प्रदर्शन कला (नाट्य कला) समाज व वहाँ की सभ्यता का प्रदर्शन करता है। भारत में कला के कई विभिन्न आयाम व रूप अलग-अलग समयकाल पर दिखाई देते हैं। जैसे मौर्यकाल, कुषाण काल, गुप्त काल व चोल काल आदि। प्रत्येक कलाओं कि अपनी एक विशिष्टता होती थी जो इनको एक दूसरे से पृथक करती हैं।
ऐतिहासिक काल के अलावा प्रागैतिहास काल व सिन्धु सभ्यता मे भी हमे कला के कई प्रमाण मिलतें हैं। प्रागैतिहासिकाल के नृत्यों के कई प्रकार चित्रकारियों के जरिये हमारे बीच मे उपस्थित हैं जो की नृत्य व इनके प्रति मानव के रुझान को प्रदर्शित करतें है। भीमबेटका के कई गुहाचित्रों मे हमे नृत्य व कर्मकाण्डों के साक्ष्य मिलते हैं।
मूर्तियों के संदर्भ में वी.एस.अग्रवाल जी ने अपनी पुस्तक “भारतीय कला” में भारतीय कला के विभिन्न आयामों के अध्ययन प्रस्तुत किये हैं। रंगमंच या रंगशालाओं का आविर्भाव भी प्राचीन काल से ही मानव समाज मे उपस्थित रहा है जिसका सीधा सम्बन्ध मूर्तियों व चित्रकारियों मे प्रदर्शित होता है। नटराज, नर्तक गणेश, नर्तक कृष्ण व मोहनजोदारो से प्राप्त नर्तकी आदि इसके प्रमुख उदाहरण हैं।
नाट्य कला का लखनऊ से एक गहरा सम्बन्ध है। यहाँ पर ख़याल व ध्रुपद गायकी के अलावा अन्य कई कलाप्रकार जैसे कविता, गायन व नृत्य का आविर्भाव हुआ। नृत्य व गायन कलाओं मे तवायफों का एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। ठुमरी, लोकगीत, व लोक कलाओं को लखनऊ मे एक विशिष्ट स्थान मिला।
नवाब सुजा-उद-दौला (1756-75) और असफ-उद-दौला (1775-97) के नेतृत्व मे कथक, जो की उत्तर भारत का मुख्य नृत्य है, विकसित हुआ। वाजिद शाह का छत्तर मंजिल महल गायन व नृत्य के लिये प्रयुक्त होता था। लखनऊ का भारतीय नाट्य व नृत्य मे अत्यन्त महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
यहाँ के लच्छू महाराज कई चलचित्रों नृत्यनिर्देशन किया जिसमे यहाँ के नृत्य का एक अनूठापन दिखता है। इनमे पाकीजा, मुग़ल-ए-आज़म, भरत मिलाप आदि कुछ प्रमुख चलचित्र हैं। कई चलचित्रों मे यहाँ के विभिन्न रहन सहन को भी प्रदर्शित किया गया है और लखनऊ को चित्रित किया गया है। यहाँ कि विरासत ने सभी को अपने करीब खींचा है।
मशहूर गायकों मे नौशाद, अनूप जलोटा, तलत महमूद व ब्रितानी पॉप गायक क्लिफ रिचर्ड का जन्म यहीं लखनऊ मे हुआ था जिन्होने गायकी के क्षेत्र में अपना एक अहम स्थान बनाया है।
1. द इंडस सिविलाइजेशन- ए कंटेम्पररी पर्सपेक्टिव: ग्रेगरी पोस्सेह्ल
2. ए रफ गाइड ऑफ़ इंडिया: डेविड अबराम
3. कथक- इन्डियन क्लासिकल डांस फॉर्म: सुनिल कोठारी