मेरठ के उम्दा शायरों ने किया है, उर्दू कविता की ‘नज़्म’ शैली को प्रसिद्ध

ध्वनि II - भाषाएँ
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मेरठ के उम्दा शायरों ने किया है, उर्दू कविता की ‘नज़्म’ शैली को प्रसिद्ध

आपने आज तक कई फिल्मी गानों में ‘नज़्म’ इस शब्द का उल्लेख पाया होगा। इस शब्द को ऐसे कई गानों में पिरोया गया है। परंतु, प्रश्न यह है कि, यह नज़्म दरअसल क्या है? आइए, आज इसके बारे में पढ़ते है, साथ ही, यह भी जानते हैं कि, यह हमारे शहर मेरठ के साथ कैसे जुड़ा हुआ है।
नज़्म उर्दू व सिंधी कविताओं का एक प्रमुख हिस्सा एवं शैली है, जो आम तौर पर छंदबद्धपद्य में और आधुनिक गद्य-शैली की कविताओं में भी लिखा जाता है। वास्तव में, किसी के विचारों और भावनाओं को नियंत्रित करके, नज़्म लिखी जाती है, जिस पर काव्यात्मक नियमों के अनुसार, रचनात्मक रूप से चर्चा की जाती है और इसे विकसित किया जाता है। तथा अंत में, इसका एक निष्कर्ष निकाला जाता है। नज़्म का शीर्षक ही, समग्र रूप से केंद्रीय विषयवस्तु रखता है। जबकि, नज़्म लिखते समय किसी नियम का पालन करना ज़रूरी नहीं है,क्योंकि,यह इसे लिखने वाले पर निर्भर करता है। कोई नज़्म लंबी या छोटी हो सकती है, और इसके आकार या छंद योजना पर कोई प्रतिबंध नहीं होता है। और तो और, किसी नज़्म में लिखी सभी आयतें आपस में जुड़ी होती हैं। संक्षेप में, नज़्म वर्णनात्मक कविता का एक रूप है। लेकिन, नज़्म प्रसिद्ध कैसे हुई? दरअसल,‘अफ़सर मेरठी’ एक प्रसिद्ध कवि, लेखक और आलोचक है। उन्होंने छोटे बच्चों के लिए कविताएं तथा लघु कहानियां भी लिखी हैं। उनका रचनात्मक और आलोचनात्मक लेखन, अपनी प्रकृति में काफ़ी सुधारात्मक है।उनका जन्म 29 नवंबर, 1895 को हमारे शहर मेरठ में हुआ था। फिर, बड़े होने पर, ‘आलिया मदरसा, मेरठ’ से अरबी और फ़ारसी(Persian)भाषा सीखने के बाद, वह अपनी उच्च शिक्षा के लिए मेरठ कॉलेज चले गए। इसके बाद, उन्होंने गवर्नमेंट कॉलेज, लखनऊ(Government College, Lucknow) में उर्दू पढ़ाना शुरु कर दिया।
एक शिक्षक के तौर पर, उन्होंने बच्चों के लिए पाठ्य पुस्तकें भी लिखीं। इन पुस्तकों को बच्चों की शिक्षा में, उनका प्रमुख योगदान माना जाता है। अफ़सर मेरठी की शायरी ‘पयाम-ए-रूह’ तथा ‘जू-ए-रावण’ में संग्रहित है और उनकी कहानियां‘डाली का जोग’एवं‘परछाइयां’ में हैं। उन्होंने ‘नौरस’ और ‘नक़द-उल-अदब’ नामक दो आलोचनात्मक पुस्तकें भी प्रकाशित की थी। जबकि, वर्ष 1958 में उनका निधन हो गया। वैसे उनका वास्तविक नाम, हामिदउल्लाह था। अरबी एवं फ़ारसी में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के साथ-साथ, उनकी शायरी में भी रुचि बढ़ने लगी। तथा उनके कुछ सहपाठियों के आग्रह पर, वर्ष 1916 में उन्होंने एक मुशायरे में, पहले ग़ज़ल पढ़ी। इससे उन्हें खूब दाद मिली। लेकिन, इसके बाद अफ़सर मेरठी साहब मुद्दतों तक, मुशायरों में नहीं गये। अपने कवि पेशे में, उन्होंने नज़्म, ग़ज़ल, रूबाइयां और क़ते भी कहे।
यहां अफ़सर मेरठी के चुनिंदा अशआर पेश किए गए हैं–
पेश तारों का गो शुमार में आना मुहाल है
लेकिन किसी को नींद न आए तो क्या करे

