भारत के पक्षियों की आबादी में भारी गिरावट

पंछीयाँ
07-08-2020 06:16 PM
भारत के पक्षियों की आबादी में भारी गिरावट

देश भर में पक्षियों की आबादी का नवीनतम मूल्यांकन बताता है कि 261 पक्षियों की 52% से अधिक प्रजातियों में भारी गिरावट देखी गई है। भारत लगभग 1200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों का घर है, जिनमें से 42 भारतीय उपमहाद्वीप में स्थानिक हैं। वहीं पक्षियों की इन प्रजातियों में से लगभग 40 प्रजातियाँ लखनऊ में पाई जा सकती हैं, लखनऊ चिड़ियाघर में ही पक्षियों की 298 प्रजातियाँ हैं। बर्ड्स ऑफ प्रे (Birds of Prey) और वाटरबर्ड (Waterbirds) आवास विनाश, शिकार और पालतू व्यापार के कारण विशेष रूप से प्रभावित हुए हैं।
17 फरवरी को पेश की गई स्टेट ऑफ़ इंडियाज़ बर्ड्स (State of India’s Birds) की रिपोर्ट विश्व भर में बर्डवॉचर्स द्वारा ऑनलाइन मंच, ई-बर्ड (eBird) पर अपलोड किए गए। यह रिपोर्ट भारत में पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों की स्थिति का आकलन करने का पहला प्रयास है। ऐसा करना महत्वपूर्ण है क्योंकि पक्षी पारिस्थितिकी तंत्र का एक अभिन्न अंग हैं। वे परागण, बीज फैलाव, प्रवाल भित्तियों को जीवित रखने और यहां तक कि कीट नियंत्रण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। रिपोर्ट यह भी बताती है कि अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ की लाल सूची में संशोधन किया जाना चाहिए। साथ ही ज्ञात कारणों (जैसे निवास स्थान का नुकसान और विखंडन) के अलावा गिरावट के कारणों को इंगित करने के लिये लक्षित अनुसंधान की आवश्यकता है। सरकार को इस तरह के शोध कार्य के वित्तपोषण के संरक्षण में अपने प्रयासों को बढ़ाना चाहिए। 10 सरकारी, गैर-सरकारी अनुसंधान (NGO) और संरक्षण समूहों के शोधकर्ताओं और रिपोर्ट के लेखकों ने पक्षियों की 261 प्रजातियों के लिए दीर्घकालिक रुझानों का विश्लेषण करने के लिए ई-बर्ड के डेटा का उपयोग किया। 146 प्रजातियों के लिए मौजूदा वार्षिक रुझानों में, लगभग 80% की गिरावट को देखा गया है, जिनमें से लगभग 50% की आबादी काफी तेजी से घट रही है। रिपोर्ट में 101 प्रजातियों को ‘उच्च संरक्षण’ के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिसमें ओपन-कन्ट्री रैप्टर्स (गिद्ध)(Open Country Raptors) और प्रवासी शोरबर्ड (Shorebirds) सहित कई शामिल हैं। साथ ही 10 संगठनों के एक संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि भारतीय उपमहाद्वीप में पक्षी विविधता और संख्या में मानवीय गतिविधियों (निवास स्थान की क्षति, विषाक्त पदार्थों की व्यापक उपस्थिति तथा शिकार) के कारण लगातार गिरावट का सामना करना पड़ रहा है। इसमें पाया गया कि 867 में से सिर्फ 126 प्रजातियों ने "स्थिर" रुझान दर्ज किया है।
वहीं ईगल(Eagle) और हैरियर(Harrier) की प्रजातियों सहित कई रैप्टर की आबादी कम हो गई है, लेकिन गिद्ध सबसे गंभीर रूप से प्रभावित हुए हैं। भारत में पाए जाने वाले गिद्धों की 9 प्रजातियों में से 7 की संख्या 1990 के दशक की शुरुआत से घट रही है, जिसका मुख्य कारण पशुधन विरोधी भड़काऊ दवा डाइक्लोफेनाक (Di-clofenac) द्वारा विषाक्तता होना है। व्यापक रूप से ज्ञात प्रजातियों में, सामान्य गौरैया को लंबे समय तक शहरी स्थानों में कम होते हुए देखा गया था और वर्तमान समय में इसकी आबादी स्थिर है, हालांकि मुंबई, दिल्ली, कोलकाता, बेंगलुरु, हैदराबाद और चेन्नई जैसे प्रमुख शहरों के आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि ये पक्षी शहरों के क्षेत्रों में दुर्लभ हो गए हैं। भारत की प्रमुख संरक्षण चिंताओं में से एक ग्रेट इंडियन बस्टर्ड (Great Indian Bustard) को बचाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। पांच दशक की अवधि में अपनी लगभग 90% की आबादी और निवास स्थान के खो जाने के बाद, राजस्थान के जैसलमेर में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की एक व्यवहार्य आबादी को बिजली की तारों से टकराव से बचाने के लिए बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री सोसाइटी (Bombay Natural History Society), भारतीय वन्यजीव संस्थान, बर्डलाइफ़ इंटरनेशनल (Birdlife International) और अन्य द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम इस पर केंद्रित हैं। यदि आहार के दृष्टिकोण से देखा जाए तो, मांस खाने वाले पक्षियों की आबादी आधे से अधिक गिर गई है और पक्षी जो विशेष रूप से कीड़ों पर निर्भर रहते हैं, वे भी भोजन के विलुप्त होने की वजह से सबसे अधिक पीड़ित हो रहे हैं। वहीं हाल के वर्षों में सर्वभक्षी, बीज और फल खाने वाले पक्षियों की आबादी में कुछ स्थिरीकरण हुआ है। जहां कई पक्षियों की संख्या में भारी गिरावट एक गंभीर चिंता का विषय बना हुआ है,, वहीं एक राहत की बात यह है कि मोर की आबादी में बढ़ोतरी देखी गई है। वे केरल जैसे स्थानों और थार रेगिस्तान में उन क्षेत्रों में जहां नहरों और सिंचाई की शुरुआत की गई है में अपनी सीमा का विस्तार कर रहे हैं। साथ ही मोर को संरक्षित रखने के लिए कानून की कड़ी सुरक्षा भी काफी लाभदायक सिद्ध हुई है। पक्षियों की इस घटती आबादी को स्थिर करने के लिए हमारे द्वारा इनके निवास स्थानों को क्षति पहुंचाना बंद करना होगा और साथ ही इनका शिकार, अत्यधिक कीटनाशकों का उपयोग और अन्य विषाक्त पदार्थों के उपयोग पर रोक लगानी होगी। यदि प्रत्येक मनुष्य इन गतिविधियों को करने की पहल करे तो हम अपनी इस प्रकृति और इसके जीव जंतुओं को विलुप्त होने से बचा सकते हैं।

संदर्भ :-
https://www.livemint.com/news/india/over-52-of-birds-in-india-in-major-decline-warn-scientists-in-a-new-report-11581945596602.html
https://www.nature.com/articles/d41586-020-00498-3
https://bit.ly/3boJAKf
https://www.financialexpress.com/opinion/chirps-are-down-drastic-decline-in-indias-bird-population/1872363/

चित्र सन्दर्भ:
पहला चित्र आम मैना का है। (Wikimedia)
दूसरे चित्र में एक पक्षी के शिकार का चित्रण है। (Youtube)
तीसरे चित्र में मैत्रीपूर्ण हाथ पर पक्षियों के झुंड को दिखाया गया है।(Youtube)
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