चलिए जानें, कैसे टीकों के विकास ने, टीकाकरण को आसान और सुरक्षित बना दिया

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
18-01-2025 09:21 AM
चलिए जानें, कैसे टीकों के विकास ने, टीकाकरण को आसान और सुरक्षित बना दिया

हर गुज़रते दिन के साथ, टीके और अधिक कारगर हो रहे हैं और इन विकसित टीकों ने जौनपुर के लोगों के लिए बीमारियों से बचाव को आसान और सुरक्षित बना दिया है। एम आर एन ए (mRNA) वैक्सीन जैसी नई तकनीकें कोविड-19 और अन्य बीमारियों से लड़ने में कारगर साबित हो रही हैं। आधुनिक टीके पहले से ज़्यादा प्रभावी हो गए हैं और हमारे समुदाय को स्वस्थ बनाए रखने में अहम् भूमिका निभा रहे हैं। 
आज के इस लेख में हम टीकों के इतिहास और उनके विकास के बारे में समझने की कोशिश करेंगे। साथ ही हम वैक्सीन के विकास में प्रयोग हो रही नई तकनीकों पर भी चर्चा करेंगे। अंत में, हम जानेंगे कि आम लोगों के अलावा स्वास्थ्य कर्मियों के लिए भी टीकाकरण क्यों महत्वपूर्ण है।
आइए, शुरुआत टीकों की उत्पत्ति के इतिहास को समझने के साथ करते हैं!
टीकों का उपयोग 200 से अधिक वर्षों से हो रहा है। पहला टीका 1796 में चेचक से बचाव के लिए बनाया गया था। चेचक एक घातक बीमारी थी, जिसने संक्रमित लोगों में से लगभग आधे की जान ले ली और मानव समाज को गंभीर नुकसान पहुंचाया।
टीकों के आविष्कार से पहले, लोग बचाव के लिए वैरियोलेशन (Variolation) नामक विधि का उपयोग करते थे। इसमें चेचक के घावों से वायरस की थोड़ी मात्रा को एक व्यक्ति की त्वचा के नीचे रखा जाता था। यह विधि एशिया और अफ्रीका में प्रचलित थी और बाद में यूरोप तक पहुंची। हालांकि, इस तरीके में चेचक से संक्रमित होने का खतरा बना रहता था।
चेचक के टीके का आविष्कार एक बड़ी उपलब्धि थी। इसने मानवता को बीमारी से बचाव का सुरक्षित तरीका दिया। इस टीके में काउपॉक्स (Cowpox) के घावों से सामग्री ली गई, जो चेचक से संबंधित एक हल्की बीमारी थी। इस सामग्री का उपयोग करके, बिना किसी जोखिम के लोगों को चेचक से सुरक्षित किया गया। यह एक जीवित कमज़ोर टीका था, जिसमें वायरस के कमज़ोर संस्करण का उपयोग किया गया था।
20वीं सदी में, वैश्विक टीकाकरण अभियान ने चेचक को खत्म करने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई। 1980 तक, यह बीमारी पूरी तरह समाप्त हो गई। इस व्यापक अभियान ने एक ऐसी बीमारी को रोका, जिसने करोड़ों लोगों की जान ली थी। आज चेचक, मानव स्वास्थ्य के लिए कोई बहुत बड़ा खतरा नहीं है और दुनिया में कहीं भी नहीं फैलता। इसका आखिरी मामला 1978 में दर्ज किया गया था। चेचक मानव इतिहास की पहली और अब तक की एकमात्र बीमारी है, जिसे पूरी तरह खत्म कर दिया गया है।
चेचक का टीका बनाने के लिए जीवित और क्षीणन यानी कमज़ोर वायरस का उपयोग किया गया। "क्षीणन" का मतलब है, वायरस को इतना कमज़ोर बनाना कि वह बीमारी न फैलाए, लेकिन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय कर सके।
आज भी खसरा और कुछ फ़्लू के टीकों में जीवित और कमज़ोर वायरस का उपयोग होता है। वहीं, कुछ अन्य टीकों में मरे हुए वायरस, बैक्टीरिया के हिस्से या बैक्टीरिया द्वारा बनाए गए निष्क्रिय ज़हरीले पदार्थ का प्रयोग होता है। ये मरे हुए वायरस और निष्क्रिय पदार्थ बीमारी का कारण नहीं बनते, लेकिन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करते हैं और भविष्य में संक्रमण से बचाते हैं।
अब वैज्ञानिक नई तकनीकों का उपयोग कर टीके बना रहे हैं। इनमें से कुछ तकनीकें हैं:
- जीवित पुनः संयोजक टीके (live recombinant vaccines)
- डी एन ए टीके (DNA vaccines)
- एम आर एन ए टीके (mRNA vaccines)
1. जीवित पुनः संयोजक टीके: इन टीकों में कमज़ोर वायरस या बैक्टीरिया का उपयोग किया जाता है। यह वायरस शरीर में किसी अन्य संक्रमणकारी एजेंट का प्रोटीन पहुंचाने का काम करता है। यह विधि प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को बढ़ाने में मदद करती है। इसका उपयोग तब किया जाता है जब वास्तविक वायरस का उपयोग करना खतरनाक हो सकता है।
2. डी एन ए टीके: डी एन ए टीके में एक विशेष जीन होता है, जो किसी एंटीजन को बनाने का निर्देश देता है। इसे सीधे मांसपेशियों में इंजेक्ट किया जाता है। यह डी एन ए कोशिकाओं में प्रवेश करता है और वहां से संक्रामक एजेंट से मिलते-जुलते एंटीजन का उत्पादन करता है। यह एंटीजन प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करता है।
