सही नियमों को समझकर, मराठी बोलना, आपके लिए बच्चों का एक खेल बन सकता है!

ध्वनि 2- भाषायें
21-02-2025 09:18 AM
सही नियमों को समझकर, मराठी बोलना, आपके लिए बच्चों का एक खेल बन सकता है!

दुनिया भर में लगभग 90 मिलियन (9 करोड़) लोग मराठी बोलते हैं, जबकि भारत में यह संख्या, लगभग 68 मिलियन (6.8 करोड़) है।यह भारत की चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है और विश्व स्तर पर 15 वें स्थान पर आती है।उत्तर प्रदेश के कानपुर, वाराणसी, लखनऊ, प्रयागराज (इलाहाबाद) और झांसी जैसे शहरों में भी कुछ लोग मराठी बोलते हैं।मराठी भाषा की जड़ें, महाराष्ट्रीय प्राकृत में हैं।इसका सबसे पुराना प्रमाण, पश्चिमी घाट के नानेघाट में मिला है, जहाँ पहली शताब्दी ईसा पूर्व का एक शिलालेख मौजूद है। इसमें सातवाहन वंश (दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व से तीसरी शताब्दी ईसवी) का विवरण लिखा गया है।यह भाषा, देवनागरी लिपि की बालबोध शैली में लिखी जाती है।इस अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के अवसर पर, आइए, मराठी भाषा की उत्पत्ति और विकास को समझें। हम इसकी वर्णमाला को सीखने का भी प्रयास करेंगे। इसके बाद, हम भारत के उन क्षेत्रों को जानेंगे जहाँ मराठी की विभिन्न बोलियाँ, बोली जाती हैं। अंत में, हम मराठी में लिखने का अभ्यास करेंगे और इसे सीखने के कुछ उपयोगी टिप्स और ट्रिक्स पर ध्यान देंगे।

मराठी वर्णमाला समूह | चित्र स्रोत : Wikimedia

चलिए, शुरुआत मराठी भाषा की उत्पत्ति और विकास के साथ करते हैं: 

मराठी भाषा, महाराष्ट्री प्राकृत से विकसित हुई, जो प्राचीन काल में दक्कन क्षेत्र में व्यापक रूप से बोली जाती थी। प्राकृत भाषाएँ आम जनता की भाषा थीं, जबकि संस्कृत कुलीन और विद्वानों की भाषा मानी जाती थी। महाराष्ट्री प्राकृत, लगभग 500 ईसा पूर्व से 500 ईस्वी तक प्रचलित रही। यह मराठी भाषा के लिए मजबूत भाषाई आधार बनी। यद्यपि मराठी की जड़ें प्राकृत में थीं, लेकिन इस पर संस्कृत का भी गहरा प्रभाव पड़ा। विशेष रूप से इसकी शब्दावली और व्याकरण में संस्कृत के कई तत्व देखने को मिलते हैं।

चित्र स्रोत : Wikimedia

प्रारंभिक मराठी साहित्य: मराठी भाषा के सबसे पुराने लिखित अभिलेख, 8वीं शताब्दी ईस्वी के माने जाते हैं। ये शिलालेख, मुख्य रूप से तांबे की पट्टियों और पत्थरों पर अंकित मिले हैं। मराठी साहित्य की प्रारंभिक महत्वपूर्ण रचनाओं में "विक्रमार्जुन विजया" शामिल है, जिसे आदिकवि पंपा ने लिखा था।

यादव राजवंश और मराठी का उत्थान: 12वीं से 14वीं शताब्दी के दौरान, यादव वंश के शासन में मराठी भाषा को राजकीय भाषा का दर्जा मिला। इस समय कई धार्मिक ग्रंथों और कविताओं की रचना हुई, जिससे मराठी साहित्य को समृद्धि मिली।

भक्ति आंदोलन और मराठी साहित्य: 13वीं शताब्दी में भक्ति आंदोलन ने मराठी भाषा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। संत ज्ञानेश्वर, नामदेव और एकनाथ जैसे संतों ने मराठी में भक्ति गीत और कविताएँ लिखीं। इससे यह भाषा, आम जनता के बीच और अधिक लोकप्रिय हो गई।

मराठा साम्राज्य में मराठी का विस्तार: 17वीं शताब्दी में मराठा साम्राज्य का उदय हुआ। इस दौरान, मराठी को एक प्रशासनिक भाषा का दर्जा मिला।

छत्रपति शिवाजी महाराज और मराठी: छत्रपति शिवाजी महाराज ने मराठी भाषा के आधिकारिक उपयोग को बढ़ावा दिया। उन्होंने इसे प्रशासनिक कार्यों में इस्तेमाल करवाया और कई महत्वपूर्ण ग्रंथों का मराठी में अनुवाद भी कराया।

विश्व मराठी साहित्य सम्मेलन 2023 | Source : Wikimedia

मराठा काल में साहित्यिक योगदान: मराठा शासन के दौरान, इतिहास, कविता और धार्मिक ग्रंथों का समृद्ध साहित्य विकसित हुआ। इस युग की कुछ प्रमुख कृतियाँ– "शिवभारत" (कविंद्र परमानंद द्वारा लिखित) और "भावार्थ रामायण" (संत एकनाथ द्वारा रचित) आदि थीं।

