बल्गेरिया और भारत के ऐतिहासिक गठजोड़ उजागर करती है, संस्कृत भाषा

ध्वनि II - भाषाएँ
08-11-2023 09:39 AM
Post Viewership from Post Date to 09- Dec-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Messaging Subscribers Total
2347 238 0 2585
* Please see metrics definition on bottom of this page.
बल्गेरिया और भारत के ऐतिहासिक गठजोड़ उजागर करती है, संस्कृत भाषा

संस्कृत को सभी भाषाओं की 'जननी' माना जाता है। दुनियां की लगभग हर भाषा में आपको संस्कृत से उधार लिया गया या संस्कृत से प्रेरित कोई न कोई शब्द अवश्य नजर आ जायेगा। आपको जानकर हैरानी होगी कि बल्गेरिया (Bulgaria) (जिसे कभी थ्रासिया “Thracia” के नाम से जाना जाता था) की स्लाव भाषा “Slavic language” और संस्कृत में कई संरचनात्मक समानताएं मिलती हैं। भारत और बल्गेरिया के बीच हजारों साल पुराना और समृद्ध संबंध रहा है। दोनों ही देशों की साझा भाषाई विरासत रही है, क्योंकि दोनों देश इंडो-यूरोपीय भाषा “Indo-European language” (संस्कृत और बल्गेरियाई) बोलते हैं।
इंडो-यूरोपीय भाषाओं का अध्ययन 19वीं सदी के यूरोप में शुरू हुआ था, और विद्वानों ने तुरंत ही संस्कृत तथा यूरोपीय भाषाओं के बीच समानता को पहचान लिया था। उन्होंने पाया कि संस्कृत सबसे पुरानी ज्ञात इंडो-यूरोपीय भाषा है और यह यूरोपीय भाषाओं तथा संस्कृतियों की उत्पत्ति के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकती है। हालांकि इस खोज से काफी उत्साह और अटकलें पैदा होने लगी, क्योंकि कुछ विद्वानों ने इस विचार को बढ़ावा देना शुरू कर दिया कि इंडो-यूरोपीय लोग एक श्रेष्ठ नस्ल होते हैं। ऐसा इसलिए माना जा रहा था क्यों कि इंडो-यूरोपीय भाषाएँ अन्य भाषाओं की तुलना में अधिक उन्नत थीं, और इसलिए इंडो-यूरोपीय लोग अधिक बुद्धिमान और सभ्य माने जाते थे। संस्कृत, ने अपनी जड़ें यूरोपीय लोकाचार में गहराई तक जमा लीं थी। 19वीं शताब्दी में, यूरोपीय लोग अपनी उत्पत्ति का पता लगाने के प्रति बेहद आतुर हो गए और उस समय भारत-यूरोपीय अध्ययन एक अंतरराष्ट्रीय जुनून जैसा बन गया। इसलिए यूरोपीय लोगों ने यूरोप की जड़ों की खोज सबसे प्राचीन संस्कृत ग्रंथों में करनी शुरू की। 1968 में, साइरस एच. गॉर्डन (Cyrus H. Gordon) ने अपनी पुस्तक (फॉरगॉटेन स्क्रिप्ट्स (Forgotten Scripts) में लिखा था कि आर्यवाद यूरोपीय दिमाग में बसा हुआ है। बल्गेरिया और भारत के बीच प्राचीन संबधों की पुष्टि भी पौराणिक कथाओं, भाषा विज्ञान और पुरातत्व के साक्ष्यों से ही होती हैं। उदाहरण के लिए, थ्रासियन “Thracians” (जो स्लाव के आगमन से पहले बल्गेरिया में रहते थे।), के पास भारतीय वीणा के समान सात-तार वाली वीणा थी। इसके अलावा थ्रासियन के डायोनिसियाक रहस्य (Dionysiac Mystery) भी भगवान कृष्ण से जुड़े हॉलिसाका (Hallisaka) नृत्य के समान थे।
ग्रीक भाषा मूलतः तीन तत्वों से बनी है:
1. सब्सट्रेटम शब्दावली (Substratum vocabulary): इसमें भौतिक संस्कृति (जैसे, धातु, टिन, तलवार), राजनीतिक और सामाजिक अवधारणाओं (जैसे, राजा, दास), ग्रीक नायकों और देवताओं और स्थान के नाम से संबंधित शब्द शामिल हैं।
2. संस्कृतीकरण (Sanskritization): इसका तात्पर्य संस्कृत की मूल शब्दावली और व्याकरणिक संरचनाओं को अपनाने से है। उदाहरण के लिए, ग्रीक शब्द 'डिडोमी' संस्कृत शब्द 'दादामी' के समान है।
3. प्रोटो-यूरोपीय शब्दावली (Proto-European vocabulary): इसमें यूरोपीय परिवेश के लिए विशिष्ट शब्द जैसे पौधों और जानवरों के नाम शामिल हैं जो अधिकांश यूरोपीय भाषाई समूहों में आम हैं लेकिन इंडो-ईरानी भाषाओं में नहीं पाए जाते हैं।
