भारत के कई शहरों की तरह, जौनपुर के लोग भी चमड़ा उत्पादों के शौकिन हैं। वॉलेट्स, लेडीज़ पर्स, बेल्ट्स और जूते जैसे चमड़ा उत्पाद सबसे ज्यादा पसंद किए जाते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चमड़ा बनाने की प्रक्रिया में बहुत अधिक ठोस और तरल कचरा उत्पन्न होता है (जैसे खाल, वसा, शेविंग और ट्रिमिंग, बफ़िग डस्ट, प्रोसेसिंग अपशिष्ट, कीचड़) ? भारत की चमड़ा उद्योग हर साल करीब 5 लाख टन ठोस कचरा पैदा करती है, जिसमें से 50,000 टन कचरा पोस्ट-टैनिंग प्रक्रिया से होता है। इसलिए, आज के समय में भारत में चमड़ा अपशिष्ट प्रबंधन एक अहम मुद्दा बन गया है।
इस लेख में, हम चमड़ा अपशिष्ट प्रबंधन के महत्व के बारे में बात करेंगे। इसके अलावा, हम चमड़ा प्रोसेसिंग के दौरान उत्पन्न होने वाले कचरे के प्रकारों पर भी प्रकाश डालेंगे। फिर, हम ताप-विघटन (पायरोलिसिस) के बारे में जानेंगे और यह चमड़े के अपशिष्टों का उपयोग करने में कैसे मदद करता है। इसके बाद, हम समझेंगे कि एक्टिवेटेड कार्बन, इस तरह के कचरे से कैसे उत्पन्न होता है। अंत में, हम स्मार्ट उर्वरकों के बारे में जानेंगे, जो चमड़े के आपशिष्टों से बने होते हैं और मिट्टी के लिए लाभकारी होते हैं।
भारत में चमड़ा अपशिष्ट प्रबंधन का महत्व
चमड़ा अपशिष्ट प्रबंधन (Leather waste management) का महत्व भारत में अत्यधिक बढ़ गया है क्योंकि यह न केवल पर्यावरण पर होने वाले नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद करता है, बल्कि उद्योग की स्थिरता और संसाधन संरक्षण में भी योगदान देता है।
पर्यावरण संरक्षण: चमड़े के निर्माण में जो अपशिष्ट उत्पन्न होते हैं, जैसे चमड़े के टुकड़े, तरल अपशिष्ट और धूल, अगर इन्हें सही तरीके से नष्ट नहीं किया जाए, तो ये जल, भूमि और हवा को प्रदूषित कर सकते हैं। उचित अपशिष्ट प्रबंधन से इनका सही तरीके से निस्तारण किया जा सकता है, जिससे पर्यावरण पर कम असर पड़ेगा।
संसाधन संरक्षण: चमड़ा उद्योग में जल, ऊर्जा और कच्चे माल का बहुत उपयोग होता है। अगर अपशिष्ट का सही तरीके से प्रबंधन किया जाए, तो इन संसाधनों का बचाव किया जा सकता है। जैसे चमड़े के बचे हुए टुकड़ों का पुनर्चक्रण करके नए उत्पाद बनाए जा सकते हैं, जिससे कच्चे माल का कम उपयोग होगा।
आर्थिक लाभ: चमड़ा अपशिष्ट के उचित प्रबंधन से आर्थिक लाभ भी हो सकता है। उदाहरण के लिए, रचनात्मक पुन: उपयोग तथा पुनर्चक्रण करके नए उत्पाद बनाए जा सकते हैं और राजस्व उत्पन्न किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त, कचरे को कम करने से निपटान लागत कम करने और चमड़ा निर्माण प्रक्रिया की दक्षता में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
प्रतिष्ठा: जैसे-जैसे उपभोक्ता पर्यावरण के प्रति अधिक जागरूक हो जाते हैं, उचित चमड़े के अपशिष्ट प्रबंधन सहित स्थायी प्रथाओं को लागू करने वाली कंपनियां अपनी प्रतिष्ठा में सुधार कर सकती हैं और पर्यावरण के प्रति जागरूक ग्राहकों को आकर्षित कर सकती हैं।
नियामक अनुपालन: कई देशों में अपशिष्ट के निपटान के संबंध में नियम और कानून हैं। उचित चमड़े के अपशिष्ट प्रबंधन से, कंपनियों को इन नियमों का अनुपालन करने और जुर्माना या कानूनी मुद्दों से बचने में मदद मिल सकती है।
चमड़ा प्रसंस्करण में उत्पन्न होने वाले अपशिष्टों के प्रकार
