आइए अवगत हों, गुजराती भाषा के इतिहास, लिपि और समय के साथ इसमें आए बदलावों से

ध्वनि 2- भाषायें
21-02-2025 09:44 AM
आइए अवगत हों, गुजराती भाषा के इतिहास, लिपि और समय के साथ इसमें आए बदलावों से

लखनऊ में गुजराती बोलने वाले लोगों से मिलना आम है। 2011 तक, गुजराती भारत में छठी सबसे ज़्यादा बोली जाने वाली भाषा थी। इसे लगभग 5.55 करोड़ लोग बोलते थे! यह भारत की कुल आबादी का करीब 4.5% हिस्सा है। 2007 तक, यह दुनिया में 26वीं सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा थी।गुजराती भाषा, गुजराती लिपि में लिखी जाती है और इसका इतिहास बहुत पुराना है। इसकी जड़ें 11वीं शताब्दी तक जाती हैं।इसलिए आइए आज इस अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर, हम सबसे पहले गुजराती भाषा की उत्पत्ति और इसके ऐतिहासिक विकास को समझते हैं।इसके बाद, हम गुजराती वर्णमाला के बारे में जानेंगे, जिसमें स्वर, व्यंजन और अंक शामिल होते हैं।फिर, हम गुजराती लिपि की खास विशेषताओं पर ध्यान देंगे।इसी संदर्भ में, हम इसे देवनागरी लिपि से तुलना करके इनके बीच के अंतर को भी समझेंगे।अंत में, हम गुजराती भाषा में शाब्दिक मिलावट (भिन्न भाषाओं के शब्दों के मिश्रण) की चुनौतियों पर चर्चा करेंगे। 

गुजराती वर्णमाला | चित्र स्रोत : Wikimedia

गुजराती भाषा के इतिहास को तीन प्रमुख अवधियों में विभाजित किया जाता है:

1) पुराना (अपभ्रंश) काल (10वीं-14वीं शताब्दी): इस समय, पारसियों ने संस्कृत सीखी और अपने कई धार्मिक ग्रंथों का अनुवाद मध्य फ़ारसी से संस्कृत में किया। बाद में, जब गुजरात में मुस्लिम प्रभाव बढ़ा, तो अरबी और फ़ारसी भाषाओं का अध्ययन होने लगा। पारसियों ने फ़ारसी भाषा अपनाई, जिससे संस्कृत अध्ययन में कमी आई। इसी दौरान, मौजूदा संस्कृत अनुवादों के सहारे अवेस्तान (Avestan) और पहलवी ग्रंथों (Pahlavi texts) का गुजराती में अनुवाद किया गया।

2) मध्य काल (15वीं-17वीं शताब्दी): इस समय, फ़ारसी और बाद में उर्दू, दरबारी भाषा बन गईं। इसका गहरा प्रभाव, गुजराती भाषा पर पड़ा। पारसियों ने सूरत और आसपास की स्थानीय गुजराती बोली का प्रयोग किया। उन्होंने फ़ारसी, पहलवी और ज़ंद भाषाओं के कई शब्द भी अपनाए। इस अवधि में धार्मिक ग्रंथों के अनुवाद भी किए गए, जिनमें संस्कृत, फ़ारसी और स्थानीय बोलियों का मिश्रण देखने को मिला।

3) आधुनिक काल (17वीं शताब्दी के बाद): इस समय के दौरान, गुजराती भाषा पर पश्चिमीकरण का प्रभाव दिखने लगा। ब्रिटिश शासन के दौरान, साहित्य में अंग्रेज़ी रोमांटिकतावाद और उसकी शैलियों का समावेश हुआ। पारसियों ने अंग्रेज़ी भाषा को सहजता से अपनाया और उसकी कुछ संरचनात्मक विशेषताओं को गुजराती में शामिल किया। कुछ लोगों ने शुद्ध संस्कृत का प्रयोग करने की कोशिश की, लेकिन इसे अत्यधिक विद्वतापूर्ण माना गया।

पुराने नरमा गद्य और अस्वीकृत सरकारी नरमा गद्य के बीच अंतर | चित्र स्रोत : Wikimedia

