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लखनऊ के कुछ लोगों ने, ‘बायोटेक विनिर्माण (Biotech Manufacturing)’ शब्द सुना होगा। यह प्रक्रिया दवाओं, जैव ईंधन और औद्योगिक रसायनों जैसे व्यावसायिक रूप से मूल्यवान उत्पादों का उत्पादन करने हेतु, जैविक प्रणालियों (कोशिकाओं और सूक्ष्मजीवों) का उपयोग करती है। यह कहते हुए, यह जानना महत्वपूर्ण है कि, भारत का जैव-आर्थिक उद्योग, वैश्विक जैव प्रौद्योगिकी उद्योग में लगभग 3% हिस्सेदारी रखता है। हालिया अनुमानों के अनुसार, इस उद्योग का मूल्य 2021-22 में 80.12 बिलियन अमेरिकी डॉलर था। तो आज, आइए, यह समझने की कोशिश करें कि, बायोटेक विनिर्माण क्या है, और यह कैसे काम करता है। फिर, हम भारत में इस उद्योग की वर्तमान स्थिति के बारे में जानेंगे। उसके बाद, हम भारत में जैव प्रौद्योगिकी के सबसे महत्वपूर्ण अनुप्रयोगों का पता लगाएंगे। अंत में, हम भारत में जैव प्रौद्योगिकी उद्योग के विकास के लिए हाल के वर्षों में किए गए, कुछ उपायों और पहलों के बारे में बात करेंगे।
बायोटेक विनिर्माण क्या है, और यह कैसे काम करता है?
बायोमैन्युफ़ैक्चरिंग अर्थात जैव प्रौद्योगिकी विनिर्माण, जीवित जीवों की शक्ति का उपयोग करके, पारंपरिक विनिर्माण प्रक्रियाओं में क्रांति लाता है। आमतौर पर खाद्य और दवाओं के उत्पादन में नियोजित बायोटेक विनिर्माण, वैकल्पिक विनिर्माण विधियों पर महत्वपूर्ण लाभ प्रदान करता है। प्राकृतिक प्रक्रियाओं का उपयोग करके, यह प्रक्रिया अधिक पर्यावरण अनुकूल है। गैर-नवीकरणीय जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करते हुए, जैव प्रौद्योगिकी विनिर्माण में कम संसाधनों और कम ऊर्जा की आवश्यकता होती है।
इससे अपशिष्ट उत्पादों को पुनरुद्देशित किया जा सकता है, और आगे इसके पर्यावरणीय प्रभाव को कम किया जा सकता है।
भारत में जैव प्रौद्योगिकी उद्योग की वर्तमान स्थिति:
भारत डी पी टी (Diphtheria, Tetanus & Pertussis (DPT)), बी सी जी (Bacillus Calmette-Guérin (BCG)) और चेचक (Measles) टीकों का, दुनिया का शीर्ष आपूर्तिकर्ता है। 2021-22 में भारतीय जैव-आर्थिक क्षेत्र ने, भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जी डी पी – GDP) में लगभग 2.6% योगदान दिया। इस उद्योग के विस्तार के कारण, देश में बायोटेक स्टार्ट-अप की संख्या पिछले दस वर्षों में, 50 से 5,300 से अधिक हो गई है। ये बायोटेक स्टार्ट-अप्स, 2025 तक 10,000 से अधिक होने का अनुमान है। 2021 में बीटी कपास (BT Cotton), बायोपेस्टीसाइड्स (Biopesticides), बायोस्टिमुलेंट्स (Biostimulants), और बायोफ़र्टिलाइज़र्स (Biofertilizers) ने देश के जैव-अर्थव्यवस्था में 10.48 बिलियन अमेरिकी डॉलर का योगदान दिया। भारत, जैव प्रौद्योगिकी विभाग की स्थापना करने वाले, कुछ पहले देशों में से एक था। बढ़ती आर्थिक समृद्धि, स्वास्थ्य चेतना में वृद्धि और एक अरब से अधिक जनसंख्या आधार के कारण, भारतीय बायोटेक उद्योग में काफ़ी वृद्धि होने की उम्मीद है। केंद्रीय बजट 2023-24 में, जैव प्रौद्योगिकी विभाग (Department of Biotechnology (DBT)) को 1,345 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे।
भारत में जैव प्रौद्योगिकी के सबसे महत्वपूर्ण अनुप्रयोग क्या हैं ?
