चलिए जानते हैं, सुहेलवा वन्यजीव अभयारण्य के प्रमुख जीव-जंतुओं के बारे में

निवास स्थान
22-01-2025 09:39 AM
चलिए जानते हैं, सुहेलवा वन्यजीव अभयारण्य के प्रमुख जीव-जंतुओं के बारे में

सुहेलवा वन्यजीव अभयारण्य (Suhelwa Wildlife Sanctuary), उत्तर प्रदेश के बलरामपुर, गोंडा और श्रावस्ती ज़िलों में स्थित एक वन्यजीव अभयारण्य है। यह बलरामपुर से लगभग 66 किमी, गोंडा से 120 किमी और लखनऊ से लगभग 210 किमी दूर है। इसका कुल क्षेत्रफल 452 वर्ग किलोमीटर है। तो, आज हम इस वन्यजीव अभयारण्य के बारे में विस्तार से जानेंगे। हम इसके स्थान और यहाँ की वनस्पति के प्रकार के बारे में भी बात करेंगे। इसके अलावा, यहाँ पाए जाने वाले पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं की जानकारी लेंगे। फिर हम, यह जानेंगे कि हवाई मार्ग, ट्रेन या सड़क के ज़रिए, यहाँ कैसे पहुँचा जा सकता है। अंत में, इस पर चर्चा करेंगे कि अप्रैल 2023 में यहाँ बाघों के दर्शन होने से उत्तर प्रदेश में एक नया बाघ रिज़र्व बनने की दिशा में क्या विकास हुआ।

