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क्या आप जानते हैं कि लखनऊ विश्वविद्यालय को पहले ‘कैनिंग हाईस्कूल’ के नाम से जाना जाता था। इसकी स्थापना, 1864 में ब्रिटिश भारत के पहले वायसराय चार्ल्स जॉन कैनिंग (Charles John Canning) की स्मृति में की गई थी। वास्तव में, ब्रिटिश भारत में प्रशासनिक सुविधा और सामाजिक-राजनीतिक नियंत्रण के उद्देश्य से, विभिन्न शिक्षा नीतियों के विकास के माध्यम से शिक्षा के स्तरों में व्यापक सुधार किया गया। तो आइए, आज भारतीय शिक्षा के लिए अंग्रेज़ों द्वारा शुरू की गई कुछ महत्वपूर्ण शैक्षिक नीतियों के बारे में जानते हैं। इसके साथ ही, हम 19वीं शताब्दी के दौरान भारत में तकनीकी शिक्षा के इतिहास और विकास पर कुछ प्रकाश डालेंगे। अंत में, हम यह जानेंगे कि कैसे दो कमरों का मेमोरियल स्कूल 225 एकड़ के लखनऊ विश्वविद्यालय में बदल गया।
ब्रिटिश भारत में शिक्षा नीतियाँ:
मैकॉले के लिखित ब्योरे, 1835 (Macaulay’s Minutes):
ओरिएंटल-एंग्लो विवाद को संबोधित करने के लिए, लॉर्ड विलियम बेंटिंक (Lord William Bentinck) के अनुग्रह पर लॉर्ड मैकॉले (Thomas Babington Macaulay) ने 1835 में अपने प्रसिद्ध मिनट्स या लिखित ब्योरे प्रस्तुत किए।
विशेषताएं:
प्रभाव:
वुड्स डिस्पैच, 1854 (Wood’s Despatch):
'वुड्स डिस्पैच' 1853 के चार्टर अधिनियम के दौरान, चार्ल्स वुड (Sir Charles Wood) द्वारा शुरू की गई पहली व्यापक शिक्षा नीति थी। इसका उद्देश्य पूरे भारत में एक मज़बूत शैक्षिक ढांचा स्थापित करना था।
विशेषताएं:
प्रभाव:
हंटर शिक्षा आयोग,1882-83 (Hunter Education Commission):
हंटर कमीशन ने वुड्स डिस्पैच के बाद, शिक्षा में प्रगति की समीक्षा और महत्वपूर्ण बदलावों की सिफ़ारिश की।
प्राथमिक शिक्षा:
प्रभाव:
रैले आयोग और भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 1904 (Raleigh Commission and Indian Universities Act):
1902 में नियुक्त रैले आयोग का उद्देश्य, विश्वविद्यालय शिक्षा को संबोधित करना और राष्ट्रवादी भावनाओं पर अंकुश लगाना था।
विशेषताएं:
प्रभाव:
सैडलर आयोग, 1917-19 (Sadler Commission):
इसकी स्थापना, विश्वविद्यालय शिक्षा में सुधार के लिए माध्यमिक शिक्षा में सुधार की आवश्यकता को पहचानकर की गई थी। इस आयोग में माइकल सैडलर (Michael Sadler) के साथ दो भारतीय सदस्य- आशुतोष मुखर्जी और जिया उद्दीन अहमद भी शामिल थे।
विशेषताएं:
प्रभाव:
ब्रिटिश भारत में तकनीकी शिक्षा:
इंजीनियरिंग शिक्षा: औपनिवेशिक सरकार की ज़रूरतों के अनुरूप और बुनियादी ढांचे के विकास की पहल में सहायता के लिए, भारत के कई शहरों में, अंग्रेज़ों ने इंजीनियरिंग संस्थानों की स्थापना की, जैसे कि रूड़की में इंजीनियरिंग कॉलेज (1847) और शिबपुर में भारतीय इंजीनियरिंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (1856)।
तकनीकी कॉलेज: कुछ व्यवसायों में व्यावहारिक शिक्षा प्रदान करने के लिए तकनीकी कॉलेज बनाए गए। लाहौर में 'मेयो स्कूल ऑफ़ आर्ट' (1875) और रूड़की में 'थॉमसन सिविल इंजीनियरिंग कॉलेज' (1845) ऐसे दो प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान हैं।
औद्योगिक शिक्षा: भारत में विकासशील उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए ब्रिटिश सरकार ने औद्योगिक शिक्षा कार्यक्रम स्थापित किये। इन पहलों ने कृषि, खनन और कपड़ा उद्योग जैसे उद्योगों में कर्मचारियों को उपयोगी कौशल प्रदान करने का प्रयास किया।
भारत में तकनीकी शिक्षा: तकनीकी शिक्षा, पहले मुख्य रूप से विशेषाधिकार प्राप्त भारतीयों या ब्रिटिश नागरिकों के लिए उपलब्ध थी। हालाँकि, 1916 में भारतीय औद्योगिक आयोग की स्थापना के बाद, तकनीकी शिक्षा तक भारतीयों की पहुँच बढ़ाने के प्रयास किए गए। भारतीय छात्रों को घरेलू और विदेशी दोनों स्तरों पर तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने के लिए अनुदान और छात्रवृत्तियाँ दी गईं।
