आज लखनऊ जानेगा, प्रकृति के एक नायाब खज़ाने - लेडीज़ स्लिपर ऑर्किड के संरक्षण के बारे में

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29-03-2025 09:20 AM
आज लखनऊ जानेगा, प्रकृति के एक नायाब खज़ाने - लेडीज़ स्लिपर ऑर्किड के संरक्षण के बारे में

साइप्रिपेडियोइडी (Cypripedioideae), ऑर्किड (Orchids) के एक उपपरिवार का नाम है, जिसे आमतौर पर "लेडीज़ स्लिपर ऑर्किड" (Lady's slipper orchid) कहा जाता है। इस फूल को अपने खास आकार की वजह से अलग पहचान हासिल है। इनका निचला हिस्सा चप्पल जैसी एक छोटी थैली की तरह दिखता है, जो कीटों को आकर्षित करता है। जब कीट इस थैली में फंसते हैं, तो वे बाहर निकलने के लिए एक खास रास्ते से गुज़रते हैं। इसी प्रक्रिया में वे पराग इकट्ठा करते हैं या उसे दूसरे फूलों तक पहुँचाते हैं, जिससे परागण होता है। अब सवाल यह उठता है कि यह पौधा क्यों खास है? दरअसल, लेडीज़ स्लिपर ऑर्किड की कई प्रजातियाँ लुप्त होने की कगार पर हैं। आई यू सी एन (International Union for Conservation of Nature (IUCN)) की रेड लिस्ट (Red List) में इनकी कई प्रजातियों को संकटग्रस्त या गंभीर रूप से संकटग्रस्त के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

वीनस स्लिपर (Venus slipper) नामक लेडीज़-स्लिपर ऑर्किड की एक प्रजाति | चित्र स्रोत: wikimedia 

इसलिए, आज के इस लेख में हम इस अनोखे पौधे को विस्तार से समझने की कोशिश करेंगे। सबसे पहले, हम इसकी शारीरिक बनावट और विशेषताओं को जानेंगे। फिर हम भारत में इसके वितरण और प्राकृतिक आवास पर चर्चा करेंगे। इसके बाद, हम उन बड़े खतरों पर नज़र डालेंगे, जो इसके अस्तित्व के लिए चुनौती बने हुए हैं। अंत में, हम उन उपायों को समझेंगे, जिनसे भारत में इस दुर्लभ और संकटग्रस्त ऑर्किड को बचाने की कोशिश की जा रही है। इनमें इन-सीटू संरक्षण (In-Situ Conservation), संरक्षित जैवमंडल (Biosphere Reserves), जीन अभयारण्य (Gene Sanctuary) जैसे महत्वपूर्ण प्रयास शामिल हैं।

लेडीज़ स्लिपर का नाम, इसकी खास थैलीनुमा बनावट से आया है, जो लेडीज़ स्लिपर जूते जैसी दिखती है। इसकी थैली कीटों को फँसाने का काम करती है, जिससे वे मजबूर होकर इसके स्टेमिनोड (staminode) तक चढ़ते हैं। इस प्रक्रिया में, वे पराग इकट्ठा करते हैं या जमा कर देते हैं। ये सिम्पोडियल ऑर्किड होते हैं, लेकिन इनमें स्यूडोबल्ब नहीं पाए जाते। इसके बजाय, ये मजबूत अंकुर विकसित करते हैं, जिनमें कई पत्तियाँ होती हैं। ये पत्तियाँ कभी छोटी और गोल होती हैं, तो कभी लंबी और संकरी भी हो सकती हैं। आमतौर पर, इन पर एक खास धब्बेदार पैटर्न होता है। जब पुराने अंकुर खत्म हो जाते हैं, तो नए अंकुर उनकी जगह ले लेते हैं।

नोवा स्कोटिया, कनाडा में गुलाबी लेडीज़ स्लिपर ऑर्किड | चित्र स्रोत: wikimedia 

हर नया अंकुर सिर्फ एक बार खिलता है, जब वह पूरी तरह विकसित हो जाता है। तब यह मांसल, रसीली पत्तियों के बीच एक रेसमी बनाता है। इसकी जड़ें मोटी और मांसल होती हैं। गमले में लगे पौधे जड़ों की एक घनी गांठ बना लेते हैं, जो उलझने पर 1 मीटर तक लंबी हो सकती है। पैफ़ियोपेडिलम ऑर्किड (Paphiopedilum Orchids), अपनी खूबसूरती और अनोखी बनावट के कारण सबसे ज्यादा उगाए और संकरित किए जाने वाले ऑर्किड में से एक है।

हाल ही में उत्तराखंड के चमोली ज़िले के औली के पास 50 लेडीज़ स्लिपर ऑर्किड पाए गए हैं। इससे पहले, 2012 में चकराता के नाग टिब्बा क्षेत्र में भी इनकी मौजूदगी दर्ज की गई थी। इन दो स्थानों के अलावा, पिथौरागढ़ और नैनीताल के कुछ हिस्सों में भी यह प्रजाति देखी गई है। यह ऑर्किड, खासतौर पर हिमालयी इलाकों में पाया जाता है। इसके कुछ सीमित रिकॉर्ड हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, सिक्किम, पाकिस्तान, नेपाल और तिब्बत से भी मिले हैं।

चमोली में इनकी आबादी सड़क के करीब है, जिससे इसके अस्तित्व को ख़तरा है। सड़क चौड़ीकरण, लापरवाह पर्यटकों और स्थानीय गतिविधियों के कारण इसका नुकसान हो सकता है। इसे बचाने के लिए वन विभाग ने क्षेत्र में दबाव कम करने और संरक्षण की योजना बनाई है।

 चित्र स्रोत: wikimedia 

लेडीज़ स्लिपर, ऑर्किड के लिए सबसे बड़ा खतरा ?