डी एन ए टीकों को बनाना आसान होता है, क्योंकि डी एन ए स्थिर होता है। हालांकि, ये अभी तक प्रायोगिक हैं क्योंकि इनसे पर्याप्त प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया नहीं मिली है। लेकिन वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि डी एन ए टीके मलेरिया जैसी बीमारियों से बचाने में मदद कर सकते हैं।
3. एम आर एन ए (mRNA) टीके: इन टीकों में मैसेंजर आर एन ए (mRNA) का एक छोटा टुकड़ा कोशिकाओं में पहुंचाया जाता है। कोशिकाएं इस एम आर एन ए (mRNA) से वायरस जैसे प्रोटीन बनाती हैं। यह प्रोटीन शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सक्रिय करता है। एम आर एन ए टीकों की खास बात यह है कि इनमें किसी भी बीमारी फैलाने वाले वायरस का कोई हिस्सा नहीं होता।
टीकाकरण सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। यह संक्रमण को फैलने से रोकता है। भारत, जहां भी बड़ी संख्या में लोग रहते हैं, वहां पर टीकाकरण कार्यक्रमों ने रोकथाम योग्य बीमारियों को कम करने में बड़ा योगदान दिया है। टीकाकरण न केवल बीमारियों से बचाव करता है, बल्कि पूरे समाज को सुरक्षित रखने में मदद करता है।
आम लोगों के अलावा स्वास्थ्य कर्मियों के लिए टीकाकरण क्यों जरूरी है?
टीकाकरण प्रमुख संक्रामक रोगों को रोकने का एक प्रभावी तरीका है। स्वास्थ्य कर्मी, रोगियों और संक्रामक पदार्थों के लगातार संपर्क में रहते हैं। इस कारण उन्हें इन बीमारियों का अधिक खतरा होता है। कई बीमारियाँ दोबारा भी फैल सकती हैं और प्रकोप का कारण बन सकती हैं। इसलिए, स्वास्थ्य कर्मियों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम बेहद जरूरी हैं।
इन कार्यक्रमों का उद्देश्य स्वास्थ्य कर्मियों को संक्रमण से बचाना और रोगियों को संक्रमित होने से रोकना है। हालांकि, कई देशों में स्वास्थ्य कर्मियों के टीकाकरण की कवरेज बहुत कम है। इससे कई स्वास्थ्य कर्मी वैक्सीन से रोकी जा सकने वाली बीमारियों के प्रति असुरक्षित रहते हैं। यह समस्या भारत जैसे विकासशील देशों और सीमित संसाधनों वाले क्षेत्रों में अधिक गंभीर है।
इन देशों को स्वास्थ्य कर्मियों के लिए एक मज़बूत राष्ट्रीय टीकाकरण योजना की आवश्यकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन और रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों ने स्वास्थ्य कर्मियों के लिए कुछ महत्वपूर्ण टीकों की सिफारिश की है।
स्वास्थ्य कर्मियों के लिए अनुशंसित टीकाकरण
हेपेटाइटिस बी: जो स्वास्थ्य कर्मी रक्त और रक्त उत्पादों के संपर्क में आते हैं, उन्हें हेपेटाइटिस बी का टीका लगवाना चाहिए।
इन्फ्लुएंज़ा: हर साल एकल खुराक के साथ वार्षिक टीकाकरण की सिफ़ारिश की जाती है।
टी डीए पी (टेटनस, डिप्थीरिया, पर्टुसिस): अगर पहले टीका नहीं लगा है, तो एक बार की खुराक दी जानी चाहिए। गर्भवती स्वास्थ्य कर्मियों को हर गर्भावस्था में टी डीए पी की एक खुराक दी जाती है।
एम एम आर (खसरा, कण्ठमाला, रूबेला): सभी स्वास्थ्य कर्मियों को खसरा और रूबेला से सुरक्षित किया जाना चाहिए।
मेनिंगोकोकल: हर 3-5 साल में इसका एक बूस्टर डोज़ लगाया जा सकता है।
वैरीसेला: जिन स्वास्थ्य कर्मियों को वैरीसेला का टीका नहीं लगा है या जिनका संक्रमण का कोई इतिहास नहीं है, उन्हें इस टीके की दो खुराक लेनी चाहिए।
कोविड-19: सभी स्वास्थ्य कर्मियों के लिए कोविड-19 टीके की दो खुराक अनिवार्य है।
स्वास्थ्य कर्मियों के लिए टीकाकरण उनकी सुरक्षा और उनके द्वारा देखभाल किए जा रहे रोगियों की सुरक्षा के लिए जरूरी है। सही टीकाकरण न केवल बीमारियों को रोकता है, बल्कि एक स्वस्थ कार्य वातावरण सुनिश्चित करता है।

संदर्भ 
https://tinyurl.com/28wxaq2u
https://tinyurl.com/22go6hkn
https://tinyurl.com/2y8yd9qz

चित्र संदर्भ

1. टीका लगवाते एक बुज़ुर्ग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. 1957 में स्वीडन में, पोलियो टीकाकरण के एक दृश्य को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. वैक्सीन विकास और वितरण पर व्याख्याकारों की एक श्रृंखला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. कोविड -19 से बचने के लिए एस्ट्राज़ेनेका (AstraZeneca) नामक वैक्सीन को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. कोविड-19 टीकाकरण अभियान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

 

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