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हमारे मेरठ से सर्पों की देवी माँ मनसा और सांपों का पौराणिक काल से ही रिश्ता रहा है!

मेरठ

 09-11-2023 09:45 AM
रेंगने वाले जीव

प्राचीन काल से ही भारतीय लोगों का प्रकृति के साथ अद्भुत तादात्म्य स्थापित हो चुका है। एक ओर जहां दुनियां के बाकी हिस्सों में, सांपों को “इंसानों के दुश्मन या इंसानों के भोजन” के रूप में देखा जाता है, तो वहीं भारत में सांप जैसे जहरीले और जानलेवा जीव की भी पूजा की जाती है। भारतीयों का यह व्यवहार दर्शाता है कि, भारत में प्रकृति के प्रत्येक स्वरूप का सम्मान किया जाता है। आज हम आपको विशेष रूप से हमारे मेरठ तथा नागों से जुड़ी रोमांचक किवदंतियों के बारे में बताने जा रहे हैं। हमारे मेरठ शहर में सापों से जुड़ी हुई दो किवदंतियां बहुत अधिक प्रचलित हैं। ये किवदंतियां हमारी प्राचीनता और धार्मिकता को आपस में जोड़ती हैं। इनमें से पहली कहानी “नागों की देवी, माता मनसा को समर्पित है।” जिसका हमारे मेरठ में एक मंदिर भी प्रतिष्ठित है। भारत के बंगाल में, विशेषकर यहां के ग्रामीण क्षेत्रों में,भगवान के देवी स्वरूप की पूजा करने की एक मज़बूत परंपरा है। यहां पर सर्पों की देवी, “माँ मनसा देवी” को सबसे शक्तिशाली और पूजनीय गैर-आर्यन देवियों में से एक माना जाता है। बंगाल की संस्कृति और समुदायों के बीच, मनसा देवी विशेष रूप से पूजनीय हैं। माँ मनसा, उग्र शक्ति और अटूट भक्ति दोनों का प्रतीक मानी जाती हैं। बंगाल के जंगलों और दलदलों में सर्पदंशों का खतरा बहुत अधिक रहता है, लेकिन वहां पर ऐसी मान्यता है कि माँ मनसा देवी यहां के निवासियों की सांपों से रक्षा करती हैं।
मनसा देवी की पूजा के लिए विभिन्न गांवों की अपनी-अपनी अनूठी रीति-रिवाज और प्रथाएं होती हैं। बंगाल के साथ-साथ भारत के कई अन्य हिस्सों मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, दक्षिण असम और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों तथा उत्तराखंड में भी माँ मनसा अति पूजनीय देवी मानी जाती हैं। यहां पर सर्पदंश से रोकथाम और इसके इलाज के साथ-साथ, प्रजनन क्षमता और समृद्धि प्राप्त करने के लिए भी माँ मनसा की पूजा की जाती है। माँ मनसा को नागों के राजा “शेष” और “वासुकी” की बहन तथा ऋषि जरत्कारु की पत्नी माना जाता है। उन्हें विषहरी, नित्या और पद्मावती जैसे अन्य नामों से भी संबोधित किया जाता है। हालांकि क्षेत्रीय परंपराओं में, मनसा देवी को अक्सर एक बुरे स्वभाव वाली महिला के रूप में चित्रित किया जाता है, जिसका कारण है कि उन्हें उनके पिता, शिव और पति, जरत्कारु द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था। यह भी कहा जाता है कि वह अपनी सौतेली माँ “चंडी” से ईर्ष्या करती थी। हालांकि अपने संघर्षपूर्ण जीवन के बावजूद, माँ मनसा अपने भक्तों के प्रति हमेशा दयालु रहती हैं। मान्यता है कि माँ मनसा को हमेशा अपने भक्तों से भेंट की लालसा रहती है, और इससे जुड़ी एक कहानी भी बहुत अधिक प्रचलित है।
किवदंती के अनुसार एक बार की बात है, भागीरथी नदी के किनारे चंद सौदागर नाम का एक धनी व्यापारी रहता था। उसे अपने धन पर बहुत घमंड था और वह देवी-देवताओं की पूजा में भी विश्वास नहीं करता था। माता मनसा देवी भी उसी क्षेत्र में निवास करती थीं। उन्हें अपने भक्तों से आभूषण, स्वादिष्ट भोजन और अच्छे कपड़े जैसी बेहतरीन उपहार लेना बहुत प्रिय था। उनके कई भक्त थे जो उन्हें ढेरों उपहार देते थे। हालांकि चंद सौदागर ऐसा नहीं करना चाहता था।