1. केराटिन आधारित अपशिष्ट: केराटिन, जो एक अत्यधिक मजबूत और रासायनिक प्रक्रियाओं के प्रति प्रतिरोधी प्रोटीन है। इसका उपयोग टैनिंग प्रक्रिया में किया जाता है, जिससे चमड़े की गुणवत्ता में सुधार होता है। हालांकि, यह अपशिष्ट जल में घुलने में मुश्किल होता है और इसे विशेष रासायनिक प्रक्रियाओं द्वारा हाइड्रोलाइज़ किया जाता है। इस हाइड्रोलाइज्ड सामग्री का पुनः उपयोग क्रोम टैनिंग और रीक्रोमिंग में किया जाता है, जिससे इसे पर्यावरणीय दृष्टि से अधिक सहेजा जा सकता है।
2. फ्लेशिंग अपशिष्ट: फ्लेशिंग, चमड़े के प्रसंस्करण का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जहां मांस और वसा को चमड़े से हटाया जाता है। यह अपशिष्ट, लगभग 50-60% तक होता है, और इसे विभिन्न बायोटेक्नोलॉजिकल प्रक्रियाओं द्वारा पुनः उपयोग किया जा सकता है। उदाहरण स्वरूप, पैंक्रियाटिक एंजाइम का उपयोग करके इसे हाइड्रोलाइज किया जाता है, जिससे इसके पुनः उपयोग के अवसर बढ़ जाते हैं।
3. क्रोम शेविंग अपशिष्ट: क्रोम शेविंग उन चमड़ों से उत्पन्न होने वाला अपशिष्ट है जिन्हें क्रोम टैनिंग से उपचारित किया जाता है। इस अपशिष्ट में मुख्य रूप से क्रोम टैन किए गए चमड़े के अवशेष, शेविंग और बफ़िग डस्ट शामिल होते हैं। इन अपशिष्टों का उपयोग ग्लू, जिलेटिन, और कोलेजन जैसे उत्पादों के निर्माण में किया जा सकता है। हाइड्रोजन पेरोक्साइड से उपचारित करने के बाद, इनसे उच्च गुणवत्ता वाले रासायनिक उत्पाद प्राप्त होते हैं, जो इसके प्रदूषण प्रभाव को कम करने में मदद करते हैं।
4. त्वचा के टुकड़े: चमड़े की कटाई और अन्य उपचार प्रक्रियाओं में त्वचा के छोटे टुकड़े उत्पन्न होते हैं, जो अन्य अपशिष्टों की तुलना में कम होते हैं, लेकिन फिर भी यह एक समस्या है। ये टुकड़े आमतौर पर 5-7% तक होते हैं और इनका पुनः उपयोग मुश्किल होता है, लेकिन विभिन्न तकनीकों से इन्हें पर्यावरणीय दृष्टि से बेहतर तरीके से प्रबंधित किया जा सकता है।
5. बाल और अन्य अपशिष्ट: चमड़े से बाल निकालने की प्रक्रिया में उत्पन्न होने वाला अपशिष्ट, जैसे बाल, भी एक प्रमुख अपशिष्ट होता है। यह 2-5% तक हो सकता है, और इसके पुनः उपयोग की संभावना सीमित होती है। अन्य अवशेषों जैसे कागज की थैलियां और त्वचा के अवशेष भी इस प्रक्रिया का हिस्सा होते हैं, जिन्हें ठीक से प्रबंधित करना आवश्यक है।
6. तरल अपशिष्ट और रासायनिक अवशेष: चमड़ा प्रसंस्करण के दौरान, तरल अपशिष्ट भी उत्पन्न होते हैं, जिनमें विभिन्न रसायन, जैसे फिनोल्स और हाइड्रोजन सल्फ़ाइड शामिल होते हैं। यह अपशिष्ट जल स्रोतों को प्रदूषित कर सकते हैं और इनके प्रभावों से निपटना बेहद महत्वपूर्ण है। इन अपशिष्टों को उपचारित जल के रूप में ठीक से प्रबंधित किया जा सकता है, जिससे पर्यावरणीय प्रभावों को कम किया जा सकता है।
7. गैसीय अपशिष्ट: चमड़े के प्रसंस्करण में हाइड्रोजन सल्फाइड, अमोनिया, और वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOC) जैसे गैसीय अपशिष्ट भी उत्पन्न होते हैं। ये गैसें वायुमंडलीय प्रदूषण का कारण बनती हैं और मानव स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। उदाहरण के तौर पर, हाइड्रोजन सल्फ़ाइड और अमोनिया की उच्च सांद्रता के कारण वायुमंडलीय प्रदूषण और स्वास्थ्य समस्याएँ हो सकती हैं।
ताप-विघटन क्या है और यह चमड़ा अपशिष्ट के उपयोग में कैसे मदद करता है?