विश्वविद्यालयों की भूमिका: भारत में तकनीकी शिक्षा कार्यक्रम वाले विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई। उदाहरण के लिए, कलकत्ता, मद्रास और बॉम्बे विश्वविद्यालयों ने, 1857 में अपने पाठ्यक्रम के हिस्से के रूप में तकनीकी पाठ्यक्रम प्रदान किए।
व्यावहारिक प्रशिक्षण: अंग्रेज़, सैद्धांतिक शिक्षा के साथ साथ, व्यावहारिक प्रशिक्षण के महत्व को समझते थे। इसलिए, छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने के लिए कार्यशालाओं, प्रयोगशालाओं और क्षेत्रीय प्रशिक्षण को अक्सर तकनीकी शिक्षा संस्थानों में शामिल किया गया।
कैसे दो-कमरे का एक मेमोरियल स्कूल, 225 एकड़ के लखनऊ विश्वविद्यालय में बदल गया:
1862 में ब्रिटिश भारत के पहले वाइसराय (Viceroy) , चार्ल्स जॉन कैनिंग के देहांत के बाद, अवध में उनके वफ़ादार तालुकदारों के एक समूह ने उनकी स्मृति में एक शैक्षणिक संस्था शुरू करने के लिए अपनी वार्षिक आय से आठ आना दान करने का फैसला किया, जिसके परिणाम स्वरूप, दो साल बाद, कैनिंग हाई स्कूल (Canning High School) की स्थापना हुई। ख़यालीगंज, अमीनाबाद की संकरी गलियों में एक हवेली के दो कमरों में 200 से अधिक छात्रों के साथ शुरू हुआ यह विश्वविद्यालय आज देश के सबसे पुराने आवासीय विश्वविद्यालयों में से एक है। 1920 में औपचारिक रूप से एक विश्वविद्यालय बना लखनऊ विश्वविद्यालय हसनगंज में 225 एकड़ में फैला है और आज इसमें और संबद्ध कॉलेजों में 1.5 लाख से अधिक छात्र हैं।
1906 के एक दस्तावेज़ के अनुसार, जहांगीराबाद अवध (अब बाराबंकी ज़िला) के राजा मोहम्मद तसद्दुकी खान कैसरबाग में एक भूखंड पर लॉर्ड कैनिंग के सम्मान में एक कॉलेज बनाना चाहते थे जो कि वायसराय ने उन्हें एक बार उपहार में दिया था। 1 मई, 1864 को वर्तमान अमीनाबाद में अमीनुद्दौला पैलेस में उन्होंने एक स्कूल खोला। इसमें दसवीं कक्षा तक, 200 छात्र पढ़ते थे। 1866 में, इस हाई स्कूल को कैनिंग कॉलेज में बदल दिया गया। शुरुआती दिनों में, इस कॉलेज की अपनी कोई इमारत नहीं थी और यह लाल बारादरी सहित एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित होता था। इसके बाद, कैसरबाग (वर्तमान में, राय उमानाथ बली ऑडिटोरियम और भातखंडेय संगीत संस्थान) में इसे स्थापित किया गया, लेकिन जगह की बढ़ती मांग के परिणामस्वरूप इसे पुनः स्थानांतरित किया गया। 1878 में, कैनिंग कॉलेज को अंततः बादशाह बाग, हसनगंज में स्थायी रूप से स्थापित किया गया, जहां यह आज भी मौजूद है। इस नई इमारत की आधारशिला 13 नवंबर 1867 को सर जॉन लॉरेंस (Sir John Lawrence) ने रखी थी, लेकिन इसे तैयार होने में लगभग 11 साल लग गए। इसका औपचारिक उद्घाटन, 15 नवंबर, 1878 को उत्तर-पश्चिमी प्रांतों के तत्कालीन लेफ़्टिनेंट-गवर्नर और अवध के मुख्य आयुक्त सर जॉर्ज कूपर (Sir George Cooper) द्वारा किया गया। कैनिंग कॉलेज 1867 से लेकर 1888 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय (University of Allahabad) के अधिकार क्षेत्र में आने तक 20 वर्षों तक कलकत्ता विश्वविद्यालय (University of Calcutta) के तहत, एक मान्यता प्राप्त संस्थान बना रहा। 12 अगस्त 1920 को, लखनऊ विश्वविद्यालय (University of Lucknow) विधेयक विधान परिषद में पेश किया गया और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (Banaras Hindu University) के तत्कालीन प्रति-कुलपति जीएन चक्रवर्ती को 16 दिसंबर, 1920 को लखनऊ विश्वविद्यालय का पहला कुलपति बनाया गया। इसका पहला शैक्षणिक सत्र, जुलाई 1921 में शुरू हुआ और पहला दीक्षांत समारोह अक्टूबर 1922 में आयोजित किया गया।
संदर्भ:
मुख्य चित्र : एक पोस्टकार्ड में छपे लखनऊ में स्थित कैनिंग कॉलेज का दृश्य (Wikimedia)
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