आज भाईदूज के अवसर पर हिंदू पौराणिक ग्रंथों की जुड़वा विभूतियों से मिलते हैं!

विचार I - धर्म (मिथक/अनुष्ठान)
14-11-2023 10:10 AM
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आज भाईदूज के अवसर पर हिंदू पौराणिक ग्रंथों की जुड़वा विभूतियों से मिलते हैं!

क्या आप जानते हैं कि प्राचीन पश्चिमी मिथकों में, जुड़वाँ बच्चों को अक्सर प्रतिद्वंद्वी या अशुभ के रूप में चित्रित किया जाता है? लेकिन भारतीय पौराणिक कथाओं में उन्हें इसके ठीक विपरीत यानी जुड़वाँ बच्चों को अक्सर "दिव्य" और “शक्तिशाली” के रूप में देखा जाता है। अधिकांश संस्कृतियों में जुड़वाँ बच्चों को अक्सर विशेष, (खासतौर पर मौसम से जुड़ी) शक्तियों के साथ चित्रित किया जाता है। हिन्दू भारतीय पौराणिक कथाओं में जुड़वा बच्चों को अक्सर सकारात्मक मिथकों और किंवदंतियों से घिरे असाधारण व्यक्तियों के रूप में चित्रित किया गया है। वे रूढ़ियों तक ही सीमित नहीं हैं, यानी ये जुड़वाँ बच्चे पुरुष और महिला दोनों हो सकते हैं। भारतीय पौराणिक कथाओं में जुड़वाँ बच्चे आपस में गहरे बंधन और भाई-बहन के प्यार के लिए जाने जाते हैं। वे संपूर्णता और पूर्णता के प्रतीक होते हैं। हिंदू पौराणिक कथाएँ जुड़वा बच्चों की कहानियों से समृद्ध हैं, जिनमें से प्रत्येक बच्चा अद्वितीय गुणों और प्रतीकों का प्रतिनिधित्व करता है।
चलिए अब हिंदू पौराणिक कथाओं में वर्णित उल्लेखनीय जुड़वां विभूतियों के बारे में जानते है: १. अश्विन: ये दिव्य जुड़वां बच्चे सूर्य देव के पुत्र माने जाते हैं। अश्विन को अश्विनी कुमार और अश्विनौ के नाम से भी जाना जाता है, ये हिंदू जुड़वां देवता हैं जो चिकित्सा, स्वास्थ्य, भोर और विज्ञान से जुड़े हैं। इनका वर्णन प्राचीन भारतीय धार्मिक ग्रंथ ऋग्वेद में कई बार मिलता है। इन्हें अक्सर "स्वर्ग के पुत्र" कहा जाता है और वे घोड़ों और रथों से जुड़े होते हैं। ऋग्वेद में इन जुड़वां देवताओं के लगभग 400 संदर्भ हैं। इसी तरह के जुड़वां देवता अन्य इंडो-यूरोपीय पौराणिक कथाओं में भी पाए जाते हैं। माना जाता है कि अश्विनों का पंथ प्रोटो-इंडो-यूरोपीय मूल (Proto-Indo-European origins) का नहीं है, बल्कि उस समय से चला आ रहा है जब घोड़े से खींचे जाने वाले रथ का विकास हुआ था। रथ के प्रचलन के साथ-साथ देवताबद्ध रथ दल की पौराणिक कथाएँ और पंथ भी प्रचलित हो गए।
२. कोटि और चेन्नय्या: कोटि और चेन्नय्या दो जुड़वां नायक हैं, जिनकी दक्षिण भारतीय राज्य कर्नाटक में पूजा की जाती है। इन्हें अपनी बहादुरी और निस्वार्थता के लिए जाना जाता है और इनकी कहानियाँ अक्सर बच्चों को प्रेरित करने के लिए सुनाई जाती हैं। ३. यम और यमी (यमुना): ये दोनों जुड़वां देवी-देवता मृत्यु से जुड़े हैं। यम मृत्यु के देवता हैं, जबकि यमी मृतकों की देवी हैं। यमी मृतक की आत्माओं का न्याय करने और उन्हें परलोक में उनका उचित स्थान दिलाने के लिए जिम्मेदार मानी जाती हैं। ४. लव और कुश: ये जुड़वां भाई हिंदू महाकाव्य रामायण के केंद्रीय पात्र राम और सीता के पुत्र हैं, इन दोनों का जीवन दर्शन बहुत ही प्रेरणादायक और मार्मिक है।
५. नकुल और सहदेव: ये जुड़वां भाई पांडवों में सबसे छोटे भाई हैं। नकुल घुड़सवारी में अपने कौशल के लिए प्रसिद्ध हैं, जबकि सहदेव ज्योतिष और शस्त्र विद्या के विशेषज्ञ माने जाते हैं।
