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दिवाली नजदीक आते ही, ऑनलाइन और ऑफलाइन (Online And Offline) दुकानों में मिलने वाले सामान पर भारी छूट मिलनी शुरू हो जाती है। ऊपर से अगर आपके पास "क्रेडिट कार्ड (Credit Card)" है, तो फिर भारी छूटों के साथ खरीदारी करने का असली मजा दोगुना हो जाता है। आज लोग सुबह की कॉफी (Coffee) खरीदने या अपनी कार में तेल भराने के लिए भी क्रेडिट कार्ड का ही प्रयोग करने लगे हैं। आज क्रेडिट कार्ड इतने आम हो गए हैं कि ऐसा लगता है जैसे कि वे हमेशा से मौजूद रहे हों। लेकिन इनका भी अपना एक इतिहास है, जिससे आज हम आपको परिचित कराएँगे।
क्रेडिट कार्ड, एक तरह का भुगतान कार्ड (Payment Card) होता है, जो आपको सामान और सेवाएं खरीदने के लिए बैंक या किसी अन्य वित्तीय संस्थान से पैसे उधार लेने की अनुमति देता है। फिर आप समय के साथ उधार लिया गया पैसा, ब्याज और अन्य शुल्क चुका सकते हैं। हमारे बीच क्रेडिट प्रणाली (Credit System) हजारों वर्षों से मौजूद है। 1700 के दशक में, किसान व्यापारियों से बीज उधार लेते थे और अपनी फसल काटने के बाद उन्हें वापस भुगतान कर देते थे। 19वीं सदी के अंत और 20वीं सदी की शुरुआत में, वेस्टर्न यूनियन® (Western Union®) ने चुनिंदा ग्राहकों को धातु की प्लेटें (Metal Plates) जारी कीं, जिससे उन्हें खरीदारी पर शुल्क लगाने और बाद में भुगतान करने की अनुमति मिली।
1946 में, जॉन बिगिन्स (John Biggins) नाम के एक बैंकर (Banker) ने अपने बैंक में नए ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए चार्ज-इट कार्ड (Charge-It Card) बनाया। इस कार्ड का उपयोग बैंक खाते वाले लोग कुछ चुनिंदा दुकानों पर चीजें खरीदने के लिए कर सकते थे। फिर स्टोर बैंक को रसीदें भेजते थे, और बैंक खरीदी गई वस्तुओं के लिए स्टोर को भुगतान कर देता था। इसके बाद बैंक ग्राहक को पुनर्भुगतान के लिए बिल भेज देता था।
दुनिया का पहला आधुनिक यानी आज के जैसा दिखाई देने वाला क्रेडिट कार्ड, “डायनर्स क्लब कार्ड (Diners Club Card)” था, जिसका आविष्कार 1950 में हुआ था। इस कार्ड की खोज के पीछे की कहानी भी काफी दिलचस्प है। दरअसल फ्रैंक मैकनामारा (Frank Mcnamara) नामक एक व्यवसायी, न्यूयॉर्क (New York) में रात्रिभोज के दौरान अपना बटुआ ले जाना भूल गए थे। इसके बाद उन्होंने और उनके बिजनेस पार्टनर राल्फ श्नाइडर (Partner Ralf Schneider) ने बिना नकदी रखे भुगतान करने के तरीके के रूप में डायनर्स क्लब कार्ड का आविष्कार किया। उनके मन में एक ऐसे कार्ड का विचार आया जो लोगों को नकदी ले जाए बिना भुगतान करने की अनुमति देगा।
