उपनिवेश से लेकर आधुनिक समय तक कैसा रहा भारत में सिक्कों का सफर

औपनिवेशिक काल और विश्व युद्ध : 1780 ई. से 1947 ई.
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उपनिवेश से लेकर आधुनिक समय तक कैसा रहा भारत में सिक्कों का सफर

आधुनिक समय में डिजिटल लेनदेन के प्रचलन के बावजूद भी लोग, एक, दो अथवा पांच रुपये जैसी रकम के लेनदेन को सिक्कों के ज़रिये करना ही पसंद करते हैं। एक ओर जहां कागजी मुद्रा का चलन घट रहा है, वहीं पर सिक्कों की सत्ता अभी भी कायम प्रतीत होती है। प्रत्येक सिक्का एक अनूठी कहानी बताता है, जिसमें प्रतीक, रूपांकन और शिलालेख होते हैं जो अपने समय के शासकों के मूल्यों और विश्वासों को दर्शाते हैं। 1857 के विद्रोह के बाद, ब्रिटिश सरकार ने ईस्ट इंडिया कंपनी (East India Company) से नियंत्रण को अपने हाथ में ले लिया। 1862 से 1947 में भारत के स्वतंत्र होने तक, भारत में सिक्के बनाने की जिम्मेदारी ब्रिटिश सरकार ने ही उठाई।
इस दौरान उन्होंने भारत में सोने और चांदी के सिक्के बनाने शुरू किये। हालांकि तब से लेकर आज तक भारत में सिक्कों के स्वरूप और इन्हें बनाने की प्रक्रिया में बहुत बदलाव आया है, जिसके बारे में आज हम विस्तार से जानेगे। जब मुग़ल साम्राज्य बिखरने लगा तो भारत के विभिन्न क्षेत्रों में छोटे-छोटे स्वयं शासित क्षेत्र स्थापित होने लगे। इन क्षेत्रों ने अपने-अपने सिक्के बनाना शुरू कर दिया, और इन सभी के सिक्कों के डिज़ाइन अपने आप में अद्वितीय होते थे। उदाहरण के लिए, मराठा परिसंघ में ऐसे सिक्के बनाये गए, जिन पर छत्रपति शिवाजी महाराज का नाम था। दूसरी ओर, अवध प्रांत ने अपनी मुद्रा प्रणाली में सोने के सिक्के जिन्हें 'अशर्फी' कहा जाता था और चांदी के रुपये का उपयोग किया।
मुगल साम्राज्य के पतन के बाद, पूर्व मुगल प्रांत बंगाल-बिहार पर ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने नियंत्रण कर लिया। इसके साथ ही भारतीय उपमहाद्वीप में ब्रिटिश औपनिवेशिक युग की शुरुआत हो गई। 1862 से लेकर 1947 में भारत के स्वतंत्र होने तक, भारत में इस्तेमाल होने वाले सिक्कों को बनाने की जिम्मेदारी ब्रिटिश सरकार के ऊपर ही थी। इसी दौरान ब्रिटिश शासित भारत में सोने और चाँदी के सिक्कों का चलन शुरू हुआ। शुरुआत में उनके द्वारा बनाए गए सभी सिक्कों पर हमेशा एक ही तारीख होती थी। ऐसा 'बट्टा' नामक प्रणाली को रोकने के लिए किया गया था। ब्रिटिश शासन में निर्मित पहले सोने के सिक्कों पर रानी विक्टोरिया (Queen Victoria) की तस्वीर उकेरी गई और इन सिक्कों को 'वन मोहर (One Mohur )' नाम दिया गया। ये सिक्के 1862 में कलकत्ता की टकसाल में बनाए गए थे। इन सिक्कों का वज़न एक तोला (11.66 ग्राम) के बराबर था और ये ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा बनाए गए मोहरों के समान ही शुद्ध थे। ये सिक्के संभवतः 1866 और 1869 के बीच बनाए गए थे। हालांकि इनका उपयोग व्यापार के लिए किया जाता था, लेकिन ये आधिकारिक मुद्रा नहीं थे। इन सिक्कों के कुछ अलग-अलग संस्करण भी थे, जिनमें 1870 और 1875 में बने कुछ विशेष संस्करण भी शामिल थे। 1876 में विक्टोरिया 'भारत की महारानी' बन गईं और 1877 से सभी सिक्कों पर 'महारानी विक्टोरिया' का चित्र अंकित हो गया। ये सोने के मोहर 1877 और 1891 के बीच बनाए गए थे और आज ये काफी दुर्लभ हैं। उन्होंने 1870 और 1879 के बीच दस और पांच रुपये के छोटे सिक्के भी बनाए। 