ब्रिटिश औपनिवेशिक काल और मराठी भाषा: ब्रिटिश शासन के दौरान, मराठी भाषा में कई परिवर्तन हुए। पश्चिमी शिक्षा और प्रिंटिंग प्रेस की शुरुआत ने इसके प्रसार को बढ़ावा दिया।

प्रिंटिंग प्रेस का प्रभाव: 1802 में ईसाई मिशनरियों ने पहली मराठी प्रिंटिंग प्रेस स्थापित की। इसके बाद, मराठी में कई पुस्तकें, समाचार पत्र और पत्रिकाएँ प्रकाशित होने लगीं।

शैक्षणिक सुधार: ब्रिटिश सरकार ने औपचारिक शिक्षा प्रणाली शुरू की। इसमें मराठी भाषा को भी स्कूलों में पढ़ाया जाने लगा। इससे भाषा का मानकीकरण हुआ और यह अधिक लोगों तक पहुँची।

आइए, अब मराठी की वर्णमाला को समझते हैं

मराठी भाषा में वर्णमाला को दो भागों (स्वर और व्यंजन) में बाँटा जाता है। यह भाषा, संस्कृत से प्रभावित है और इसके उच्चारण में कई समानताएँ देखी जा सकती हैं। मराठी ने अपने ध्वन्यात्मक नियमों को समय के साथ विकसित किया है, जिससे यह एक विशिष्ट भाषा बन गई है।

मराठी में स्वर (vowel) महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसमें कुल 14 स्वर होते हैं। प्रत्येक स्वर का उच्चारण स्पष्ट, शुद्ध और अपरिवर्तित रहता है। इस भाषा ने संस्कृत के उच्चारण की विशेषताओं को बनाए रखा है और अपनी ध्वन्यात्मकता को भी विकसित किया है।

पुणे में आयोजित मुस्लिम मराठी साहित्य सम्मेलन, २०१९ को संबोधित करते एफ़ एम शाहजिंदे
 | चित्र स्रोत : Wikimedia

 स्वतंत्र स्वर (Independent Vowels)

मराठी भाषा में निम्नलिखित स्वतंत्र स्वर होते हैं: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अः, ऋ, ॠ

आश्रित स्वर (Dependent Vowels)

मराठी में आश्रित स्वर भी होते हैं, जो व्यंजनों के साथ मिलकर उच्चारण को पूर्ण करते हैं। 
ये स्वर निम्नलिखित हैं: अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ॄ, ए, ऐ, ओ, औ

स्वर और व्यंजन के मेल से ही किसी भी शब्द का सही उच्चारण संभव होता है।

मराठी में व्यंजन (consonants) को "व्यंजन अक्षर" कहा जाता है। इसमें कुल 36 व्यंजन होते हैं। स्वर और व्यंजन मिलकर शब्दों का निर्माण करते हैं। उदाहरण के लिए, मराठी शब्द "सूरज" को देखें –

स (s) → व्यंजन

ऊ (ū) → स्वर

र (r) → व्यंजन

ज (j) → व्यंजन

इन सभी अक्षरों के संयोजन से "सूरज" शब्द बनता है, जिसका अर्थ "सूर्य" होता है।

मराठी व्यंजन सूची

मराठी में निम्नलिखित 36 व्यंजन होते हैं:

क, ख, ग, घ, ङ

च, छ, ज, झ, ञ

ट, ठ, ड, ढ, ण

त, थ, द, ध, न

प, फ, ब, भ, म

य, र, ल, व

श, ष, स, ह

ळ, क्ष, ज्ञ

प्रत्येक व्यंजन का उच्चारण स्पष्ट होता है और ये शब्दों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

मराठी अंक: मराठी भाषा में संख्याओं को लिखने के लिए अपनी स्वयं की लिपि का उपयोग किया जाता है। दक्षिण एशियाई भाषाओं की तरह मराठी में भी संख्याएँ दशमलव पद्धति में लिखी जाती हैं। यहाँ अंकों लैटिन अंकों (1, 2, 3...) के बजाय पारंपरिक देवनागरी अंकों का प्रयोग करता है।

मराठी अंकों की सूची इस प्रकार है:

०, १, २, ३, ४, ५, ६, ७, ८, ९

मराठी भाषा में इन अंकों का प्रयोग, गणना, लेखन और दैनिक जीवन में किया जाता है।

विभिन्न मराठी बोलियां और उनके क्षेत्र

मराठी भाषा की विभिन्न बोलियाँ, अलग-अलग क्षेत्रों में बोली जाती हैं। प्रत्येक क्षेत्र की अपनी विशिष्ट बोली होती है। नीचे मराठी की प्रमुख बोलियाँ और उनसे संबंधित क्षेत्र दिए गए हैं:

