सरस्वती देवी (सीखने और कला की देवी) को अक्सर पवित्र सफेद कपड़े पहने एक सुंदर स्त्री के रूप में चित्रित किया जाता है, इन्हें सफेद कमल पर बैठाया जाता है, जो प्रकाश, ज्ञान और सच्चाई का प्रतीक है। ऐसा माना जाता है कि ये न केवल ज्ञान से परिपूर्ण हैं, बल्कि इन्हें उच्चतम वास्तविकता का अनुभव भी है। उनकी प्रतिमा में आमतौर पर पोशाक से लेकर फूलों तक को सफेद रंग (एक रंग जो शुद्धता, प्रज्ञता और अंतर्दृष्टि के लिए जाना जाता है) में दर्शाया जाता है। उनके ध्यान मंत्र में उन्हें चंद्रमा के समान श्वेत होने, श्वेत पोशाक पहने, श्वेत आभूषणों में शयन करने, सौंदर्य के साथ विकीर्ण करने, हाथों में पुस्तक (पुस्तक ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती है) और कलम धारण करने का वर्णन है।
इन्हें आमतौर पर चार भुजाओं के साथ चित्रित किया जाता है, हालांकि कभी कभी दो के साथ। इनकी चार भुजायें प्रतीकात्मक रूप से उनके पति ब्रह्मा के चार सिर (मन, बुद्धि, रचनात्मकता और अहंकार) का प्रतिनिधित्व करते हैं। ब्रह्मा सार का प्रतिनिधित्व करते हैं, जबकि देवी सरस्वती क्रिया और वास्तविकता का प्रतिनिधित्व करती हैं। इनकी चारों भुजाओं में पकड़े गए वस्तुओं का प्रतीकात्मक अर्थ है – जैसे
• पुस्तक (उनके द्वारा रखी गई पुस्तक वेद का प्रतीक है, वह सार्वभौमिक, दिव्य, शाश्वत और सत्य ज्ञान के साथ-साथ सभी प्रकार के सीखने का प्रतिनिधित्व करती है।);
• बिल्लौर की एक माला, ध्यान की शक्ति, आंतरिक प्रतिबिंब और आध्यात्मिकता का प्रतिनिधित्व करती है।
• पानी का एक बर्तन गलत से सही, अशुद्ध से शुद्ध और अशुभ से सार को अलग करने की शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है। कुछ ग्रंथों में, पानी के बर्तन को सोम (पेय जो मुक्ति और ज्ञान की ओर ले जाता है) का प्रतीक माना जाता है।
• सरस्वती देवी पर सबसे प्रसिद्ध विशेषता एक संगीत वाद्ययंत्र है जिसे वीणा कहा जाता है, जो सभी रचनात्मक कलाओं और विज्ञानों का प्रतिनिधित्व करता है, और इसे धारण करना सद्भाव बनाने वाले ज्ञान को व्यक्त करने का प्रतीक है।
देवी सरस्वती अनुराग, संगीत के लिए प्रेम और लय से जुड़ी हुई है, जो भाषण या संगीत में व्यक्त सभी भावनाओं और अनुभवों का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनके पैरों के पास अक्सर एक हंस दिखाया जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, हंस एक पवित्र पक्षी है, और ऐसा माना जाता है कि यदि इसे दूध और पानी के मिश्रण की भेंट की जाएं तो वे इसमें से दूध को अलग करके पीने में सक्षम होते हैं। इस प्रकार यह अच्छाई और बुराई के बीच के अंतर को पहचानने का प्रतीक है। हंस के साथ उसके संबंध के कारण, सरस्वती को हमसवाहिनी के रूप में भी जाना जाता है, जिसका अर्थ है "वह जिसका वाहन हंस है"। हंस आध्यात्मिक पूर्णता, पारगमन और मोक्ष का भी प्रतीक है। साथ ही भारतीय देवी-देवताओं की पवित्र त्रिमूर्ति में, सरस्वती देवी का एक विशेष स्थान है।
हिंदू परंपरा में, सरस्वती देवी ने वैदिक युग से आज तक देवी के रूप में अपना महत्व बनाए रखा है। हिंदू महाकाव्य महाभारत के शांति पर्व में, सरस्वती देवी को वेदों की माता कहा जाता है। सरस्वती देवी को ब्रह्मा जी की सक्रिय ऊर्जा और शक्ति माना जाता है। 8 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के सारदा तिलका जैसे कई छोटे संस्कृत प्रकाशनों में भी उनका उल्लेख है। पहली सहस्राब्दी ईसा पूर्व में, एक बौद्ध शास्त्र ‘मंजुश्री की पत्नी (The consort of Manjushri)’ में सरस्वती देवी का एक प्रमुख देवी के रूप में वर्णन किया गया है। कुछ उदाहरणों में जैसे बौद्ध पैंथों की साधनामाला में, इन्हें प्रतीकात्मक रूप से क्षेत्रीय हिंदू शास्त्र के समान दर्शाया गया है, लेकिन यह सरस्वती देवी के अधिक प्रसिद्ध चित्रणों के विपरीत है।
हिन्दू धर्म में बसंत के आगमन के साथ सरस्वती देवी की पूजा का आयोजन किया जाता है व इस दिन को बसंत पंचमी के रूप में भी मनाया जाता है। यह हमारे मस्तिष्क में ग्रहण किये गए नकारात्मक विचारों को दूर करने या शुद्धि करने के महत्व पर प्रकाश डालता है। बसंत पंचमी को एक भरपूर फसल के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। एक समानांतर अर्थ में, यदि हम अपने मन को क्रिया, विचार और विवेक के सही मार्ग के साथ ले जा सकते हैं, तो हम शांति और आनंद के चिरस्थायी फलों का आनंद ले सकते हैं।
संदर्भ :-
https://www.livehistoryindia.com/snapshort-histories/2017/06/05/in-praise-of-saraswati
https://en.wikipedia.org/wiki/Saraswati
https://www.speakingtree.in/article/spring-cleaning-776812
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में वसंत पंचमी के लिए सरस्वती पूजा को दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
दूसरी तस्वीर क्युकतविगी (Kyauktawgyi) बुद्ध मंदिर (यांगून(Yangon)) में थुरथादी (Thurathadi) की मूर्ति को दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
तीसरी तस्वीर में वाशिंगटन डी.सी. (Washington, D.C.) में इंडोनेशिया (Indonesia) के दूतावास (Embassy) के बाहर स्थापित सरस्वती (मूर्तिकला) को दिखाया गया है। (विकिमीडिया)