1870 में बनाए गए कुछ दस और पांच रुपये के सिक्कों के अलावा, विक्टोरिया की छोटी और बड़ी दोनों तस्वीरों वाले सिक्कों के संस्करण मौजूद हैं। 1862 में बने रुपये के सिक्कों के आगे और पीछे के डिज़ाइन अलग-अलग होते थे, जो यह बताने में मदद कर सकते हैं कि वे कहाँ बनाए गए थे। समय के साथ डिज़ाइन में बहुत अधिक बदलाव नहीं आया। 1863 से 1875 तक, बॉम्बे टकसाल (Bombay Mint) ने सिक्कों पर तारीख दिखाने के लिए बिंदुओं की एक प्रणाली का उपयोग किया। ये बिंदु या तो तारीख के नीचे, 'one' शब्द के ऊपर, या दोनों स्थानों पर अंकित किये गए थे। लेकिन 1874 से उन्होंने बिन्दुओं का प्रयोग बंद कर दिया और सिक्कों पर वास्तविक तारीख अंकित करना शुरू कर दिया। इसका मतलब यह है कि शायद तब तक, 'बट्टा' प्रणाली लगभग गायब हो चुकी थी। विक्टोरिया की तस्वीर वाले अन्य सभी सिक्कों की तरह, 1877 में सामने का शीर्षक 'विक्टोरिया क्वीन (Victoria Queen)' से बदलकर 'विक्टोरिया एम्प्रेस (Victoria Empress)' कर दिया गया। कलकत्ता में बने सिक्कों पर आमतौर पर टकसाल का निशान नहीं होता है। विक्टोरिया की तस्वीर वाले सिक्के 1901 में उनकी मृत्यु तक बनाए गए थे। 15 अगस्त, 1947 को भारत को ब्रिटिश शासन से आजादी मिल गई। हालांकि इसके बाद देश को तीन भागों (भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश) में विभाजित कर दिया गया। 26 जनवरी, 1950 को भारत एक गणतंत्र राष्ट्र बन गया। 15 अगस्त, 1950 को, भारत ने अपना स्वयं का पहला सिक्का पेश किया। इन सभी सिक्कों में महान मौर्य सम्राट अशोक के शेर की आकृति उकेरी गई है। सम्राट अशोक के आदेश के बाद निर्मित यह सिंह प्राचीन काल में भारतीय कलाकारों की कलात्मक उपलब्धियों वास्तविक प्रतिनिधित्व करता है। आधुनिक भारत के सभी सिक्कों और करेंसी नोटों (Currency Notes) पर यह चार शेरों का चिन्ह अंकित होता है। भारत ने सिक्का संग्राहकों के लिए अपने स्वयं के प्रूफ सिक्का सेट (Proof Coin Set) का उत्पादन शुरू किया। भारत में कानूनी मुद्रा रुपया है, जिसे शुरुआत में पाई में विभाजित किया गया था।
1957 में, भारत ने दशमलव मौद्रिक प्रणाली अपनाई जहां एक रुपये को 100 पैसे (एकवचन पैसा) माना जाता था। आधुनिक भारतीय सिक्कों का प्रबंधन भारत सरकार द्वारा किया जाता है, जबकि नोटों का प्रबंधन भारतीय रिजर्व बैंक (Management Reserve Bank Of India) करता है। आधुनिक सिक्के एक रुपया, दो रुपये और पांच रुपये के मूल्यवर्ग में जारी किए जाते हैं। इसके अलावा सभी करेंसी नोटों (Currency Notes) पर भारतीय रिज़र्व बैंक का प्रतीक चिन्ह होता है, जिसे काफी विचार-विमर्श के बाद चुना गया था।

संदर्भ
http://tinyurl.com/mr2a7as2
http://tinyurl.com/mjuyerev
http://tinyurl.com/2enpvr3w

चित्र संदर्भ
1. कुषाण और आधुनिक सिक्कों संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी, क्वार्टर अन्ना, 1835 को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. भारत के विभिन्न भागों के ऐतिहासिक भारतीय सिक्कों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. वन मोहर को दर्शाता एक चित्रण (Collections - GetArchive)
5. 1924, किंग जॉर्ज पंचम द्वारा जारी एक आने को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. विभिन्न कालक्रमों के भारतीय सिक्कों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. आधुनिक भारतीय सिक्कों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)