है तेरे लिए सारा जहाँ हुस्न से ख़ाली
ख़ुद हुस्न अगर तेरी निगाहों में नहीं है
आग़ाज़ हुआ है उल्फ़त का अब देखिए क्या क्या होना है
या सारी उम्र की राहत है या सारी उम्र का रोना है

इसके अलावा, उनके द्वारा रचित कुछ प्रमुख नज्मों की सूची निम्नलिखित है–
१.चांद में परियां रहती हैं
.वतन का राग
.दुनिया में जन्नत
४.चांद
५.वक़्त की डिबिया
जबकि, हमारे मेरठ शहर के एक अन्य प्रसिद्ध उर्दू कवि एवं नज़्म रचनाकार ‘इस्माइल मेरठी’ है। इस्माइल मेरठी मुगल-ब्रिटिश काल में, एक भारतीय उर्दू कवि, विद्यालय शिक्षक एवं शिक्षाविद् थे। इनका जन्म ‘मुहम्मद इस्माइल’ के रूप में, 12 नवंबर 1844 को हमारे शहर मेरठ में, मुगल शासन के दौरान हुआ था। उनके पिता– शेख पीर बख्श ने उन्हें घर पर ही शिक्षा दी थी। बाद में, उन्होंने एक औपचारिक विद्यालय में दाखिला लिया। तथा उन्होंने मिर्ज़ा ग़ालिब के समकालीन, मिर्ज़ा रहीम बेग से फ़ारसी भाषा में उच्च शिक्षा प्राप्त की थी।
फिर बाद में, वर्ष 1868 में, उन्हें सहारनपुर जिले के एक सार्वजनिक विद्यालय में, फ़ारसी भाषा के शिक्षक के रूप में नियुक्त किया गया। परंतु, 1888 में उन्हें आगरा में स्थानांतरित कर दिया गया। जबकि, 1899 में, वह शिक्षण कार्य से सेवानिवृत्त हो गए और अपने गृह–नगर मेरठ वापस लौट आए।
इस्माइल मेरठी अपनी कविताओं में, बच्चों के लिए सरल तथा आसानी से समझ में आने वाले शब्दों का उपयोग करते थे। वह नैतिक विचारों को सरल भाषा एवं यथार्थवादी लहजे में व्यक्त करते थे। साथ ही, वह अपनी कविताओं में एक नैतिक संदेश देते हुए प्रकृति(पहाड़, नदियां, भोर, बारिश, पौधे, आदि) और पालतू जानवरों(बिल्ली, कुत्ता, घोड़ा, गाय और अन्य) का उल्लेख करते हैं। इस प्रकार, वे बच्चों के दिमाग को आकर्षित करते थे। सच्चाई, मेहनत, आज्ञाकारिता, सकारात्मक आदतें और मजबूत चरित्र उनकी कविताओं के कुछ सबसे महत्त्वपूर्ण केंद्रीय मूल्य हैं।
निम्नलिखित सूची में, इस्माइल मेरठी के कुछ प्रमुख नज्मों को पेश किया गया हैं:
.नसिहत
.हमारी गाय
.रात
.बरसात
.सुबह की आमद
इसके अलावा, आप नीचे प्रस्तुत की गई एक अन्य सूची में, उनके कुछ सबसे लोकप्रिय नज़्म जान सकते हैं:
⁍हमेशा देर कर देता हूं
⁍शिकवा
⁍रकीब से!
⁍फ़र्ज़ करो
⁍आज बाज़ार में पा-ब-जौलान चलो
⁍आवारा
⁍निसार मैं तेरी गलियों के
⁍ताज महल


संदर्भ
https://tinyurl.com/mry23rh3
https://tinyurl.com/49xwxxfn
https://tinyurl.com/yfmasa7f
https://tinyurl.com/26mfhreu
https://tinyurl.com/ync43yk5
https://tinyurl.com/mrxt8c3z
https://tinyurl.com/nuc3ucwx

चित्र संदर्भ
1. फ़ैज़ अहमद को अपनी उर्दू शायरी किताब 'रिश्ता-ए-कलाम' (1978) भेंट करते हुए मोहसिन ज़ैदी को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. अफ़सर मेरठी को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
3. इस्माइल मेरठी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)