अपने अधिकारों और ज़िम्मेदारियों को समझकर मनाएं, इस विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस को

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अपने अधिकारों और ज़िम्मेदारियों को समझकर मनाएं, इस विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस को

लखनऊवासियों, क्या आप जानते हैं कि उपभोक्ता अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए, हर साल 15 मार्च को 'विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस' (World Consumer Rights Day) मनाया जाता है। यह दिन, उपभोक्ता अधिकारों को बढ़ावा देने, उनकी रक्षा करने और बाज़ार द्वारा उपभोक्ताओं के दुरुपयोग के विरुद्ध विरोध करने के रूप में मनाया जाता है। तो आइए, आज इस दिवस की शुरुआत, महत्व और उद्देश्यों के बारे में विस्तार से समझते हैं और देखते हैं कि इस दिन कौन सी गतिविधियाँ करके इसे मनाया जा सकता है। इसके साथ ही, हम भारत में विभिन्न उपभोक्ता अधिकारों पर प्रकाश डालेंगे। अंत में, हम एक उपभोक्ता के रूप में अपनी ज़िम्मेदारियों को समझने का प्रयास करेंगे। 

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का परिचय:

15 मार्च को, दुनिया भर में हर साल मनाया जाने वाला 'विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस' वैश्विक बाज़ार में हमें हमारे उपभोक्ता अधिकारों के महत्व की याद दिलाने के लिए समर्पित है। यह दिन, वस्तुओं की मात्रा, गुणवत्ता और कीमत के संबंध में पारदर्शिता की आवश्यकता के साथ-साथ, उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा के महत्व पर जोर देता है। 'विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस' उपभोक्ताओं को उनके अधिकारों और ज़िम्मेदारियों के बारे में शिक्षित और सशक्त बनाने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है, साथ ही निष्पक्ष और नैतिक व्यापार नीति को भी प्रोत्साहित करता है।

उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा के लिए स्कॉटलैंड में रखी गई एक सभा | चित्र स्रोत : Wikimedia 

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस: इतिहास:

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस की शुरुआत, 15 मार्च, 1962 से मानी जा सकती है, जब पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति जॉन एफ़. कैनेडी (John F. Kennedy) ने अमेरिकी कांग्रेस में एक ऐतिहासिक भाषण में उपभोक्ता अधिकारों की समस्याओं को संबोधित किया था। तब पहली बार, किसी विश्व नेता ने वैश्विक मंच पर, उपभोक्ता अधिकारों के महत्व को औपचारिक रूप से स्वीकार किया था। हालांकि, 'विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस' की आधिकारिक शुरुआत 15 मार्च, 1983 को हुई, जब इसे संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा मान्यता और समर्थन दिया गया, जिससे उपभोक्ता संरक्षण की समस्याओं की तरफ़ अंतर्राष्ट्रीय ध्यान आकर्षित हुआ।

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस का महत्व:

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस, उपभोक्ताओं के अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाने और अनुचित प्रथाओं, भेदभाव और शोषण के विरुद्ध उनकी रक्षा करने के लिए महत्वपूर्ण है। यह उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के बारे में शिक्षित करने और शिकायतों के समाधान के लिए सक्रिय कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करता है। इस दिन के महत्व को निम्न बिंदुओं में समझा जा सकता है:

  • आवश्यकता के लिए: 'विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस', लालची निगमों द्वारा की जाने वाली अनुचित व्यापार प्रथाओं और उपभोक्ता शोषण के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम है। 
  • सबके लिए: यह दिन, हर किसी के लिए एक उपभोक्ता के रूप में अपने अधिकारों के बारे में अधिक से अधिक जानने का दिन है। 
  • बदलाव के लिए: हम में से अधिकतर लोग, अपने उपभोक्ता अधिकारों को लेकर निष्क्रिय रहते हैं। अतः इस दिन के रूप में एक दिन निश्चित किया गया है जब हर कोई इन अधिकारों के बारे में कार्य करने और ज्ञान बढ़ाने के लिए मिलकर काम करे।
चित्र स्रोत : Wikimedia 

विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस कैसे मनायें:

  • उपभोक्ता अधिकार कार्यक्रमों में शामिल हों: उपभोक्ता, अधिकार कार्यक्रमों में भाग लेकर आप अपने अधिकारों और कंज़्यूमर्स' इंटरनेशनल' (Consumers International), जो उपभोक्ता संगठनों के लिए वैश्विक सदस्यता संगठन है, के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 
  • दूसरों को उनके उपभोक्ता अधिकारों के बारे में शिक्षित करें: आप अपने दोस्तों, परिवार और सहकर्मियों को उपभोक्ता के रूप में उनके अधिकारों के बारे में बताकर इस दिन को मना सकते हैं। 
  • अपनी उपभोक्ता अधिकारों की कहानी साझा करें: लोगों को उस समय के बारे में बताएं, जब आपके उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन हुआ था और आपने स्थिति को हल करने के लिए क्या किया था? आपकी कहानी दूसरों को अपने अधिकारों के लिए खड़े होने के लिए प्रेरित कर सकती है।

भारत में विभिन्न उपभोक्ता अधिकार:

भारत में किसी व्यक्ति के मौलिक उपभोक्ता अधिकार निम्नलिखित हैं:

