आइए समझें, चित्रकूट के पहाड़ों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को

पर्वत, चोटी व पठार
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आइए समझें, चित्रकूट के पहाड़ों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को

लखनऊ से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित चित्रकूट धाम, उत्तर प्रदेश के चित्रकूट ज़िले का एक शहर है। यह बुंदेलखंड क्षेत्र में स्थित है और इसका सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, धार्मिक और पुरातात्विक महत्व है। कहा जाता है कि, हिंदू धर्म के प्रमुख देवता राम ने अपने 14 साल के वनवास में से 11 साल चित्रकूट में बिताए थे। चित्रकूट, विंध्याचल पर्वतमाला के उत्तरी भाग में आता है, जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश राज्यों में फैली हुई है।

आज के लेख में, हम समझने की कोशिश करेंगे कि चित्रकूट के पहाड़ों को “चमत्कारिक पहाड़ियां” क्यों कहा जाता है। फिर हम चित्रकूट धाम के आध्यात्मिक महत्व के बारे में विस्तार से जानेंगे। उसके बाद, हम चित्रकूट के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों के बारे में बात करेंगे। अंत में, हम जानेंगे कि, हवाई मार्ग, सड़क और ट्रेन के ज़रिए यहां कैसे पहुंचा जा सकता है।

उत्तर प्रदेश के मानचित्र में चित्रकूट संभाग (Chitrakoot Division)  | Source : Wikimedia

चित्रकूट के पहाड़ों को अनेक आश्चर्यों की पहाड़ियां क्यों कहा जाता है?

चित्रकूट के पहाड़ों को “अनेक आश्चर्यों की पहाड़ियां” इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह भगवान राम का पवित्र निवास स्थान था, जहाँ उन्होंने अपने
वनवास के 11 साल बिताए थे।यहां की ख़ास चट्टानों और प्रकृति की विविधता की वजह से यह विद्वानों और श्रद्धालुओं के लिए बहुत ख़ास है।

जानकी कुंड में, 1600 मिलियन साल पुराने ऐसे जीवाश्म (फ़ॉसिल्स) मिले हैं, जो धरती पर ऑक्सीजन बनने में मददगार थे। चित्रकूट के पास, मझगवां और पन्ना में भारत की अकेली हीरे की खदान और पन्ना टाइगर रिज़र्व (Panna Tiger Reserve) है। रानेह घाटी में चट्टानों की ख़ास बनावट देखने को मिलती है।

चित्रकूट वह जगह है, जहाँ बुंदेलखंड की चट्टानों और विंध्य पर्वत श्रृंखला का अध्ययन किया जा सकता है। यही सब चीज़ें इसे “दुनिया के सबसे ख़ास पहाड़ियां” बनाती हैं।

चित्रकूट धाम का महत्व

1. रामायण से जुड़ाव: चित्रकूट का रामायण से गहरा संबंध है। कहा जाता है कि भगवान राम ने अपनी पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण के साथ अपने 14 वर्ष के वनवास में से लगभग ग्यारह वर्ष चित्रकूट की शांति भरी वादियों में बिताए थे। यहां के जंगल, नदियां और गुफाएं भगवान राम, सीता और लक्ष्मण की उपस्थिति की गवाही देते हैं। इसी कारण यह स्थान लाखों भक्तों के लिए एक पवित्र तीर्थ बन गया है।

2. दिव्य प्राकृतिक सौंदर्य: चित्रकूट की हरियाली, ऊँची-नीची पहाड़ियाँ और बहती नदियाँ इसकी सुंदरता को अद्भुत बनाती हैं। कहा जाता है कि, यहां की प्राकृतिक सुंदरता ने, देवताओं और ऋषियों को ध्यान और साधना करने के लिए प्रेरित किया। यहां रामघाट जैसे पवित्र स्थान हैं, जहाँ भगवान राम ने मंदाकिनी नदी में स्नान किया था, और कामदगिरि पर्वत, जिसे भगवान
हनुमान की भक्ति का प्रतीक माना जाता है।