ताप-विघटन (Pyrolysis) एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसे चमड़े के अपशिष्टों को उपचारित करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। यह प्रक्रिया मुख्य रूप से कार्बनयुक्त सामग्री को बिना हवा के वातावरण में गर्म करके की जाती है। इसका उपयोग, आमतौर पर कृषि के अपशिष्ट, रबड़, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट में जमा होने वाले अवशेष और प्लास्टिक जैसे कचरे को नष्ट करने के लिए किया जाता है।
इस प्रक्रिया के दौरान, तीन प्रमुख उत्पाद बनते हैं: गैस, तेल, और कार्बन अवशेष। गैस को ईंधन के रूप में जलाया जा सकता है, और तेल को भी ईंधन के तौर पर या रासायनिक उत्पादों के लिए कच्चे माल के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। जो कार्बन अवशेष बचते हैं, उन्हें या तो जलाया जा सकता है, या सुरक्षित तरीके से नष्ट किया जा सकता है, क्योंकि इसमें भारी धातुएं फंसी रहती हैं। इसके अलावा, इन अवशेषों से सक्रिय कार्बन (Activated Carbon) भी बनाया जा सकता है।
इस प्रकार, ताप-विघटन से चमड़े के अपशिष्टों का पुनः उपयोग किया जा सकता है, जो पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले कचरे को कम करने में मदद करता है और इसके साथ ही ऊर्जा उत्पादन में भी सहायक होता है।
चमड़े के अपशिष्ट से सक्रिय कार्बन का निर्माण
चमड़े के अपशिष्ट से सक्रिय कार्बन बनाने की प्रक्रिया में दो मुख्य तरीके होते हैं: रासायनिक और भौतिक सक्रियण।
भौतिक सक्रियण में चमड़े के अपशिष्ट को उच्च तापमान पर ताप-विघटन किया जाता है और फिर इसे कार्बन डाइऑक्साइड या भाप के वातावरण में सक्रिय किया जाता है।
रासायनिक सक्रियण में चमड़े को पहले किसी रासायनिक एजेंट, जैसे जिंक क्लोराइड, फ़ॉस्फ़ोरिक एसिड या पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड से उपचारित किया जाता है, और बाद में इसे उच्च तापमान पर सक्रिय किया जाता है।
इस प्रक्रिया से प्राप्त सक्रिय कार्बन का उपयोग, जल और वायु शोधन, रासायनिक उद्योगों, और अन्य अनुप्रयोगों में किया जा सकता है। सक्रिय कार्बन की गुणवत्ता और विशेषताएँ, प्रारंभिक सामग्री और सक्रियण विधियों पर निर्भर करती हैं।
चमड़े के अपशिष्ट से बने स्मार्ट उर्वरकों के लाभ
चमड़े के अपशिष्टों से एंजाइमेटिक हाइड्रोलिसिस (एक जैविक प्रक्रिया, जिसमें एंजाइमों की मदद से अपशिष्टों को तोड़ा जाता है) द्वारा तैयार किए गए स्मार्ट उर्वरक विशेष रूप से उच्च लवणता वाली मृदाओं के लिए उपयुक्त होते हैं। यह उर्वरक, मृदा की लवणता के कारण होने वाले तनाव को प्रभावी ढंग से कम करते हैं, और पौधों की बीमारियों को नियंत्रित करने वाले उत्पादों के उपचार से उत्पन्न होने वाले अतिरिक्त तनाव को भी शमन करते हैं। इस प्रकार के उर्वरक, मृदा में लाभकारी सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को उत्तेजित करते हैं और जड़ों के कोशिका झिल्ली की पारगम्यता (permeability) को बढ़ाते हैं, जिससे पौधों को पोषक तत्वों का अधिक अवशोषण और स्थिरता संभव होती है।
क्षारीय (अल्कलाइन) मृदाएं, जो पौधों के विकास के लिए सबसे कठिन होती हैं | इन स्मार्ट उर्वरकों (smart fertilizers) के द्वारा, पोषक तत्वों को बेहतर तरीके से उपलब्ध कराने में मदद मिलती है। कोलेजन (Collagen)-आधारित उर्वरक, छोटे पोषक तत्वों के लिए, एक प्राकृतिक सहायक के रूप में काम करते हैं, जिससे पौधों को इन पोषक तत्वों को आसानी से अवशोषित करने में मदद मिलती है और पौधों की वृद्धि में सुधार होता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/mtstn6sd
https://tinyurl.com/299tvxp2
https://tinyurl.com/ycwna3p9
https://tinyurl.com/3ks2t62f
चित्र संदर्भ
1. सुखाए जा रहे चमड़े को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. चमड़े के कपड़े के साथ काम करते व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. चमड़े के फेंके गए टुकड़ों से भरे कंटेनर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4.चमड़े के जूतों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. चौरा टेनरी (Chouara Tannery), मोरक्को में चमड़े के प्रसंस्करण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
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