६. लक्ष्मण और शत्रुघ्न: लक्ष्मण और शत्रुघ्न अयोध्या के राजा दशरथ और रानी सुमित्रा के पुत्र हैं। लक्ष्मण, राम के आज्ञाकारी भाई हैं, जबकि शत्रुघ्न भरत के आज्ञाकारी भाई माने जाते हैं। ७. इंद्र और अग्नि: इन जुड़वां देवताओं को एक जैसा चित्रित किया जाता है। इंद्र देवताओं के राजा हैं, जबकि अग्नि “आग” के देवता माने जाते हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं में, नर और नारायण नामक दो जुड़वां विभूतियों की कहानी आत्म-साक्षात्कार और भक्ति के अवतार के रूप में सामने आती है। धार्मिकता के देवता “धर्म” और उनकी पत्नी “मूर्ति” से जन्मे ये दिव्य जुड़वां बच्चे अपनी बुद्धिमत्ता और आध्यात्मिक प्रथाओं के प्रति समर्पण के लिए प्रसिद्ध थे। नर-नारायण को हिंदू त्रिमूर्ति में संरक्षक देवता, भगवान विष्णु का अवतार माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार ये दोनों धर्म और धार्मिकता को बनाए रखने और दैवीय व्यवस्था की रक्षा के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए थे। भगवान शिव को अक्सर अर्धनारीश्वर, आधे पुरुष और आधे महिला के रूप में चित्रित किया जाता है, जिसमें नर-नारायण देवता के पुरुष पहलू का प्रतिनिधित्व करते हैं। यह प्रतीकात्मक मिलन ब्रह्मांड के भीतर मर्दाना और स्त्री ऊर्जा के बीच सामंजस्यपूर्ण संतुलन का प्रतीक है। हिंदू पौराणिक कथाओं में, नर नारायण, मानवता की दोहरी प्रकृति अर्थात भौतिक और आध्यात्मिक दोनों क्षेत्रों का प्रतीक मानी जाती है। नर, मानव स्वरूप का प्रतीक है, जबकि नारायण दिव्य सार का प्रतिनिधित्व करता है। नर नारायण मानवता और देवत्व के अविभाज्य मिलन के भी प्रतीक हैं। नर, मानवीय पहलू, नश्वर, भौतिक क्षेत्र का प्रतीक है, जबकि नारायण, दिव्य पहलू, शाश्वत, आध्यात्मिक क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। कई उदाहरणों में, जुड़वाँ बच्चे एक गहरा बंधन साझा करते हैं। हालांकि इन जुड़वां बच्चों में से पहले वाले का महत्व दूसरे अधिक हो सकता है। उदाहरण के लिए, शत्रुघ्न, कृपी और मत्स्य जैसे कुछ मामलों में, एक जुड़वां बच्चे का महत्व दूसरे बच्चे से कम हो सकता है। वहीं कुछ मामलों में दोनों जुड़वाँ बच्चों की भूमिका समान होती है। उदाहरण के तौर पर रामायण में राम के जुड़वाँ पुत्रों लव और कुश, दोनों की भूमिका सामान होती है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/ytk5ep6t
https://tinyurl.com/yc253yrc
https://tinyurl.com/5y5mhf89
https://tinyurl.com/2uw9eytp

चित्र संदर्भ
1. लव-कुश और यम और यमी को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
2. दो जुड़वाँ बहनों को दर्शाता एक चित्रण (needpix)
3. अश्विन को दर्शाता एक चित्रण (worldhistory)
4. यम और यमी को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
5. लव और कुश को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
6. अग्नि “आग” के देवता को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
7. दशावतार मंदिर में नर-नारायण को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)
8. अहमदाबाद के स्वामीनारायण मंदिर में नर-नारायण के जुड़वां रूप को दर्शाता एक चित्रण (wikipedia)