3. पौराणिक महत्व: चित्रकूट की हर चट्टान, गुफा और पेड़ रामायण की कहानियाँ सुनाते हैं। भारत मिलाप मंदिर, वह स्थान है, जहाँ भगवान राम और उनके भाई भरत का मिलन हुआ था। हनुमान धारा,  यहाँ एक पहाड़ी पर स्थित प्राकृतिक झरना है | ऐसा माना जाता है कि इसे भगवान राम ने हनुमान जी की प्यास बुझाने के लिए बनाया था। ये पौराणिक कथाएँ चित्रकूट को और भी पवित्र बनाती हैं।

4. आध्यात्मिक साधनाएँ: चित्रकूट में आने वाले भक्त ध्यान, भजन और धर्मग्रंथों का पाठ करते हैं। यहां की शांति उन्हें आत्मचिंतन और भगवान से जुड़ने में मदद करती है। भक्त यहां पवित्र स्थलों की परिक्रमा करते हैं, जिसे भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक माना जाता है।

Source: Wikimedia

5. सांस्कृतिक धरोहर: चित्रकूट, न केवल आध्यात्मिक स्थल है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का भी खज़ाना है। यहां भजन, कीर्तन और धार्मिक प्रवचन की गूंज सुनाई देती है। राम नवमी, दीवाली और चित्रकूट महोत्सव जैसे त्योहार यहाँ बड़े उत्साह के साथ मनाए जाते हैं, जो इस क्षेत्र की समृद्ध संस्कृति
को दर्शाते हैं।

6. पवित्र तीर्थ: भक्तों के लिए, चित्रकूट की यात्रा  सिर्फ़ एक  सफ़र नहीं, बल्कि आत्मा की तीर्थ यात्रा है। ऐसा माना जाता है कि, यहां की पवित्र भूमि के दर्शन और इसके पवित्र जल का स्पर्श, पापों को मिटा देता है और भक्तों को
आध्यात्मिक आशीर्वाद मिलता है।यहां आने वाले भक्त शांति, मोक्ष और भगवान की कृपा पाने की इच्छा रखते हैं।

7. सार्वभौमिक आकर्षण: चित्रकूट का महत्व, केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए नहीं है। इसकी आध्यात्मिक ऊर्जा, हर धर्म, जाति और राष्ट्रीयता के लोगों को आकर्षित करती है। रामायण में सिखाई गई प्रेम, सच्चाई और भक्ति की शिक्षा हर व्यक्ति को प्रेरणा देती है।

चित्रकूट के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल

1. कामदगिरि मंदिर: यह मंदिर, भगवान कामतानाथ को समर्पित है और कामदगिरि पर्वत की परिक्रमा के लिए प्रसिद्ध है। ‘कामदगिरि’ का अर्थ है, वह पर्वत जो सभी इच्छाएँ पूरी करता है। ऐसा माना जाता है कि, भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण ने अपने वनवास के दौरान, यहाँ निवास किया था। यहाँ की मुख्य परिक्रमा, लगभग 6 किलोमीटर लंबी है, जो लगभग 1 घंटे में पूरी होती है। सुबह की ताज़गी, भक्तों का राम नाम का जाप और जय कामतानाथ के उद्घोष से, वातावरण में एक अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा
महसूस होती है।

Source : Wikimedia

2. गुप्त गोदावरी  गुफाएँ: यह पवित्र स्थल, चित्रकूट से लगभग 18 किलोमीटर दूर है। रामायण के अनुसार, भगवान राम और लक्ष्मण ने अपने वनवास के दौरान, यहाँ कुछ समय बिताया था। यहाँ दो अलग-अलग  गुफाएँ हैं, और इन  गुफ़ाओं में पानी घुटनों तक भर जाता है।

3. रामघाट: उत्तर प्रदेश के सबसे प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से एक है रामघाट, जहाँ संत गोस्वामी तुलसीदास का भगवान राम,
माता सीता और लक्ष्मण के साथ लंबी बातचीत हुई थी।यही कारण है कि, यह स्थान, लोगों के दिलों में एक ख़ास जगह बनाता है।

