परिशुद्ध कृषि के माध्यम से बेहतर फ़सल पैदावार सुनिश्चित कर सकते हैं लखनऊ के किसान

संचार एवं संचार यन्त्र
23-04-2025 09:25 AM
परिशुद्ध कृषि के माध्यम से बेहतर फ़सल पैदावार सुनिश्चित कर सकते हैं लखनऊ के किसान

लखनऊ के नागरिकों, परिशुद्ध कृषि और एआई-संचालित प्रौद्योगिकी के साथ कृषि एक स्मार्ट और अधिक कुशल भविष्य की ओर बढ़ रही है। पारंपरिक खेती के तरीके अक्सर अनुमान पर निर्भर होते हैं, लेकिन एआई-संचालित उपकरणों के साथ, किसान अब मिट्टी के स्वास्थ्य की निगरानी करने, मौसम के पैटर्न की भविष्यवाणी करने और फ़सल की बीमारियों का जल्द पता लगाने के लिए ड्रोन, सेंसर और स्मार्ट सिंचाई प्रणालियों का उपयोग कर सकते हैं। ये उन्नत प्रणालियाँ पानी और उर्वरक की बर्बादी को कम करने, उत्पादकता बढ़ाने और बेहतर फ़सल पैदावार सुनिश्चित करने में मदद करती हैं। तो आइए आज, परिशुद्ध कृषि के बारे में जानते हुए, परिशुद्ध कृषि में उपयोग होने वाली आवश्यक प्रौद्योगिकियों जैसे जीपीएस, सेंसर और स्वचालन आदि पर कुछ प्रकाश डालते हैं। इसके साथ ही, हम आधुनिक कृषि में एआई की भूमिका के बारे में समझेंगे। अंत में, हम परिशुद्ध कृषि के लाभों पर प्रकाश डालेंगे।

कृषि ड्रोन | चित्र स्रोत : pexles 

परिशुद्ध कृषि:

परिशुद्ध कृषि एक ऐसा अभिनव दृष्टिकोण है, जिसके तहत पारंपरिक कृषि तकनीकों की तुलना में अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए कृषि सामग्रियों   (जैसे बीज, उर्वरक) का उपयोग सटीक मात्रा में किया जाता है।यह उच्च प्रौद्योगिकी सेंसर और विश्लेषण उपकरणों का उपयोग करके फ़सल की पैदावार में सुधार करने का विज्ञान है। परिशुद्ध कृषि में कई मापदंडों की निगरानी करने और फ़सल की वृद्धि से संबंधित जानकारी, जैसे मिट्टी की नमी, पीएच आदि एकत्र करने के लिए कई उन्नत प्रौद्योगिकियों और उपकरणों का उपयोग किया जाता है। इस जानकारी का उपयोग करके लक्ष्य प्राप्त करने के लिए उपयुक्त समायोजन किए जाते हैं। उपयुक्त समायोजन से कृषि सामग्रियों की प्रभावशीलता में सुधार लाने में मदद मिलती है, जिससे पैदावार बढ़ती है। उत्पादन बढ़ाने, श्रम समय कम करने और उर्वरकों और सिंचाई प्रक्रियाओं के प्रभावी प्रबंधन को सुनिश्चित करने जैसे लाभों के कारण, परिशुद्ध कृषि को आज दुनिया भर में अपनाया जा रहा है। 

भौगोलिक सूचना प्रणाली | चित्र स्रोत : wikimedia 

परिशुद्ध कृषि में आवश्यक कुछ प्रौद्योगिकी:

