काफी समय पूर्व से ही मानव अज्ञात उड़नशील वस्तुओं (Unidentified Flying Object) और एलियन पैरानॉर्मल (Alien Paranormal) घटनाओं के प्रति अत्यधिक आकर्षित रहा है। इसे समाज में मौजूद प्रसिद्ध संस्कृतियों और कई व्यक्तिगत मान्यताओं के माध्यम से व्यापक रूप में देखा जा सकता है। पर्यटन उद्योग अब ऐसे कई स्थानों तक पहुंच प्रदान करवा रहे हैं, जहां से उपभोक्ता इस तरह की घटनाओं को आसानी से देख सकते हैं। विभिन्न रिपोर्टों (Reports) के अनुसार, अज्ञात उड़नशील वस्तुओं और एलियन पर्यटन आकर्षण और स्थानों में भाग लेने वाले लोगों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। इस प्रकार अज्ञात उड़नशील वस्तुओं, एलियंस और पर्यटन उद्योग के बीच एक संबंध स्थापित हो गया है। भारत की यदि बात करें, तो यहां समय-समय पर अज्ञात उड़नशील वस्तुएं देखी जाती रही हैं, जो लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। उदाहरण के लिए छत्तीसगढ़ राज्य के चारामा, कांकेर क्षेत्र में पूर्व ऐतिहासिक काल के गुफा चित्रों में चट्टानों पर ऐसे मानव चित्र बनाए गए हैं, जिन्होंने आधुनिक युग के स्पेससूट (Space suits) पहने हुए हैं। इसके अलावा इन चित्रों में उड़नशील तश्तरियों या वस्तुओं जैसी दिखने वाली आकृतियां भी बनायी गयी हैं। इन उड़नशील वस्तुओं में पंखे जैसे एंटीना (Antenna) और तीन पैर बनाये गए हैं।
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आधुनिक युग में देंखे, तो 1951 में 15 मार्च के दिन नई दिल्ली में एक फ्लाइंग क्लब (Flying club) के 25 सदस्यों ने आकाश में सिगार (Cigar) के आकार की एक वस्तु को देखा था, जो लगभग एक सौ फीट लंबा था। इसके बाद 29 अक्टूबर 2007 में पूर्वी कोलकाता के पूर्वी क्षितिज में 30° पर एक तेज़ गति से उड़ने वाली वस्तु देखी गयी थी। इसका आकार पहले एक गोले से त्रिकोण के रूप में और फिर एक सीधी रेखा में बदल गया। इस वस्तु ने एक प्रभामंडल बनाते हुए उज्ज्वल प्रकाश उत्सर्जित किया, जिसे कई लोगों ने देखा। इस घटना की वीडियो फुटेज (Video footage) एक टेलीविजन समाचार चैनल (Channel) पर भी जारी की गयी थी। इसके बाद 20 जून 2013 को चेन्नई के मोगप्पियार (Mogappiar) निवासियों द्वारा भी एक अज्ञात उड़नशील वस्तु देखी गयी। यहां के निवासियों ने इस वस्तु को दक्षिण से उत्तर की ओर बढ़ते हुए देखा, जो चमकीले नारंगी प्रकाश के पांच चिन्ह भी अपने साथ छोड़ रही थी। इसकी खबर स्थानीय समाचार पत्र में भी बतायी गयी। इसके बाद 4 अगस्त 2013 में भारतीय सेना के सैनिकों ने भी लगान खेर क्षेत्र, डेमचॉक (Demchock), लद्दाख में अज्ञात उड़नशील वस्तु को देखा। माना जाता है कि, इससे पहले भी सेना के जवानों ने अरुणाचल प्रदेश के सीमावर्ती क्षेत्रों में अज्ञात उड़नशील वस्तु से सम्बंधित सौ से अधिक घटनाओं का अवलोकन किया। 2014 में एक अज्ञात उड़नशील वस्तु को देखे जाने का दावा लखनऊ में भी किया गया था। खगोल विज्ञानियों का मानना था कि, यह एक अज्ञात उड़न तश्तरी हो सकती है, लेकिन इसकी कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की गयी। दुनिया भर के खगोलविदों का मानना है, कि यह कोई एक अन्य ग्रह हो सकता है, जिस पर जीवन मौजूद है। जिन लोगों ने यह अज्ञात उड़नशील वस्तु देखी, उनके अनुसार यह चमकदार वस्तु पहले घूमने लगी और फिर बढ़ती हुई नजर आयी। लोगों का कहना है कि, इसके बाद यह वस्तु एकदम सीधी अवस्था में आयी तथा फिर कहीं गायब हो गयी। इससे पहले अज्ञात उड़नशील वस्तु को 11 जुलाई को गुवाहाटी में, 12 जुलाई को शामली और 14 जुलाई को टूंडला (Tundla) में भी देखा गया था। अज्ञात उड़नशील वस्तुओं के प्रति लोगों के आकर्षित होने के कई कारण मौजूद हो सकते हैं। अक्सर यही माना जाता है, कि यहां एक ऐसा जीवन मौजूद है, जहां के प्राणी अत्यंत बुद्धिमान हैं।
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अज्ञात उड़नशील वस्तुओं के लिए मानव का आकर्षण एलियंस की अपेक्षा इंसानों के बारे में अधिक बताता है। अमेरिका (America) में किये गए एक सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग सभी अमेरिकियों में से एक तिहाई लोग मानते हैं, कि एलियंस अंतरिक्ष यान वास्तविक हैं, तथा 10 प्रतिशत से अधिक लोगों का कहना है कि, उन्होंने इस तरह के अंतरिक्ष यान देखे हैं। फ़र्मिलाब (Fermilab) भौतिक विज्ञानी डॉन लिंकन (Don Lincoln) द्वारा अज्ञात उड़नशील वस्तु और एलियंस के प्रति मानव के आकर्षण पर एक पुस्तक “एलियन यूनिवर्स (Alien Universe)” लिखी गयी है। लिंकन यह भी बताते हैं, कि पिछले कई वर्षों में एलियंस के प्रति हमारा आकर्षण कैसे बदल गया है। उदाहरण के लिए हम अब उन्हें एक अजीब या विचित्र दिखने वाले मानव के समान मानते हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3sZjarD
https://bit.ly/2Ov5K82
https://nbcnews.to/3cb3ECb
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में एलियन और यूफो को दिखाया गया है। (पिक्साबे)
दूसरी तस्वीर में यूएफओ को स्टटगार्ट टर्मिनल पर देखा गया है। (विकिपीडिया)
तीसरी तस्वीर दिखाती है कि ब्रह्मांड में एलियन है। (पिक्साबे)