एमएसजी (MSG) अथवा मोनोसोडियम ग्लूटामेट को औपचारिक भाषा में अजी-नो-मोटो भी कहा जाता है। यह एक ज़बरदस्त स्वादवर्धक है। यह एक प्रकार का गैर ज़रूरी एमिनो एसिड है, जो व्यापक रूप से हमारे आस -पास के प्राकृतिक फलों-सब्जियों में पाया जाता है। मोनोसोडियम ग्लूटामेट को सामान्यतः टमाटर, मशरूम, मक्खन, आलू इत्यादि फलों से प्राकृतिक रूप में प्राप्त कर सकते हैं।
इसका उपयोग किसी भी व्यंजन को और अधिक स्वादिष्ट बनाने अथवा उसका स्वाद बढ़ाने हेतु किया जाता है। व्यंजन बाजार में इसको एक जापानी शब्द अजी-नो-मोटो (“स्वाद का सारांश”) के नाम से जाना जाता है। चाइनीज़, जैपनीज और कोरियन व्यंजनों के साथ इसका प्रचुरता से इस्तेमाल किया जाता है। अजीनोमोटो का चिली चिकन, चिली पनीर, फ्राइड राइस, चिकन सूप, चिकन मंचूरियन और ऐसे ढेरों चाइनीज़ व्यंजनों में स्वाद वर्धक के रूप में उपयोग किया जाता है।
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● एमएसजी (MSG) को स्ट्रीट फ़ूड, फ़ास्ट फ़ूड और अन्य कई बड़ी फूड चैन कम्पनियां अपने व्यपारिक भोज्य पदार्थों में स्वाद उत्प्रेरक के रूप में उपयोग करती हैं।
● बर्गर, पिज़्ज़ा और चाउमीन, मोमो जैसे चाइनीज़ फ़ास्ट फ़ूड में इसका इस्तेमाल होता है।
● सोया सॉस, केचप, बार्बेक्यू सॉस, और कुछ अन्य तरह के सलाद में भी अजीनोमोटो पाया जाता है।
● जमे हुए अधिकांश भोजन में भी यह उपस्थित रहता है।
● चिप्स और स्नैक्स जैसे कुछ उत्पाद में भी मोनोसोडियम ग्लूटामेट पाया जाता है। और उनके स्वाद को चटपटा बनाए रखता है।
किसी भी जागरूक उपभोक्ता के लिए खासकर ऐसे लोग जिनका भोज्य पदार्थों के प्रति खास लगाव है। उनके लिए इस विषय पर जानना रुचिकर रहेगा। एमएसजी एक विवादित स्वाद उत्प्रेरक के रूप में भी प्रचारित है। समय-समय पर इससे जुड़ी खबरें सोशल मीडिया पर वायरल होती रहती हैं। अजीनोमोटो को कई शोधों में हानिकारक स्वाद वर्धक के रूप में बताया गया है। अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (यूएसएफडीए) न अपने एक शोध में एमएसजी को सामान्य मात्रा से उपयोग किये जाने पर एक सुरक्षित अवयव बताया है। परन्तु अधिक मात्रा में उपयोग किये जाने पर यह सिरदर्द, मिथली और सामान्य परेशानी का सबब बन सकता है। जिसे "चीनी रेस्तरां सिंड्रोम" नाम से भी जाना जाता है। परन्तु कई अन्य वैज्ञानिक शोध इस बात का भी खंडन करते हैं। खाद्य मानक ऑस्ट्रेलिया न्यूजीलैंड (एपएसएएनजेड) ने प्रमाण प्रस्तुत करते हुए से स्वास्थ पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों को सिरे से नकारा है। तथा इसे सामान्य रूप से उपयोग किये जाने पर सुरक्षित स्वाद वर्धक बताया है।
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भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने भारत में एमएसजी से जुड़ा एक विनियमन (Regulation) जारी किया । एफएसएसआर द्वारा जारी विनियमन 2.2.1: 1 के अनुसार यदि कोई प्रे-पैकेजिंग उत्पाद अपने पैकेट की प्रिंटिंग में किसी भी प्रकार से उत्पाद में मौजूद एमएसजी (MSG) से जुड़ी कोई भी भ्रामक जानकारी छापता है, तो वह दंड की श्रेणी में आता है। साथ ही यदि सामान्य मात्रा में मौजूद के पश्चात भी वह अपने पैकेट में "MSG नहीं है" भी प्रिंट नहीं कर सकता। (FSSAI) ने यह कदम स्वास्थ्य मानकों को लेकर चर्चा में आई “मैगी” के विवादित मुद्दे के बाद उठाया।
तकरीबन 100 से भी अधिक सालों से व्यंजनों को स्वादिष्ट और अधिक जायकेदार बनाने हेतु एमएसजी (MSG) अथवा मोनोसोडियम ग्लूटामेट का इस्तेमाल होता आया है। भोज्य पदार्थों से संबंधित अधिकतर राष्ट्रीय तथा अंतर्राष्ट्रीय निकायों ने अजी-नो-मोटो को उचित मात्रा में उपयोग किये जाने पर मानव शरीर के लिए सुरक्षित पाया है। शोधकर्ताओं के अनुसार इससे केवल 5% लोगों पर कुछ साधारण से बुरे लक्षण आते हैं परन्तु मीडिया और इंटरनेट इसे बेहद हानिकारक स्वाद उत्प्रेरक के रूप में दिखाया जाना अतिशयोक्ति होगी। परन्तु आवश्यकता से अधिक किसी भी वस्तु का प्रयोग निश्चित रूप से हानिकारक साबित हो सकता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3mfhw33
https://bit.ly/31FSnF5
https://bit.ly/3wpxNqU
https://bit.ly/3rGzb4M
चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र में मंचूरियन के साथ अजीनोमोटो दिखाया गया है। (फ़्लिकर)
दूसरा चित्र अजीनोमोटो दिखाया गया है। (विकिमेडिया)
तीसरा चित्र चीनी-नूडल्स और मोमोज दिखाया गया है। (पिक्सहिव)