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अयोध्या के श्री राम मंदिर निर्माण में लगें हैं समनंदर पार से आए ऐतिहासिक पत्थर व् मिटटी

मेरठ

 15-01-2024 09:30 AM
विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)

"अयोध्या" प्राचीन काल से ही सनातन धर्म के सबसे पवित्र धार्मिक स्थलों में से एक मानी जाती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि न केवल भारत बल्कि दुनिया के कई अन्य स्थानों में भी अयोध्या नगरी से प्रेरित शहर अथवा स्थल मौजूद हैं। उदाहरण के लिए, थाईलैंड के “अयुत्या” नामक एक शहर (Ayutthaya) का नाम अयोध्या के नाम पर रखा गया है। इसी तरह इंडोनेशिया और श्रीलंका जैसे देशों के कुछ स्थानों का इतिहास भी अयोध्या नगरी के साथ बहुत गहराई से जुड़ा हुआ है।
अयोध्या उत्तर प्रदेश राज्य में सरयू नदी के तट पर स्थित एक अध्यात्मिक नगरी है। "अयोध्या" का शाब्दिक अर्थ 'बिना किसी संघर्ष की भूमि' (योद्ध का अर्थ है संघर्ष) होता है। पौराणिक कथा के अनुसार, जब भगवान राम, माता सीता और लक्ष्मण 14 वर्षों के वनवास के बाद वापस लौटे, तो उनके आगमन के साथ ही अयोध्या में भी खुशियाँ और सद्भाव लौट आया। अयोध्या को ऐतिहासिक रूप से "साकेत" के नाम से भी जाना जाता था। अयोध्या को मुख्य रूप से प्रभु श्री राम के जन्मस्थान के रूप में जाना जाता है। श्री राम के जन्मस्थान के रूप में मान्यता के कारण, अयोध्या को हिंदुओं के सात सबसे महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में से पहला तीर्थ माना गया है। अयोध्या शहर का पुराना नाम "अवध" हुआ करता था।
रामायण में वर्णित है कि अयोध्या नगरी प्राचीन कोशल साम्राज्य की राजधानी हुआ करती थी। इसे "कोशल" के नाम से भी जाना जाता था और यह शहर अपनी संपन्नता और समृद्धि के लिए प्रसिद्ध था।
इस शहर की सम्पन्नता और समृद्धि या ऐतिहासिक कारणों से प्रभावित होकर दुनियां के कुछ देशों के स्थानों के नाम भी अयोध्या के नाम पर रखे गए हैं। चलिए इनके बारे में जानते हैं: 1. अयुत्या: अयुत्या, थाईलैंड का एक शहर है। अयोध्या और अयुत्या दोनों शहर लगभग 3,500 किलोमीटर की दूरी पर और दो अलग-अलग देशों में स्थित हैं। हालाँकि, दोनों देशों के लोगों के लिए भगवान राम एक केंद्रीय भूमिका निभाते हैं और दोनों शहरों के लोगों को एक साथ बांधते हैं। सियाम (थाईलैंड) राज्य की स्थापना 13वीं शताब्दी के पूर्वार्ध में हुई थी। बैंकॉक (bangkok) से लगभग 70 किलोमीटर उत्तर में अयुत्या, सियाम राज्य का सबसे महत्वपूर्ण शहर और राजधानी बन गया। “अयुत्या” शब्द की जड़ें भगवान राम की जन्मभूमि अयोध्या में निहित हैं। अयुत्या शब्द मूलतः इस क्षेत्र में हिंदू धर्म के प्रभाव को इंगित करता है, तथा साथ ही साथ रामायण के थाई संस्करण 'रामकियेन' से भी जुड़ा है।
कहा जाता है कि राजा रामथिबोडी अयुत्या राज्य के पहले राजा थे और उन्होंने ही इस शहर का नाम “अयुत्या” रखा था। खुद राजा रामथिबोडी का नाम भी रामायण के प्रभाव को दर्शाता है। ऐसा कहा जाता है कि वहां के शाही अनुष्ठान हिंदू वैदिक ग्रंथों के अनुसार हुआ करते थे। रामायण को दक्षिण पूर्व एशिया में बौद्ध मिशनरियों (Buddhist missionaries) द्वारा लाया गया था। ऐसा कहा जाता है कि रामायण का थाई संस्करण अयुत्या साम्राज्य के दौरान ही लिखा गया था। बाद में राजा राम प्रथम ने ‘रामकियेन’ का पहला संस्करण संकलित किया, वहां की संस्कृति में राम आज भी पूजनीय है। आपको जानकर हैरानी होगी कि भगवान राम थाई संस्कृति में इतने रच-बस गए हैं कि वहां के लोग “अयुत्या की मिट्टी को अयोध्या केराम मंदिर निर्माण में लगने के लिए भेजा है, , जिसका इस 22 जनवरी 2024 में उद्घाटन (consecration) किया जाना है ।” यह पहल विश्व हिंदू परिषद और विश्व हिंदू फाउंडेशन (Vishwa Hindu Foundation) द्वारा की गई थी। 