आइए, आज लखनऊ के लोगों को ले चलते हैं, बैटरियों के ऐतिहासिक सफर पर !

वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली
14-04-2025 09:22 AM
आइए, आज लखनऊ के लोगों को ले चलते हैं, बैटरियों के ऐतिहासिक सफर पर !

हम लखनऊ के नागरिक, विद्युत बैटरियों के बिना अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। वे हमारे स्मार्टफ़ोन और लैपटॉप से लेकर, इलेक्ट्रिक वाहनों और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों तक, विभिन्न उपकरणों को बिजली प्रदान करने हेतु महत्वपूर्ण हैं। बैटरियां, उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स, मोटर-संबंधी उद्योग और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे उद्योगों का समर्थन करने के लिए भी महत्वपूर्ण होती हैं। क्या आप जानते हैं कि, 1800 में  अलेसांद्रो वोल्टा (Alessandro Volta) ने पहली सही बैटरी का आविष्कार किया था। इसलिए, आज हम बैटरी के इतिहास और विकास को विस्तार से सीखने की कोशिश करेंगे। साथ ही, हम ‘बैटरी’ शब्द की उत्पत्ति का पता लगाएंगे। फिर, हम बैटरी के आविष्कार और इसकी कहानी को देखेंगे। हम  वोल्टेक पाइल (Voltaic pile) के कार्य सिद्धांत पर भी कुछ प्रकाश डालेंगे। इस संदर्भ में, हमें यह भी पता चलेगा कि, इस आविष्कार ने बैटरी उद्योग को कैसे बदल दिया। अंत में, हम आज के सबसे लोकप्रिय बैटरी प्रकारों का पता लगाएंगे।

‘बैटरी’ शब्द अस्तित्व में कैसे आया?

 बेंजमिन फ़्रैंकलिन (Benjamin Franklin) ने पहली बार 1749 में “बैटरी” शब्द का उपयोग किया था, जब वे दो लेडेन जार कैपेसिटर (Leyden jar capacitors) के एक सेट का उपयोग करके बिजली का प्रयोग कर रहे थे। फ्रैंकलिन ने कुछ जार के एक सेट को “बैटरी” के रूप में वर्णित किया था। दरअसल बैटरी शब्द, तब एक साथ काम करने वाले हथियारों के लिए, एक सैन्य शब्द था। इसमें होल्डिंग वेसल्स (Holding vessels) की संख्या को बढ़ाकर, अधिक चार्ज संग्रहीत किया जा सकता है, और इस प्रकार डिस्चार्ज पर अधिक शक्ति उपलब्ध होगी।

19वीं सदी में विद्युत रेलगाड़ियों में उपयोग होने वाला
 लेड-एसिड सेल | चित्र स्रोत : Wikimedia 

बैटरी का आविष्कार:

1780 में एक सामान्य दिन पर, इटली (Italy) के एक भौतिक विज्ञानी, चिकित्सक, जीवविज्ञानी, और दार्शनिक –  लुईजी गैलवानी (Luigi Galvani), एक पीतल (Brass) की हुक से जुड़े मेंढक को विच्छेदित कर रहे थे। जैसे ही उन्होंने एक लोहे के स्कैपल (Scapel) के साथ मेंढक के पैर को छुआ, तो वह झटके से घसीटा गया। तब  गैलवानी ने कहा कि, वह ऊर्जा मेंढक के पैर से ही आई थी। लेकिन उनके साथी वैज्ञानिक –  अलेसांद्रो वोल्टा कुछ अलग मानते थे।

वोल्टा ने परिकल्पना दी कि, वास्तव में मेंढक के पैर के आवेग, एक तरल में भिगोए गए विभिन्न धातुओं के कारण थे। उन्होंने तब एक मेंढक के बजाय, लवण-जल में भिगोए गए कपड़े का उपयोग करके इस प्रयोग को दोहराया। परिणामस्वरूप, एक समान वोल्टेज (Voltage) उत्पन्न हुआ। इसके पश्चात, वोल्टा ने 1791 में अपने निष्कर्षों को प्रकाशित किया और बाद में, 1800 में पहली बैटरी – ‘द  वोल्टेक पाइल (The voltaic pile)’ बनाई।

वोल्टेक पाइल | चित्र स्रोत : Wikimedia 

द वोल्टेक पाइल का कार्य सिद्धांत क्या था?

