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भारत में पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण विकास और प्रगति देखी गई है, जिसके कारण यह दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजारों में से एक बन गया है। बढ़ते मध्यम वर्ग, बढ़ती खर्च योग्य आय और बढ़ती क्षमता के कारण भारत में हवाई यात्रा की मांग में उल्लेखनीय वृद्धि देखी जा रही है। देश की प्रगति के साथ हवाई यात्रा की बढ़ती मांग और बुनियादी ढांचे के विकास पर सरकार के जोर के साथ, भारत में विमानन उद्योग में अपार संभावनाएं नजर आ रही हैं। आइए आज के अपने इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि सरकार इन अवसरों एवं संभावनाओं को प्राप्त करने के लिए क्या कदम उठा रही है? साथ ही यह भी जानते हैं कि विमानन उद्योग में वर्तमान में किन तकनीकियों एवं प्रौद्योगिकियों को अपनाया जा रहा है?
हमारा देश भारत विमानन उद्योग में अत्याधुनिक तकनीकों जैसे कि बायोमेट्रिक्स (biometrics) और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence (AI) से लेकर ब्लॉकचेन (Blockchain) और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet of Things (IoT) का उपयोग करके विमानन क्षेत्र में सुरक्षा बढ़ाने, परिचालन दक्षता में सुधार करने और एक सहज यात्री अनुभव प्रदान करने की दिशा में अग्रसर है। इसके अलावा देश में अधिक टिकाऊ विमानन संसाधनों के उपयोग के साथ विद्युत प्रणोदन, बैटरी प्रौद्योगिकी और टिकाऊ विमानन प्रथाओं में विशेषज्ञता वाले पेशेवरों की मांग बढ़ने की भी संभावना है।
इन संभावनाओं को देखते हुए भारत सरकार द्वारा विमानन उद्योग के विकास को बढ़ावा देने हेतु नीतियां बनाने और पहल लागू करने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। क्षेत्रीय संयोज़कता योजना (UDAN), ओपन स्काई नीति (Open Sky Policy) और 'मेक इन इंडिया' (Make in India) जैसे अभियानों के माध्यम से निवेश आकर्षित करने और क्षेत्रीय संयोज़कता को बढ़ावा देने के साथ-साथ विमानन क्षेत्र के लिए अनुकूल कारोबारी माहौल को बढ़ावा दिया जा रहा है। आइए, भारत सरकार द्वारा चलाई जा रही विमानन क्षेत्र के विकास से जुड़ी ऐसी ही कुछ प्रमुख सरकारी नीतियों और पहलों के विषय में जानकारी प्राप्त करते हैं:
1. राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति (National Civil Aviation Policy): 2016 में क्रियान्वित की गई ‘राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन नीति’ का उद्देश्य क्षेत्रीय संयोज़कता को बढ़ाने के साथ-साथ हवाई यात्रा क्षमता और पर्यटन को बढ़ावा देना है। इस नीति के तहत क्षेत्रीय संयोज़कता योजना (Regional Connectivity Scheme (RCS) और ओपन स्काई पॉलिसी जैसे विभिन्न अभियानों की शुरुआत की गई है, जिनके माध्यम से नए विमानन स्टार्टअप, बुनियादी ढांचे के विकास और रोजगार सृजन को प्रोत्साहित किया जा रहा है। वास्तव में इस नीति का कार्यान्वयन भारतीय विमानन उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ है।
2. मेक इन इंडिया (Make in India) पहल: 'मेक इन इंडिया' पहल का उद्देश्य भारत को वैश्विक विनिर्माण केंद्र में बदलना और स्वदेशी विमान निर्माण को बढ़ावा देना है। यह पहल वैश्विक विमान निर्माताओं और भारतीय कंपनियों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करती है, देश के भीतर प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, कौशल विकास और रोजगार के अवसरों को बढ़ावा देती है। सरकार की इस महत्वाकांक्षी पहल ने विमानन क्षेत्र को सकारात्मक रूप से अत्यधिक प्रभावित किया है।
