विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का ज्ञान होना किसी भी शहर या देश के विकास के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है। इमारतों से लेकर दैनिक जीवन मे प्रयुक्त होने वाली समस्त वस्तुयें कहीं ना कहीं से विज्ञान व इसके आविष्कारों से जुड़ी होती हैं। आदि काल से ही इनसे जुड़े कई प्रकार के आविष्कार करते आ रहा हैं उदाहरणतः ओल्डवन हस्थ कुठार, अशूलियन हस्थ कुठार आदि।
सनैः-सनैः प्रौद्योगिकी में सुधार से औजारों की गुणवत्ता मे सुधार आया तथा मानव अपने लिये भवनो आदि का निर्माण करने लगा। बलूचिस्तान के मेहरगढ़ व कश्मीर के बुर्ज़होम, जो कि नव पाषाणकाल से सम्बन्धित हैं, से प्राप्त साक्ष्यों से यह पता चलता है कि मानव ने भवन निर्माण कला मे एक विशिष्ट मुकाम हासिल कर लिया था।
सिन्धु सभ्यता से सम्बन्धित पुरास्थलों व वहाँ से प्राप्त साक्ष्यों से भवन निर्माण कला व शहरीकरण के भी साक्ष्य मिलते हैं। धातुओं के ज्ञान ने जीवन को और भी सुगम व सुन्दर बनाने का कार्य किया। महरौली, दिल्ली, मे स्थित लौह स्तम्भ व अन्य पुरास्थलों से प्राप्त धातु के पुरासम्पदाओं से उन्हें धातु के उत्कृष्ट ज्ञान की प्राप्ति थी यह पता चलता है। मध्यकाल मे धातु व निर्माण कलाओं मे वृहद विकास हुआ जिनमे बहामनी सल्तनत द्वारा बनाये गये तोप व किले आदि प्रमुख हैं। परांदा किला प्रौद्योगिकी के लिये अत्यन्त महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ है।
लखनऊ का निर्माण 18वीं शताब्दी मे असफ-उद-दौला द्वारा कराया गया था। सुजा-उद-दौला जो कि एक कला प्रेमी व्यक्ति था, उसने लखनऊ शहर का निर्माण अत्यन्त ही विशिष्ट तरीके से करवाया। यहाँ पर अंग्रेजी वास्तुकला व अंग्रेजों के आगमन से कई अन्य प्रकार के भी भवनों का भी निर्माण हुआ। लॉ मार्टियनर कॉलेज अपने उत्कृष्ट बनावट व वास्तु के दृष्टिकोण से अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
लखनऊ मे गोमती नदी प्रवाहित है जिसको पार करने के लिये पुलों का निर्माण होना अत्यन्त आवश्यक था। इसी कड़ी मे यहाँ पर कई पुलों का निर्माण हुआ जिसमे लॉर्ड हार्डिंग ने सीतापुर सडक और लखनऊ को सम्पर्क मे लाने के लिये लाल पुल का निर्माण सन् 1911 मे करवाया था। जोसेफ एंड कम्पनी द्वारा बनवाया गया लोहा पुल यहाँ का प्राचीनतम पुल है जिसका निर्माण सन् 1815-1840 के मध्य यहाँ के नवाब कि आज्ञा पर करवाया गया था।
उपरोक्त बिन्दुओं के आधार पर यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहाँ पर प्रौद्योगिकी अत्यन्त ही उत्कृष्ट थी|
1. राइज़ ऑफ सिविलाइजेशन इन इण्डिया एण्ड पाकिस्तान: एलचिन
2. मार्ग, लखनऊ- देन एंड नाउ, संस्करण 55-1, 2003