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तैमूर को तैमूर लंग, 'तिमूर' या 'तीमूर' के नाम से भी जाना जाता है। उसे चौदहवी शताब्दी का एक बेहद ही क्रूर शासक माना जाता है, जिसने तैमूरी राजवंश की स्थापना की थी। उसका साम्राज्य पश्चिम एशिया से लेकर मध्य एशिया होते हुए भारत तक फैला हुआ था। तैमूर ने 1398 में भारत पर आक्रमण किया था। भारत की ओर तैमूर की यात्रा समरकंद में उसके ठिकाने से शुरू हुई थी। 30 सितंबर, 1398 के दिन उसने सिंधु नदी को पार किया और भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी भाग (आधुनिक पाकिस्तान और उत्तर भारत) पर आक्रमण कर दिया। अक्टूबर 1398 तक उसकी तिमुरिड सेना ने पहले तुलम्बा और फिर मुल्तान में खूब तबाही मचाई। इस आक्रमण के माध्यम से उसका प्राथमिक लक्ष्य, भारत में मौजूद बहुमूल्य संपत्ति को लूटना और यहां पर इस्लाम का प्रचार करना था।
17 दिसंबर, 1398 के दिन सुल्तान नासिर उद-दीन महमूद की सेना और तैमूर की दुर्जेय सेना के बीच एक भीषण युद्ध हुआ। इस युद्ध में सुल्तान की सेना को करारी हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद तैमूर के लिए मेरठ की ओर बढ़ने का मार्ग प्रशस्त हो गया। हालांकि अपनी इस विजय यात्रा में उसे मेरठ के गवर्नर से कड़ी चुनौती का भी सामना करना पड़ा, लेकिन इसके बाजवूद भी वह लगातर जीत हासिल करते हुए उसी वर्ष दिल्ली तक पहुंचने में सफल हो गया। 1399 में, उसने हिंदुओं के पवित्र शहर हरिद्वार पर भी निर्ममता से हमला कर दिया और यहाँ पर भी खूब लूटपाट मचाई।
बाद के दिनों में अपने अतृप्त लालच की पूर्ति करने के लिए वह पंद्रह दिनों तक लगातार दिल्ली की विविध संपत्तियों को लूटता रहा और लूटपाट के माध्यम से उसने भारी संपत्ति एकत्र कर ली थी। युद्ध के बाद, तैमूर ने अपनी अधीनता में मुल्तान के गवर्नर खिज्र खान को दिल्ली सल्तनत का नया सुल्तान नियुक्त किया। तैमूर के हमले के कारण अनगिनत निर्दोष लोगों की जान चली गई और कई महिलाओं पर अकथनीय अत्याचार हुए। हालाँकि जिस दौरान तैमूर भारत में अपने अभियानों में व्यस्त था, उसी दौरान उसे बगदाद और मोसुल सहित उन कई शहरों से भी हाथ धोना पड़ा, जिन पर पहले उसने विजय प्राप्त की थी।
पूरे इतिहास में तैमूर को एक क्रूर विजेता के रूप में गिना जाता है, जिसने अपना पूरा शासनकाल अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए युद्ध लड़ते हुए ही बिताया। हालांकि तैमूर एक क्रूर और निर्दयी शासक होने के साथ-साथ एक शानदार सैन्य रणनीतिकार और कुशल कूटनीतिज्ञ भी था। उसे इतिहास के सबसे शक्तिशाली विजेताओं में से एक माना जाता है। उसने उत्तरी अफगानिस्तान में कार्त रियासत, हेरात के कार्त शासकों और खुरासान में सरबदारिद अमीरात को भी परास्त कर दिया था। उसने फारस, जॉर्जिया और भारत सहित कई अन्य क्षेत्रों पर आक्रमण किया और इन क्षेत्रों पर भी विजय प्राप्त कर ली।
मध्य एशिया का क्रूर सरदार, तैमूर इस तथ्य से भली-भांति परिचित था, कि युद्ध के क्षेत्र में भी टाइमिंग (Timing) यानी समय काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए उसने भारत पर आक्रमण शुरू करने के लिए बिल्कुल सही समय चुना। दरसल 1388 और 1394 के बीच, भारत पहले से ही उथल-पुथल की स्थिति में था। इस दौरान छह अलग-अलग सुल्तान, सत्ता को हथियाने के लिए आपस में ही झगड़ रहे रहे थे। इस आंतरिक कलह का लाभ उठाते हुए, तैमूर ने 1398 में भारत में आक्रमण करना शुरू कर दिया। चूंकि भारत, पहले से ही अव्यवस्थित था, इसलिए तैमूर की तेज-तर्रार और क्रूर सेना का कोई मुकाबला नहीं कर सकता था।