डायनर्स क्लब कार्ड को पहले केवल स्थानीय रेस्तरां में ही स्वीकार किया जाता था, लेकिन जल्द ही इसे अन्य दुकानों को शामिल करने के लिए भी विस्तारित किया गया। ग्राहकों को अपने खाते की पूरी शेष राशि का भुगतान प्रत्येक माह के अंत में करना पड़ता था। 1951 तक, डायनर्स क्लब में 42,000 सदस्य जुड़ चुके थे और इसे सभी प्रमुख अमेरिकी शहरों में स्वीकार किया गया था। 1953 तक, इसे कनाडा (Canada), क्यूबा (Cuba) और मैक्सिको (Mexico) में भी स्वीकार कर लिया गया। गुज़रते समय के साथ इस तरह के क्रेडिट कार्ड तेज़ी से लोकप्रिय हो गए और बैंकों ने अपने स्वयं के कार्ड जारी करना शुरू कर दिया। इन कार्डों ने लोगों को रिवॉल्विंग क्रेडिट (Revolving Credit) की अनुमति दी, जिसका मतलब था कि वे एक महीने से अगले महीने तक शेष राशि रख सकते थे।
चलिए अब क्रेडिट कार्ड के ऐतिहासिक सफर को वर्षों के आधार पर संक्षेप में समझते हैं:
➲1930 का दशक: डिपार्टमेंट स्टोर्स (Department Stores) ने धातु की प्लेटें जारी करना शुरू कर दिया जिनका उपयोग क्रेडिट पर चीजें खरीदने के लिए किया जा सकता था।
➲1946: फ़्लैटबश नेशनल बैंक (Flatbush National Bank) के जॉन बिगिन्स (John Biggins) ने "चार्ज-इट (Charge-It)" नामक एक कार्ड प्रणाली बनाई, जिससे लोगों को एक छोटे से क्षेत्र में कई दुकानों पर क्रेडिट पर चीज़ें खरीदने की अनुमति मिली।
➲1950: फ्रैंक मैकनामारा और राल्फ श्नाइडर (Frank Mcnamara And Ralph Schneider) ने पहला डायनर्स क्लब कार्ड बनाया, जो व्यापक रूप से लोकप्रिय होने वाला पहला क्रेडिट कार्ड था। इसी दौरान अमेरिकन एक्सप्रेस (American Express) ने अपना पहला क्रेडिट कार्ड भी पेश किया।
➲1958: बैंकअमेरिकार्ड (Bankamericard) ने पहला रिवॉल्विंग क्रेडिट कार्ड (Revolving Credit Card) जारी किया, जिससे लोगों को एक महीने से अगले महीने तक बैलेंस / शेष राशि रखने की सुविधा मिली। 1976 में बैंकअमेरिकार्ड “वीज़ा (Visa)” बन गया, जो अब एक वैश्विक कंपनी है।
➲1960 का दशक: आईबीएम के इंजीनियर (IBM Engineer) फॉरेस्ट पैरी (Forrest Perry) ने पहले चुंबकीय पट्टी (Magnetic chip) क्रेडिट कार्ड का आविष्कार किया।
➲1966: कई क्षेत्रीय बैंकों ने बैंकअमेरिकार्ड के साथ प्रतिस्पर्धा करने हेतु “मास्टर चार्ज कार्ड” (Master Charge Card) बनाने के लिए इंटरबैंक कार्ड एसोसिएशन (Interbank Card Association) का गठन किया। दस साल बाद कार्ड का नाम बदलकर “मास्टरकार्ड” (Mastercard) कर दिया गया।
➲1991: अमेरिकन एक्सप्रेस ने पहला क्रेडिट कार्ड लॉयल्टी प्रोग्राम (Credit Card Loyalty Program) लॉन्च किया। अमेरिकन एक्सप्रेस की शुरुआत, लोगों के कीमती सामानों के परिवहन और ट्रैवेलर्स चेक (Traveler's Check) की पेशकश से हुई। 1958 में, इसने यात्रियों को अधिक लचीलापन देने के लिए अपना पहला क्रेडिट कार्ड लॉन्च किया। 1966 में, उन्होंने व्यापारिक यात्रियों के लिए एक कॉर्पोरेट क्रेडिट कार्ड (Corporate Credit Card) बनाया।