4. स्फटिक शिला: यह स्थान, मंदाकिनी नदी के किनारे स्थित है। ‘स्फटिक शिला’ असल में दो बड़े पत्थर हैं, जिन पर माना जाता है कि माता सीता और भगवान राम के पदचिह्न हैं। यदि आप एक शांत और सुकून भरी जगह की तलाश में हैं, तो यह स्थान एक बेहतरीन विकल्प है।

5. सती  अनुसूया मंदिर: रामघाट से लगभग 18 किलोमीटर दूर स्थित सती  अनुसूया आश्रम, चित्रकूट के सबसे पवित्र स्थानों में से एक है। इसे ‘चित्रकूट चार धाम’ का हिस्सा माना जाता है। यह स्थान महर्षि अत्रि और उनकी पत्नी महा सती  अनुसूया के आश्रम के रूप में प्रसिद्ध है। उनकी पवित्रता और शुद्धता के कारण वे हिंदू धर्मग्रंथों में एक महान सती के रूप में जानी जाती हैं।

6. हनुमान धारा: यह स्थान, रामघाट से लगभग 3 किलोमीटर दूर स्थित है और भगवान हनुमान के भक्तों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है। ‘हनुमान धारा’ नाम, वहाँ बहने वाले सुंदर झरने से पड़ा, जो भगवान हनुमान की मूर्ति पर गिरता है। भक्तों के लिए यह दृश्य, अत्यंत सुंदर और आध्यात्मिक रूप से प्रबुद्ध करने वाला होता है। बजरंग बली की मूर्ति, लाल संगमरमर की बनी हुई है और मंदिर में प्रवेश करते समय यह मूर्ति, भक्तों को आशीर्वाद देती है।
 

गणेश बाग धाम, चित्रकूट | Source : Wikimedia

चित्रकूट कैसे पहुंचें?

हवाई मार्ग से: चित्रकूट के पास का सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा, इलाहाबाद का बमरोली एयरपोर्ट है, जोचित्रकूट से 106.1 किलोमीटर दूर है।इसके अलावा, वाराणसी का लाल बहादुर शास्त्री इंटरनेशनल एयरपोर्ट और खजुराहो एयरपोर्ट भी पास में हैं। इन  हवाई अड्डों से चित्रकूट आने के लिए, आप प्री-पेड टैक्सी (Pre-paid taxi) ले सकते हैं, जो सबसे अच्छा तरीका है।

सड़क मार्ग से: चित्रकूट तक जाने के लिए, बहुत सी बसें चलती हैं जो उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कई शहरों से चित्रकूट
आती-जाती हैं। ये बसें, राज्य राजमार्गों और NH 76 (National Highway 76) पर चलती हैं।आप साझा टैक्सी या कैब भी ले सकते हैं, जो इन्हीं रास्तों से जाती हैं।

रेल मार्ग से: चित्रकूट का सबसे नज़दीकी रेलवे स्टेशन, करवी (चित्रकूट) है, जो झांसी-मणिकपुर रेलवे लाइन पर है। यहां से आप, नियमित ट्रेनों से भारत के सभी बड़े शहरों में जा सकते हैं। उत्तर प्रदेश संपर्क क्रांति , एक प्रमुख ट्रेन है, जो औसतन 59 किमी/घंटा की गति से चलती है।

चित्रकूट में स्थानीय परिवहन

चित्रकूट की  सड़कें, दूसरे शहरों से अच्छी तरह से जुड़ी हुई हैं। क्योंकि यहां बहुत सारे पर्यटक आते हैं, इसलिए यहां बसें, टैक्सियाँ और रिक्शा आसानी से मिल जाते हैं।

संदर्भ 

https://tinyurl.com/3pxjxmvp 

https://tinyurl.com/5xu745sw 

https://tinyurl.com/azb2kphs 

https://tinyurl.com/5b2r2ka9 

मुख्य चित्र:  रामघाट का दृश्य और कंचन मृग के भेष में मारीच (Wikimedia, flickr)

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