
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खजूर गांव महल नाका हिंडोला में चारबाग रेलवे स्टेशन के पास स्थित है । यह 1857 के विद्रोह के इतिहास में एक प्रमुख स्थान है। विद्रोहियों ने लखनऊ के चारबाग में पुराने पुल के पार ब्रिटिश सेना की उन्नति को रोकने की कोशिश की थी । सितंबर 1857 में यहां एक गंभीर लड़ाई हुयी थी जिसमें भारतीय सिपाहियों ने जनरल हैवलॉक (General Havelock) की लखनऊ में बढ़त बनाई।
विद्रोही बेनीमाधो सिंह भारतीय सैनिकों के कमांडर-इन-चीफ थे, वह बेगम हज़रत महल के नेतृत्व में लड़ रहे थे, जिन्होंने 1857 में लखनऊ में ब्रिटिश रेजीडेंसी की घेराबंदी की थी। उनके उत्तराधिकारी भतीजे राणा शंकर बक्स सिंह थे | वे रायबरेली जिले के लालगंज तहसील में गंगा के किनारे रहते थे ,जहां पर छोटी नदी लोनी में प्रवेश करती है। इस स्थान को खजूर गांव के नाम से जाना जाता था, जिसका नाम खजूर के पेड़ों के नाम पर रखा गया।
जब अवध ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया, तो 'राणा शंकर बक्स सिंह को खजूर गांव के विपरीत नदी के उस पार फतेहपुर शहर में राजकोष में जमा साठ हजार रुपये की क्षतिपूर्ति देने की अनुमति दी गई। इसके तुरंत बाद राणा शंकर बक्स सिंह नाका हिंडोला के लिए लखनऊ आए,यहां पर पचास हजार वर्ग फीट की जमीन खरीदी और इस महल का निर्माण किया।
महल वास्तुकला के 'एंग्लो-अवध' (Anglo-Awadh) शैली में बनाया गया था। क्वीन विक्टोरिया की रूप रेखा को पहली मंजिल की खिड़की की ग्रिल पर एक सजावटी रूपांकनों में देखा जा सकता है। महल बाहर से एक औपनिवेशिक बंगले जैसा दिखता है जिसमें एक बरामदा
है, जहाँ से पत्थर-सीढियों का एक समूह एक विस्तृत बरामदे तक जाता है। अतीत में पीपल, आँवला और आम के पेड़ों के चारों ओर बड़े-बड़े बगीचे थे जिनका इस्तेमाल हिंदू धार्मिक आयोजनों के लिए किया जाता था। इलाके के निवासियों ने इसको 'राजा की बगिया' या राजा के बाग के रूप में संदर्भित किया है | यहां पर लोग अभी भी पेड़ो की पूजा करने आते हैं, यहां पर दो कुएं है जो की सूख गए हैं |
बरामदे पर मुख्य दरवाजा,चित्रित प्लास्टर से सजाया गया है, बहुत सुन्दर तरीके से हर कमरे को बनाया गया है,इसमें बैठक के लिए एक दरबार हॉल भी बनाया गया है जिसकी छत बहुत ऊंची है । यहां गर्मी और बाहर के शोर से कोई हस्तक्षेप नहीं है - कमरा शांत और ठंडा रहता है। बालकनी का हिस्सा काफी चतुराई से बनाया गया है | हर एक बॉर्डर को सेंट्रल राउंड मोटिफ के साथ सजाया गया है। सजावट सेरेलियन(Serelian), एक्वामरीन(Aquamarine),सफेद और क्रिमसन(Crimson) रंगों के आदर्श संयोजन हैं। मुख्य दरवाजे के सामने वाली दीवार में रंग किए गए प्लास्टरवर्क (plaster work) में ब्रिटिश ताज की विस्तृत शिखा के साथ एक चिमनी (Chimney) है। अवधी तत्वों और लखनवी शिल्पकारों के कौशल को बेहतरीन काम के साथ देखा जा सकता है |
श्री अमरेश खजूर गांव के तालुकदार परिवार से हैं और इन्हे परिवार की संपत्तियों के हिस्से के रूप में 'खजूर गांव महल' दिया गया था। वह अपनी पत्नी आभा और अपने दो बच्चों इंद्राणी और शिवराज के साथ इसकी देखभाल करते हैं | इसका कोई अन्य शेयर धारक नहीं हैं | लखनऊ के जिस इलाके में ये महल है ये इलाका मुख्य रूप से इलेक्ट्रिक (electric) थोक बाजार के लिए प्रसिद्ध है, यहां मुख्यतः स्विच(switch), बल्ब, एग्जॉस्ट फैन(exhaust fan) इत्यादि वस्तुएं मिलती हैं | इस महल के सामने बगीचे में एक सुन्दर फव्वारा लगा हुआ है जिसमे सुन्दर लीली (Lillies) के फूल खिला करते हैं | यह महल चारो तरफ से हरा भरा है, इसकी खूबसूरती काफी मनमोहक है और यह लखनऊ की पुरानी विरासतों में से एक है | इसको सरकार ने 2014 में विरासत में बदलने का फैसला लिया था | लोगो को एक बार अवश्य घूमने के लिए आना चाहिए |
संदर्भ
https://bit.ly/3bu3RkC
https://bit.ly/3eMvRSr
चित्र संदर्भ
1. खजूर गांव महल का एक चित्रण (somethingspecialbyadity)
2. खजूर गांव महल का एक चित्रण (somethingspecialbyadity)
3. खजूर गांव महल निर्माण शैली का एक चित्रण (somethingspecialbyadity)
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