  • सैटेलाइट पोजिशनिंग सिस्टम (Satellite positioning systems):यह प्रणाली किसानों को सैटेलाइटों के नेटवर्क के माध्यम से, अंतरिक्ष से पृथ्वी पर सटीक स्थान संबंधी विवरण भेजकर, फ़सल की स्थिति की निगरानी करने में सक्षम बनाती है।
  • भौगोलिक सूचना प्रणाली (Geographic Information Systems (GIS): यह प्रणाली किसी विशिष्ट स्थान पर फ़सल को प्रभावित करने वाले कारकों के बीच संबंधों को समझने के लिए उपयोग किए जाने वाले डेटा मापदंडों पर जानकारी प्रदान करती है।
  • सेंसर (ऑप्टिकल):ये मिट्टी के गुणों, पौधों की उर्वरता और पानी की स्थिति पर आवश्यक जानकारी प्रदान करते हैं।
  • ग्रिड मृदा नमूनाकरण (Grid soil sampling): यह किसी स्थान पर विशिष्ट मृदा प्रबंधन के लिए एक विधि है।
  • रिमोट सेंसिंग:यह सैटेलाइटों के माध्यम से एकत्र किया गया डेटा है, जो फ़सल स्वास्थ्य और संबंधित मापदंडों के मूल्यांकन में सहायता करता है।
  • परिवर्तनीय दर प्रौद्योगिकी: यह प्रणाली भूमि पर उर्वरक, कीटनाशक, बीज और सिंचाई जैसी सामग्रियों को स्वचालित रूप से लागू करने में सहायता करती है।
  • लेज़र भू-समतलीकरण यंत्र(Laser land leveller): पूरे क्षेत्र में एक निर्देशित लेज़र बीम का उपयोग करके वांछित ढलान की एक निश्चित डिग्री के भीतर एक क्षेत्र को समतल करने में सहायता करती है।
  • उपज मॉनिटर के साथ कंबाइन हार्वेस्टर: इसके अनाज एलिवेटर में अनाज के प्रवाह को लगातार मापा और रिकॉर्ड किया जाता है। जब एक जीपीएस को रिसीवर के साथ जोड़ा जाता है, तो एक उपज मॉनिटर उपज मानचित्रों के लिए आवश्यक डेटा प्रस्तुत करता है।
  • पत्ती के रंग का चार्ट: फसल में नाइट्रोजन (N) की कमी का त्वरित,आसान और सस्ता निदान करनके लिए यह चार्ट उपयोगी है।
  • स्वचालित सिंचाई प्रणालियां: ये प्रणालियां निगरानी के अलावा न्यूनतम मानवीय हस्तक्षेप के साथ सिस्टम टाइमर, सेंसर या कंप्यूटर, या यांत्रिक उपकरणों के साथ स्वचालित होती हैं।

आधुनिक कृषि में एआई की भूमिका-

आधुनिक कृषि की सफलता के लिए एआई तकनीक के दो उदाहरण - मशीन लर्निंग और डेटा विश्लेषण महत्वपूर्ण हैं। पैटर्न और संबंध खोजने के लिए, मशीन लर्निंग एल्गोरिदम सेंसर, उपग्रहों और ड्रोन से एकत्र किए गए डेटा की भारी मात्रा को संसाधित करते हैं। इस डेटा-संचालित जानकारी से किसान अपने खेतों की विशिष्ट आवश्यकताओं को समझने और सटीक कार्रवाई करने में सक्षम हो पाते हैं।

