शुरुआत से ही चेंबर ऑफ़ कॉमर्स का प्राथमिक उद्देश्य रहा है, स्थानीय व्यवसायों का समर्थन करना

आधुनिक राज्य: 1947 से अब तक
20-02-2025 09:23 AM
शुरुआत से ही चेंबर ऑफ़ कॉमर्स का प्राथमिक उद्देश्य रहा है, स्थानीय व्यवसायों का समर्थन करना

क्या आप जानते हैं कि, 'चेंबर ऑफ़ कॉमर्स' एक ऐसा नेटवर्क या संगठन होता है, जिसमें स्थानीय व्यापार मालिक और उद्यमी शामिल होते हैं। ये संगठन, अपने सदस्यों के हितों को बढ़ावा देने और उनकी रक्षा करने के लिए, आमतौर पर एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र या उद्योग क्षेत्र के भीतर बने होते हैं। चेंबर ऑफ़ कॉमर्स का प्राथमिक उद्देश्य व्यावसायिक समुदाय का समर्थन करना और नीतियों की वकालत करना है, जो एक स्वस्थ व्यावसायिक वातावरण के लिए अनुकूल हों। हालांकि, यह भी सत्य है कि, व्यवसायों के फलने-फूलने के लिए प्रोत्साहन के साथ-साथ विज्ञापन और प्रचार की आवश्यकता होती है। इसमें मुख्य भूमिका आती है शहर से संबंधित येलो पेज और ई-कार्ड्स की। आपको यह जानकर गर्व होगा कि, भारत की पहली हिंदी येलो पेज और ई-कार्ड्स पहल की शुरुआत, प्रारंग द्वारा की गई है।  हमारे  जौनपुर के पोर्टल पर  इनके उपयोग बारे में भी बताया गया है। यहां निःशुल्क खाता खोलने और शहर में अपने उत्पादों को साझा करने के लिए आपको बस एक मोबाइल नंबर की आवश्यकता है। हमारे शहर जौनपुर के लिए आप इस लिंक पर क्लिक करके पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं: 

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तो आइए, आज चेंबर्स ऑफ़ कॉमर्स की शुरुआत के बारे में जानते हैं और यह समझने का प्रयास करते हैं कि चेंबर ऑफ़ कॉमर्स को अपने कार्यकाज के लिए धन कहां से प्राप्त होता है। इस संदर्भ में, हम इस बात पर भी चर्चा करेंगे कि क्या भारत में  चेंबर्स ऑफ़ कॉमर्स को अपने राजस्व को उत्पन्न करने के तरीके से फिर से विचार करने की आवश्यकता है। इसके साथ ही, हम बंगाल चेंबर ऑफ़ कॉमर्स की उत्पत्ति, उद्देश्यों और इसके सदस्यों के बारे में जानेंगे।

Source: flickr

चेंबर ऑफ़ कॉमर्स की शुरुआत:

हालांकि, जबसे वाणिज्य अस्तित्व में है, तब से ही व्यापारियों ने अपने हितों की रक्षा के लिए एक साथ मिलकर संगठनों में कार्य किया है। लेकिन, किसी भी ऐसे संगठन के लिए "चेंबर ऑफ़ कॉमर्स" शब्द का पहला ज्ञात उपयोग मार्सिले,  फ़्रांस में हुआ, जहां 17 वीं शताब्दी के अंत में नगर परिषद द्वारा इस तरह के एक संगठन की स्थापना की गई थी। यद्यपि ये संगठन व्यवसायों के संघ थे, ये अक्सर अर्ध-सार्वजनिक एजेंसियों के रूप में काम करते थे, और व्यापार के संबंध में प्रशासनिक और न्यायिक शक्तियों के साथ निहित थे।