3. उड़ान (UDAN) योजना: 'उड़े देश का आम नागरिक' (UDAN) योजना मुख्य रूप से देश भर में कम या न के बराबर हवाई यातायात वाले हवाई अड्डों के लिए हवाई संयोज़कता बढ़ाने पर केंद्रित है। यह योजना उड़ान योजना से जुड़ी विमानन कंपनियों को वित्तीय प्रोत्साहन प्रदान करके और हवाईअड्डे के शुल्क को कम करके दूरदराज के क्षेत्रों में उड़ानें संचालित करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे आम नागरिकों के लिए सस्ती हवाई यात्रा संभव हो पाती है।
4. कौशल विकास कार्यक्रम: चूंकि कुशल कार्यबल का पोषण करके ही, तेजी से बढ़ते विमानन क्षेत्र की मांगों को पूरा किया जा सकता है। अतः विमानन उद्योग में कुशल कार्यबल के महत्व को पहचानते हुए, सरकार द्वारा विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इन कार्यक्रमों का उद्देश्य देश के विमानन पेशेवरों को विशेष प्रशिक्षण और प्रमाणन प्रदान करके उन्हें अधिक कार्य कुशल बनाना है।
5. बुनियादी ढांचे का विकास: भारत में विमानन उद्योग के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा बुनियादी ढांचे के विकास पर महत्वपूर्ण ज़ोर दिया जा रहा है। सरकार द्वारा हवाई अड्डों के आधुनिकीकरण और विस्तार, नए टर्मिनलों के निर्माण और हवाई नेविगेशन प्रणालियों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण निवेश किए जा रहे हैं, जिससे कि विमानन परिचालन दक्षता को बढ़ाकर यात्रियों के लिए यात्रा का अनुभव अधिक सहज बनाया जा सके।
सरकार द्वारा चलाई जा रही नीतियों और पहलों के साथ साथ विमानन उद्योग आधुनिक तकनीक एवं प्रौद्योगिकी के बल पर भी दिन प्रति दिन प्रगति कर रहा है। आइए विमान उद्योग से जुड़ी कुछ आधुनिक तकनीक एवं प्रौद्योगिकी के विषय में जानते हैं:
जड़त्वीय माप इकाइयाँ (Inertial Measurement Units (IMUs): आज तकनीक एवं प्रौद्योगिकी के आगमन के साथ शहरी वायु गतिशीलता (Urban Air Mobility (UAM) युक्त स्वचालित उड़ानें घने शहरी वातावरण में उड़ रही हैं। किंतु यदि कोई स्वायत्त वाहन अपना रास्ता भटक जाता है, तो यह लोगों और संपत्ति के लिए खतरा बन सकता है, ऐसी स्थिति में 'जड़त्वीय मापन इकाई' जीपीएस (GPS) उपलब्ध नहीं होने पर भी विमान की स्थिति की सटीक स्थिति प्रदान करती है।
बेहतर और अधिक व्यापक रडार: विमानन उद्योग ने मौसम रडार में भी तकनीक और नवाचार को जोड़कर इसे अत्यधिक आधुनिक एवं सुरक्षित बना दिया है। उदाहरण के लिए, हनीवेल का इंटुव्यू 3-डी वेदर रडार (Honeywell’s IntuVue 3-D Weather Radar), समुद्र में 60 मील तक खराब मौसम का पता लगा सकता है और ओलावृष्टि (hailstorm)और तूफान की भविष्यवाणी कर सकता है। हालांकि उन्नत राडार तकनीक अभी केवल प्रमुख विमान कंपनियों तक ही उपलब्ध है, लेकिन भविष्य में इसके और अधिक व्यावसायिक और सामान्य विमानन सेवाओं की पहुँच में आने की उम्मीद है।
कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial intelligence (AI): संयोज़क विमानों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग पूर्वकथन कुशाग्रता के लिए किया जाता है। भविष्य में कॉकपिट में भी विमान चालक की सहायता के लिए इसका उपयोग एक उपकरण के रूप में किए जाने की उम्मीद है।
संयोज़क एयरक्राफ्ट समाधान (Connected Aircraft solutions): संयोज़क एयरक्राफ्ट समाधानों द्वारा विमानचालकों और संचालकों को बेहतर जानकारी प्रदान की जाती है, जिससे विमानों का अधिक कुशल रखरखाव और अधिक मात्रा में आँकड़े एकत्र करना संभव हो पाता है। इसका उपयोग संचालक सुरक्षा को और बेहतर बनाने के लिए भी किया जा सकता है।
