कोविड-19 का मजदूर वर्ग पर प्रभाव और कैसे सुनियोजित तैयारी कोरोना की दूसरी लहर को धीमा कर सकती है?

नगरीकरण- शहर व शक्ति
17-04-2021 02:01 PM
कोविड-19 का मजदूर वर्ग पर प्रभाव और कैसे सुनियोजित तैयारी कोरोना की दूसरी लहर को धीमा कर सकती है?

कोरोना वायरस से हमारे स्वास्थ्य को होने वाले नुकसान को आसानी से देखा जा सकता है। परन्तु वायरस ने आर्थिक रूप से जो तबाही मचाई है उसकी पीड़ा कोई कर्मचारी अथवा मजदूर ही समझ सकता है। मार्च 2020 में जब सम्पूर्ण देश में लॉकडाउन की घोषणा की गयी, तब देश ने एक अभूतपूर्व पलायन का दृश्य देखा। चूँकि लॉकडाउन में पIबंधिया सख्त थी। केवल बेहद जरूरी खाद्य अथवा बेहद आवश्यक सामग्री लेने हेतु ही कोई व्यक्ति घर से बाहर जा सकता था। परन्तु इसी दौरान पूरे देश ने अपने सम्पूर्ण इतिहास का सबसे व्यापक पलायन का सामना किया। बड़ी-बड़ी कम्पनियों के कर्मचारी हो अथवा हर दिन के हिसाब से कमाने वाले दिहाड़ी मज़दूर, सभी को बेहद मूलभूत ज़रूरतों के अभाव में अपनी नौकरी अथवा मज़दूरी छोड़नी पड़ी। वायरस के संक्रमण के बीच इन मजदूरों के लिए सफर में भूख और अपने बच्चों तथा महिलाओं की सुरक्षा जैसी परेशानियां मुसीबत का पहाड़ बनकर टूटी। भारत के लगभग 90 प्रतिशत कर्मचारी अथवा मजदूर अनौपचारिक क्षेत्र में कार्यरत हैं। जिनमे से अधिकतर प्रवासी है, तथा अपने घरों से दूर काम की तलाश में जाते हैं। 2011 में हुई जनगड़ना के अनुसार पूरे देश में लगभग 56.3 मिलियन ऐसे मजदूर हैं, जो कि दूसरे राज्य में अपनी रोज़ी रोटी कमाने हेतु गए हैं। कुछ मजदूर मौसमी भी होते है। अर्थात कुछ मजदूर ऐसे भी होते हैं, जो किसी भी निर्माण कार्य को पूरा करने के बाद खेती करने के लिए अपने घरों को वापस चले जाते हैं। परन्तु जब सरकार के द्वारा तालाबंदी की घोषणा की गयी, यातायात व्यस्था को पूरी तरह से स्थगित कर दिया गया। पूरे देश में अनिश्चिता फ़ैल गयी कर्मचारी वर्ग में अफरा-तफरी मच गयी। लोग पैदल ही शहरों से अपने घरों की ओर चलने लगे। चूँकि विभिन्न संस्थाओं और सरकार द्वारा प्रवासी मजदूरों को भोजन और आश्रय उपलब्ध कराने की कोशिश भी की गयी। परन्तु बावजूद इसके पलायन का सिलसिला जारी रहा। जिसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे की कोरोना एक अनिश्चित महामारी थी। जिसके खत्म होने का कोई निश्चित समय निर्धारित नहीं किया जा सकता था। उनके मन में ये आशंका थी कि लंबे समय के लिए सरकार और विभिन्न संस्थाएं उन्हें आवास तथा भोजन उपलब्ध कराने में असमर्थ हों। साथ ही यदि वे शहरों में रुके तो गांव में उनकी फसल नष्ट हो जाने का भय था। कोरोना एक घातक वायरस था इसलिए मजदूरों ने इस संवेदनशील समय को अपने परिवारजनों के साथ व्यतीत करना ही उचित समझा। यह भी उनके पलायन के मुख्य कारणों में से एक था।
महामारी को केवल श्रमिक की नज़रों से न देखकर हमें उद्योगपति अथवा नियोजक की नजरों से भी देखना जरूरी है। उन्हें भी महामारी के चलते व्यापार में बड़े नुकसान को झेलना पड़ा है। साथ ही उन पर मानवता अथवा सरकार के स्तर पर भी उनके कर्मचारियों की मदद करने का दबाव था। देश में प्रचलित लॉकडाउन के कारण, कई कंपनियों के सामानों की आपूर्ति बंद हो गई। लोग केवल खाद्य सामग्री खरीदने पर ही जोर दे रहे थे। जिस कारण कई अन्य उद्पादों से जुडी कंपनियां पूरी तरह ठप पड़ गयी। अनेक तरह के निर्माण कार्यों को स्थगित करना पड़ा। चूँकि स्थिति धीरे-धीरे बदल रही हैं, देश में दोबारा तालाबंदी के भय से मजदूर दोबारा काम पर लौटने से कतरा रहे हैं। जिसका सीधा असर मजदूर वर्ग के साथ-साथ विभिन्न उद्योगों पर भी पड़ा है। उनके सामने काम को दोबारा शुरू करने की बड़ी चुनौती है। साथ ही कोविड-19 की दूसरी लहर ठीक हमारे सामने है। लखनऊ में कोरोना की दूसरी लहर 2020 जुलाई-सितंबर में देखी गई तुलना में 3.5 गुना अधिक तेजी से बढ़ रही है। चूँकि रोजी-रोटी की तलाश में मजदूर दोबारा काम की तलाश में वापस लौटने लगे है। इसलिए इस बार हर मोर्चे पर व्यवस्था मजबूत होनी चाहिए। पहले लॉक डाउन में अपने घरों को वापस आने के लिए बस अड्डों तथा रेलवे स्टेशनों पर भारी भीड़ देखी गयी थी, इसलिए दूसरी लहर से पहले आवागमन की उचित व्यवस्था होनी चाहिए। दूसरी लहर के दौरान, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए, कि अर्थव्यवस्था के कुछ क्षेत्रों का संचालन जारी रहे। और श्रम की कमी का सामना न करना पड़े। नियोक्ता को सरकार द्वारा आर्थिक प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। ताकि वे कर्मचारियों को मानदेय दे सकें। साथ ही भोजन वितरण की व्यवस्था को अधिक मजबूत किया जा सकता है। विशेष प्रतिनिधियों को संबंधित क्षेत्रों के प्रवासी मजदूरों में से चुना जाना चाहिए। जो लाभार्थियों को भोजन प्रदान करने के लिए जमीनी संगठनों के साथ मिलकर काम कर सकते हैं।

सन्दर्भ:
● https://bit.ly/3s7nC75
● https://bit.ly/3t8ay2w
● https://bit.ly/31ZsHng
● https://bit.ly/3g0gHKs
चित्र सन्दर्भ:
1.घर वापस जाने की कोशिश कर रहे प्रवासी कामगार (wikimedia)
2.प्रवासी श्रमिक सेवाओं के लिए कतार में (wikimedia)
पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.