2. योग्यकार्ता (Yogyakarta): योग्यकार्ता, जिसे जोगता या जोगजाकार्ता (jogta or Jogjakarta) के नाम से भी जाना जाता है, इंडोनेशिया के जावा क्षेत्र का एक राजधानी शहर है। इस शहर का नाम भी रामायण महाकाव्य में वर्णित पवित्र शहर ‘अयोध्या’ के नाम से प्रेरित होकर रखा गया है। योग्यकार्ता शहर 32.5 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। "योग्य" शब्द का अर्थ "उपयुक्त, उचित", जबकि "कर्ता" का अर्थ "समृद्ध," होता है। इसलिए, योग्याकार्ता का अर्थ है "एक शहर जो समृद्धि के लिए उपयुक्त है" होता है।
3. विलुंद्री (Vilundri): विलुंद्री, श्रीलंका का एक महत्वपूर्ण स्थान है, जो रामायण महाकाव्य से जुड़ा है। यह स्थान श्रीलंका के त्रिंकोमाली शहर में स्थित है। माना जाता है कि यह वही स्थान है जहां भगवान राम, माता सीता के साथ अयोध्या वापस आते समय रुके थे। यहां पर वह ‘थिरु कोणेश्वरम’ मंदिर पहुंचने से पहले रुके थे। रामायण के तथ्यों के अनुसार भगवान राम ने इसी स्थान पर अपना धनुष भूमि पर टिकाया था। "विलुंद्री" नाम तमिल भाषा से लिया गया है, जहाँ "विल" का अर्थ"धनुष" और "उंद्री" का अर्थ "आराम करना" होता है। 4. अशोक वाटिका: हिंदू महाकाव्य रामायण के अनुसार, प्रभु श्री राम के वनवास के दौरान, रावण ने पंचवटी से माँ सीता का अपहरण कर लिया और उन्हें श्रीलंका में स्थित अशोक वाटिका में स्थित एक गुफा में बंदी बना लिया था। श्रीलंका में जिस स्थान पर माता सीता को बंदी बनाकर रखा गया था उसे सीता एलिया (Seetha Eliya) के नाम से जाना जाता है। यह सुंदर उद्यान लाखों वृक्षों से सुसज्जित है। अशोक वाटिका में माँ सीता को समर्पित एक अनोखा मंदिर भी है, जिसका नाम सीता अम्मन मंदिर है। मंदिर में श्री राम, माँ सीता और लक्ष्मण की मूर्तियाँ हैं। सीता नदी, जो अशोक वाटिका से होकर बहती है और जिस में से एक सदी पहले, कुछ मूर्तियाँ भी मिली थीं ।नदी की धारा के साथ-साथ चट्टानों में गोलाकार गड्ढे हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि ये हनुमान जी के पैरों के निशान हैं। उन्होंने माँ सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिए अशोक वाटिका में प्रवेश किया और वाटिका को कुछ हद तक नष्ट भी कर दिया था । आज अशोक वाटिका या सीता एलिया को एक पवित्र स्थल माना जाता है,जो आजदुनिया भर से भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करता है। आपको जानकर प्रसन्नता होगी कि अयुत्या की मिट्टी की भांति अशोक वाटिका के एक पत्थर का भी अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण में उपयोग किया जा रहा है। माना जा रहा है कि यह पत्थर भारत और श्रीलंका के बीच मजबूत संबंधों का प्रतीक होगा। ट्रस्ट के महासचिव राय ने कहा कि "ये पत्थर श्रीलंकाई समाज की भावना का प्रतिनिधित्व करेंगे।

संदर्भ
http://tinyurl.com/3b66shm3
http://tinyurl.com/3b66shm3
http://tinyurl.com/588kfa8k
http://tinyurl.com/2hkdmjaa
http://tinyurl.com/2hkdmjaa
http://tinyurl.com/nnfxst29

चित्र संदर्भ
1. अयोध्या में निर्माणाधीन राम मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
2. प्रभु श्री राम के दिव्य अयोध्या में आगमन को संदर्भित करता एक चित्रण (Flickr)
3. अयुत्या, थाईलैंड को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. योग्यकार्ता में मंदिरों को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
5. श्री लंका में सीता मंदिर को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. अशोक वाटिका में हनुमान जी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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