➲1986: अमेरिकी डिपार्टमेंट स्टोर श्रृंखला सियर्स (Sears) ने डिस्कवर कार्ड (Discover Card) पेश किया। डिस्कवर कार्ड से की गई पहली खरीदारी 26 सितंबर, 1985 को 26.77 डॉलर की थी। डिस्कवर कार्ड पर कोई वार्षिक शुल्क नहीं पड़ता था। इसने ही विश्व के पहले कैशबैक पुरस्कार (Cash Back Rewards) कार्यक्रमों शुरू किया। 2008 में, डिस्कवर ने डायनर्स क्लब इंटरनेशनल का भी अधिग्रहण कर लिया।
डायनर्स क्लब इंटरनेशनल, डिस्कवर फाइनेंशियल सर्विसेज के स्वामित्व वाली एक चार्ज कार्ड कंपनी है। इसकी स्थापना 1950 में फ्रैंक एक्स. मैकनामारा (Frank X. Mcnamara,), राल्फ श्नाइडर (Ralph Schneider), मैटी सिमंस (Mattie Simmons) और अल्फ्रेड एस. ब्लूमिंगडेल (Alfred S. Bloomingdale) द्वारा गई थी। डायनर्स क्लब दुनिया की पहली स्वतंत्र भुगतान कार्ड कंपनी थी, और इसने एक व्यवहार्य व्यवसाय के रूप में यात्रा और मनोरंजन (टी एंड ई (T&E) क्रेडिट कार्ड जारी करने की वित्तीय सेवा को सफलतापूर्वक स्थापित किया। डायनर्स क्लब इंटरनेशनल और इसकी फ्रेंचाइजी 59 देशों में परिचालन के साथ, दुनिया भर के देशों में अपनी सेवा प्रदान करती हैं।
भारत में भी डायनर्स क्लब ही 1961 में क्रेडिट कार्ड पेश करने वाली पहली कंपनी थी। काली मोदी ने भारत में पहली डायनर्स फ्रैंचाइज़ी (Diners Franchise) खोली और कंपनी ने केवल आमंत्रित ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड जारी करना शुरू किया। भारत में डायनर्स क्लब फ्रेंचाइजी, सिटीबैंक (Citibank) ने खरीदी और इसे 20 वर्षों तक चलाया। इसके बाद सिटीबैंक इंडिया ने यह फ्रेंचाइजी एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) को बेच दी। डायनर्स क्लब कार्ड अभी भी भारत में उपलब्ध है, लेकिन यह उतना लोकप्रिय नहीं है। वीज़ा और मास्टरकार्ड क्रेडिट कार्ड जारी करने वाले अन्य बैंक अब भारत और दुनिया भर में अधिक लोकप्रिय हैं।
अपने शानदार पुरस्कारों और लाभों के कारण डायनर्स क्लब कार्ड, भारत में सबसे अच्छे क्रेडिट कार्डों में से एक माने जाते हैं। डायनर्स क्लब भारत में तीन अलग-अलग क्रेडिट कार्ड प्रदान करता है, जिनमें से प्रत्येक के अपने लाभ हैं:
1.एचडीएफसी डायनर्स क्लब ब्लैक “HDFC Diners Club Black” (इनाम दर: 3.3%)
2.एचडीएफसी डायनर्स क्लब प्रिविलेज “HDFC Diners Club Privilege” (इनाम दर: 1.3%)
3.एचडीएफसी डायनर्स क्लब माइल्स “HDFC Diners Club Miles” (इनाम दर: 1.3%)
ध्यान दें कि डायनर्स रिवार्ड्ज़ और डायनर्स प्रीमियम (Diners Rewards And Diners Premium) कार्ड अब बंद कर दिए गए हैं। भारत में डायनर्स क्लब कार्ड की स्वीकृति प्रमुख शहरों में अच्छी है। देश में लगभग 90% भारतीय वेबसाइटें (Indian Websites), डायनर्स क्लब कार्ड स्वीकार करती हैं। उदाहरण के तौर पर फ्लिपकार्ट (Flipkart), स्नैपडील (Snapdeal), पेटीएम (Paytm) और अमेज़ॅन (Amazon) जैसी प्रमुख वेबसाइटें डायनर्स क्लब कार्ड स्वीकार करती हैं। इसके अलावा भारत में लगभग 80% ऑफ़लाइन व्यापारी भी डायनर्स क्लब कार्ड स्वीकार करते हैं। एचडीएफसी बैंक, सिटी बैंक, आईसीआईसीआई बैंक, एक्सिस बैंक (Axis Bank), बैंक ऑफ बड़ौदा (Bank Of Baroda) और येस बैंक (Yes Bank) सभी के पास स्वाइप मशीनें (Swipe Machine) हैं, जो डायनर्स क्लब कार्ड स्वीकार करती हैं।br>