दक्षिण कोंकण – सिंधुदुर्ग, रत्नागिरी, कोल्हापुर

रायगढ़ क्षेत्र – रायगढ़, ठाणे

ठाणे क्षेत्र – ठाणे

खानदेश क्षेत्र – पालघर, नासिक, धुले, नंदुरबार, जलगांव

वरहाड़ क्षेत्र – बुलढाणा, अकोला, वाशिम

पश्चिम विदर्भ – अमरावती, वर्धा, नागपुर, यवतमाल, वाशिम

पूर्वी विदर्भ – नागपुर, गोंदिया, भंडारा, चंद्रपुर, गढ़चिरौली

पूर्वी मराठवाड़ा – परभणी, हिंगोली, नांदेड़

उत्तर-मध्य महाराष्ट्र – औरंगाबाद, अहमदनगर, जालना, नासिक

दक्षिण-मध्य महाराष्ट्र – पुणे, सतारा

पूर्वी महाराष्ट्र – कोल्हापुर, सांगली, सोलापुर, बीड, उस्मानाबाद

द्रविड़ पूर्वी महाराष्ट्र – सांगली, सोलापुर, उस्मानाबाद, लातूर, नांदेड़

हर क्षेत्र की बोली, वहाँ की संस्कृति, परंपरा और लोगों के बोलने के तरीके से प्रभावित होती है। इन विविध बोलियों से मराठी भाषा, और अधिक समृद्ध बनती है।

मराठी कैसे सीखें?

मराठी भाषा सीखने के लिए सही दिशा में अभ्यास करना ज़रूरी है। इसे आसान बनाने के लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन करें।

1.) प्राथमिक व्यक्तिगत सर्वनाम याद करें

मराठी में कुछ महत्वपूर्ण सर्वनाम हैं:

मी (मैं)

तू (तुम)

तो (वह – पुरुष)

ति (वह – स्त्री)

ते [पु.] / या [स्त्री.] (वे)

आम्ही / आपण (हम)

मराठी भाषा में पुरुष और स्त्रीलिंग के लिए अलग-अलग सर्वनाम होते हैं। इसके अलावा, कुछ संज्ञाओं के लिए, नपुंसक लिंग भी होता है, जो आमतौर पर "ई" पर समाप्त होता है। उदाहरण के लिए, "घोड़ा" (पुल्लिंग) नपुंसक रूप में "घोड़े" बन जाता है, जिसमें कोई विशेष लिंग नहीं होता।

2.) अप्रत्यक्ष वस्तु रूपों को समझें

वाक्य में अप्रत्यक्ष वस्तु वह होती है, जो किसी कार्य का प्रभाव प्राप्त करती है। उदाहरण के लिए, वाक्य "कैशियर ने मुझे रसीद दी" में "मुझे" अप्रत्यक्ष वस्तु है। मराठी में, जब ये सर्वनाम अप्रत्यक्ष रूप में आते हैं, तो ऐसे बदल जाते हैं:

माला (मुझे)

तुला (तुम्हें)

त्याला (उसे – पुरुष)

तिला (उसे – स्त्री)

आम्हाला (हमें)

ते/त्यांना (उन्हें)

3.) सही वाक्य संरचना को समझें

मराठी वाक्य संरचना, हिंदी से थोड़ी अलग होती है। इसमें वाक्य का क्रम विषय + वस्तु + क्रिया रहता है।

उदाहरण:

"मैं मराठी बोलता हूँ" = "मी मराठी बोलतो"

"उसने उसे पत्र लिखा" = "तिने त्याला पत्र लिहिले"

"वह अंग्रेज़ी बोलता है" = "तो इंग्रज़ी बोलतो"

इस संरचना को समझने से वाक्य बनाना आसान हो जाता है।

4.) सामान्य संज्ञाओं से परिचित हों

प्रारंभ में कुछ आम संज्ञाओं को याद करना उपयोगी होता है। उदाहरण के लिए:

"आदमी" = पुरुष

"महिला" = स्त्री

"बिल्ली" = मांजर

"घर" = घर

"जूते" = बूट

"नाश्ता" = न्याहारी

इन शब्दों को रोज़मर्रा की बातचीत में उपयोग करने की कोशिश करें।

5.) महत्वपूर्ण वाक्यांश सीखें

कुछ उपयोगी मराठी वाक्यांश जो रोज़मर्रा में काम आएंगे:

"नमस्कार" = हैलो

"येतो" [पुरुष] / "येटे" [स्त्री] = अलविदा

"तुम्हाला भेटून आनंद झाला" = आपसे मिलकर खुशी हुई

"आभारी आहे" = धन्यवाद

" माफ़ करा" = क्षमा करें

"मला समजले नाही" = मुझे समझ नहीं आया

"पुन्हा सांगा" = कृपया फिर से कहें

"संडास कुठे आहे?" = टॉयलेट कहां है?

 

संदर्भ 

https://tinyurl.com/29h24wdf

https://tinyurl.com/2af4qlsk

https://tinyurl.com/2a6faurq

https://tinyurl.com/27679wdz

मुख्य चित्र: विकिपीडिया द्वारा आयोजित राज्य स्तरीय मराठी संपादन कार्यशाळा : (Wikimedia)

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