समय के साथ गुजराती भाषा में बदलाव आते रहे। यह विभिन्न संस्कृतियों और भाषाओं से प्रभावित होती रही।

गुजराती भाषा और उसकी विशेषताएँ

गुजराती में "व्यंजन" को "વ્યંજન" (Vyanjan) कहा जाता है। स्वर स्वतंत्र रूप से उच्चारित हो सकते हैं, लेकिन व्यंजनों के सही उच्चारण के लिए स्वर आवश्यक होते हैं।

गुजराती भाषा में कुल 34 व्यंजन होते हैं। इसमें स्वतंत्र स्वर व्यंजनों से पहले लिखे जाते हैं, जबकि आश्रित स्वर व्यंजन के बाद, ऊपर या नीचे जोड़े जाते हैं। इस कारण गुजराती लेखन एक बहुमंजिला इमारत जैसा प्रतीत होता है।
यह जानकारी नीचे दी गई तालिका में हिंदी में प्रस्तुत की गई है:

स्वर का प्रकारगुजराती वर्णउच्चारण (रोमन लिपि में)हिंदी उच्चारण
स्वतंत्र स्वर[a]
 [aa]
 [i]
 [ii]
 [u]
 [uu]
 [r]
 [l]
 [e]ए (संक्षिप्त)
 [e]
 [ai]
 [o]ओ (संक्षिप्त)
 [o]
 [au]
आश्रित स्वरगुजराती वर्णउच्चारण (रोमन लिपि में)हिंदी उच्चारण
 [aa]
 િ[i]ि
 [ii]
 ◌ુ[u]◌ु
 ◌ૂ[uu]◌ू
 ◌ૃ[r]◌ृ
 ◌ૄ[rr]◌ॄ
 ◌ૅ[e]◌ॅ
 ◌ે[e]◌े
 ◌ૈ[ai]◌ै
 ◌ૉ[o]◌ॉ
 ◌ો[o]◌ो
 ◌ૌ[au]◌ौ

गुजराती में व्यंजन को व्यंजन (વ્યંજન) भी कहा जाता है। जबकि गुजराती में स्वर अक्षरों को स्वतंत्र रूप से उच्चारित किया जा सकता है, व्यंजन उन अक्षरों का प्रतिनिधित्व करते हैं जिन्हें स्वतंत्र रूप से उच्चारित नहीं किया जा सकता है और अंतिम ध्वनि बनाने के लिए उन्हें स्वरों के साथ जोड़ना पड़ता है।

गुजराती वर्णउच्चारण (रोमन लिपि में)हिंदी उच्चारण
[ka]
[kha]
[ga]
[gha]
[nga]
[ca]
[cha]
[ja]
[jha]
[nya]
[tta]
[ttha]
[dda]
[ddha]
[nna]
[ta]
[tha]
[da]
[dha]
[na]
[pa]
[pha]
[ba]
[bha]
[ma]
[ya]
[ra]
[la]
[lla]
[va]
[sha]
[ssa]
[sa]
[ha]

गुजराती में दशमलव संख्याओं और भिन्नों को दर्शाने के लिए लैटिन अंकों के बजाय अपने स्वयं के अंकीय चिह्न हैं।हालाँकि, वर्तमान में, हिंदू या लैटिन अंक प्रणाली का आमतौर पर उपयोग किया जाता है।

गुजराती अंकअंक (रोमन लिपि में)हिंदी अंक
[zero]
[1]
[2]
[3]
[4]
[5]
[6]
[7]
[8]
[9]


गुजराती लिपि की कुछ अनूठी विशेषताओं को समझते हैं:

लेखन की दिशा और संरचना: गुजराती भाषा को बाएँ से दाएँ लिखा जाता है, और शब्दों को रिक्त स्थान (स्पेस) द्वारा अलग किया जाता है। इसमें बड़े (अपरकेस (upper case)) और छोटे (लोअरकेस (lower case)) अक्षरों का कोई अंतर नहीं होता।

