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हमारे शहर के लोग जानते होंगे कि, रमज़ान सिर्फ़ रोज़ा रखने और इबादत करने का महीना नहीं है, बल्कि यह आत्मचिंतन, भक्ति और सामूहिक जश्न का भी समय होता है। पूरे महीने, हमारे शहर की रौनक देखते ही बनती है। लेकिन जब बात हैदराबाद की आती है, तो यहाँ पर रमज़ान कुछ अलग ही अंदाज़ में मनाया जाता है। रमज़ान के दौरान, हैदराबाद के रात्रि बाज़ार एक अलग ही रंग में रंगा नज़र आते हैं । ख़ासकर पुराने शहर में, जैसे ही सूरज डूबता है, ये बाज़ार फिर से जीवंतता से भर उठते हैं। संकरी गलियों में दुकानें सज जाती हैं, जहाँ कपड़े, ज़ेवरात, स्ट्रीट फ़ूड और मिठाइयाँ हर तरफ़ दिखाई देती हैं। इन बाज़ारों की फ़िज़ा में कबाब, हलीम और बिरयानी की ख़ुशबू घुल जाती है। इस पाक मौके पर हलीम को सबसे ज़्यादा पसंद किया जाता है। चारों तरफ़ खाने-पीने का उत्साह और रौनक छाई रहती है।
तो चलिए, ऊपर दी गई वीडियो में देखते हैं कि हैदराबाद में रमज़ान का माहौल कैसा होता है।
पूरे दिन रोज़ा रखने के बाद, शाम को घरवाले और दोस्त मिलकर इफ़्तार करते हैं। यह सिर्फ़ खाने का नहीं, बल्कि अपनापन और भाईचारे का लम्हा भी होता है। लोग मिलकर हंसी-मज़ाक़ करते हैं, बातें होती हैं, और बर्तनों की आवाज़ माहौल को और भी रूहानी बना देती है। रमज़ान की रातें सिर्फ़ बाज़ारों और खाने तक महदूद नहीं रहतीं, बल्कि पूरे शहर की मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ का भी ख़ास महत्व होता है। रमज़ान के हर रोज़ मुसलमान मस्जिदों में इकट्ठा होकर क़ुरआन पढ़ते हैं और दुआ माँगते हैं। यह वक़्त इबादत और आत्मचिंतन का होता है, जब लोग अपनी रूहानियत को और मज़बूत करने की कोशिश करते हैं।
रमज़ान के दौरान, हैदराबाद का पुराना शहर एक अलग ही रंग में रंग जाता है। इस दौरान, चारमीनार के आसपास का इलाक़ा रोशनी और रौनक से भर जाता है। यहाँ हर तरफ़ लोग ख़रीदारी करते, इफ़्तार की तैयारियों में लगे और बाज़ारों में घूमते नज़र आते हैं। रमज़ान में खाने-पीने का ख़ास महत्व होता है। चारमीनार के पास आपको हर कोने पर लज़ीज़ बिरयानी, मसालेदार समोसे, कबाब और पारंपरिक रमज़ानी पकवान बेचने वाले फ़ूड स्टॉल मिलेंगे। रमज़ान के मौके पर यहाँ के बाज़ारों में कपड़ों की भी ख़ूब बिक्री होती है। टी- शर्ट्स, जैकेटों से लेकर रमज़ान-विशेष पोशाक तक, हर किसी के लिए कुछ न कुछ मौजूद रहता है। रमज़ान के दौरान दही वड़ा, मिर्ची बज्जी, खजूर और दूसरे पारंपरिक स्नैक्स की मांग बहुत बढ़ जाती है। लोग इन्हें इफ़्तार के लिए ख़रीदते हैं और अपने अज़ीज़ों के साथ मिल-बाँटकर खाते हैं।
हैदराबाद की पहचान, उसके लज़ीज़ पकवानों और समृद्ध खान-पान संस्कृति से है। उन्हीं में से एक मशहूर नाम "आमदान" है, जो दुनिया के सबसे बड़े हलीम निर्माताओं में से एक है। इस ब्रांड ने न सिर्फ़ अपनी बेहतरीन हलीम से लोगों का दिल जीता है, बल्कि अपनी 25 साल पुरानी परंपरा और बेहतरीन क्वालिटी के कारण बाज़ार में एक बड़ी पहचान बनाई है। हलीम बनाने की प्रक्रिया बेहद मेहनत और सब्र का काम है। इसे तैयार करने में 8 घंटे से ज़्यादा वक़्त लगता है। इस हलीम में आला दर्ज़े की दालें, गोश्त, मसाले और ख़ालिस घी का इस्तेमाल किया जाता है।
आइए देखते हैं यह व्यंजन कैसे बनता है ।
रमज़ान का महीना, सिर्फ़ इबादत का वक़्त नहीं होता, बल्कि यह सेवा, भलाई और आपसी भाईचारे को बढ़ावा देने का भी एक ज़रिया है। इस अगले वीडियो में आप देखेंगे कि किस तरह नौजवान मिलकर इस जज़्बे को आगे बढ़ा रहे हैं।
मक्का मस्जिद और हैदराबाद की दूसरी मस्जिदों में रमज़ान के दौरान नमाज़-ए-तरावीह अदा की जाती है। यह वक़्त इबादत और आध्यात्मिक सुकून का होता है। हैदराबाद की तारीख़ी मक्का मस्जिदऔर दूसरी मस्जिदों में रमज़ान के दौरान ख़ास मजहबी प्रोग्राम होते हैं। इस वीडियो में हम उन अहम बातों को आसान ज़ुबान में समझेंगे, जो अरबी मर्तबा में बताई गई हैं।
आइए, अब इस वीडियो के ज़रिए नमाज़-ए-तरावीह के बारे में तफ़्सील से जानते हैं।
संदर्भ:
https://tinyurl.com/49h3n32p
https://tinyurl.com/5n73y7ev
https://tinyurl.com/44yrs4wt
https://tinyurl.com/y8wn49k4
https://tinyurl.com/3h9d8znc
https://tinyurl.com/2223pwvt
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