अमेरिकी महाद्वीप में सबसे पुराना चेंबर ऑफ़ कॉमर्स न्यूयॉर्क में 1768 में बीस न्यूयॉर्क व्यापारियों के एक समूह द्वारा आयोजित किया गया एक राज्यव्यापी चेंबर था। इस इमारत को अब फ्राउंस टैवर्न (Fraunces Tavern) के नाम से जाना जाता है। उस चेंबर को 1770 में दो साल बाद किंग जॉर्ज III द्वारा अधिकृत किया गया। दूसरा सबसे पुराना चेंबर 'चार्ल्सटन, एससी चेंबर' 1773 में बनाया गया था। 1790 तक, स्थानीय  चेंबर्स की संख्या बढ़कर 40 हो गई थी। शुरुआत में अमेरिकी चेंबरचेंबर्स, यूरोप की तरह, वाणिज्य के संरक्षण और प्रचार के लिए बनाए गए थे। उदाहरण के लिए, न्यूयॉर्क स्टेट चेंबर की स्थापना 'स्टैम्प टैक्स एक्ट' के परिणामस्वरूप हुई थी। व्यवसायी संघों के रूप में, शुरुआती चेंबरचेंबर्स ऑफ़ कॉमर्स ने माल की बिक्री को बढ़ावा देने का कार्य शुरू किया।

उन्होंने बाज़ारों को सुनियोजित ,  व्यापार के नियमों को लागू  और पारगमन में संरक्षित वस्तुओं को संरक्षित किया। लेकिन उनकी गतिविधियाँ, वाणिज्य से सीधे संबंधित लोगों तक सीमित थीं। एक सच्चे सामुदायिक संगठन के रूप में, चेंबर ऑफ़ कॉमर्स का उद्भव, बाद में आया जब व्यापारियों ने महसूस किया कि, उनकी अपनी समृद्धि, एक समृद्ध, स्वस्थ और खुश समुदाय के विकास पर निर्भर थी। एक अच्छी व्यावसायिक जलवायु को बनाए रखा जाना चाहिए। 1925 तक, यह माना जाता था कि,  इन चेंबर्स को, अपने उद्देश्य के लिए सही होने के लिए, मुख्य रूप से व्यावसायिक संगठन बने रहना चाहिए और व्यवसाय के दृष्टिकोण को व्यक्त करना चाहिए।

Source : Wikimedia

चेंबर ऑफ़ कॉमर्स को धन कहां से मिलता है ?

स्थानीय चेंबर ऑफ़ कॉमर्स, सरकारी एजेंसी नहीं होते हैं। इसका अर्थ यह है कि, इन्हें सरकार से कोई पैसा नहीं मिलता है।  इन संगठनों को अक्सर गैर -लाभकारी संगठनों के रूप में संचालित किया जाता है, जिसका अर्थ है कि वे लाभ कमाने का प्रयास  नहीं करते हैं। ये समूह विभिन्न स्रोतों के माध्यम से धन जुटाते हैं, जिसमें शामिल हैं:

1. सदस्य बकाया: सभी व्यवसाय, जो किसी चेंबर ऑफ़ कॉमर्स में शामिल होते हैं, उन्हें मिलने वाले लाभों के बदले में कुछ राशि का भुगतान करना होता है। कुछ संगठनों में अधिक लाभों के लिए उच्च शुल्क के साथ अलग-अलग सदस्यता स्तर होते हैं।

2. अनुदान संचय समारोह: कुछ समूह अपने वित्त पोषण के लिए समुदाय में अनुदान संचय समारोह रखते हैं।

3. निजी दान: स्थानीय चेंबर ऑफ़ कॉमर्स को कुछ लोग, मुख्य रूप से व्यापारी वर्ग, निजी रूप से दान करते हैं।

4. समारोह प्रवेश शुल्क: चेंबर ऑफ़ कॉमर्स कुछ ऐसे समारोह आयोजित करते हैं, जिनमें प्रवेश के लिए शुल्क लगाया जाता है, जैसे कि व्यापार मेले आदि।

क्या भारत में  विभिन्न चेंबर्स ऑफ़ कॉमर्स को राजस्व उत्पन्न करने के अपने तरीके पर फिर से विचार करना चाहिए ?