कई प्रजातियाँ बहुत सीमित क्षेत्रों में पाई जाती हैं, और यही वजह है कि वे विलुप्त होने के सबसे बड़े खतरे में हैं। उदाहरण के लिए, लुप्तप्राय सी. डिकिंसोनियानम (Cypripedium dickinsonianum) केवल मेक्सिको (Mexico), ग्वाटेमाला (Guatemala) और होंडुरास (Honduras) में कुछ ही स्थानों पर पाया जाता है। इसकी प्राकृतिक आबादी पहले से ही बहुत कम है।

समस्या यह है कि इसका वन्य आवास लगातार नष्ट हो रहा है। खेती के लिए जंगलों को काटा जा रहा है, जिससे इन ऑर्किड्स के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बदल रही हैं। इसके अलावा, पेड़ों की कटाई के कारण पर्यावरण असंतुलित हो रहा है, जिससे न सिर्फ ये ऑर्किड, बल्कि अन्य छोटे पौधों का अस्तित्व भी खतरे में पड़ गया है।

भारत में ऑर्किड की संकटग्रस्त प्रजातियों का संरक्षण कैसे किया जाता है ?

भारत में ऑर्किड की कई प्रजातियाँ लुप्त होने की कगार पर हैं। इन्हें बचाने के लिए अलग-अलग स्तरों पर प्रयास किए जाते हैं। आइए जानते हैं कि इन्हें कैसे संरक्षित किया जाता है:

1) इन-सीटू संरक्षण (In Situ Conservation) : इस विधि में ऑर्किड्स को उनके प्राकृतिक आवास में ही बचाने की कोशिश की जाती है। ये पौधे खास तरह के पर्यावरण, मिट्टी, कवक और परागणकों पर निर्भर होते हैं। अगर इन्हें जबरदस्ती किसी नए स्थान पर लगाया जाए, तो इनके जीवित रहने की संभावना बहुत कम हो जाती है। इसलिए, इनके मूल स्थान को बचाना सबसे अच्छा तरीका माना जाता है।

2) संरक्षित जैवमंडल (Biosphere Reserves): ये ऐसे संरक्षित क्षेत्र होते हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त होती है। इनका मकसद जैव विविधता को बनाए रखना है। भारत में कुल 17 संरक्षित जैवमंडल हैं, जहाँ दुर्लभ और संकटग्रस्त ऑर्किड प्रजातियों की सुरक्षा की जाती है।

3) राष्ट्रीय उद्यान (National Parks) : राष्ट्रीय उद्यान, सरकार द्वारा संरक्षित क्षेत्र होते हैं, जहाँ वन्यजीवों के साथ-साथ जैव विविधता को भी बचाया जाता है। इनमें वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण से जुड़ी गतिविधियाँ होती हैं। फिलहाल भारत में 98 राष्ट्रीय उद्यान हैं, जो ऑर्किड संरक्षण में भी मददगार साबित हो सकते हैं।

4) पवित्र उपवन (Sacred Groves): भारत के कई इलाकों में कुछ खास वन क्षेत्रों को धार्मिक मान्यताओं के कारण संरक्षित किया जाता है। इन क्षेत्रों को पवित्र खांचे कहा जाता है, जहाँ कुछ समुदाय या जनजातियाँ पारंपरिक रूप से वनस्पतियों की रक्षा करती हैं। भारत में 13,270 से ज्यादा पवित्र खांचे हैं, जो ऑर्किड जैसी दुर्लभ प्रजातियों को बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

5) जीन अभयारण्य (Gene Sanctuary): ये खास इलाके होते हैं, जहाँ अलग-अलग पौधों और जीवों के अनुवांशिक गुणों को सुरक्षित रखा जाता है। भविष्य में इनका उपयोग नई प्रजातियाँ विकसित करने और जैव विविधता को बनाए रखने के लिए किया जाता है। भारत में फ़िलहाल 480 जीन अभयारण्य हैं। अरुणाचल प्रदेश में स्थित सेसा ऑर्किड अभयारण्य में लगभग 200 ऑर्किड प्रजातियाँ संरक्षित की जाती हैं।

 

संदर्भ: 

https://tinyurl.com/235nlw35
https://tinyurl.com/2yhx54o9
https://tinyurl.com/2bdf3x2g
https://tinyurl.com/2y3cwkrt

मुख्य चित्र: उष्णकटिबंधीय लेडीज़-स्लिपर ऑर्किड (Tropical lady's slipper orchid) का एक पौधा (Wikimedia) 

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