व्यंजन अक्षर और नुक्ता: गुजराती लिपि में कुल 34 व्यंजन अक्षर होते हैं। कुछ अक्षरों पर नुक्ता या अतिरिक्त वर्ण जोड़े जा सकते हैं, लेकिन इनका उपयोग मुख्य रूप से अरबी और अवेस्तान लिप्यंतरण में किया जाता है। सामान्य गुजराती लेखन में इनका उपयोग नहीं होता। देवनागरी लिपि की तरह इसमें शिरोरेखा (शीर्ष पंक्ति) नहीं होती।

भारत के मानचित्र में गुजराती में लिखे राज्यों के नाम | चित्र स्रोत : Wikimedia

अंतिम व्यंजन ध्वनियाँ: गुजराती में अंतिम व्यंजन ध्वनियों को दर्शाने के लिए दो विशेष चिह्न होते हैं:

अनुस्वार (◌ં)

विसर्ग (◌ઃ)

हालाँकि, आमतौर पर व्यंजन ध्वनियाँ बिना किसी विशेष विराम चिह्न के ही लिखी जाती हैं।

स्वरों की विशेषताएँ: गुजराती लिपि, एक अबुगीदा लिपि है, जिसका अर्थ है कि प्रत्येक व्यंजन में एक अंतर्निहित स्वर (ə = अ) होता है।

यदि व्यंजन के बाद कोई अन्य स्वर आना हो, तो उसके लिए 11 विशेष स्वर चिह्नों का उपयोग किया जाता है। हर व्यंजन के साथ, केवल एक ही स्वर चिह्न जोड़ा जाता है।

स्वतंत्र स्वर अक्षर: गुजराती में स्वतंत्र स्वरों को दर्शाने के लिए, 12 विशेष स्वर अक्षर होते हैं।

प्रत्येक स्वर अक्षर, एक विशिष्ट ध्वनि को दर्शाता है। इनमें से एक स्वर, अंतर्निहित स्वर (ə = अ) भी होता है।

भाषा पर क्षेत्रीय और डिजिटल प्रभाव: गुजराती भाषा पर, सौराष्ट्र, सूरत और गुजरात के अन्य क्षेत्रों की बोलियों का प्रभाव पड़ा है।

इसके अलावा, वॉट्सऐप (WhatsApp) और अन्य डिजिटल संचार माध्यमों की वजह से भाषा की शुद्धता प्रभावित हुई है।

उदाहरण के लिए,

👉 हिंदी वाक्य, "भैंस के सींग होते हैं।" का सही गुजराती रूप "ભેંસને શિંગડા હોય છે।" (भेंसने शिंगड़ा होय छे) होता है।

👉 हिंदी वाक्य, "हम जा रहे हैं।" का सही गुजराती रूप "અમે જઈએ છીએ।" (अमे जाईए छी) होता है।

लेकिन कई लोग, गलत रूप में "અમે જઈએ છે।" (अमे जाई छे) लिख रहे हैं, जो भाषा की अशुद्धि को दर्शाता है।

प्रभावित होती भाषा की शुद्धता: समाचार, मनोरंजन और तकनीकी सीमाओं की वजह से भी भाषा में अशुद्धियाँ आ रही हैं।

गाँधीजी की कुटिया का इश्तहार | चित्र स्रोत : Wikimedia

उदाहरण के लिए, गुजराती में "દ્વારા" (द्वारा/के माध्यम से) सही शब्द है, लेकिन कई जगह इसे गलत रूप में "દ્રારા" (द्रारा) टाइप किया जाता है।

यह दर्शाता है कि, टाइपिस्ट या लेखक, गुजराती कीबोर्ड के सही उपयोग से अनजान हैं।ऐसी गलतियाँ, गुजराती भाषा की शुद्धता को प्रभावित कर रही हैं।इसलिए, सही व्याकरण और शुद्ध शब्दों का उपयोग, एक भाषा को संरक्षित रखने के लिए अत्यंत आवश्यक है।

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/k4ojf76

https://tinyurl.com/2cuej4kp

https://tinyurl.com/27qoobww

https://tinyurl.com/2yws69hv

मुख्य चित्र: एक गुजराती लोक गायिका और गुजरात का मानचित्र : (Wikimedia)

 

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