1800 में  अलेसांद्रो वोल्टा ने एक उपकरण के तौर पर, अपने आविष्कार की घोषणा की, जिसने एक छोटे लेकिन स्थिर विद्युत प्रवाह का उत्पादन किया। उनका उपकरण – “ वोल्टेक  पाइल” जस्ता और तांबे की डिस्क के बीच रखे, लवण–जल में भिगोए गए कपड़े के टुकड़ों को रखकर संचालित होता है। दो धातुओं के बीच संपर्क, पोटेंशियल (Potential) या दबाव या “वोल्टेज (Voltage)” में अंतर बनाता है, जो एक बंद सर्किट (Circuit) में विद्युत प्रवाह का उत्पादन करता है। इस प्रकार, वोल्टिक पाइल्स आधुनिक बैटरी की उत्पत्ति को चिह्नित करता है।

 वोल्टेक पाइल ने बैटरी उद्योग को कैसे बदल दिया? 

विद्युत धारा प्रवाह के इस स्रोत ने, व्यापक प्रयोगों की अनुमति दी, जिसके परिणामस्वरूप बिजली और अन्य प्राकृतिक घटनाओं के बीच संबंधों की अधिक समझ हुई। इसमें चुंबकत्व, प्रकाश और गर्मी की घटनाएं भी शामिल हैं। इस बैटरी ने कई वैज्ञानिकों और आविष्कारकों का ध्यान आकर्षित किया, और 1840 के दशक तक इलेक्ट्रोमैग्नेट्स (Electromagnets) और टेलीग्राफ़ (Telegraph) जैसे नए विद्युत उपकरणों के लिए ऊर्जा प्रदान की।

सबसे लोकप्रिय प्रकार की वर्तमान बैटरियां:

चित्र स्रोत : Wikimedia 

1.) लेड-एसिड बैटरी (Lead-acid battery): 

1859 में फ़्रांस (France) के एक भौतिक विज्ञानी – गैस्टन प्लांट (Gaston Plante) द्वारा पहली रीचार्जेबलरीचार्जेबल बैटरी का आविष्कार किया गया है। यह एक लेड-एसिड बैटरी है। इसके शुरुआती मॉडल में, लिनन कपड़े से अलग किए गए, शुद्ध लेड की दो शीटों का एक सर्पिल रोल शामिल था। यह सल्फ्यूरिक एसिड(Sulfuric acid) तरल के एक ग्लास जार में डूबा हुआ था। 

चित्र स्रोत : Wikimedia 

2.) निकेल कैडमियम बैटरी (Nickel-cadmium battery): 

1899 में, स्वीडन (Sweden) के एक वैज्ञानिक वाल्डेमर जुंगनर (Waldemar Jungner) ने निकेल कैडमियम (Ni-Cd) बैटरी का आविष्कार किया, जो लेड एसिड बैटरी से बेहतर थी। हालांकि, इसकी बनावट सामग्री महंगी थी। परिणामस्वरूप, इस बैटरी का धीमा विकास हुआ। परंतु 1947 तक, इसमें उचित नवाचार किए गए। यह बैटरी, कई वर्षों से विशेष रेडियो, आपातकालीन चिकित्सा उपकरण, पेशेवर वीडियो कैमरा और बिजली उपकरण के लिए पसंदीदा ऊर्जा विकल्प थी।

चित्र स्रोत : Wikimedia 

3.) निकेल-मेटल-हाइड्राइड बैटरी (Nickel-metal-hydride battery): 

निकेल मेटल हाइड्राइड बैटरी, निकेल कैडमियम बैटरी के समान है। लेकिन, कैडमियम के बजाय, नकारात्मक इलेक्ट्रोड के लिए, इसमें एक हाइड्रोजन-अवशोषित मिश्र धातु का उपयोग किया जाता है। इस बैटरी को 1986 में, अमेरिकी वैज्ञानिक – स्टैनफ़ोर्ड ओवशिंस्की (Stanford Ovshinsky) द्वारा पेटेंट कराया गया था। 

चित्र स्रोत : Wikimedia 

4.) लिथियम-आयन बैटरी (Lithium-ion Battery): 

आधुनिक लिथियम-आयन बैटरी का पहला प्रोटोटाइप, लिथियम धातु के बजाय एक कार्बनिक एनोड का उपयोग करता था। इसे 1985 में जापान (Japan) के एक रसायनज्ञ – अकीरा  योशीनो (Akira Yoshino) द्वारा विकसित और पेटेंट कराया गया था। बाद में, 1991 में इसका व्यवसायीकरण किया गया था।

 

संदर्भ: 

https://tinyurl.com/4v3e5h6x

https://tinyurl.com/nke2vcud

https://tinyurl.com/mx9fp78f

https://tinyurl.com/dzhfmc8m

मुख्य चित्र: बाईं तरफ़ वोल्टेइक पाइल अर्थात पहली रासायनिक बैटरी और और दाईं तरफ़ आधुनिक पॉवर बैंक  (Wikimedia) 

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