  • सुरक्षा का अधिकार: सुरक्षा का अधिकार, उपभोक्ताओं को उन उत्पादों, वस्तुओं या सेवाओं के विपणन से बचाता है जो संपत्ति और जीवन के लिए खतरनाक हैं। बिजली के उपकरण, गैस सिलेंडर आदि जैसी वस्तुओं में विनिर्माण दोष से उपभोक्ता के स्वास्थ्य, जीवन और संपत्ति को नुकसान हो सकता है। सुरक्षा का अधिकार, उपभोक्ताओं को खरीदने से पहले सामान की गारंटी और गुणवत्ता पर जोर देने का अधिकार देता है। उन्हें एगमार्क (Agmark) या आई एस आई-अनुमोदित (ISI Approved) वस्तु या उत्पाद चुनना चाहिए।
  • सूचित होने का अधिकार: उपभोक्ता, उत्पादों के संबंध में सभी आवश्यक विवरण प्राप्त करने पर जोर दे सकता है और खुद को कदाचार से बचा सकता है।
  • चुनने का अधिकार: सूचित होने का अधिकार ग्राहकों को अनुचित व्यापार प्रथाओं से बचाने के लिए उत्पादों, वस्तुओं या सेवाओं की मात्रा, गुणवत्ता, मानक, शुद्धता, क्षमता और कीमत के बारे में सूचित करने के बारे में है। विक्रेताओं या निर्माताओं को खरीदारों या उपभोक्ताओं को सभी आवश्यक उत्पाद विवरण प्रदान करना चाहिए ताकि वे सामान खरीदते समय समझदारी से कार्य कर सकें। बाज़ार में उचित मूल्य पर उपलब्ध विभिन्न प्रकार के उत्पादों तक पहुंच प्राप्त करना उपभोक्ता का अधिकार है।
  • सुनवाई का अधिकार: सुनवाई का अधिकार, यह आश्वासन देता है कि उपभोक्ता के हितों को उचित मंच पर सुना जाएगा और उन पर विचार किया जाएगा। विक्रेता द्वारा अनुचित व्यापार प्रथाओं के मामले में उपभोक्ता उचित मंचों पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं। 
  • निवारण पाने का अधिकार: उपभोक्ता को शोषण के मामले में निवारण का दावा करने और उचित समाधान की मांग करने का अधिकार है। वे विभिन्न उपभोक्ता संगठनों के सहयोग से भी अपनी समस्याओं का निवारण पा सकते हैं। उपभोक्ता की  समस्याओं के अनुसार, मुआवज़े के रूप में पैसा,  खराब सामान की मरम्मत या सामान का प्रतिस्थापन प्राप्त कर सकते हैं।
  • उपभोक्ता शिक्षा का अधिकार: अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना उपभोक्ता की ज़िम्मेदारी भी है और इसलिए उपभोक्ता शिक्षा के अधिकार का अर्थ एक सूचित उपभोक्ता होने के लिए आवश्यक प्रासंगिक कौशल और ज्ञान प्राप्त करने का अधिकार है।
चित्र स्रोत : Wikimedia 

उपभोक्ता की ज़िम्मेदारियां:

  • जागरूक रहने की ज़िम्मेदारी: उपभोक्ताओं को उत्पादों और सेवाओं को खरीदने से पहले उनकी सुरक्षा और गुणवत्ता के प्रति सचेत रहना चाहिए। उन्हें विक्रेता पर आंख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए और उत्पाद की कीमत, गुणवत्ता, मानक आदि की जानकारी अवश्य लेनी चाहिए।
  • स्वतंत्र रूप से सोचने की ज़िम्मेदारी: उपभोक्ताओं को स्वतंत्र विकल्प चुनने और विक्रेताओं के प्रभाव में उत्पाद खरीदने से बचना चाहिए। उन्हें समझदारी से चुनाव करना चाहिए और किसी उत्पाद या सेवा की गुणवत्ता या मानक पर समझौता नहीं करना चाहिए। 
  • शिकायत करने की ज़िम्मेदारी: उपभोक्ताओं को अपनी शिकायतें व्यक्त करनी चाहिए और दूषित या घटिया उत्पादों के खिलाफ़ शिकायत दर्ज़ करनी चाहिए, भले ही नुकसान छोटा हो। जब उपभोक्ता, अपने नुकसान के खिलाफ़ नहीं बोलते और शिकायत दर्ज़ नहीं करते हैं, तो इससे व्यापारी अनुचित व्यापार प्रथाओं को अपनाने और दोषपूर्ण वस्तुओं की आपूर्ति करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं।
  • एक नैतिक उपभोक्ता होने की ज़िम्मेदारी: उपभोक्ताओं को नैतिक और निष्पक्ष होना चाहिए और व्यक्तिगत कारणों से डीलरों या निर्माताओं के  खिलाफ़ धोखाधड़ी की शिकायत दर्ज़ नहीं करनी चाहिए। उन्हें भ्रामक गतिविधियों में शामिल नहीं होना चाहिए। उन्हें किसी भी अवैध व्यापार, जमाखोरी,  कलाबाज़ारी आदि को हतोत्साहित करना चाहिए।
  • गुणवत्ता के प्रति जागरूक रहने की जिम्मेदारी: नकली, मिलावटी और घटिया उत्पादों की समस्या तब हल हो सकती है जब उपभोक्ता वस्तुओं की गुणवत्ता से समझौता करना बंद कर दें। इस प्रकार, उपभोक्ताओं को उत्पाद की गुणवत्ता के बारे में जागरूक होना चाहिए और एगमार्क, आई एस आई मार्क आदि वाले उत्पादों को खरीदना चाहिए।

संदर्भ: 

https://tinyurl.com/4e5c6e9w

https://tinyurl.com/yckeyxh8

https://tinyurl.com/396mutk7

https://tinyurl.com/38b6jxvj

मुख्य चित्र का स्रोत : Pexels 

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