जानिए, कैसे लखनऊ की ज़मीन बन रही है कश्मीरी मधुमक्खियों का नया घर?

तितलियाँ व कीड़े
30-04-2025 09:22 AM
जानिए, कैसे लखनऊ की ज़मीन बन रही है कश्मीरी मधुमक्खियों का नया घर?

सर्दियों के मौसम में कश्मीर के सैकड़ों मधुमक्खी पालक (Beekeepers) अपने छत्तों को राजस्थान, पंजाब और उत्तर प्रदेश जैसे गर्म इलाकों में ले जाते हैं। ऐसा करने से उनके छत्ते हर साल स्वस्थ और उत्पादक बने रहते हैं। लखनऊ की सरसों के खेत कश्मीर से आई इन प्रवासी मधुमक्खियों के लिए काफ़ी फ़ायदेमंद साबित होते हैं, जिससे शहद का उत्पादन बढ़ता है। यहां के बाज़ार, व्यापारी और आयुर्वेदिक चिकित्सक शहद की मांग को बढ़ाते हैं, जिससे आर्थिक विकास होता है और मधुमक्खी पालन का उद्योग मज़बूत बनता है। इस तरह, यह आपसी सहयोग न सिर्फ स्थानीय व्यापार को बढ़ावा देता है, बल्कि किसानों की आमदनी भी बढ़ाता है और उत्तर प्रदेश में मधुमक्खी पालन की आर्थिक स्थिति को मज़बूत बनाता है।

तो आइए, आज हम जानते हैं कि कश्मीर में मधुमक्खी पालन उद्योग की वर्तमान स्थिति क्या है। इसके साथ ही, हम यह भी समझेंगे कि इस व्यवसाय में कमाई की कितनी संभावना है। इसके बाद, हम पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में मधुमक्खी पालकों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति के बारे में जानेंगे। फिर, भारत में सफल मधुमक्खी पालन के लिए ध्यान रखने वाली कुछ महत्वपूर्ण बातों पर चर्चा करेंगे। इसके बाद, हम अपने देश में सबसे अधिक पाली जाने वाली मधुमक्खी की प्रजातियों के बारे में जानेंगे। अंत में, हम मधुमक्खियों के सामाजिक संगठन (Social Organization) को भी समझने की कोशिश करेंगे।

कश्मीर में मधुमक्खी पालन उद्योग की वर्तमान स्थिति

कृषि विभाग, कश्मीर के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर हर साल 22,000 क्विंटल (22 लाख किलोग्राम) शहद का उत्पादन करता है। इस शहद का एक बड़ा हिस्सा दूसरे राज्यों और देशों में भेजा जाता है। जम्मू-कश्मीर में लगभग 1,10,000 मधुमक्खी कॉलोनियाँ (Bee Colonies) हैं, लेकिन यहां 2,00,000 कॉलोनियों तक बढ़ने की क्षमता है।

बादाम के बगीचे में सक्रिय मधुमक्खियों के लकड़ी के छत्ते | चित्र स्रोत : wikimedia 

मधुमक्खी पालन में कमाई की संभावना

हर एक मधुमक्खी का छत्ता, मौसम के हिसाब से 10 से 15 किलोग्राम तक शहद देता है। दक्षिण कश्मीर के पुलवामा ज़िले के 45 वर्षीय मधुमक्खी पालक मोहम्मद अमीन वानी के अनुसार, लोग इस व्यवसाय से हर साल लगभग 15 से 20 लाख रुपये तक कमा सकते हैं। इसके अलावा, वे हर महीने मधुमक्खी पालन में मदद करने वाले एक सहायक को 30,000 रुपये वेतन देते हैं। सरसों के फूलों से बनने वाला शहद 400 से 500 रुपये प्रति किलोग्राम में बिकता है, जबकि शुद्ध कश्मीरी शहद की कीमत 800 से 1000 रुपये प्रति किलोग्राम तक होती है।

पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में मधुमक्खी पालकों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति

एक अध्ययन के अनुसार, आधुनिक मधुमक्खी पालकों में केवल 1 महिला (1.69%) मधुमक्खी पालन करती मिलीं, जो रामनगर ब्लॉक के मदनपुर कुर्मी गाँव की रहने वाली हैं। लेकिन पारंपरिक मधुमक्खी पालन में महिलाएँ ज़्यादा सक्रिय होती हैं।

इस अध्ययन से पता चला कि कुल मधुमक्खी पालकों में से 44.55% लोग और विशेष रूप से 70% आधुनिक मधुमक्खी पालक 20 से 49 साल की उम्र के बीच हैं और ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। कुल 101 मधुमक्खी पालकों में से 48.77% किसान हैं, 12.87% रोज़ाना मज़दूरी करते हैं, 6.93% दुकानदार या सेल्समैन हैं, 1.98% सरकारी नौकरी में हैं, और 29.70% लोग, पूरी तरह से मधुमक्खी पालन पर निर्भर हैं।

अध्ययन में यह भी पाया गया कि पारंपरिक मधुमक्खी पालन करने वाले लोग आर्थिक रूप से आधुनिक मधुमक्खी पालकों की तुलना में ज़्यादा कमज़ोर हैं। पारंपरिक मधुमक्खी पालकों में से 59.52% लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं, जबकि 40.47% लोग इसके ऊपर हैं। दूसरी ओर, आधुनिक मधुमक्खी पालकों में सिर्फ़ 16.94% लोग गरीबी रेखा से नीचे हैं और 83.05% लोग गरीबी रेखा से ऊपर जीवन यापन करते हैं।

चित्र स्रोत : pexels

सफल मधुमक्खी पालन के लिए ज़रूरी बातें

मधुमक्खियों की आदतों की जानकारी:

मधुमक्खी पालन में सफलता पाने के लिए सबसे पहले मधुमक्खियों की आदतों और व्यवहार को समझना ज़रूरी है। जैसे – रानी मधुमक्खी (Queen bee) का काम सिर्फ़ प्रजनन करना और अंडे देना होता है। कामकाजी मधुमक्खियाँ या वर्कर बीज़ (Worker bees) शहद इकट्ठा करती हैं, लार्वा की देखभाल करती हैं और छत्ता बनाती हैं। नर मधुमक्खियों या ड्रोन (Drone) का मुख्य काम, रानी मधुमक्खी के साथ  संभोग करना होता है।

उपयुक्त स्थान का चुनाव:

मधुमक्खी पालन के लिए सही जगह का चुनाव करना बहुत ज़रूरी है। मौसम के अनुसार छत्ता (Hive) ऐसी जगह पर रखना चाहिए, जहाँ मधुमक्खियाँ सुबह जल्दी बाहर निकलकर शहद इकट्ठा कर सकें। गर्म इलाकों में छत्तों को छाँव में रखना चाहिए ताकि ज़्यादा गर्मी से बचा जा सके। मधुमक्खी पालन के लिए ऐसी जगह अच्छी होती है, जहाँ जंगली झाड़ियाँ, फलदार पेड़ और खेती की फ़सलें हों, ताकि मधुमक्खियों को शहद इकट्ठा करने के लिए पर्याप्त फूल मिल सकें।

मौसम के हिसाब से छत्तों की देखभाल:

फूल केवल खास मौसम में ही खिलते हैं। इसी समय मधुमक्खियों को शहद बनाने के लिए पराग और रस मिलता है। बाकी समय, फूल कम होने की वजह से शहद बनाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में मधुमक्खी पालक (बीकीपर) मधुमक्खियों को चीनी का घोल (शुगर सिरप) खिलाते हैं ताकि उन्हें ज़रूरी पोषण मिलता रहे।

मधुमक्खियों को पकड़ना और पालना:

मधुमक्खियों के प्राकृतिक छत्तों को पकड़कर पाला जा सकता है। इसके अलावा, सरकारी या निजी संस्थानों से भी मधुमक्खियाँ खरीदी जा सकती हैं।

भारत में सबसे ज़्यादा पाली जाने वाली मधुमक्खी की प्रजातियाँ

चित्र स्रोत : wikimedia 

1. एपिस डोरसाटा (Apis Dorsata): इसे चट्टानी मधुमक्खी (Rock Bee) भी कहा जाता है। यह आकार में बहुत बड़ी होती है और   इनका एक छत्ता हर साल लगभग 38 से 40 किलोग्राम शहद   है।