दिल्ली के सुल्तान के वीरतापूर्ण प्रयासों के बावजूद भी आंतरिक संघर्ष और कलह से कमजोर पड़ चुकी उसकी सेना का तैमूर के अनुभवी योद्धाओं से कोई मुकाबला ही नहीं था। इसीलिए यह युद्ध तैमूर की जीत के साथ समाप्त हुआ। अपनी क्रूरता के लिए जाना जाने वाला तैमूर, पहले ही अपने पीछे विनाश का एक निशान छोड़ चुका था, उसने सिरसा, फतेहाबाद और टोहाना जैसे शहरों को तबाह कर दिया था। अकेले टोहाना में उसने 2,000 लोगों को फांसी देने का आदेश दे दिया था।
लड़ाई से पहले, उसने 100,000 हिंदू कैदियों को फांसी देने का आदेश दे दिया, क्यों की वह यह मानता था कि ये हिंदू बंदी भागने की कोशिश कर सकते हैं और दुश्मन की मदद कर सकते हैं। लड़ाई के बाद, उसने दिल्ली और उसके आसपास के शहरों को लूटा, और अपने पीछे विनाश के निशान छोड़ दिए। इतिहासकार एन. जयपालन, तैमूर के अत्याचारों का वर्णन करते हुए लिखते हैं कि "इस दौरान पूरा देश लहूलुहान हो गया था। कई दिनों तक लूटपाट और तबाही चलती रही।" " हिंदुओं के सिर से ऊंचे टॉवर बनाए गए थे और उनके शरीर हिंसक जानवरों और पक्षियों को खिला दिए गए।" जो लोग नरसंहार से जिन्दा बच गए, उन्हें तिमुरिड साम्राज्य ने गुलाम बना लिया। दिल्ली में हुए विद्रोह के लिए भी इसी नरसंहार को आंशिक रूप से जिम्मेदार ठहराया जाता है। भारत के आंतरिक मसलों का फायदा उठाते हुए तैमूर ने जो हमला किया, उसके गहरे जख्म कई दशकों तक हरे के हरे ही रहे।
तैमूर ने अपने शासन और सैन्य अभियानों को सही ठहराने के लिए भारत में हुसैन की विधवा सराय मुल्क खानम से शादी की थी। सराय मुल्क खानम चंगेज खान की वंशज राजकुमारी थी। तैमूर की मृत्यु के बाद, उसके बेटे और पोते शाहरुख मिर्जा और खलील सुल्तान ने अपने उत्तराधिकार का युद्ध लड़ा, जिससे ट्रान्सोक्सियाना (TransOxiana) और मध्य एशिया में तैमूर के क्षेत्रीय लाभ कमजोर हो गए और साथ ही मामलुक सल्तनत, ओटोमन साम्राज्य, दिल्ली सल्तनत पर भी तैमूर का आधिपत्य कमजोर हो गया। हालाँकि, तिमुरिड राज्य 19वीं शताब्दी के मध्य तक भारतीय उपमहाद्वीप में मुगल साम्राज्य के रूप में जीवित रहा, जिसकी स्थापना तैमूर के परपोते बाबर ने की थी।
संदर्भ
https://tinyurl.com/33n9xahx
https://tinyurl.com/mr24mb4s
https://tinyurl.com/4kuaaswu
https://tinyurl.com/6j87kn8f
चित्र संदर्भ
1. एक युद्धक्षेत्र और तैमूर की प्रतिमा को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
2. तैमूर के चेहरे के पुनर्निर्माण को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
3. इस्फ़राह की घेराबंदी और लड़ाई को दर्शाता एक चित्रण (PICRYL)
4. राजपूतो के युद्ध के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (picryl)
5. पानीपत के युद्ध को दर्शाता एक चित्रण (PICRYL)
6. उज्बेकिस्तान में तैमूर की मूर्ति को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
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