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जौनपुर के लोग, आप शायद कभी ना कभी उन लोगों से ज़रूर मिले होंगे जो खेती के सामान को बाज़ार में बेचने में मदद करते हैं। ये लोग कमीशन एजेंट (Commision Agents) या आढ़ती कहलाते हैं। आढ़ती, किसानों और खरीदारों के बीच मध्यस्थ का काम करते हैं। वे किसानों से फ़सल खरीदते हैं और फिर उसे थोक या खुदरा दुकानदारों तक पहुँचाते हैं। इसके बदले में ये लोग कमीशन लेते हैं। आढ़ती, किसानों को फ़सल का दाम तय करने, सामान भेजने और कभी-कभी उधार देने में भी मदद करते हैं। उनका काम बहुत ज़रूरी होता है, क्योंकि इससे खेती का सामान बाज़ार तक सही तरीके से पहुँचता है। आजकल व्यापार में कुछ बदलाव हुए हैं, लेकिन आढ़ती, अब भी कृषि व्यापार का अहम हिस्सा हैं।
आज हम बात करेंगे कि आढ़ती कौन होते हैं और कृषि व्यापार में उनके मध्यस्थ की भूमिका को समझेंगे। इसके बाद, हम यह जानेंगे कि आढ़तियों की व्यवस्था आज भी क्यों मज़बूत है, इसके पीछे पारंपरिक बाज़ारों की गहरी जड़ें और किसानों के साथ विश्वास की अहमियत है। अंत में, हम भारतीय मंडियों में इनकी भूमिका को भी जानेंगे, जो लेन-देन को आसान बनाते हैं, उधार देते हैं और किसानों को खरीदारों से जोड़ते हैं।
आढ़ती कौन होते हैं?
आढ़ती वे लोग होते हैं जो कृषि व्यापार में किसानों और खरीदारों के बीच बिचौलिया का काम करते हैं। उनका मुख्य काम किसानों से फ़सल खरीदना होता है, जिसे वे सीधे खेत से या फिर मंडियों से खरीदते हैं। आढ़ती किसानों को वित्तीय मदद भी देते हैं, जैसे उधार देने के लिए, ताकि वे अगली फ़सल के लिए ज़रूरी सामान खरीद सकें या अपने अन्य खर्च पूरे कर सकें। इसके अलावा, आढ़ती कृषि उत्पादों के भंडारण के लिए गोदाम की सुविधा भी प्रदान करते हैं। वे किसानों की फ़सल को थोक खरीदारों, जैसे सरकारी एजेंसियों या निजी व्यापारियों, को बेचने में भी मदद करते हैं। इसके बदले में आढ़ती कमीशन लेते हैं, जो आमतौर पर लेन-देन की कीमत का कुछ प्रतिशत होता है। कमीशन की दर क्षेत्र, फ़सल और बाज़ार की स्थिति के हिसाब से बदल सकती है। आढ़ती पारंपरिक कृषि विपणन प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, विशेषकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में। वे भारत की कृषि उत्पाद बाज़ार समिति (APMC) के तहत काम करते हैं।
आढ़तिया व्यवस्था क्यों आज भी मज़बूत है
- आढ़ती, ग्रामीण इलाकों में प्रभावशाली होते हैं।
- हर आढ़ती के पास, 20 से 200 किसान होते हैं, जिनकी फ़सल वह बेचते हैं।
- सरकार आढ़तियों पर निर्भर होती है, क्योंकि वे पंखे, तौलने की मशीनें और मज़दूरी प्रदान करते हैं, जो सरकारी एजेंसियों के लिए ज़रूरी होते हैं।
- आढ़ती किसानों को पैसे उधार देने वाले होते हैं, जो खेती के लिए और व्यक्तिगत/सामाजिक खर्चों के लिए मदद करते हैं।
- किसानों के लिए आढ़ती से उधार लेना अधिक आसान और सुविधाजनक होता है, क्योंकि वे इन्हें व्यक्तिगत रूप से जानते हैं।वहीं, किसान मानते हैं कि बैंकों में उधारी लेने की प्रक्रिया मुश्किल होती है और वहां की सेवा व्यक्तिगत नहीं होती।
- किसानों का कहना है कि अगर आढ़तिया प्रणाली ख़त्म हो जाती है, तो निजी ऋणदाता आएंगे और उनकी ज़मीन पूरी तरह छीन लेंगे।
भारतीय मंडियों में कमीशन एजेंट्स
जैसे किसान, खरीदार और आपूर्तिकर्ता मंडी में अपनी ज़रूरतों के लिए आते हैं, वैसे ही कमीशन एजेंट्स भी बहुत ज़रूरी होते हैं। किसान अपनी फ़सल बेचने के लिए कमीशन एजेंट्स की मदद लेते हैं, जबकि खरीदार उन्हें अपनी ज़रूरत की फ़सल दिलवाने के लिए संपर्क करते हैं।
कमीशन एजेंट्स की भूमिका
कमीशन एजेंट्स, जिन्हें भारतीय कृषि मंडियों में आढ़ती भी कहा जाता है, 100 से अधिक वर्षों से मंडी व्यापार का अहम हिस्सा रहे हैं। जब किसान या आपूर्तिकर्ता अपनी फ़सल मंडी में लाते हैं, तो आढ़ती उनकी मदद करते हैं। वे फ़सल की नीलामी में शामिल होते हैं और उसे बेचने का काम करते हैं। वे यह भी सुनिश्चित करते हैं कि फ़सल की गुणवत्ता सही हो और खरीदारों से पूरी रकम मिलने तक उसकी पूरी ज़िम्मेदारी लेते हैं।
आढ़ती अपनी सेवा के बदले कमीशन लेते हैं और वे किसी फ़सल के मालिक नहीं होते, बल्कि उसे बेचने के लिए विभिन्न पक्षों से बातचीत करते हैं। ये मुख्य रूप से थोक बाज़ारों में काम करते हैं और खरीदारों और आपूर्तिकर्ताओं के बीच एक कड़ी बनाते हैं। आढ़ती फ़सल की तौल, बिक्री की व्यवस्था, नीलामी, और उचित कीमत तय करने का काम करते हैं, और फिर अपने खर्च और कमीशन काटने के बाद बाकी रकम आपूर्तिकर्ता को दे देते हैं।
कमीशन एजेंट्स के प्रकार
कृषि मंडियों में दो प्रकार के कमीशन एजेंट्स होते हैं: कच्चे आढ़ती और और पक्के आढ़ती ।
- कच्चे आढ़ती: कच्चे आढ़ती, मुख्य रूप से किसानों और विक्रेताओं के लिए काम करते हैं। वे कभी-कभी व्यापारियों को पहले पैसा देते हैं, यह शर्त पर कि फ़सल को केवल उनके माध्यम से ही बेचा जाएगा।
- पक्के आढ़ती: पक्के आढ़ती, उपभोक्ता बाज़ार में व्यापारियों की तरफ़ से काम करते हैं। उपभोक्ता बाज़ारों में, चावल मिल, तेल मिल, और कपास या जूट के व्यापारी पक्के आढ़तियों को अपने एजेंट के रूप में काम पर रखते हैं। ये आढ़ती एक निश्चित मात्रा में सामान को एक तय दाम पर खरीदने के लिए काम करते हैं।
कमीशन एजेंट्स का काम क्या होता है?