चित्र स्रोत : wikimedia 

2. एपिस इंडिका (Apis Indica): इसे भारतीय मधुमक्खी भी कहते हैं। इसे पालना आसान होता है, इसलिए शहद उत्पादन के लिए सबसे ज़्यादा इसी का इस्तेमाल होता है। इसके एक छत्ते से हर साल 2 से 5 किलोग्राम शहद मिलता है।

चित्र स्रोत : wikimedia 

3. एपिस  फ़्लोरिया (Apis Florea): इसे छोटी मधुमक्खी कहा जाता है। यह बहुत कम काटती है, इसलिए इसके छत्ते से शहद निकालना आसान होता है। इसके एक छत्ते से हर साल लगभग 1 किलोग्राम शहद प्राप्त होता है।

चित्र स्रोत : wikimedia

4. एपिस  मेलिफ़ेरा (Apis Mellifera): इसे इतालवी मधुमक्खी (Italian bee) भी कहते हैं। यह एक खास तरीके से नाचकर अपने साथियों को भोजन की मौजूदगी के बारे में बताती है। यह मधुमक्खी  भारत की मूल प्रजाति नहीं है, लेकिन अधिक शहद उत्पादन की वजह से इसे बड़े पैमाने पर पाला जाता है।

मधुमक्खियों का सामाजिक संगठन समझें

चित्र स्रोत : wikimedia

1. नर मधुमक्खी (Drone bees): ये नर मधुमक्खियाँ बिना निषेचित (Unfertilized) अंडों से विकसित होती हैं। जब बिना निषेचित अंडे से लार्वा (Larvae) बनता है, तो कामकाजी मधुमक्खियाँ (Worker Bees) उसे रॉयल जेली (Royal jelly) खिलाती हैं, जिससे नर मधुमक्खियाँ पैदा होती हैं। इनका मुख्य काम रानी मधुमक्खी (Queen Bee) से   संभोग करना और अंडों को निषेचित करना होता है। जब तक रानी मधुमक्खी से  संभोग  नहीं हो जाता, तब तक कामकाजी मधुमक्खियाँ उनकी देखभाल करती हैं।

चित्र स्रोत : wikimedia

2. रानी मधुमक्खी (Queen bees): रानी मधुमक्खियाँ छत्ते की प्रजनन योग्य मादा होती हैं। संयोग के बाद, वे छत्ते में लौटकर अंडे देने का काम करती हैं। एक रानी मधुमक्खी, दिन में लगभग 15,000 अंडे दे सकती है। हालांकि, अंडे देने की प्रक्रिया, रॉयल जेली की उपलब्धता पर निर्भर करती है। रानी मधुमक्खी लगभग 3 साल तक जीवित रह सकती है, लेकिन केवल 2 साल तक ही वह सक्रिय रूप से अंडे देती है।

चित्र स्रोत : wikimedia

 3. कामकाजी मधुमक्खी (Worker bees): ये निषेचित अंडों से विकसित होने वाली बांझ (Infertile) मादाएँ होती हैं। छत्ते की ताकत और शहद उत्पादन में सफलता इनकी संख्या पर निर्भर करती है। ये आकार में रानी और नर मधुमक्खियों से छोटी होती हैं और रानी मधुमक्खी द्वारा बनाए गए  फ़ेरोमोन (Pheromones) से प्रभावित रहती हैं। इनकी उम्र लगभग 6  हफ़्ते होती है। जन्म के बाद के पहले 2 हफ्ते वे छत्ते के अंदर के कामों में लगती हैं, जैसे कि छत्ते की   सफ़ाई करना, लार्वा की देखभाल करना, टूटे हुए हिस्सों की मरम्मत करना, रॉयल जेली बनाना और रानी की सेवा करना।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/azrb3dmz 

https://tinyurl.com/enp5au7t 

https://tinyurl.com/23nwzvr3 

https://tinyurl.com/mwvvyzxh 

https://tinyurl.com/3e3kcezu 

मुख्य चित्र स्रोत : Pexels 

पिछला / Previous


Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.