इसके साथ ही तकनीकी प्रगति ने विमान निर्माण उद्योग में भी डिजाइन, सामग्री, विनिर्माण प्रक्रियाओं और परिचालन क्षमताओं में प्रगति के साथ महत्वपूर्ण क्रांति ला दी है।
विमान निर्माण से जुड़ी कुछ प्रमुख तकनीकी प्रगति निम्नलिखित हैं:
कंप्यूटर-एडेड डिज़ाइन (Computer-Aided Design (CAD): CAD सॉफ़्टवेयर ने विमान डिज़ाइन को पूरी तरह परिवर्तित कर दिया है। इससे अभियंताओं को विमान घटकों और प्रणालियों के विस्तृत 3D मॉडल बनाने के साथ डिज़ाइन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने, सटीकता बढ़ाने, और वास्तविक प्रारूप बनाने से पहले आभासी परीक्षण और अनुरूपण की अनुमति मिलती है।
मिश्रित सामग्री: अब आधुनिक विमानों में उन्नत मिश्रित सामग्री, जैसे कार्बन फाइबर-प्रबलित पॉलिमर (carbon fiber-reinforced polymers), ने कई विमान घटकों में पारंपरिक धातुओं का स्थान ले लिया है। इस प्रकार की मिश्रित सामग्री वज़न में हल्की होती है जिससे विमान का वज़न कम हो जाता है और ईंधन दक्षता में सुधार होता है।
योगात्मक विनिर्माण: योगात्मक विनिर्माण ने विमान घटकों के उत्पादन में क्रांति ला दी है। यह तकनीक तेजी से प्रतिमानन और अनुकूलन की अनुमति देती है, जिससे विमान के डिजाइन के लचीलेपन के कारण समय और लागत दोनों कम हो जाते हैं।
फ्लाई-बाय-वायर प्रणाली (Fly-by-Wire Systems): फ्लाई-बाय-वायर तकनीक की सहायता से पारंपरिक यांत्रिक नियंत्रणों को इलेक्ट्रॉनिक प्रणाली में बदल दिया जाता है जिससे सटीक और कंप्यूटर-समर्थित उड़ान नियंत्रण प्राप्त होता है। यह प्रणाली विमान की गतिशीलता, स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ाती है।
बेहतर इंजन प्रौद्योगिकी: हाई-बाईपास टर्बोफैन (high-bypass turbofans) और गियर वाले टर्बोफैन इंजन (geared turbofan engines) के साथ इंजन प्रौद्योगिकी ने महत्वपूर्ण प्रगति की है और ईंधन दक्षता में काफी सुधार किया है। इससे उत्सर्जन में भी कमी आई है।
इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Internet of Things (IoT): अब विमान निर्माण के समय IoT उपकरणों और सेंसरों को विमान के घटकों में एकीकृत किया जाता है जिससे पूर्वानुमानित रखरखाव के लिए वास्तविक समय आंकड़े प्राप्त होते हैं और समग्र परिचालन दक्षता में सुधार होता है।
क्या आप जानते हैं कि हमारे मेरठ शहर में भी विमान उद्योग से जुड़ी हुई एक कंपनी है, जो विमान उद्योग से जुड़ी सेवाएं प्रदान करती है। ‘मेरठ एविएशन सेंटर ऑफ एक्सीलेंस प्राइवेट लिमिटेड’ (Meerut Aviation Centre OF Excellence Private Limited) एक भारतीय गैर-सरकारी निजी कंपनी है। इसे 'शेयरों द्वारा सीमित कंपनी' के रूप में वर्गीकृत किया गया है। कंपनी की अधिकृत पूंजी 10.0 लाख रुपये है। और वर्तमान में, कंपनी का संचालन सक्रिय है। कंपनी दिल्ली (दिल्ली) रजिस्ट्रार कार्यालय में पंजीकृत है।
संदर्भ
https://rb.gy/jutjpu
https://rb.gy/plwv4c
https://rb.gy/waur5k
https://rb.gy/hsvy6t
चित्र संदर्भ
1. विमानन प्रौद्योगिकी की तरक्की को संदर्भित करता एक चित्रण (Vecteezy)
2. एयर इंडिया के विमान को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
3. इंडिगो के विमान को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. हवाई यातायात नियंत्रक केंद्र को संदर्भित करता एक चित्रण (PICRYL)
5. भारतीय विमान को संदर्भित करता एक चित्रण (Needpix)
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