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जैसे-जैसे सर्दी देश की राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों जिसमें हमारा शहर मेरठ भी शामिल है, पर अपनी पकड़ मजबूत कर रही है, वैसे वैसे तापमान में बेहद गिरावट दर्ज की जा रही है। राष्ट्रीय राजधानी और इसके आस-पास के क्षेत्र लगातार शीत लहर की चपेट में हैं। ठंड का आलम यह है कि न केवल सुबह, शाम और रात में, बल्कि दिन में भी घना कोहरा छाया रहता है। कोहरे की घनी चादर छाने से सड़कों पर दृश्यता काफी कम हो गई है, इसके कारण यातायात प्रभावित होने से सार्वजनिक परिवहन एक तरह से ठप हो गया। दिल्ली और आसपास के इलाकों में वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) लगातार 'गंभीर' बना हुआ है, जिससे स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा हो गया है।
लेकिन वायु गुणवत्ता सूचकांक के लगातार गंभीर श्रेणी में बने रहने का कारण केवल कोहरा ही नहीं है बल्कि गंभीर वायु प्रदूषण भी है। इस समय दिल्ली और इसके आसपास के क्षेत्र तीव्र शीतलहर के साथ साथ गंभीर वायु प्रदूषण की चुनौती से भी जूझ रहे हैं। कोहरे के साथ प्रदूषण ने मिलकर धुंध (smog) की स्थिति उत्पन्न कर दी है, जिससे दृश्यता तो कम हुई है, साथ ही लोगों के लिए स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं भी उत्पन्न हो गई हैं। कई बार अक्सर लोग कोहरे एवं धुंध के बीच में अंतर को नहीं पहचान पाते हैं।
कोहरे और धुंध अथवा ‘धूम कोहरे’ के बीच मुख्य अंतर यह है कि कोहरा एक प्राकृतिक घटना है जो आमतौर पर सर्दियों के दौरान देखी जाती है, जिसके कारण दृश्यता 1 किलोमीटर से भी कम हो जाती है। वैसे तो वायु में सदैव ही थोड़ी मात्रा में जल वाष्प मौजूद रहते हैं, लेकिन जब ये जल वाष्प दिखाई देने लगते हैं तो वे दृश्यता कम कर देते हैं और इसे ही कोहरा कहा जाता है।
सीधे शब्दों में कहें तो कोहरा पृथ्वी की सतह के बहुत पास छाने वाला एक बादल मात्र है। जब पृथ्वी की सतह के पास वायु में मौजूद जलवाष्प ठंडी हवा के कारण संघनित हो जाते हैं तो ये कोहरे का रूप ले लेते हैं। जबकि धुंध अथवा धूम कोहरा धुएं, कोहरे और सूक्ष्म कणों का मिश्रण है। कोयले और जीवाश्म ईंधन के अनुचित प्रबंधन और दहन, वाहन उत्सर्जन आदि से सल्फ़र डाइऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोज़न ऑक्साइड आदि जैसी विषाक्त गैसों से युक्त धुआं उत्पन्न होता है। यह धुआं सूर्य के प्रकाश के साथ प्रतिक्रिया करके प्रकाश रासायनिक धूम कोहरे (photochemical smog) का निर्माण करता है।
जब हवा में कोहरा पहले से ही मौजूद होता है, तो उसमें नमी होती है। धुआं और धूल के कण नमी के कणों से चिपक जाते हैं, जिससे दृश्यता और भी सीमित हो जाती है। बढ़ते यातायात के साधनों एवं विनिर्माण संसाधनों के कारण बड़े शहरों में आमतौर पर धूम कोहरा अधिक छाया रहता है। कोहरे एवं धुंध के बीच एक बड़ा अंतर यह है कि कोहरे का स्वास्थ्य पर कोई गंभीर प्रभाव नहीं पड़ता है, लेकिन वहीं दूसरी ओर लंबे समय तक धुंध भरे वातावरण में सांस लेने से फेफड़ों की समस्याओं सहित कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसके साथ ही धुंध की मोटी परत के कारण, दृश्यता में 500 मीटर से ज्यादा कमी होने के कारण सड़क दुर्घटनाएं होने का खतरा भी बहुत बढ़ जाता है।
आइये अब निम्नलिखित सारणी के माध्यम से कोहरे एवं धुंध के बीच के अंतर को समझते हैं:
| आधार | कोहरा | धुंध |
|---|---|---|
| मुख्य रूप से जाना जाता है | संघनन | वायु प्रदूषण |
| निर्माणक घटक | पानी की बूंदें / नमी / जल वाष्प | धुआं, कण प्रदूषण, हानिकारक विषाक्त पदार्थ |
| रंग | धवल | हल्का पीला-भूरा |
| हानि का स्तर | हानिकारक नहीं है | बेहद हानिकारक है |
| वायु प्रदूषक | यह गैर-प्रदूषक है | यह अत्यधिक प्रदूषक है |
| क्या यह एक रासायनिक प्रतिक्रिया है? | नहीं, यह रासायनिक प्रतिक्रिया से नहीं बनता है | हानिकारक रसायन जो रासायनिक रूप से धुआं बनाते हैं, कोहरे के साथ प्रतिक्रिया करते हैं, और धुंध का निर्माण करते हैं। |
बिगड़ती वायु गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुए स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा स्थानीय निवासियों एवं यात्रियों के लिए एक सलाह जारी की गई है जिसमें निवासियों, विशेष रूप से श्वसन संबंधी समस्याओं वाले लोगों से बाहरी गतिविधियों को कम करने और बाहर निकलते समय N95 मास्क का उपयोग करने का आग्रह किया गया है। मौसम विशेषज्ञों का अनुमान है कि आने वाले दिनों में शीत लहर जारी रहने की संभावना है जिसके चलते स्थानीय अधिकारियों एवं स्वयं सेवा समूहों द्वारा ज़रूरतमंद लोगों की मदद के लिए बेघरों को कंबल का वितरण और अस्थायी आश्रयों की स्थापना जैसे उपाय किए जा रहे हैं। हमारे मेरठ शहर में भी स्वयंसेवक समूहों द्वारा जरूरतमंद लोगों को गर्म कपड़ों का वितरण किया जा रहा है।
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