1.) टीका उत्पादन में उन्नति:
टीका उत्पादन में भारत के कौशल ने, इसे “फ़ार्मेसी ऑफ़ द वर्ल्ड (Pharmacy of the world)” का नाम दिलायाहै। भारत 60% वैश्विक टीका उत्पादन करता है। हमारा देश, विश्व स्वास्थ्य संगठन की डिप्थीरिया (Diphtheria), टीटेनस (Tetanus) और डी पी टी टीकों की 40-70% मांग पूरा करता है। कोविड-19 महामारी के बाद, भारत का सीरम संस्थान (Serum Institute) दुनिया का सबसे बड़ा टीका निर्माता बन गया।
2.) कृषि क्रांति 2.0:
जैव प्रौद्योगिकी जलवायु-लचीली फ़सलों से लेकर, उच्च पोषण संबंधी अन्न तक, भारत की कई कृषि चुनौतियों का समाधान प्रदान करती है। भारत की पहली आनुवंशिक रूप से संशोधित फ़सल – बीटी कपास, अब 95% कपास खेती में उगाई जाती है, जिससे पैदावार में काफ़ी वृद्धि हुई है। सुखा-प्रतिरोधी चावल की किस्मों और गोल्डन राइस (Golden rice) जैसी बायोफ़ोर्टिफ़ाइड फ़सलों (Biofortified crops) में अनुसंधान, भारत की बढ़ती आबादी के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है।
3.) पर्यावरण की सुरक्षा:
प्रदूषित जगहों को साफ़ करने हेतु, बायोरिमीडीएशन (Bioremediation) तकनीक विकसित की जा रही है, जिसमें मुंबई में वर्सोवा बीच की सफ़ाई जैसी सफ़ल परियोजनाएं हैं। बायोडिग्रेडेबल प्लास्टिक (Biodegradable plastic) और जैव-आधारित सामग्रियों का विकास, भारत के अपशिष्ट प्रबंधन संकट को दूर करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, बायोटेक कार्बन कैप्चर (Carbon capture) के लिए दृष्टिकोण, भारत के महत्वाकांक्षी जलवायु लक्ष्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
भारत में जैव प्रौद्योगिकी के विकास के लिए किए गए, सरकारी उपाय और पहलें:
1.राष्ट्रीय बायोफ़ार्मा मिशन (National Biopharma Mission):
यह देश में जैविक दवाओं के विकास में तेज़ी लाने के लिए, उद्योग और शिक्षाविदों के बीच एक सहयोगी मिशन है। सरकार ने इस मिशन के हिस्से के रूप में, मई 2017 में, इनोवेट इन इंडिया (Innovate in India) कार्यक्रम शुरू किया, ताकि इस क्षेत्र में उद्यमशीलता और स्वदेशी विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए एक सक्षम पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जा सके। मि इस शन को जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (Biotechnology Industry Research Assistance Council (BIRAC)) द्वारा लागू किया जाएगा।
2.बायोटेक किसान (Biotech KISAN):
जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने 2017 में, बायोटेक कृषी इनोवेशन साइंस एप्लीकेशन नेटवर्क ( Biotech-Krishi Innovation Science Application Network) नामक एक पहल शुरू की । इसका लक्ष्य कृषि स्तर पर अभिनव समाधान और प्रौद्योगिकियों को विकसित करने, और उन्हें लागू करने के लिए विज्ञान प्रयोगशालाओं और किसानों को एक साथ लाना है।
3.अटल जय अनुसंधान बायोटेक मिशन (Atal Jai Anusandhan Biotech Mission):
इसे जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा लागू किया गया था, और इस मिशन का उद्देश्य मातृ और बाल स्वास्थ्य, रोगाणुरोधी प्रतिरोध, संक्रामक रोग, भोजन और पोषण के लिए टीके, और स्वच्छ प्रौद्योगिकियों की चुनौतियों का समाधान करना है।
4.एक स्वास्थ्य कंसोर्टियम (One Health Consortium):
2021 में, जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने देश में पशुजनक और ट्रांसबाउंडरी रोगजनकों (Transboundary pathogens) के महत्वपूर्ण जीवाणु, वायरल और परजीवी संक्रमणों का सर्वेक्षण करने के लिए, एक ‘एक स्वास्थ्य’ संघ की स्थापना की।
संदर्भ
मुख्य चित्र स्रोत : Wikimedia
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