समयसीमा 229
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 964
मानव व उसके आविष्कार 757
भूगोल 211
जीव - जन्तु 274
कौन व्यक्ति किस रंग, रूप और निकाय के साथ जन्म लेगा इसका निर्धारण प्राकृतिक होता है, मनुष्य इसमें कोई परिवर्तन नहीं कर सकता है। तो मनुष्य को यह अधिकार भी नहीं है कि वह किसी के साथ किसी प्रकार का भेदभाव करे किंतु समाज में एक वर्ग आज भी ऐसा है जो इस समस्या से जूझ रहा है, वह है "समलैंगिक वर्ग"। समाज में इन्होंने अपनी स्थिति सुधारने, खुलकर जीने, गौरव प्राप्त करने के लिए अनेक संघर्ष किये वरन् आज भी कर रहे हैं।
इनके जीवन में एक एतिहासिक दिन आया 28 जून 1969 को जब कुछ समलैंगिक समूह न्यूयार्क शहर के स्टॉनवाल इन (गे क्लब) नामक स्थान पर स्थित थे, तभी न्यूयॉर्क पुलिस द्वारा वहां छापा मार कर उन्हें प्रताड़ित किया गया, जिस कारण वहां दंगे भड़क गये, जिसमें लोगों और पुलिस के मध्य कई हिंसक घटनाएं हुयी तथा अनेक सामान्य लोग भी LGBT वर्ग (समलैंगिक, उभयलिंगी, लिंगपरिवर्तित) के समर्थन में सड़कों पर उतरे तथा यहां से प्रारंभ हुआ इनके अधिकारों का सफर। यह संघर्ष पूरे एक सप्ताह तक चलता रहा। जो लोग अब तक समाज के बीच छिपकर रहते थे, वे समाज के सामने आये और अपने हक के लिए लड़े। इस घटना को पहला LGBT आन्दोलन के नाम से भी जाना जाता है।
इस घटना के पांच महीने बाद LGBT समूह को सक्रिय रखने के लिए कुछ लागों (क्रेग रॉडवेल, फ्रेड सार्जेंट, एलेन ब्रॉडी और लिंडा रोड्स) और संगठनों द्वारा एक परेड का आयोजन करने की योजना बनाई गयी। इसकी पूरी योजना हॉवर्ड (उभयलिंगी, सक्रिय महिला) द्वारा बनाई गयी तथा उन्होंने ही इसका आयोजन एक सप्ताह तक करने का दिया। अंततः 1970 को पहली परेड (स्टोनवॉल दंगों को याद रखने के लिए) का आयोजन किया गया, जिसे क्रिस्टोफर स्ट्रीट लिबरेशन डे (CSLD) के रूप में जाना गया। इस परेड में किसी प्रकार की कोई बाध्यता (उम्र और वस्त्रों को लेकर) नहीं थी। यह परेड आज विश्व में कई स्थानों पर आयोजित होती हैं, इसमें भाग लेने वाले समलैंगिक समूहों द्वारा विभिन्न कार्यक्रमों तथा प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। चलिए जानें भारत में इसका प्रारंभ
वास्तव में भारत में समलैंगिकता को अपराध माना गया था, जो 6 सितंबर 2018 को अपराध के दायरे से बाहर लाया गया। समलैंगिक अधिकारों के लिए काम करने वाले लोग तथा संस्थाओं की मांग पर आज भारत के कई शहरों (मुम्बई, चेन्नई, कोलकाता, लखनऊ आदि) में "समलैंगिक गर्व परेड" (Gay Pride Parade) का आयोजन किया जाता है, ये इन रेलियों के माध्यम से सरकार के सामने अपने हित की मांग रखते हैं। 18 वर्षों पश्चात इस परेड का आयोजन करवाने वाला कोलकाता भारत का पहला शहर बना। लखनऊ में पहली बार (9 अप्रेल 2017) अवध क्वियर प्राइड कमेटी (Awadh Queer Pride Committee) द्वारा इस परेड का आयोजन किया गया। लगभग 1.5 किलोमीटर की इस परेड में भारत के विभिन्न शहरों से विभिन्न धर्मों के लोगों (LGBT समुदाय) ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। इन्द्र धनुष के रंग वाले झण्डे, गुब्बारे हाथों में लेकर, नाचते झुमते हुए, इन लोगों ने पूरे गर्व से समाज के सामने अपनी वास्तविकता को स्वीकारा, जिसमें आस पास के लोगों ने भी इनका समर्थन किया भले इनका सफर सिमित रहा हो किंतु इनका संदेश पूरे देश तक फैल गया। अंततः इनकी मांग को सरकार द्वारा स्वीकारा किया गया।
1. https://mashable.com/2014/06/10/pride-parade-evolution/#l6Gcx6SjVZqN
2. https://www.history.com/news/how-activists-plotted-the-first-gay-pride-parades
3. https://timesofindia.indiatimes.com/city/lucknow/lucknow-dances-with-pride-at-citys-second-queer-pride-walk/articleshow/62876179.cms
4. https://timesofindia.indiatimes.com/city/delhi/large-turnout-in-lucknow-for-ups-first-pride-parade/articleshow/58124389.cms
5. https://scroll.in/article/834240/lucknow-holds-first-queer-pride-parade-they-marched-1-5-km-but-their-message-went-a-long-way
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.