सुहेलवा वन्य अभयारण्य का परिचय 
सुहेलवा अभयारण्य, उत्तर प्रदेश के श्रावस्ती, बलरामपुर और गोंडा ज़िलों में स्थित है। पहले यह जंगल बलरामपुर के महाराजा के अधीन था और इसे बलरामपुर एस्टेट के नाम से जाना जाता था। 1952 में, ज़मींदारी उन्मूलन अधिनियम (Zamindari Abolition Act) लागू होने के बाद, यह भूमि, सरकार के अधीन आ गई। इसे 1988 में वन्यजीव अभयारण्य घोषित किया गया।
452 वर्ग किमी क्षेत्र में फैला यह अभयारण्य भूमि की एक पट्टी है, जो पूर्व से पश्चिम तक लगभग 120 किमी लंबी (पूर्व से पश्चिम) और 6-8 किमी चौड़ी है।
सुहेलवा वन्यजीव प्रभाग भारत-नेपाल अंतरराष्ट्रीय सीमा पर स्थित है। यह भाबर-तराई पारिस्थितिकी तंत्र क्षेत्र का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जो जैव-विविधता से समृद्ध है। इस क्षेत्र में थारू जनजाति, जिनके चेहरे पर मंगोलॉयड विशेषताएँ देखी जाती हैं, लंबे समय से निवास कर रही है। यह अभयारण्य पर्णपाती और अर्ध-सदाबहार जंगलों के मिश्रण से बना है।
यह भाबर-तराई इको-सिस्टम क्षेत्र में महत्वपूर्ण स्थानों में से एक है, जो जैव विविधता से समृद्ध है। मंगोल वंशीय विशेषताओं से युक्त थारू जनजाति लम्बे समय से इस क्षेत्र की निवासी रही है। पर्णपाती और अर्ध-सदाबहार वुडलैंड्स का मिश्रण अभयारण्य को परिभाषित करता है।
सुहेलवा वन्यजीव अभयारण्य में पाए जाने वाले वनस्पति और जीव जंतु
वनस्पति (Flora):
इस वन्यजीव अभयारण्य में मुख्य वृक्ष प्रजातियाँ साल, असना, खैर और सागौन हैं। इनके साथ ही, काला शीशम, जामुन, हल्दू, फल्दू, ज़िग्ना, हर्रा, बहेड़ा और रोहिनी जैसे अन्य महत्वपूर्ण वृक्ष भी यहाँ पाए जाते हैं। यह क्षेत्र औषधीय पौधों की प्रचुरता के लिए भी प्रसिद्ध है। यहाँ पाए जाने वाले औषधीय पौधों में सफ़ेद मूसली, काली मुसली, पिपली (पाइपर लोंगम), अडूसा/वसाका या बसूटी (अधाटोडा वासिका), गिलोय (टिनोस्पोरा कॉर्डिफ़ोलिया), चिरायता (स्वर्टिया चिरायता), कुचिला (होलेरहेना एंटीडिसेंट्रिका), बच (एकोरस कैलमस), पंचफूली/छत्तियानाशी (लैंटाना कैमरा), हरसिंगार (निक्टेन्थेस आर्बर-ट्रिस्टिस), अश्वगंधा (विथानिया सोम्नीफेरा), सर्पगंधा (राउवोल्फ़िया सर्पेंटिना), मीठा नीम/करी पत्ता (मुरैया कोएनिगी), शतावरी (ऐस्पेरेगस रेसीमोसस), और रीठा (अकेशिया कॉन्सिना) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, यहाँ विभिन्न प्रकार की तितलियाँ भी पाई जाती हैं।
जीव-जंतु (Fauna):
इस अभयारण्य में विभिन्न प्रकार के स्तनधारी जीव पाए जाते हैं, जैसे तेंदुआ, भालू, भेड़िया, लकड़बग्घा, सियार, जंगली सूअर, सांभर, चित्तीदार हिरण, नीलगाय, बार्किंग हिरण के साथ-साथ विभिन्न प्रकार के बंदर।
पक्षियों में लिटिल ग्रेब, इंडियन कॉर्मोरेंट, लिटिल कॉर्मोरेंट, डार्टर, इंडियन पॉन्ड हेरोन, कैटल-एग्रेट, ग्रेट-एग्रेट, लिटिल-एग्रेट, कॉमन टील, स्पॉट-बिल्ड डक, ब्लैक-शोल्डर काइट, ब्लैक काइट, ग्रेटर स्पॉटेड ईगल, लॉन्ग -बिल्ड वल्चर, व्हाइट रम्प्ड वल्चर, ग्रे फ्रेंकोलिन, सारस क्रेन, वॉटर कॉक, कॉमन मूरहेन, पर्पल मूरहेन, जैकाना, कांस्य-पंख वाला जैकाना।
प्रवासी पक्षियों में पेंटेड स्टार, एशियन ओपनबिल, ब्लैक-हेडेड आईबिस, यूरेशियन स्पूनबिल, ग्रे लेग गूज़ और बार-हेडेड गूज़ जैसी प्रजातियाँ भी पाई जाती हैं।
हवाई मार्ग से सुहेलवा वन्यजीव अभयारण्य तक कैसे पहुँचें?
हवाई मार्ग से यात्रा करने वालों के लिए, लखनऊ का चौधरी चरण सिंह अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा, सबसे नज़दीकी हवाई अड्डा है, जो अभयारण्य से लगभग 150 किमी की दूरी पर स्थित है। लखनऊ देश के लगभग सभी बड़े शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बेंगलुरु और चेन्नई से अच्छी तरह जुड़ा हुआ है। लखनऊ से बलरामपुर तक पहुँचने के लिए आप टैक्सी या बस का विकल्प चुन सकते हैं। बलरामपुर से सुहेलवा अभयारण्य तक पहुँचने में 3-4 घंटे का समय लगता है।
इसके अलावा, गोरखपुर हवाई अड्डा भी एक अच्छा विकल्प है, जो इस अभयारण्य से लगभग 190 किमी की दूरी पर है। गोरखपुर से बलरामपुर के लिए कैब या बस सेवाएँ उपलब्ध हैं, जो यात्रा को और भी सरल बनाती हैं।