खेत में रोबोट | चित्र स्रोत : Wikimedia 

उदाहरण के लिए, विभिन्न प्रकार के सेंसर युक्त एआई-संचालित ड्रोन खेतों की व्यापक तस्वीरें ले सकते हैं, जिनका विश्लेषण कीटों के संक्रमण, पोषण संबंधी कमी या बीमारी के प्रकोप के संकेतकों को देखने के लिए किया जा सकता है। इस प्रकार संबंधित समस्या का शीघ्र पता लगाकर, किसान प्रभावित क्षेत्रों में लक्षित उपचार लागू कर सकते हैं, कीटनाशकों और उर्वरकों की आवश्यकता को समाप्त कर सकते हैं और पर्यावरण पर किसी भी नकारात्मक प्रभाव को कम कर सकते हैं। मिट्टी में तापमान, पोषक तत्व सामग्री और नमी के स्तर को निर्धारित करने के लिए,एआई सिस्टम वहां लगाए गए सेंसर से डेटा की जांच करते हैं। किसान इस जानकारी का उपयोग करके आवश्यकता के अनुसार पानी और उर्वरक की सटीक मात्रा निर्धारित करके बर्बादी को कम कर सकते हैं और पैसे बचा सकते हैं। इसके अतिरिक्त, एआई-संचालित मॉडल तापमान परिवर्तन और वर्षा पैटर्न का पूर्वानुमान लगाने के लिए ऐतिहासिक और वर्तमान मौसम डेटा दोनों का विश्लेषण करते हैं। यह सक्रिय विधि सिंचाई और रोपण कार्यों को निश्चित करने में मदद करती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि फसलों को सर्वोत्तम संभव विकास परिस्थितियाँ प्राप्त हों। एआई एल्गोरिदम, उपग्रह फ़ोटोग्राफी और मौसम पूर्वानुमान जैसे विभिन्न स्रोतों से डेटा लेकर, फ़सल की उपज क्षमता का सटीक पूर्वानुमान तैयार करता है। इस जानकारी से किसान मूल्य, वितरण और भंडारण के बारे में उचित निर्णय लेकर अपने आर्थिक जोखिम को कम कर सकते हैं।

फार्मबॉट जेनेसिस गैन्ट्री और मौसम स्टेशन - खेत में रोबोट | चित्र स्रोत : Wikimedia 

परिशुद्ध कृषि के लाभ:

  • कृषि उत्पादकता में वृद्धि: सेंसर द्वारा एकत्र किए गए डेटा के विश्लेषण के माध्यम से वैज्ञानिक रूप से निर्धारित सटीक मात्रा में कृषि सामग्रियों जैसे उर्वरक, पानी आदि देने से उत्पादन को बढ़ावा मिलता है।
  • रासायनों के प्रयोग में कमी: कृषि सामग्रियों की मात्रा आवश्यकता के आधार पर निर्धारित की जाती है। उर्वरकों की आपूर्ति केवल वहीं की जाती है जहां विशिष्ट पोषक तत्वों की कमी होती है। इसी प्रकार खरपतवारनाशी का उपयोग केवल खरपतवार के स्थान पर किया जाता है। वांछित परिशुद्धता के साथ रसायनों के लक्षित उपयोग के लिए ड्रोन का उपयोग किया जाता है। इससे अनावश्यक उपयोग कम होता है और बर्बादी में कमी आती है।
  • मिट्टी के क्षरण में कमी: चूंकि रसायनों के अधिक उपयोग से बचा जाता है, यह अवांछित रसायनों को मिट्टी में जाने से रोकता है, जिससे मिट्टी पर उनके हानिकारक प्रभाव को रोका जा सकता है।
  • जल संसाधनों का कुशल उपयोग: फ़र्टिगेशन(Fertigation)जैसी तकनीकों के माध्यम से पानी और उर्वरकों का उपयोग आवश्यकता के आधार पर एक साथ किया जाता है। 
  • कृषि आय में सुधार: उत्पादकता में वृद्धि, कृषि सामग्रियों के उपयोग और बर्बादी में कमी से कृषि आय में सुधार होता है और किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने में मदद मिलती है।
  • रोज़गारसृजन: परिशुद्ध कृषि से रोज़गार के कई अवसर सृजित होते है, उदाहरण के लिए, ड्रोन का संचालन एक विशेष कौशल है। ग्रामीण क्षेत्रों में युवाओं को प्रमाणित ड्रोन ऑपरेटर के रूप में प्रशिक्षित और नियोजित किया जा सकता है।

संदर्भ 

https://tinyurl.com/3s5u43p4

https://tinyurl.com/ybruc8c6

https://tinyurl.com/mr25sppb

https://tinyurl.com/mr2x8j9r

मुख्य चित्र स्रोत : Pexles 

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