प्रारंभिक कांस्य युग (3000-2000 ईसा पूर्व) के दौरान ग्रीक ने इंडो-यूरोपीय नवागंतुकों द्वारा बोली जाने वाली भाषा की कई विशेषताओं को अपनाया, जिससे इसमें काफी बदलाव आया। सब्सट्रेटम शब्दावली, संस्कृतिकरण और प्रोटो-यूरोपीय शब्दावली के इस संयोजन को इंडो-यूरोपीय सिंड्रोम (Indo-European Syndrome) के रूप में जाना जाता है। बल्गेरिया की स्लाव भाषा और संस्कृत के बीच के संबंधों को पहली बार 1850 में बल्गेरिया के ओटोमन शासन (Ottoman rule) के दौरान बल्गेरियाई क्रांतिकारी जॉर्जी राकोवस्की (Georgi Rakovsky) द्वारा उजागर किया गया था। जॉर्जी राकोवस्की 19वीं सदी के प्रसिद्ध बल्गेरियाई क्रांतिकारी, लेखक और राजमिस्त्री थे। उनका जन्म 1821 में बल्गेरिया के कोटेल शहर में हुआ था। राकोवस्की बल्गेरियाई राष्ट्रीय पुनरुद्धार, बल्गेरिया में सांस्कृतिक और राजनीतिक जागृति के काल में जाने-माने व्यक्ति हुआ करते थे। वह ओटोमन शासन के खिलाफ प्रतिरोध में भी अग्रणी रूप से शामिल थे। राकोवस्की ने ओटोमन के खिलाफ कई सशस्त्र विद्रोहों का भी नेतृत्व किया।
राकोवस्की एक विपुल लेखक थे। उन्होंने कविता, निबंध और ऐतिहासिक रचनाएँ लिखीं। उन्होंने संस्कृत से बल्गेरियाई में कई कार्यों का अनुवाद भी किया। 1865 में, उन्होंने अपनी खुद की पत्रिका, "बल्गेरियाई एंटिक्विटीज़" ("Българска старина") जारी की, जिसका केवल एक संस्करण प्रकाशित हुआ था। पत्रिका में अपने लेख में, राकोवस्की ने नौ से अधिक भाषाओं में अपने प्रवाह का प्रदर्शन करते हुए अपने सभी स्रोतों को उनकी मूल भाषाओं में उद्धृत किया। वह प्राचीन वैदिक ग्रंथों का बल्गेरियाई में अनुवाद करने वाले पहले यूरोपीय व्यक्ति भी थे।
19वीं शताब्दी के मध्य में जॉर्जी राकोवस्की की भारत में विशेष रुचि विकसित होने लगी। उन्होंने संस्कृत सीखी और इसी के बाद उन्होंने भारत और बल्गेरिया के बीच समानताएं देखीं। उनका मानना था कि “भारत, बल्गेरियाई और अन्य यूरोपीय लोगों का मूल स्थान था।” उन्होंने भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद की भी निंदा की। उन्होंने भारतीय लोगों के संघर्षों और उत्पीड़न के प्रति उनके प्रतिरोध के बारे में विस्तार से लिखा। राकोवस्की का मानना था कि भारत बल्गेरियाई और अन्य यूरोपीय लोगों का मूल स्थान था। उन्होंने तर्क दिया कि आर्य जाति और मानव दर्शन, वेदों और अवेस्ता के प्राचीन ग्रंथों में व्यक्त किए गए थे। संस्कृत की अपनी विद्वता के माध्यम से, राकोवस्की प्राचीन भाषा और बल्गेरिया के बीच कई संबंध स्थापित करने में सक्षम रहे। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि बल्गेरिया में पूर्व-ईसाई धार्मिक प्रथाओं में शैववाद के तत्व मौजूद थे। क्या आप जानते हैं कि भारत की राजधानी दिल्ली में "जॉर्जी राकोवस्की" को समर्पित एक स्कूल भी है। इसकी स्थापना 1960 में हुई थी और यह भारतीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के शिक्षा विभाग के अधिकार क्षेत्र में है। 1998 में, भारत सरकार ने स्कूल का नाम बदलकर जॉर्जी राकोवस्की कर दिया। साल 2009 में बल्गेरिया के तत्कालीन उप प्रधान मंत्री और विदेश मंत्री ने भी दिल्ली में जॉर्जी राकोवस्की स्कूल का दौरा किया था। वर्तमान में जॉर्जी राकोवस्की स्कूल के छात्र कोरल गायन, चित्रकारी, योग और हिंदी तथा अंग्रेजी गायन में दिल्ली में सर्वश्रेष्ठ छात्रों में से एक माने जाते हैं।

संदर्भ
https://tinyurl.com/2w5nddhv
https://tinyurl.com/5d4nyum3
https://tinyurl.com/47da435z
https://tinyurl.com/y3c7f2fn
https://tinyurl.com/yzzezmrk

चित्र संदर्भ
1. एक संस्कृत अभिलेख और एक महिला को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia, Active Bulgarian Society)
2. विश्व मानचित्र में बल्गेरिया को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. वास्तु संग्रह पांडुलिपि को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. बल्गेरियाई क्रांतिकारी जॉर्जी राकोवस्की को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. जॉर्जी राकोवस्की द्वारा लिखित बल्गेरियाई हैडुट्स, नामक पुस्तक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)