नवजीवन के प्रतीक अंडे लंबे समय से ईसाई त्योहार ईस्टर से जुड़े हुए हैं, यह त्योहार चर्चों में मसीह की मृत्यु और पुनर्जन्म के जश्न के रूप में मनाया जाता है। हालांकि, ईस्टर अंडे से जुड़े ईसाई रीति-रिवाज काफी हद तक वसंत संस्कार से संबंधित प्राचीन मूर्तिपूजा प्रथाओं से समानता रखते हैं। अंडा प्राचीन काल से ही 'प्रजनन', 'पुनर्जन्म' और 'आरंभ' का प्रतीक रहा है। मिस्र (Egypt) की पौराणिक कथाओं में, फीनिक्स (phoenix) ने अपने घोंसले में बचे अण्डों को जला दिया जिनसे बाद में पुनर्जन्म हो सकता था, हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार विश्व भी एक अण्डे (वैदिक दर्शन में हिरण्यर्भ (शाब्दिक रूप से 'सुनहरा गर्भ' या 'सुनहरा अंडा', जिसे 'सार्वभौमिक जीवाणु' के रूप में अनुवादित किया गया है) ब्रह्मांड की उत्पत्ति और प्रकटीकरण का स्त्रोत है।) से विकसित हुआ है. ईसाई धर्म के उदय के साथ, चर्च (church) ने कई बुतपरस्त (pagan) रीति-रिवाजों को अपनाया, जिसमें अंडों ने नवजीवन के प्रतीक के रूप में, पुनरुत्थान का प्रतिनिधित्व किया। कुछ ईसाइयों ने अंडे को समाधी या सेपुलचर (sepulchre) (एक छोटा कमरा या स्मारक, पत्थर को काटकर या पत्थर से निर्मित, जिसमें किसी मृत व्यक्ति को रखा या दफनाया गया हो) से लपेटे हुए पत्थर का प्रतीक माना। मैरी मैग्डलीन (Mary Magdalene) और द रेड एग (The Red Egg) एक प्रारंभिक ईसाई अंडे की कहानी मैरी मैग्डलीन के बारे में प्रसारित हुआ। जॉन (John) के सुसमाचार में, मैरी (Mary) यीशु (Jesus) के पुनरुत्थान का पहला गवाह थी, और परंपरा के अनुसार उसने अपना शेष जीवन मसीह की खुशखबरी सुनाते हुए बिताया। जैसे ही कहानी आगे बढ़ती है, मैरी मैग्डलीन ने रोमन सम्राट टिबेरियस (Roman Emperor Tiberias) को भी संबोधित किया। अपने हाथ में एक अंडा पकड़े हुए उसने घोषणा की, "मसीह उठ गए हैं!" सम्राट ने हंसते हुए कहा कि मसीह के पास मृतकों के उठने की उतनी ही संभावना थी जितनी कि अंडे के लाल होने की। जिसके बाद तुरंत ही मैरी के हाथ में अंडा चमकीला लाल हो गया। द एण्ड ऑफ दी लेंट एग (The End Of Lent Eggs) भी ईसाइयों को लेंटेन (Lenten) के उपवास के अंत और ईस्टर (Easter) पर उस अनुशासन के आनंदपूर्ण निष्कर्ष की याद दिलाता है।
आईए एक दार्शनिक अंश के माध्यम से समझते हैं पुनर्जन्म के महत्व को और अंडा इसमें कैसे एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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