मनसा देवी ने चंद सौदागर को कई बार चेताया और उसे उपहार देने के लिए कहा, लेकिन उसने उन सभी चेतावनियों को नजरअंदाज कर दिया। अंत में, माँ मनसा देवी स्वयं भी उसके समक्ष प्रकट हुई और उससे कुछ भेंट देने की विनती की, लेकिन उसने फिर भी इनकार कर दिया। इस बार माँ मनसा देवी बहुत क्रोधित हो गईं और उन्होंने चंद सौदागर के सभी सात बेटों को मृत्यु का श्राप दे दिया।चंद सौदागर ने पहली बार में उनकी चेतावनी को हंसी में उड़ा दिया। लेकिन फिर मनसा देवी ने उसे अपना भयानक रूप दिखाया और उसे श्राप दे दिया कि “वह अपनी सारी संपत्ति और अपने पुत्रों को खो देगा।” इस बार चंद सौदागर घबरा गया और तुरंत माफ़ी मांगने लगा। तब मनसा देवी ने उनसे कहा कि उसकी रक्षा तभी हो सकती है, जब वह उनके (माँ मनसा देवी) सम्मान में एक भव्य मंदिर बनवाएगा और अपनी सारी संपत्ति उन्हें अर्पित कर देगा। इस बार चंद सौदागर भी मनसा देवी के कहने पर सहमत हो गए और उन्होंने उनके लिए एक सुंदर मंदिर बनवाया। उन्होंने माता को अपनी सारी संपत्ति भेंट कर दी, और अंततः माँ भी उससे प्रसन्न हो गई। उन्होंने चंद सौदागर को श्राप मुक्त कर दिया और इस प्रकार चंद सौदागर के सभी बेटे भी बच गये। सौभाग्य से हमारे मेरठ के सूरजकुंड स्थित सती मंदिर में भी मां मनसा देवी को समर्पित एक मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि यहां पर मां मनसा देवी की पिंडी की स्थापना हजारों वर्ष पूर्व रामायण कालीन सतयुग में मंदोदरी के द्वारा की गई थी। माना जाता है कि मंदोदरी किसी दोष से पीड़ित थी लेकिन उनको किसी विद्वान ने बताया था कि अगर वह मां मनसा देवी की पिंडी की स्थापना कर उनकी विधि विधान के साथ पूजा करेंगी तो वह दोष मुक्त हो जाएगी। तब से लेकर आज तक हर साल विशेष रूप से वैशाखी पंचमी के दिन भक्त यहाँ पर पूजा अर्चना करने के लिए पहुंचते हैं। मेरठ में स्थित यह मंदिर एक मठ के आकार में बना हुआ है, जिसके भीतर प्रवेश करने के लिए आपको बैठकर ही जाना पड़ता है। इतिहासकारो द्वारा इस मंदिर का इतिहास 5000 वर्ष से भी अधिक पुराना बताया जाता है।
आपको जानकार हैरानी होगी कि हमारे मेरठ शहर से मात्र 40 किमी की दूरी पर स्थित परीक्षितगढ़ और सांपों के बीच भी एक अनोखा संबंध माना जाता है। मान्यता है कि अगर परीक्षितगढ़ में या फिर यहां मौजूद श्रृंगी ऋषि आश्रम के आसपास भी कहीं सांप होता है, तो वहां मौजूद इंसान को इसका अहसास पहले ही हो जाता है। मान्यता ये भी है कि यहां पर केवल राजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय का नाम लेने भर से ही सांप पीछे हट जाते हैं। परीक्षितगढ़ किले का नाम राजा परीक्षित के नाम पर पड़ा है। राजा परीक्षित उत्तरा और अभिमन्यु के पुत्र थे जिनको कृष्ण ने अश्वत्थामा द्वारा चलाये गए ब्रम्हास्त्र से बचाया था। माना जाता है कि राजा परीक्षित की सर्पदंश से मृत्यु हो गई थी। उनकी मृत्यु से जुड़ी किवदंती के अनुसार एक बार राजा परीक्षित जंगल का भ्रमण करते हुए ऋषि शमीक की कुटिया में पहुंचे थे। परीक्षित बहुत प्यासे थे, किंतु ऋषि शमीक बेहद गहरी ध्यानअवस्था में लीन थे। राजा परीक्षित द्वारा उन्हें बहुत बार जगाने पर भी वे ध्यान से बाहर न आये। अंत में परेशान होकर उन्होंने एक मरे हुए सांप को ऋषि शमीक के ऊपर डाल दिया था। इस दृश्य को देखकर क्रोधित हुए ऋषि शमीक के पुत्र श्रृंगी ने राजा परीक्षित को श्राप दिया कि आज से 7वें दिन उन्हें एक सांप काट लेगा और उनकी मृत्यु हो जायेगी। और हुआ भी कुछ ऐसा ही क्यूंकि इसके ठीक 7वें दिन बाद तक्षक सांप, एक ऋषि का वेश बना कर राजा से मिलने आया और उसने राजा परीक्षित को डस लिया जिससे उनकी मृत्यु हो गयी। आज भी श्रृंगी ऋषि आश्रम में श्रृंगी ऋषि की मूर्ति में सांप लटका हुआ नजर आता है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/337xced7
https://tinyurl.com/yeunpxkp
https://tinyurl.com/2rn2dk7a
https://tinyurl.com/yr574nnc
https://tinyurl.com/43jpyp7j
https://tinyurl.com/yznrxktk

चित्र संदर्भ
1. सर्पों की देवी माँ मनसा और एक सांप को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. मेरठ के मनसा देवी मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. मेरठ के मनसा देवी मंदिर में मनसा देवी की प्रतिमा दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक भारतीय व्यक्ति को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
5. ध्यानमग्न साधु को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. एक सर्प किवदंती को दर्शाता एक चित्रण (DeviantArt)

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