प्रस्तुत चित्र सन 1920 का पोस्टकार्ड है जिसका शीर्षक ‘इंडियाज़ राइजिंग जनरेशन’ है। इसमें कुछ बच्चों का छायाचित्र लिया गया है भारत की बढ़ती आबादी के ऊपर व्यंगपूर्ण टिप्पणी के तौर पर।
भारत की बढ़ती आबादी यह गहन चिंता का विषय बन चूका है क्यूंकि जिस तरीके और तेजी से हमारी आबादी बढ़ रही है बिलकुल उसके उल्टे गति से हमारे देश में जीविका के पर्याय कम हो रहे हैं। जीविका के ही पर्याय नहीं बल्कि बढ़ती आबादी की वजह से सुविधा और साधनों में भी कमतरता आती है तथा बीमारी आदि के आसार बढ़ जाते हैं। पुरे विश्व में तथा भारत में भी इस बढती जनसंख्या नामक राक्षस से लड़ने के लिए बहुत सी योजनायें बनाई गयी हैं मात्र सिर्फ योजना बनाना ही सब कुछ नहीं होता। आज की समय में यह योजनाएं तथा इस विषय में समाज के तल के स्तर तक जनजागृति होना अत्यंत जरुरी हैं।
सन 2011 के जनगणना के अनुसार मेरठ शहर की जनसंख्या 1,305,429 थी जिसमे 688,118 पुरुष थे और 617,311 औरतें थीं। मेरठ में लिंग अनुपात 897 है तथा साक्षरता दर 75.66 % है जिसमे पुरुष साक्षरता दर 80.97% है और स्त्री साक्षरता दर 69.79% है। सन 2001 के मुकाबले मेरठ ज़िले की जनसंख्या 14.89% से बढ़ी है और हर स्क्वायर किमी में यहाँ आबादी की घनता 1,346 है।
सरकार विविध योजनाओं के अंतर्गत मेरठ की आधारिक संरचना एवं सुविधा आदि बढ़ाने तथा पूरक करने की कोशिश में जुडी है साथ ही जनसंख्या नियंत्रण के विभिन्न योजनाएं और जनजागृति की भी पूर्ण कोशिश कर रही है। इसके अंतर्गत परिवार नियोजन, यौन विज्ञान शिक्षा आदि शामिल हैं। हमारे देश में आज भी घर का चिराग जलने के लिए बहुत सी ज्योतियाँ जलाई जाती हैं जिससे परिवार भी बढ़ता है साथ में देश की आबादी तथा सेहत और सुविधाओं की कमी यह अलग मुद्दा भी सामने आता है। मेरठ का कुल प्रजनन स्तर 3.1 (2012-2013) है तथा मातृ मृत्यु दर 151 (2012-2013) है। यूनाइटेड नेशन के अनुसार भारत का कुल प्रजनन स्तर 2.1 होना चाहिए (औसतन पुरे देश का)।
सिर्फ यह बात नहीं है, देश के निचले स्तर तक मतलब हर गाँव- गली तक परिवार नियोजन आदि की सुविधाएं और इस विषय के बारे में जागरूकता लाना अतिआवश्यक है। भारत सरकार, केंद्र सरकार, निजी सहायक संस्थाएं, एनजीओ आदि के सहाय से यूनाइटेड नेशंस द्वारा दिए निर्देशों और खुद तैयार किये गए परियोजनाओं द्वारा इस लक्ष्य को हासिल करने की पूरी कोशिश कर रही है। निम्नलिखित कदम सरकार इस परियोजना के अंतर्गत उठा रही है:
1. दो प्रसूतियों के बीच अंतर रखने के तरीके जैसे गर्भनिरोधक उपकरण तथा कंडोम, मिनिलैप, पुरुष एवं महिला नसबंदी इन
निरोधों का इस्तेमाल तथा इनके बारे में जनजागृति।
2. परिवार नियोजन एवं गर्भनिरोधन के साधन और जनजागृति गाँव- गली तक पहुँचाने के लिए आरंभिक स्तर पर केंद्र खोलना
तथा जितनी हो सके मुफ्त अथवा बहुत ही कम पैसों में इन सेवाओं को लोगो तक पहुँचाना।
3. पोस्टर, ऑडियो-विडिओ के जरिये लोगों तक इन सुविधाओं को पहुँचाना और जनजागृति करना।
4. आशा, अंतरा, संतुष्टि, प्रेरणा, मिशन परिवार विकास, राष्ट्रीय परिवार नियोजन क्षतिपूर्ति योजना, परिवार कल्याण योजना इन
सभी योजनाओं के तहत सरकार मुफ़्त गर्भनिरोधक, दो बच्चों के बीच अंतर रखने के लिए एवं नसबंदी आदि के लिए इनाम
तथा अगर इस में कुछ तकलीफ हुई तो उस हिसाब से मुआवज़ा देती है।
1. http://upnrhm.gov.in/site-files/dhap/districts/Meerut/Meerut__4_.pdf
2. http://mhrd.gov.in/statist
3.http://www.nihfw.org/Doc/Policy_unit/Population%20and%20DevelopmentG%C3%87%C3%B6Progress%20through%20Family%20Planning%20in%20Uttar%20Pradesh.%20September%202012..pdf
4. https://advancefamilyplanning.org/sites/default/files/resources/india_EN.pdf
5. http://www.youth-policy.com/policies/IND_UP_pp.pdf
6. http://iipsindia.org/research.htm
7. https://www.theindianiris.com/family-planning-indemnity-scheme-fpis-2013/
8. http://nhm.gov.in/nrhmcomponnets/reproductive-child-health/family-planing.html?start=10
9. http://pib.nic.in/newsite/PrintRelease.aspx?relid=133018
10. http://www.census2011.co.in/census/district/509-meerut.html
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