भुला दिए गए विदेशी वास्तुकार का स्मारक लखनऊ में

नगरीकरण- शहर व शक्ति
10-10-2018 01:57 PM
भुला दिए गए विदेशी वास्तुकार का स्मारक लखनऊ में

कई बार हमारे द्वारा कुछ महान हस्तियों को भुला दिया जाता है, ऐसे ही हम सब ने प्रख्यात अमेरिकी वास्तुकार वाल्टर बर्ले ग्रिफिन को भी भुला दिया है। इन्हें ऑस्ट्रेलिया की राजधानी शहर कैनबरा को डिज़ाइन (Design) करने के लिए जाना जाता है।

उन्होंने शिकागो स्थित प्रेरी स्कूल की बिल्डिंग से प्रभावित होकर बिल्डिंग के मॉडर्न स्टाइल को विकसित किया। अपने जीवनकाल में उन्होंने अपनी पत्नी मैरियन महोनी ग्रिफिन के साथ साझेदारी में काम किया। उन्होंने 28 वर्षों में लगभग 350 से अधिक इमारतों, परिदृश्य और शहरी डिज़ाइन परियोजनाओं का निर्माण किया। साथ ही उन्होंने निर्माण सामग्री, अंदरूनी, फर्नीचर और अन्य घरेलू सामानों को भी डिज़ाइन किया।

1919 में ग्रिफिन ने ग्रेटर सिडनी डेवलपमेंट एसोसिएशन (जी.एस.डी.ए.) की स्थापना की, और 1921 में उत्तरी सिडनी में 259 हेक्टेयर की जमीन खरीदी। उन्होंने जी.एस.डी.ए. के प्रबंध निदेशक के रूप में 1935 तक क्षेत्र में निर्मित सभी इमारतों को डिज़ाइन किया। कैसलक्रैग जी.एस.डी.ए. द्वारा विकसित किया जाने वाला पहला उपनगर था। उनके द्वारा और भी कई अन्य अद्भुत निर्माण किए गए।

1935 में लखनऊ विश्वविद्यालय की पुस्तकालय डिज़ाइन करने के लिए वे एक कमीशन (Commission) जीते। यद्यपि उन्होंने पुस्तकालय डिज़ाइन करने तक ही भारत में रहने की योजना बनाई थी, लेकिन उन्हें जल्द ही लखनऊ छात्र संघ भवन सहित 40 से अधिक कमीशन प्राप्त हो गए। उन्होंने महमूदाबाद के राजा के लिए एक संग्रहालय और पुस्तकालय; जहांगीराबाद के राजा के लिए एक ज़नाना (महिला क्वार्टर); पायनियर प्रेस बिल्डिंग, एक बैंक, नगर पालिका कार्यालय, कई निजी घर, और किंग जॉर्ज वी. के लिए एक स्मारक डिज़ाइन किए थे।

लखनऊ आते समय उनकी मुलाकात रोनाल्ड क्रेग (ऑस्ट्रेलियाई शिक्षक और पत्रकार तब लखनऊ में रह रहे थे) से हुई। वे दोनों जल्द ही करीबी दोस्त बन गए। उनकी दोस्ती के कुछ महीने बाद ही क्रेग की 35 साल की उम्र में चेचक से मृत्यु हो गयी।

वहीं क्रेग की पत्नी ने ग्रिफिन को क्रेग का स्मारक बनाने के लिए कमीशन दिया। जब उन्होंने स्मारक बनाया तो उन्हें ये ज्ञात नहीं था कि क्रेग के लिए जिस बगीचे में उन्होंने स्मारक बनाया, वहीं उनका भी स्मारक बनेगा। लखनऊ के किंग जॉर्ज अस्पताल में पित्त मूत्राशय सर्जरी के पांच दिन बाद 1937 में उनकी मृत्यु हो गई।

लेकिन 1988 तक ग्रिफिन का स्मारक अपरिचित रहा। कैनब्रेन ग्रीम वेस्टलेक ने इसकी खोज की, जब उन्हें इसका पता लगा तो वे इसे देखने आए। उस समय इस स्मारक की स्थिति इतनी खराब थी कि इसमें हर तरफ जंगली पौधे उग गए थे। इस स्मारक का कैनब्रेन ग्रीम वेस्टलेक ने दोबारा से निर्माण कराया और एक समारोह का आयोजन भी किया जिसमें सभी धर्म के लोग उपस्थित थे।

संदर्भ:
1.https://www.academia.edu/20615583/Lucknow_Remembers_the_Griffins
2.https://en.wikipedia.org/wiki/Walter_Burley_Griffin

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