोटों पर मिलता है।
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1898 में सबसे पहले, ‘रुपी(Roupie)’ मूल्यवर्ग के नोट जारी किए गए थे। रुपी में 8 फ़ैनन (Fanons) शामिल थे, और एक फ़ैनन, दो आने के बराबर था। प्रथम विश्व युद्ध के तुरंत बाद, एक रुपी के नोट जारी किए गए थे। ये नोट, 1954 में, भारतीय मुद्रा द्वारा प्रतिस्थापित होने तक, प्रचलन में रहे।
पहला ‘एक रुपी(One roupie)’ या ‘रुपया नोट’, 1920 में प्रसारित किया गया था। फ़्रांसीसी उपनिवेशों में प्रशासकों के रूप में, दो हस्ताक्षरकर्ताओं द्वारा इस पर हस्ताक्षर किए गए थे। भारतीय प्रचलन की तुलना में, हालांकि, इसकी मौद्रिक प्रणाली भिन्न थी। क्योंकि, फ़्रांस के कब्ज़े वाले भारत में, पैसा, चांदी के सिक्के और रुपये पर आधारित था।
इस नोट में, जो दो हस्ताक्षरकर्ता हैं, उनका पद फ़्रांसीसी भारत में निदेशक था। इन नोटों पर, विमोचित एक रुपये के अंक भी, दो हस्ताक्षरकर्ताओं को दर्शाते हैं। फ़्रांसीसी भारतीय उपनिवेशों में, इन हस्ताक्षरकर्ताओं का पद जनरल था।
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इस एक रुपये के नोट का शब्दचित्र, चार्ल्स वालहेन(Charles Walhain) द्वारा डिज़ाइन किया गया था। इनमें, मैरिएन(Marianne) का चित्रण किया गया है। 1789-99 की फ़्रांसीसी क्रांति के बाद से, वह फ़्रांस का प्रतीक रही हैं।
दूसरी तरफ़, क्या आप पुर्तगाली भारतीय रुपिया के बारे में जानते हैं? 1668 के बाद, 1958 तक, रुपिया(Rupia) पुर्तगाली भारत की मुद्रा थी। इस रुपिया का मूल्य, भारतीय रुपये के बराबर था। हालांकि, 1958 में, इस मुद्रा को अर्थात 1 रुपिया = 6 एस्कुडो(Escudos) की दर से, एस्कुडो द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।
पुर्तगाली रुपिया, भारत के लिए, विशेष रूप से जारी किया गया | पहला कागज़ी पैसा, 1882 में, जुंटा दा फ़ज़ेंडा पब्लिका(Junta da Fazenda Pública) द्वारा 10 और 20 रुपये के मूल्यवर्ग में जारी किया गया था। इसके बाद, 1883 में जनरल गवर्नमेंट द्वारा 5, 10, 20, 50, 100 और 500 रुपये के नोट जारी किए गए।
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1906 में, बैंको नैशनल अल्ट्रामारिनो(Banco Nacional Ultramarino) ने, 5, 10, 20 और 50 रुपये के नोट जारी करके, कागज़ी मुद्रा जारी करने का काम अपने हाथ में ले लिया। 1917 में, 4 और 8 तांगा के साथ, 1 और ढाई (2+1⁄2) रुपिया के नोट भी जोड़े गए। 1958 से पहले, एक पुर्तगाली रुपिया में 16 टांगे होते थे | ढाई (2+1⁄2) रुपये के नोट, 1924 तक और 1 रुपये के नोट 1929 तक जारी किए गए थे। 100 और 500 रुपये के नोट 1924 में फिर से शुरू किए गए थे।
संदर्भ
https://tinyurl.com/efa3ajw4
https://tinyurl.com/25ctzwzu
https://tinyurl.com/2s4b5rw9
https://tinyurl.com/mske4xaf
चित्र संदर्भ
1. स्टेट बैंक ऑफ़ हैदराबाद के मुख्य भवन को संदर्भित करता एक चित्रण (getarchive, wikimedia)
2. मुंबई में सेंट्रल बैंक ऑफ़ इंडिया को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. फ्रांसीसी भारतीय मुद्राओं को संदर्भित करता एक चित्रण (प्रारंग चित्र संग्रह)
4. बैंक ऑफ़ इंडो-चाइना द्वारा फ्रांसीसी भारत में प्रचलन के लिए निर्मित एक बैंकनोट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)