रेल मार्ग द्वारा 
रेल मार्ग से यात्रा, एक सुगम और किफ़ायती विकल्प है। बलरामपुर रेलवे स्टेशन सुहेलवा अभयारण्य के सबसे नज़दीक है, जो अभयारण्य से मात्र 20 किमी की दूरी पर स्थित है। यह रेलवे स्टेशन लखनऊ, गोरखपुर, वाराणसी और दिल्ली जैसे प्रमुख शहरों से सीधे रेल संपर्क में है।
बलरामपुर रेलवे स्टेशन से अभयारण्य तक पहुँचने के लिए स्थानीय परिवहन जैसे टैक्सी, ऑटो-रिक्शा या साझा जीप का उपयोग किया जा सकता है। स्थानीय गाइड या टैक्सी चालकों से सही दिशा और दरों की जानकारी लेना आपकी यात्रा को अधिक सुविधाजनक बनाएगा।
सड़क मार्ग द्वारा
सड़क मार्ग से यात्रा करने वाले पर्यटकों के लिए, सुहेलवा अभयारण्य तक पहुँचना बेहद आसान और रोमांचक हो सकता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 28 31 के माध्यम से बलरामपुर से सुहेलवा अभयारण्य अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। बलरामपुर से अभयारण्य तक स्थानीय सड़कों के ज़रिए 30-40 मिनट में पहुँचा जा सकता है।
लखनऊ से सुहेलवा तक सड़क मार्ग की दूरी लगभग 150 किमी है, जिसे तय करने में लगभग 4-5 घंटे का समय लगता है। इस मार्ग पर सड़कें अच्छी स्थिति में हैं, जिससे निजी वाहन, टैक्सी, या बस के माध्यम से यात्रा आरामदायक हो जाती है।
उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम की बस सेवाएँ भी बलरामपुर को लखनऊ, गोरखपुर और अन्य प्रमुख शहरों से जोड़ती हैं। मानसून के समय, यात्रा करने से पहले सड़क की स्थिति की जांच करना महत्वपूर्ण है, क्योंकि इस दौरान सड़कें फिसलन भरी हो सकती हैं।
यात्रा के दौरान ध्यान देने योग्य बातें
अपनी यात्रा को सुखद और सुरक्षित बनाने के लिए हवाई और रेल टिकट की अग्रिम बुकिंग करना सुनिश्चित करें, ताकि आखिरी समय की असुविधा से बचा जा सके।
सड़क मार्ग से यात्रा करने वाले यात्रियों को अपने वाहन की स्थिति की पूरी तरह से जांच कर लेनी चाहिए। साथ ही, ज़रूरी दस्तावेज़ जैसे ड्राइविंग लाइसेंस, वाहन का पंजीकरण और बीमा पत्र साथ रखना न भूलें।
यदि आप स्थानीय परिवहन का उपयोग कर रहे हैं, तो किराए और रूट की जानकारी पहले से प्राप्त कर लें, ताकि यात्रा के दौरान किसी भी भ्रम की स्थिति से बचा जा सके।
यात्रा की योजना बनाते समय मौसम का ध्यान रखें। सर्दियों का समय (नवंबर से मार्च) यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है, क्योंकि इस दौरान मौसम सुहावना रहता है और वन्यजीव देखने का अनुभव अधिक आनंददायक होता है।
सुहेलवा , उत्तर प्रदेश का नया बाघ अभयारण्य बनने की दिशा में
उत्तर प्रदेश में जल्द ही एक नया बाघ अभयारण्य स्थापित किया जाएगा। यह निर्णय, सुहेलवा वन्यजीव अभयारण्य में बाघों की उपस्थिति के ठोस प्रमाण मिलने के बाद लिया गया है। यह अभयारण्य बलरामपुर, श्रावस्ती और गोंडा ज़िलों में विस्तृत है।
यह अहम घोषणा पीलीभीत बाघ अभयारण्य (PTR) की 10वीं वर्षगांठ के समारोह के दौरान की गई।
केंद्र सरकार द्वारा अप्रैल 2023 में जारी बाघ गणना रिपोर्ट में पहली बार, सुहेलवा अभयारण्य में बाघों की फोटोग्राफ़िक उपस्थिति की पुष्टि की गई। यह प्रमाण, न केवल सुहेलवा की जैव विविधता के महत्व को रेखांकित करता है, बल्कि इसे उत्तर प्रदेश के प्रमुख बाघ संरक्षण क्षेत्रों में शामिल करने का भी मार्ग प्रशस्त करता है।

संदर्भ 
https://tinyurl.com/fece5pdm 
https://tinyurl.com/28y3h28e 
https://tinyurl.com/4hmsut32 
https://tinyurl.com/8h6e6c67 

चित्र संदर्भ

1. पेड़ पर बैठे एक तेंदुए को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. सुहेलवा वन्यजीव अभयारण्य में एक ग्रे लंगूर (gray langur) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. घास पर खड़ी एशियन ओपनबिल (Asian opebill) को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. जंगल से गुज़रती ट्रेन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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