मार्च 2020 में, कोविड-19 महामारी के चलते लॉकडाउन के बाद से, भारत में चेंबर ऑफ़ कॉमर्स को प्राप्त होने वाला राजस्व बिल्कुल ना के बराबर हो गया। इन्हें मूल रूप से तीन स्रोतों - सदस्यता/समारोहों/प्रायोजकों से राजस्व प्राप्त होता है, लेकिन इस दौरान ये सभी स्रोत गंभीर रूप से प्रभावित हुए। समारोहों को, जिनसे आमतौर पर 20-30% राजस्व प्राप्त होता था, पूरी तरह से बंद कर दिया गया। वहीं अनिश्चितता के चलते, व्यक्ति एवं व्यापारी वर्ग इनकी सदस्यता लेने से भी कतराने लगे। हालांकि, अब जब महामारी का खतरा टल चुका है, तो चेंबर्स चेंबर्स अपनी सदस्यता संख्याओं के पुनर्निर्माण की कोशिश कर रहे हैं और यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि प्रायोजकों को वापस कैसे प्राप्त किया जाए। लेकिन, बड़े व्यवसाय, आज भी संभलने की कोशिश कर रहे हैं और इसी कारण, कई बार, वे  चेंबर सदस्यता में निवेश नहीं करना चाहते हैं। वहीं, छोटे व्यवसाय,  इन चेंबरों में शामिल नहीं होते हैं। यहां समस्या यह है, चेंबर ऑफ़ कॉमर्स अपने सदस्य बनाने के लिए नए तरीके बनाने के बजाय, पुराने तरीकों को और अधिक आकर्षक बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो वास्तव में पर्याप्त नहीं है। सदस्यता और प्रायोजन पैकेजों को फिर से शुरू करने के बजाय, उन्हें अधिक आकर्षक साझेदारी और योजनाएं प्रस्तुत करनी चाहिए। वास्तव में, यदि कोविड ने हमें कुछ भी सिखाया है, तो यह है कि  इन चेंबरों के सदस्यों को भूगोल की सीमाओं  से बाधित न होकर, केवल अपने स्थानीय समुदायों से बात करने की आवश्यकता नहीं है, वे कहीं भी, किसी के साथ भी बात कर सकते हैं!  
 

14 अप्रैल, 2018 को बंगाल नेशनल चैंबर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा शिक्षा और परोपकार में उत्कृष्टता का पुरस्कार लेते डॉ. डॉमिनिक सावियो (Dr. Dominic Savio) | Source : Wikimedia

बंगाल चेंबर ऑफ़ कॉमर्स की उत्पत्ति:

बंगाल चेंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (Bengal Chamber of Commerce and Industry) की स्थापना, 1853 में हुई थी। हालांकि,  चेंबर की उत्पत्ति 1833 में हुई थी, जब इसके संस्थापक देश में अपनी तरह का पहला संघ बनाने के लिए एक साथ आए थे। बाद में, इसे बंगाल चेंबर के रूप में औपचारिक रूप दिया गया था। पिछली डेढ़ शताब्दियों में,  इस संगठन ने भारत में वाणिज्य और उद्योग के विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

बंगाल चेंबर ऑफ़ कॉमर्स के उद्देश्य:

1. व्यापार में उचित और न्यायसंगत सिद्धांतों को स्थापित करना,

2. व्यवसाय के लेनदेन को सुविधाजनक बनाने के लिए, एक कोड या नियम स्थापित करना,

3. व्यापार के नियमों, विनियमों और उपयोगों में एकरूपता बनाए रखना,

4. दुनिया भर में वाणिज्य और अन्य व्यापारिक और सार्वजनिक निकायों के चैंबरों के साथ संवाद करना, 

5. व्यापार और व्यापारियों की सुरक्षा के लिए उपायों को बढ़ावा देना।

बंगाल चेंबर्स ऑफ़ कॉमर्स के सदस्य:

सभी निगम और उद्योग, पेशेवर, बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों के विभिन्न विभाग और सेवा उद्योग संगठन इसके सदस्य हैं। इसके कॉर्पोरेट सदस्य, न केवल पश्चिम बंगाल से बल्कि पूरे भारत से, बड़े पैमाने पर कृषि, इंजीनियरिंग, वस्त्र, चमड़े, उपभोक्ता वस्तुओं और ग्राहक सेवाओं के क्षेत्रों से आते हैं।

 

संदर्भ

https://tinyurl.com/y86mjmf6

https://tinyurl.com/443zxrdm

https://tinyurl.com/3ydkpvy9

https://tinyurl.com/mf4bebt4

https://tinyurl.com/5n8fpcud

मुख्य चित्र: जूट के बोरों से भरा एक गोदाम  (प्रारंग चित्र संग्रह)

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