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शहरीकरण अपने साथ मानव जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करता है तथा इनमें अपराध भी एक है। विभिन्न प्रकार के अध्ययनों से यही निष्कर्ष निकलता है कि, अपराध दर और शहरों के आकार के बीच एक सकारात्मक संबंध है। शहर जितना बड़ा होगा, अपराध दर भी उतनी ही अधिक होगी। अपराधों के प्रकार भी ग्रामीण क्षेत्रों से शहरी क्षेत्रों में काफी भिन्न होते हैं। आर्थिक अपराध जैसे संपत्ति चोरी, वाहनों की चोरी, जेब काटना, धोखा देना आदि ग्रामीण क्षेत्रों की तुलना में शहरी क्षेत्रों में अधिक हैं। हत्या, शारीरिक हिंसा आदि अपराध भी ग्रामीण क्षेत्रों में अपेक्षाकृत दुर्लभ हैं। विभिन्न कारकों के कारण लोग विभिन्न क्षेत्रों से आकर शहरों में बसते हैं। किंतु जैसे-जैसे शहरीकरण में वृद्धि होती है, वैसे-वैसे अपराध दर की समस्या में भी वृद्धि होती जाती है। शहरों में अपराध बढ़ने के परिणामस्वरुप यहां की शान्ति और धीरज भंग होता है तथा शहर, लोगों के लिए विशेष रूप से महिलाओं के लिए असुरक्षित हो जाते हैं। बढ़ती भौतिकता, उपभोक्तावाद, रोजमर्रा की जिंदगी में प्रतिस्पर्धा, स्वार्थ, लालसा, भयावह सामाजिक-आर्थिक विषमताएं, बढ़ती बेरोजगारी और भीड़ में अकेलेपन की भावना आदि ऐसे कारक हैं, जो शहरों में अपराधों के बढ़ने का मुख्य कारण हैं। इन अपराधों में जहां गरीब, वंचित और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले लोग शामिल हैं, वहीं अच्छे समृद्ध परिवारों के युवा भी इसमें संलग्न होते हैं, जो आसानी और जल्दी से पैसा कमाने तथा भव्य जीवन की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए अपराध में शामिल हो जाते हैं। जीवन में प्राप्त होने वाली असफलताएं भी युवाओं को अपराध की ओर ले जाती हैं। वर्तमान दुनिया में शहरी अपराध की समस्या अधिक जटिल होती जा रही है, क्योंकि अपराधियों को अक्सर शहरी समाज के राजनेताओं, नौकरशाहों और कुलीन वर्ग से संरक्षण प्राप्त होता है। कुछ अपराधी अपने पैसे और बाहुबल का इस्तेमाल करके उच्च राजनैतिक पदों पर पहुँच जाते हैं। 1983 में किए गये एक अध्ययन के अनुसार, बलात्कार, हत्या, अपहरण, डकैती, चोरी आदि जैसे हिंसक शहरी अपराध देश के उत्तरी-मध्य भागों में अधिक स्पष्ट थे। यहां तक कि, आर्थिक अपराध (जैसे चोरी, धोखा, विश्वासघात आदि) भी उत्तर-मध्य क्षेत्र में अपेक्षाकृत अधिक केंद्रित थे। गरीबी से संबंधित अपराध मुख्य रूप से पटना, दरभंगा, गया और मुंगेर शहरों में व्यापक हैं, जिसका मुख्य कारण यहां व्याप्त व्यापक गरीबी है। हालांकि, कुछ नवीन सर्वेक्षणों से पता चलता है कि, मुंबई और दिल्ली उन 35 शहरों में से एक हैं, जहां अपराध दर सबसे अधिक दर्ज की गयी है।
अक्टूबर 2019 में, भारत के राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (National Crime Records Bureau - NCRB) ने वर्ष 2017 के लिए अपराध के आंकड़े जारी किए तथा इन्हें विभिन्न प्रकारों के अपराधों में वर्गीकृत किया। भारतीय दंड संहिता (Indian Penal Code - IPC) अपराधों के मामले में, दिल्ली शहर की अपराध दर प्रति लाख जनसंख्या के आधार पर (1,306) किसी भी अन्य शहरी समूह से अधिक थी। इसके बाद कोच्चि, पटना, जयपुर और लखनऊ का स्थान था, जहां, अपराध दर क्रमशः 809, 751, 683 और 600 थी। IPC अपराधों के संबंध में सबसे कम अपराध दर कोलकाता (141), कोयंबटूर (144), हैदराबाद (187), मुंबई (212) और चेन्नई (221) में दर्ज की गयी। घातक हमलों (जिनमें अंततः लोगों की मौत हुई), के अपराध में, पटना शहर सूची में सबसे ऊपर था, जहां हत्याओं की अपराध दर 9 प्रतिशत थी। इसके बाद नागपुर (8), इंदौर, जयपुर और बेंगलुरु (3-3) का स्थान था। घातक हमलों की सबसे कम अपराध दर कोझीकोड, कोच्चि, कोलकाता, मुंबई और हैदराबाद में दर्ज की गयी। इस प्रकार दक्षिणी शहरी समूह की तुलना में IPC अपराध दर के मामले उत्तरी शहरी समूह में लगभग दो गुना अधिक थे। अपहरण के मामले में भी दिल्ली 32 प्रतिशत की दर से सबसे ऊपर था।
इसके बाद इंदौर (31), पटना (27), लखनऊ (24) और गाजियाबाद (23) का स्थान था। कोयम्बटूर, चेन्नई, कोझीकोड, कोच्चि और कोलकाता में अपहरण के मामले अपेक्षाकृत सबसे कम दर्ज किये गये। इस प्रकार अपहरण के मामले में उत्तरी क्षेत्रों में दक्षिणी क्षेत्रों की तुलना में अपराध दर सात गुना अधिक पायी गयी। महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में लखनऊ की अपराध दर सबसे अधिक (179) थी, इसके बाद दिल्ली (152), इंदौर (130), जयपुर (128) और कानपुर (118) का स्थान था। सबसे कम दरें कोयंबटूर (7), चेन्नई (15), सूरत (28), कोलकाता (29) और कोझीकोड (33) से दर्ज की गयी। इस मामले में भी दक्षिणी शहरी समूहों की तुलना में उत्तरी शहरी समूहों में तीन गुना अधिक अपराध दर दर्ज किया गया। बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए, दिल्ली 35 प्रतिशत की अपराध दर के साथ पहले स्थान पर था, इसके बाद मुंबई (19), बेंगलुरु (8), पुणे (7) और इंदौर (4) का स्थान था। सबसे कम दरें कोयम्बटूर, गाजियाबाद, पटना, कोच्चि और कोझीकोड में दर्ज की गई। वरिष्ठ नागरिकों के मामले में अपराध दर की बात की जाए तो, यह मुंबई में सबसे अधिक थी। इसके बाद दिल्ली (20), अहमदाबाद (14), चेन्नई (13) और बेंगलुरु (5) का स्थान था, जबकि कानपुर, इंदौर, कोझीकोड, गाजियाबाद और पटना जैसे शहरों में यह दर अपेक्षाकृत कम दर्ज की गयी। उपरोक्त सभी आंकड़ों के विश्लेषण से यह पता चलता है कि, अपराध दर ऐसे शहरों में अधिक मौजूद है, जहां शहरीकरण तीव्र गति से हो रहा है। इस प्रकार शहरीकरण और अपराध के बीच सम्बन्ध को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
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