भारतीय रिज़र्व बैंक (Reserve Bank Of India (RBI) के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2017 में अलग-अलग बैंकों ने रिकॉर्ड 2.98 करोड़ क्रेडिट कार्ड जारी किए। जून 2022 में, लोगों ने 6.78 लाख से अधिक एटीएम निकासी और लगभग 12.1 करोड़ पॉइंट-ऑफ-सेल (Point-Of-Sale (POS) लेन-देन के लिए क्रेडिट कार्ड का उपयोग किया।
हालांकि कोरोना महामारी के कारण मार्च से मई 2020 तक क्रेडिट कार्ड के उपयोग में तेज़ी से गिरावट आई, लेकिन तब से इसमें सुधार हुआ है।
2022 की सितंबर तिमाही के अंत तक, भारत में प्रचलन में डेबिट और क्रेडिट कार्ड की कुल संख्या 100 करोड़ को पार कर गई थी। नवंबर 2022 तक, भारत में लगभग 7.7 करोड़ सक्रिय क्रेडिट कार्ड हैं, जो यूनाइटेड किंगडम (United Kingdom) की कुल जनसंख्या से भी अधिक है।br> विश्लेषकों का अनुमान है कि 2022 और 2028 के बीच भारत में क्रेडिट कार्ड की संख्या 33 लाख बढ़ जाएगी, जो 7.83% की वृद्धि दर्शाता है।
भारत में क्रेडिट कार्ड इतने लोकप्रिय इसलिए भी हो रहे हैं क्योंकि वे डिजिटल भुगतान का एक सुविधाजनक विकल्प प्रदान करते हैं और चिकित्सा बिल जैसे बड़े, अप्रत्याशित भुगतान करने के लिए उपयोगी साबित हो सकते हैं। क्रेडिट कार्ड का उपयोग कम ब्याज और प्रोसेसिंग शुल्क (Processing Fee) के साथ असुरक्षित व्यक्तिगत ऋण प्राप्त करने के लिए भी किया जा सकता है, जिसे आराम-आराम से मासिक किश्तों में चुकाया जा सकता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/45a7u9sv
https://tinyurl.com/mr8sa96x
https://tinyurl.com/yrpf9r76
https://tinyurl.com/5n7mw6ft
https://tinyurl.com/4jb7xt7m
चित्र संदर्भ
1. क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करती महिला को संदर्भित करता एक चित्रण (pexels)
2. तीन सबसे बड़े क्रेडिट कार्ड नेटवर्क के क्रेडिट कार्ड प्रतीक को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. 1997 की एक क्रेडिट रसीद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. क्रेडिट कार्ड की स्वीकार्यता को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. आईसीबीसी डायनर्स क्लब कार्ड को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. विभिन्न कंपनियों के क्रेडिट कार्ड को दर्शाता एक चित्रण (NDLA)
7. शॉपिंग करते समय क्रेडिट कार्ड के प्रयोग को दर्शाता एक चित्रण (pexels)
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