किसान अपनी फ़सल मंडी में उन स्थानों पर उतारते हैं, जिन्हें कमीशन एजेंट्स ने पहले से चुना होता है। ये कमीशन एजेंट्स लाइसेंस प्राप्त डीलर होते हैं, जिन्हें स्थानीय बाज़ार समिति से अनुमति मिलती है। वे किसानों की फ़सल को दिखाने, सफ़ाई और छंटाई करने, नीलामी करने और किसानों को भुगतान करने के ज़िम्मेदार होते हैं। एक कमीशन एजेंट की आय कृषि उत्पाद बाजार समिति (APMC) द्वारा निर्धारित कमीशन से होती है। आमतौर पर, एक आढ़ती, 50 से 100 किसान परिवारों के साथ जुड़ा होता है।
यह कमीशन एजेंट्स, फ़सल को साफ़ करते हैं, छांटते हैं और फिर उसे नीलामी के लिए तैयार करते हैं। मंडियों में एक अधिकारी, जिसे ‘दामी’ या नीलामीकर्ता कहा जाता है, नीलामी का आयोजन करता है। वह सभी फ़सलों की लौटों) की नीलामी एक-एक करके करता है। इच्छुक बोली लगाने वाले, मंडी के परिसर में फ़सल को देखकर उसकी बोली लगाते हैं। जो सबसे ऊंची बोली लगाता है, वह लॉट खरीदता है, और अधिकारी उस नीलामी का विवरण अपनी रजिस्टर में दर्ज करते हैं। नीलामी पूरी होने के बाद, माल को तौला जाता है और खरीदार की ट्रकों में लोड किया जाता है।
कमीशन एजेंट्स, अपने ग्राहकों के लिए एक स्थान जैसे दुकान, गोदाम या विश्राम गृह भी रखते हैं। कुछ कमीशन एजेंट्स किसानों को उधारी भी देते हैं। वे किसानों की फ़सल को सीधे खरीदारों को बेचते हैं, ताकि किसानों को स्वयं खरीदारों से बात करने की ज़रूरत न पड़े।
कमीशन एजेंट्स द्वारा किसानों को दी जाने वाली सुविधाएँ
- वे किसानों को अपनी फ़सल की कीमत का 40 से 50 प्रतिशत तक उधारी के रूप में देते हैं, ताकि किसान अपनी खेती से जुड़ी खर्चों को पूरा कर सकें।
- वे किसानों के लिए बैंकर की तरह काम करते हैं और ज़रूरत पड़ने पर उन्हें आसानी से उधारी प्रदान करते हैं।
- किसानों को कृषि उपकरण खरीदने और अपनी फ़सल बेचने के लिए सही सलाह देते हैं, जिससे वे बेहतर निर्णय ले सकें।
- किसानों को उनकी फ़सल मंडी में लाने के लिए मुफ्त में ख़ाली बोरियां देते हैं।
- जब किसान, अपनी फ़सल बेचने के लिए मंडी आते हैं, तो कमीशन एजेंट्स, उनके और उनके जानवरों के लिए भोजन और आश्रय की व्यवस्था करते हैं।
- वे किसानों की फ़सल के भंडारण के लिए सुरक्षित जगह प्रदान करते हैं और भंडारण के मूल्य का 75 प्रतिशत तक अग्रिम भुगतान कर देते हैं।
- जब किसानों को अपनी फ़सल मंडी लाने की आवश्यकता होती है, तो वे उनके लिए उचित परिवहन की व्यवस्था करते हैं, ताकि उनका समय और मेहनत बच सके।
संदर्भ
https://tinyurl.com/yxaj3j5a
https://tinyurl.com/3nj9f3vx
https://tinyurl.com/2ec2nvc9
चित्र संदर्भ
1. एक सब्ज़ी मंडी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. नासिक, महाराष्ट्र में गोदावरी नदी के किनारे लगी सब्ज़ी मंडी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. कमीशन एजेंट्स को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
4. ट्रैक्टर पर बैठे भारतीय किसानों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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